कार्बन एवं उसके यौगिक - क्लास दसवीं विज्ञान

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NCERT अभ्यास प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न संख्या: 1. एथेन का आण्विक सूत्र `-C_2H_2` है। इसमें:

(a) 6 सहसंयोजक आबंध हैं

(b) 7 सहसंयोजक आबंध हैं

(c) 8 सहसंयोजक आबंध हैं

(d) 9 सहसंयोजक आबंध हैं

उत्तर (b) 7 सहसंयोजक आबंध हैं

ब्याख्या:

एथेन का संरचना सूत्र है:

structural formula of ethane
Ethane

स्पष्टत: इसमें 7 सहसंयोजक आबंध हैं।

प्रश्न संख्या: 2. ब्युटेनॉन चतु: कार्बन यौगिक है जिसका प्रकार्यात्मक समूह

(a) कार्बोक्सिलिक अम्ल

(b) ऐल्डिहाइड

(c) कीटोन

(d) ऐल्कोहॉल

उत्तर (c) कीटोन

ब्याख्या: ब्युटेनॉन का संरचना सूत्र है:

structural formula of butanone
Butanone

इसमें कीटोन ग्रुप प्रकार्यात्मक समूह के रूप में जुड़ा हुआ है।

प्रश्न संख्या: 3. खाना बनाते समय यदि बर्तन की तली बाहर से काली हो रही है तो इसका मतलब है कि

(a) भोजन पूरी तरह नहीं पका है।

(b) ईंधन पूरी तरह से नहीं जल रहा है।

(c) ईंधन आर्द्र है।

(d) ईंधन पूरी तरह से जल रहा है।

उत्तर (b) ईंधन पूरी तरह से नहीं जल रहा है।

ब्याख्या: वायु की आपूर्ति को सीमित कर देने से अपूर्ण दहन होने पर संतृप्त हाइड्रोकार्बन से भी कज्जली ज्वाला निकलती है। घरों में उपयोग में लाई जाने वाली गैस/केरोसीन के स्टोव में वायु के लिए छिद्र होते हैं, जिनसे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन समृद्ध मिश्रण जलकर स्वच्छ नीली ज्वाला देता है। यदि कभी बर्तनों के तले काले होते हुए दिखाई दें तो इसका अर्थ होता है कि वायु छिद्र अवरूद्ध है तथा ईंधन व्यर्थ हो रहा है।

प्रश्न संख्या: 4. `CH_3Cl` में आबंध निर्माण का उपयोग कर सहसंयोजक आबंध की प्रकृति समझाइए।

उत्तर

कार्बन परमाणु में संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या = 4

हाइड्रोजन परमाणु में संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या = 1

क्लोरीन के परमाणु में संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या = 7

electron dot structure of chloromethane

`Ch_3Cl` (क्लोरोमेथेन या मेथाइल क्लोराइड) के निर्माण में कार्बन अपने चार संयोजी इलेक्ट्रॉन में से तीन इलेक्ट्रॉन को तीन हाइड्रोजन के परमाणुओं के साथ तथा एक इलेक्ट्रॉन को क्लोरीन के एक परमाणु के साथ साझा करता है।

वहीं हाइड्रोजन के तीनों में से प्रत्येक परमाणु अपना अपना एक संयोजी इलेक्ट्रॉन कार्बन के परमाणु के साथ साझा करता है, तथा क्लोरीन अपना एक संयोजी इलेक्ट्रॉन कार्बन के परमाणु के साथ साझा करता है।

इस तथा कार्बन तथा क्लोरीन के परमाणुओं की बाहरी कक्षा में आठ इलेक्ट्रॉन हो जाते हैं तथा हाइड्रोजन के परमाणुओं की बाहरी कक्षा में दो दो इलेक्ट्रॉन हो जाते हैं, जिससे इन सभी परमाणुओं के बाहरी कक्षा के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्थाई हो जाते हैं, तथा क्लोरोमेथेन अणु का निर्माण होता है। चूँकि क्लोरोमिथेन का निर्माण इलेक्ट्रॉन की साझेदारी से होता है, अत: इसमें बने आबंध सह संयोजी बंध कहलाते हैं, तथा इलेक्ट्रॉन की साझेदारी से बना हुआ यौगिक सह संयोजी यौगिक कहलाता है।

क्लोरोमेथेन के निर्माण में कुल चार सह संयोजी आबंधों का निर्माण होता है। ये सभी आबंध स्थाई होते हैं।

प्रश्न संख्या: 5. इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना बनाइए:

(a) एथेनॉइक अम्ल

उत्तर

electron dot structure of ethanoic acid electron dot structure1 of ethanoic acid

(b) `H_2S`

उत्तर

electron dot structure of hydrogen sulphide

(c) प्रोपेनोन

उत्तर

electron dot structure of propanone electron dot structure1 of propanone

(d) `F_2`

उत्तर

electron dot structure of fluorine

प्रश्न संख्या: 6. समजातीय श्रेणी क्या है? उदारण के साथ समझाइए।

उत्तर

यौगिकों की ऐसी श्रृंखला जिसमें कार्बन श्रृंखला में स्थित हाईड्रोजन को एक ही प्रकार का प्रकार्यात्मक समूह प्रतिस्थापित करता है, को समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) कहते हैं। एक समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) के सभी सदस्य के रासायनिक गुण समान होते हैं।

उदारण (Example):

CH4 [मिथेन (Methane)], C2H6[एथेन (Ethane)], C3H8[प्रोपेन (Propane)], C4H10[ब्युटेन (Butane)] ?. एक समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) बनाते हैं।

CH3OH, C2H5OH, CH5OH, ?. एक समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) बनाते हैं। इस समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) के सदस्य एल्कोहल कहलाते हैं।

प्रश्न संख्या: 7. भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर एथनॉल एवं एथेनॉइक अम्ल में आप कैसे अंतर करेंगे?

उत्तर

एथनॉल तथा एथेनॉइक अम्ल के भौतिक गुणों में अंतर

(क) एथनॉल का एक विशिष्ट गंध होता है, जबकि एथेनॉइक अम्ल एक गंधहीन द्रव है।

(ख) एथनॉल एक वाष्पशील द्रव है जबकि एथेनॉइक अम्ल एक अवाष्पशील द्रव है।

(ग) एथनॉल का गलनांक `-117.15^oC` है जबकि एथेनॉइक अम्ल का गलनांक `16.85^oC` है।

(घ) एथनॉल का क्वथनांक `77.85^oC` है जबकि एथेनॉइक अम्ल का क्वथनांक `117.85^oC` है।

एथनॉल तथा एथेनॉइक अम्ल के रासायनिक गुणों में अंतर

(क) एथनॉल का लिटमस पत्र पर कोई प्रभाव नहीं होता जबकि एथेनॉइक अम्ल ब्लू लिटमस पत्र को लाल बना देता है।

(ख) एथनॉल कार्बोनेट या हाइड्रोजन कार्बोनेट के साथ कोई प्रतिक्रिया नहीं करता जबकि एथेनॉइक अम्ल कार्बोनेट या हाइड्रोजन कार्बोनेट के साथ प्रतिक्रिया कर कार्बन डाइऑक्साइड गैस देता है।

(ग) एथनॉल स्वच्छ लौ के साथ जलता है, जबकि एथेनॉइक अम्ल नहीं जलता है।

प्रश्न संख्या: 8. जब साबुन को जल में डाला जाता है तो मिसेल का निर्माण क्यों होता है? क़्या एथनॉल जैसे दूसरे विलायकों में भी मिसेल का निर्माण होगा।

उत्तर

साबुन के अणु के दो सिरे होते हैं, जिसमें एक सिरा जल में घुल जाता है, तथा इस सिरे को जलरागी कहते हैं, दूसरा सिरा हाइड्रोकार्बन में घुलता है तथा जल में अघुलनशील होता है, इस सिरे को जल विरागी कहते हैं।

जब साबुन जल की सतह पर होता है, तो इसका आयनिक सिरा जल के अंदर तथा जलविरागी सिरा जल के बाहर होता है।

इसके ठीक विपरीत जब साबुन के अणु जल के भीतर होते हैं तो इसका आयनिक सिरा बाहर की ओर तथा दूसरा सिरा अर्थात जलविरागी सिरा अंदर की ओर होता है। ऐसा साबुन के अणुओं का बड़ा गुच्छा बनने के कारण होता है। इस प्रकार बने विशेष संरचना को मिसेल कहते हैं।

यही कारण है कि साबुन पानी में मिसेल का निर्माण करता है परंतु दूसरे विलेयक यथा एथनॉल आदि के साथ मिसेल नहीं बनाता है।

यही कारण है कि साबुन पानी में मिसेल का निर्माण करता है परंतु दूसरे विलेयक यथा एथनॉल आदि के साथ मिसेल नहीं बनाता है।

प्रश्न संख्या: 9. कार्बन एवं उसके यौगिकों का उपयोग अधिकतर अनुप्रयोगों में ईंधन के रूप में क्यों किया जाता है?

उत्तर कार्बन तथा उसके अधिकांश यौगिकों यथा पेट्रॉल, कोयला तथा अन्य पेट्रोलियम उत्पाद का उष्मीय मान (Calorific value) काफी उच्च होता है, जिसके कारण कार्बन तथा कार्बन के यौगिक जलने या जलाने के क्रम में अधिक उष्मा प्रदान करते हैं। यही कारण है को अधिकतर अनुप्रयोगों में ईंघन के रूप में कार्बन एवं उसके यौगिकों का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न संख्या: 10. कठोर जल को साबुन से उपचारित करने पर झाग के निर्माण को समझाइए।

उत्तर जल में कठोरता प्राय: कैल्शियम तथा मैग्निशियम के लवणों के घुले होने के कारण होती है। जब साबुन को कठोर जल से उपचारित या कठोर जल में मिलाया जाता है तो साबुन के अणु कठोर जल में वर्तमान कैल्शियम तथा मैग्निशियम के लवणों से प्रतिक्रिया कर अघुलनशील पदार्थ बनाते हैं, जिसके कारण कठोर जल में साबुन द्वारा झाग उत्पन्न नहीं होता है या बहुत ही कम उतपन्न होता है।

प्रश्न संख्या: 11. यदि आप लिटमस पत्र (लाल एवं नीला) से साबुन की जाँच करें तो आपका प्रेक्षण क्या होगा?

उत्तर साबुन के अणु क्षारीय प्रकृति के होते हैं। अत: जब लाल लिटमस पत्र को साबुन के घोल में डुबोया जाता है, तो यह ब्लू रंग में बदल जाता है जबकि ब्लू लिटमस पत्र को साबुन के घोल में डालने पर उसके रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

प्रश्न संख्या: 12. हाइड्रोजनीकरण क्या है? इसका औद्योगिक अनुप्रयोग क्या है?

उत्तर उत्प्रेरक, यथा निकेल, पैलेडियम, आदि की उपस्थिति में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन को हाइड्रोजन से प्रतिक्रिया कराकर संतृप्त हाइड्रोकार्बन में बदलने की प्रक्रिया को हाइड्रोजनीकरण कहते हैं। हाइड्रोजनीकरण को संकलन अभिक्रिया भी कहा जाता है।

हाइड्रोजनीकरण का औद्योगिक अनुप्रयोग

(क) असंतृप्त तेल को संतृप्त तेल में बदलने के लिये औद्योगिक स्तर पर हाइड्रोजनीकरण का उपयोग किया जाता है।

(ख) तरल पेट्रोकेमिकल्स को अर्ध ठोस (semi solid), यथा पैराफिन (मोम), साइक्लोअल्केन आदि, बनाने में औद्योगिक स्तर पर हाइड्रोजनीकरण का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न संख्या: 13. दिए गए हाइड्रोकार्बन: C2H6, C3H8, C3H6, C2H2 तथा CH4 में किसमें संकलन अभिक्रिया होती है?

उत्तर असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में हाइड्रोजन जोड़कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन में बदलने की प्रक्रिया को संकलन अभिक्रिया कहते हैं।

दिये गये हाइड्रोकार्बन में केवल `C_3H_6` (propane) तथा `C_2H_2` (Ethylene) ही असंतृप्त हाइड्रोकार्बन हैं अत: ये दोनों अर्थात `C_3H_6` (propane) तथा `C_2H_2` (Ethylene) में ही संकलन अभिक्रिया होती है।

प्रश्न संख्या: 14. मक्खन एवं खाना बनाने वाले तेल के बीच रासायनिक अंतर समझने के लिए एक परीक्षण बताइए।

उत्तर मक्खन चूँकि जंतु वसा है अत: एक संतृप्त यौगिक है जबकि खाना बनाने का तेल वनस्पति वसा है, अत: एक असंतृप्त यौगिक है।

चूँकि असंतृप्त हाइड्रोकार्बन ब्रोमीन के पानी को रंगहीन कर देता है जबकि संतृप्त हाइड्रोकार्बन ब्रोमीन के पानी के रंगहीन नहीं बनाता अत: मक्खन तथा खाना बनाने के तेल बीच बोमीन जल के परीक्षण से रासायनिक अंतर को समझा जा सकता है।

परीक्षण

दो परखनली लेकर एक में मक्खन तथा दूसरे में खाना बनाने का तेल लिया जाता है।

दोनों परखनलियों में ब्रोमीन जल मिलाया जाता है।

जिस परखनली का ब्रोमीन जल रंगहीन हो जाता है, उसमें खाना बनाने का तेल है तथा जिस परखनली का ब्रोमीन जल रंगहीन नहीं होता उसमें मक्खन है।

प्रश्न संख्या: 15. साबुन की सफाई प्रक्रिया की क्रियाविधि समझाइए।

उत्तर

साबुन के अणु के दो सिरे होते हैं, जिसमें एक सिरा जल में घुल जाता है, तथा इस सिरे को जलरागी कहते हैं, दूसरा सिरा हाइड्रोकार्बन में घुलता है तथा जल में अघुलनशील होता है, इस सिरे को जल विरागी कहते हैं।

जब साबुन जल की सतह पर होता है, तो इसका आयनिक सिरा जल के अंदर तथा जलविरागी सिरा जल के बाहर होता है।

इसके ठीक विपरीत जब साबुन के अणु जल के भीतर होते हैं तो इसका आयनिक सिरा बाहर की ओर तथा दूसरा सिरा अर्थात जलविरागी सिरा अंदर की ओर होता है। ऐसा साबुन के अणुओं का बड़ा गुच्छा बनने के कारण होता है। इस प्रकार बने संरचना को मिसेल कहते हैं।

मिसेल का अंदर वाला सिरा हाइड्रोकार्बन अर्थात मैल जो तैलीय होता है में घुलकर उसे मिसेल में जकड़ लेता है, तथा कपड़े को पानी से खंगालने के क्रम में साबुन के मिसेल (झाग) के साथ मैल बाहर आ जाता है, तथा कपड़ा साफ हो जाता है।

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