Electricity - क्लास दसवीं विज्ञान

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Introduction

आज विद्युत (Electric) मनुष्य की एक बहुत ही महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गई है। ऐसा लगने लगा है कि बिना इलेक्ट्रिसिटी (Electricity) के मनुष्य जीवित नहीं रह सकते हैं।

विद्युत (Electric) एक प्रकार की उर्जा (energy) है जिसका  नियंत्रण तथा उपयोग जीवन को बेहतर बनाने में किया जा सकता है।

जिस प्रकार नदी या समुद्र में पानी का बहाव जल धारा (water current) कहलाती है, हवा का प्रवाह हवा की धारा (air current) कहलाती है उसी तरह सुचालक (conductor) में विद्युत आवेश (electric charge) का प्रवाह विद्युत धारा (electric current) कहलाती है।

पदार्थ जिसमें विद्युत आवेश (electric charge) प्रवाहित हो सके सुचालक (conductor) कहलाती है। धातु विद्युत के सुचालक (good conductor of electricity) होते हैं अर्थात एक धातु (metal) विद्युत धारा (electric current) को प्रवाहित होने देती है। यही कारण है कि बिजली के तार धातुओं, यथा ताम्बे तथा अल्युमिनियम के बने होते हैं।

2750 ईसा पूर्व के मिश्र के किताबों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मनुष्य को प्राचीन काल (Ancient time) से ही विद्युत धारा (Electric current) का ज्ञान था। लोगों को एक विद्युत करंट (electric current) मारने वाले मछली के बारे में जानकारी थी। विद्युत करंट (electric current) मारने वाली मछ्ली को "नील का बज्र (Thunder of Nile) " कहा जाता था तथा उसे मछलियों का रक्षक (protector of fish) माना जाता था।

प्राचीन काल (Ancient time) से ही लोगों को ज्ञात था कि अम्बर (amber) नाम के पदार्थ को बिल्ली की खाल (cat's fur) से रगड़ा जाता है, तो अम्बर (amber) में छोटे छोटे पदार्थों यथा बाल, कागज के टुकड़ों आदि को आकर्षित करने का गुण आ जाता है।

विलियम गिलबर्ट ने 1600 ईसा पूर्व में विद्युत के बारे में अध्ययन किया तथा तथा एक नये लैटिन शब्द ELECTRICUS द्वारा इसे परिभाषित किया। उसने इस शब्द ELECTRICUS को अम्बर (Amber) से लिया। ग्रीक में अम्बर के लिये ELEKTRON शब्द का उपयोग होता था। ELECTRICUS शब्द से ही अंगरेजी का शब्द ELECTRIC या ELECTRICITY अस्तित्व में आया।

विद्युत आवेश (Electric Charge)

जब काँच की छड़ (glass rod) को बिल्ली की खाल (cat's fur) से रगड़ा जाता है, तो काँच की छ्ड़ (glass rod) में कागज के छोटे टुकड़ों को अपनी ओर खींचने का गुण आ जाता है। ऐसा काँच की छ्ड़ पर विद्युत आवेश (electric charge) आ जाने या काँच की छ्ड़ का विद्युत आवेशित हो जाने के कारण होता है।

उसी तरह जब एक कंघी (comb) से सूखे बाल को झाड़ा जाता है तो कंघी में विद्युत आवेश (electric charge) आ जाता है तथा कंघी कागज के छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करने लगता है।

ऐसा इसलिये होता है कि ग्लास रॉड (glass rod) को सिल्क (silk) के कपड़े या बिल्ली के खाल (cat's fur) से रगड़ने के क्रम में ग्लास रॉड से कुछ इलेक्ट्रॉन (electron) सिल्क के कपड़े या बिल्ली के खाल पर स्थानांतरित हो जाता है, जिससे ग्लास रॉड पर धन आवेश (positive charge) आ जाता है, वहीं दूसरी ओर जो कागज के छोटे टुकड़ों को उनकी ओर आकर्षित करने लगता है। वहीं ग्लास रॉड से इलेक्ट्रॉन (electron) स्थानांतरित होने के कारण सिल्क के कपड़े (silk's cloth) या बिल्ली के खाल पर ऋण आवेश (negative charge) आ जाता है।

ठीक समान स्थिति उत्पन्न होती है जब कंघी से सूखे बाल को रगड़ा जाता है।

धन आवेशित तथा ऋण आवेशित वस्तुएँ (Positively and negatively charged substances)

दो धन आवेशित (positively charged) या दो ऋण आवेशित (negatively charged) वस्तुएँ एक दूसरे को विकर्षित करती हैं जबकि एक धन आवेशित (positively charged) तथा एक ऋण आवेशित (negatively charged) वस्तुएँ एक दूसरे को आकर्षित करती हैं। अर्थात समान आवेश वाली वस्तुएँ एक दूसरे को विकर्षित तथा विपरीत आवेश वाली वस्तुएँ एक दूसरे को आकर्षित करती हैं।

विद्युत आवेश तथा आधुनिक दृष्टिकोण (Electric charge and Modern view)

सभी पदार्थ परमाणु (Atom) से बने हैं। परमाणु (Atom) इलेक्ट्रॉन (electron), प्रोटॉन (proton) तथा न्युट्रॉन (neutron) से बने हैं। इलेक्ट्रॉन (electron) ऋण आवेशित (negatively charged) तथा प्रोटॉन (proton) धन आवेशित (positively charged) होता है जबकि न्युट्रॉन (neutron) पर कोई आवेश नहीं होता है। सभी परमाणु (atom) में इलेक्ट्रॉन (electron) की संख्या प्रोटॉन (proton) की संख्या के बराबर होती है। बराबर इलेक्ट्रॉन (electron) तथा प्रोटॉन (proton) की संख्या का अर्थ है सभी परमाणुओं में ऋण (negative) तथा धन (positive) आवेश की संख्या बराबर होती है, जिसके कारण परमाणु (atom) विद्युत रूप से उदासीन (electrically neutral) होता है क्योंकि बराबर ऋण (negative) तथा धन (positive) आवेश की संख्या एक दूसरे को उदासीन (neutral) बना देते हैं।

लेकिन जब किसी परमाणु (Atom) पर किसी विशेष परिस्थिति के कारण इलेक्ट्रॉन (electron) की संख्या प्रोटॉन (proton) की संख्या से ज्यादा हो जाता है तो उसपर ऋण (negative) आवेश आ जाता है तथा जब प्रोटॉन (proton) की संख्या इलेक्ट्रॉन (electron) की संख्या से ज्यादा हो जाता है तो उसपर धन आवेश (positive charge) आ जाता है।

ऋण (negative) या धन (positive) आवेशित परमाणु (atom) आयन (ion) कहलाता है। धन आवेशित (positively charged) परमाणु (atom) को धन आयन (positive ion) या कैटायन (cation) तथा ऋण आवेशित (negatively charged) परमाणु (atom) को ऋण आयन (negative ion) या एनायन (anion) कहते हैं।

आवेश की मात्रक (SI unit of charge)

आवेश (Charge) की एस. आई. मात्रक (SI unit) कूलम्ब (Coulomb) है जिसे "C" से दर्शाया जाता है।

प्रोटॉन पर आवेश (Charge over a proton)

एक प्रोटॉन (proton) पर 1.6 x 10 –19 कूलम्ब (coulomb) आवेश (charge) होता है।

इलेक्ट्रॉन पर आवेश (Charge over an electron)

एक इलेक्ट्रॉन (electron) पर – 1.6 x 10 –19 कूलम्ब (Coulomb) आवेश (Charge) होता है।

प्रोटॉन पर आवेश (Charge over a neutron)

प्रोटॉन (proton) पर कोई आवेश (charge) नहीं होता है अर्थात प्रोटॉन (proton) उदासीन (neutral) होता है।

विद्युत धारा (Electric Current)

विद्युत आवेश का सुचालक के द्वारा प्रवाह विद्युत धारा कहलाती है।[Flow of electric charge through a conductor is called electric current]

विद्युत धारा वास्तविक में इलेक्ट्रॉन का प्रवाह (flow of electron) है। दूसरे शब्दों में सुचालक के द्वारा इलेक्ट्रॉन का प्रवाह विद्युत धारा है।

विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा (Direction of Flow of Electric Current)

चूँकि जब प्राचीन समय में विद्युत (electric) के बारे में पता चला था उस समय लोगों को इलेक्ट्रॉन के बारे में पता नहीं था। अत: विद्युत आवेश (electric charge) के प्रवाह को ही विद्युत धारा (electric current) माना जाता था तथा धन आवेश (positive charge) के प्रवाह की दिशा को ही विद्युत धारा (electric current) के प्रवाह की दिशा मानी जाती थी।

परम्परागत रूप से विद्युत परिपथ (electric circuit) में विद्युत धारा (electric current) का प्रवाह इलेक्ट्रॉन (electron) के प्रवाह के विपरीत दिशा में माना जाता है। अर्थात विद्युत धारा (electric current) के प्रवाह की दिशा इलेक्ट्रॉन (electron) के प्रवाह के उलटी दिशा में मानी जाती है।

विद्युत धारा (Electric current) को कैसे व्यक्त (express) किया जाता है?

विद्युत धारा को एकांक समय में किसी विशेष क्षेत्र से प्रवाहित आवेश के परिणाम द्वार व्यक्त किया जाता है। [Electric current is expressed as the flow of electric current through a particular area in unit time]

दूसरे शब्दों में विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं। (Electric current is the rate of flow of electric charges)

electric current is equal to electric charge divided by time

माना कि t समय में किसी चालक के अनुप्रस्थ काट (Cross section) से कुल आवेश (Net charge) Q प्रवाहित होता है तो उस अनुप्रस्थ काट (Cross section) से विद्युत धारा (Electric current) I को निम्नांकित तरीके से व्यक्त किया जाता है:

electric current is equal to electric charge divided by time

जहाँ, Ι = विद्युत धारा (Electric current)

Q = कुल आवेश (net charge)

t = समय (time)

अत: एकांक समय (unit time) (t) में किसी निश्चित क्षेत्रफल से प्रवाहित होने वाला विद्युत आवेश (electric charge) (Q) को विद्युत धारा [ELECTRIC CURRENT (Ι)] कहते हैं।

विद्युत धारा (Ι) की SI मात्रक

विद्युत धारा (Ι) की SI मात्रक एम्पीयर (A) है।

विद्युत धारा (Ι) की SI मात्रक का नाम फ्रांस के महान वैज्ञानिक Andre Marie Ampere के नाम पर रखा गया है।

1 एम्पीयर (A) विद्युत धारा (electric current) बराबर है प्रति सेकेंड 1 कूलम्ब (Coulomb) विद्युत आवेश (electric charge) का प्रवाह

अर्थात 1A = 1 C/s

अल्प परिणाम (small quantities) के विद्युत धारा (electric current) को मिलीऐम्पीयर (milliampere) (mA) या माइक्रोऐम्पीयर (microampere) (μA) में दर्शाया जाता है।

1 mA (मिलीऐम्पीयर (milliampere)) = 10 – 3 A (ऐम्पीयर (Ampere))

1 μA (माइक्रोऐम्पीयर (microampere)) = 10 – 6 A (ऐम्पीयर)

आम्मीटर (Ammeter)

आम्मीटर (Ammeter) यंत्र है जिसके द्वारा विद्युत परिपथ (electric circuit) में विद्युत धारा (electric current) को मापा जाता है। आम्मीटर (Ammeter) को विद्युत परिपथ में श्रेणी क्रम (series) में जोड़ा जाता है।

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