तत्वों का आवर्त वर्गीकरण - क्लास दसवीं विज्ञान

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आवश्यकता तथा प्रारंभिक प्रयास

नये नये तत्वों के खोज के बाद तत्वों की संख्या बढ़ने लगी, जिससे उनके वर्गीकरण की आवश्यकता बढ़ती गयी।

अव्यवस्थित को व्यवस्थित करना: तत्वों के वर्गीकरण के प्रारंभिक प्रयास

डॉबेराइनर के त्रिक (Doereiner's Triads)

जोहान्न वुल्फगांग डॉबेराइनर (Johann Wolfgang Dobereiner), जो एक जर्मन वैज्ञानिक थे, ने सन 1817 में तीन-तीन तत्वों वाले कुछ समूहों की पहचान की जिनके ग़ुण समान थे। उन्होनें तीन ? तीन तत्वों के समूहों के त्रिक कहा, जिसे डाबेराइनर के त्रिक के नाम से जाना जाता है।

वुल्फगांग डॉबेराइनर ने बताया कि त्रिक के तीनों तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान (Atomic mass) के आरोही क्रम (increasing order) में रखने पर बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान (Atomic mass), अन्य दो तत्वों के परमाणु द्रव्यमान (Atomic mass) का लगभग औसत होता है।

यथा: लीथियम (Li), सोडियम (Na) तथा पोटैशियम (K), जिनका परमाणु भार (Atomic mass) क्रमश: 7.0, 23.0, तथा 39.0 है। इनमें बीच वाले तत्व सोडियम (Na) का परमाणु भार (Atomic mass) अन्य दो तत्वों लीथियम (Li) तथा पोटैशियम (K) के परमाणु द्रव्यमान (Atomic mass) का औसत है।

डॉबेराइनर के त्रिक
Li Ca Cl
Na Sr Br
K Ba I

डोबेराइनर त्रिक के दोष या सीमाएँ (Drawbacks of Dobereiner Triads)

डोबेराइनर (Dobereiner) उस समय तक ज्ञात तत्वों में केवल तीन त्रिक (Triads) ही ज्ञात कर सके थे, जिसके कारण उनका तत्वों को त्रिक (Triads) में वर्गीकरण (Classification) करने की पद्धति सफल तथा उपयोगी नहीं रही।

न्यूलैंड का अष्टक सिद्धांत (Newland's Law of Octaves)

ज़ॉन न्यूलैंड, जो कि एक अंगरेज वैज्ञानिक थे, ने उस समय तक ज्ञात तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम (आरोही क्रम) में वर्गीकृत किया। न्यूलैंड के समय ज्ञात तत्वों की संख्यां 56 थी। उन्होंने वर्गीकरण में सबसे कम परमाणु द्रव्यमान वाले तत्व हाइड्रोजन से शुरू कर वर्गीकरण को थोरियम पर समाप्त किया।

उन्होंने पाया कि प्रत्येक आठवें तत्व का गुणधर्म पहले तत्व के समान है। उन्होंने इस वर्गीकरण की तुलना संगीत के अष्टक से की तथा इसका नाम "अष्टक का सिद्धांत ('Law of Octaves')" रखा। न्यूलैंड के वर्गीकरण को "न्यूलैंड का अष्टक सिद्धांत (Newlands' Law of Octaves)" के नाम से जाना जाता है।

न्यूलैंड का अष्टक
H Li Be B C N O
F Na Mg Al Si P S
Cl K Ca Cr Ti Mn Fe
Co & Ni Cu Zn Y In As Se
Br Rb Sr Ce & La Zr - -

न्यूलैंड के अष्टक (Newlands' Octave) में, सोडियम [sodium (Na)] लिथियम के बाद आठवें स्थान पर है, तथा दोनों के गुणधर्म लगभग समान हैं। उसी तरह बेरिलियम तथा मैग्निशियम के गुणधर्म समान हैं।

न्यूलैंड के अष्टक की सीमाएँ या दोष (Drawbacks of Newlands' Octaves)

न्यूलैंड के अष्टक का सिद्धांत केवल कैल्शियम तक ही लागू होता था, क्योंकि न्यूलैंड के अष्टक में कैल्शियम के बाद आने वाले प्रत्येक आठवें तत्व का गुणधर्म पहले तत्व से नहीं मिलता है या था।

ऐसा लगता है कि न्यूलैंड ने माना कि प्राकृतिक में केवल 56 तत्व ही विद्यमान हैं। बाद के दिनों में अन्य कई तत्वों के खोज के बाद पाया गया कि उनके गुणधर्म न्यूलैंड के अष्टक के सिद्धांत से मेल नहीं खाते हैं।

न्यूलैंड ने कोबाल्ट (Co) तथा निकेल (Ni) को समान गुणधर्म के आधार पर एक समूह में रखा, जबकि लोहा [आयरन (Iron) Fe] जिसका गुणधर्म कोबाल्ट (Co) तथा निकेल (Ni) के समान ही है, को इन दोनों तत्वों से काफी दूरी पर रखा।

न्यूलैंड ने कोबाल्ट (Co) तथा निकेल (Ni) को क्लोरीन (Cl) तथा फ्लोरीन (F) के साथ समान समूह में डाला, जबकि कोबाल्ट (Co) तथा निकेल (Ni) के गुणधर्म क्लोरीन (Cl) तथा फ्लोरीन (F) से बिल्कुल अलग हैं।

इस प्रकार न्यूलैंड के अष्टक का सिद्धांत केवल हलके तत्वों के लिये ही ठीक से लागू हो पाया।

मेंडलीफ की आवर्त सारणी (Mendeleev's Periodic Table)

डमित्री इवानोविच मेन्डेलीफ (Dmitri Ivanovich Medeleev) एक रसियन वैज्ञानिक थे। तत्वों के वर्गीकरण में मेन्डेलीफ का प्रमुख योगदान रहा। मेन्डेलीफ ने ही तत्वों को उनके गुणधर्म के आधार प्रथम बार सफलतापूर्वक वर्गीकृत किया। तत्वों का मेन्डेलीफ के द्वारा वर्गीकरण को "मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी (Mendeleev's Periodic Table) " कहा जाता है।

मेन्डेलीफ ने हाइड्रोजन (H) से शुरू कर तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम (आरोही क्रम) में एक टेबुल में व्यवस्थित किया। मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी न्यूलैंड के आवर्त सारणी से मिलती थी।

मेन्डेलीफ ने रासायनिक गुणधर्मों के अंतर्गत तत्वों के ऑक्सीजन तथा हाईड्रोजन के साथ अभिक्रिया कर बनने वाले यौगिकों पर ध्यान केन्द्रित किया। मेन्डेलीफ ने ऑक्सीजन तथा हाईड्रोजन को इसलिये चुना कि वे अत्यंत सक्रिय हैं तथा अधिकांश तत्व हाईड्रोजन तथा ऑक्सीजन के साथ संयोग कर यौगिक बनाते हैं। मेन्डेलीफ ने तत्वों के हाईड्राइड तथा ऑक्साइड के सूत्रों को तत्वों के वर्गीकरण में मूलभूत गुणधर्म माना।

मेन्डेलीफ के आवर्त सारणी का नियम (Mendeleev's Law of Periodic Table): ' तत्वों के रासायनिक तथा भौतिक गुण उनके परमाणु द्रव्यमान के आवर्त फलन होते हैं। '.

मेन्डेलीफ के आवर्त सारणी का सिंहावलोकन (Mendeleev's Periodic Table: At a glance)

मेन्डेलीफ के आवर्त सारणी को उर्ध्व स्तंभों तथा क्षैतिज पंक्तियों में बाँटा।

मेन्डेलीफ के आवर्त सारणी में उर्ध्व स्तंभों को ' ग्रुप ' तथा क्षैतिज पंक्तियों को ' आवर्त (Period या पीरियड) ' कहते हैं।

मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में उर्ध्व स्तंभों आठ ग्रुप तथा छ: आवर्त हैं।

मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में प्रथम से लेकर सातवें ग्रुप दो दो उप ग्रुप में बाँटी गई है, जिन्हें "ग्रुप A " तथा " ग्रुप B" कहा जाता है।

मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में चौथे आवर्त से लेकर सातवें आवर्त तक दो ? दो भागों, प्रथम श्रेणी तथा द्वितीय श्रेणी में बाँटी गई है।

मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में आठवें ग्रुप के संक्रमण श्रेणी कहा जाता है।

मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी की उपलब्धियाँ (Achievements of Medeleev's Periodic Table)

(a) मेन्डेलीफ ने उनकी आवर्त सारणी में कुछ वैसे तत्व जिनके परमाणु भार अपेक्षाकृत कम थे, को उनसे ज्यादा परमाणु भार वाले तत्वों के बाद रखा ताकि उन्हें समान गुणधर्म वाले तत्वों के साथ समान ग्रुप में वर्गीकृत किया जा सके। यथा: कोबाल्ट जिसका परमाणु द्रव्यमान 58.9 है को निकेल जिसका परमाणु द्रव्यमान 58.7 है, के पहले रखा गया।

(b) मेन्डेलीफ ने उनकी आवर्त सारणी में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिया ताकि भविष्य में खोज किये जाने वाले तत्वों को विशेष गुणधर्मों के आधार पर उन खाली जगहों पर समान गुणधर्मों वाले तत्वों के साथ वाले समूह में रखा जा सके। इस तरह मेंडलीफ ने उन तत्वों के बारे में भी भविष्यवाणी की जिनकी उस समय तक खोज भी नहीं की गई थी।

(c) आवर्त सारणी में छोड़े गये रिक्त स्थान में भविष्य में रखे जाने वाले तत्वों के नामकरण मेंडलीफ ने उसी समूह में इससे पहले आने वाले तत्व के नाम में "एका " उपसर्ग लगाकर किया। यथा बाद में ज्ञात होने वाले स्कैंडियम, गैलियम, जर्मेनियम के गुणधर्म क्रमश: एका-बोरॉन, एका-एल्युमिनियम तथा एका-सिलिकॉन के समान थे।

(d) मेन्डलीफ के समय तक अक्रिय गैसों की खोज नहीं की गई थी। अक्रिय गैसों की खोज के बाद उन्हें मूल आवर्त सारणी की व्यवस्था को बिना छेड़े ही एक नये समूह में रखा जा सका।

मेन्डलीफ के वर्गीकरण की सीमाएँ (Limitation of Mendeleev's Classification of Elements)

(a)हाइड्रोजन को क्षार धातु के साथ रखा गया है क्योंकि हाइड्रोजन क्षार धातुओं की भाँति ही हैलोजन, ऑक्सीजन एवं सल्फर के साथ एक जैसे सूत्र वाले यौगिकों का निर्माण करता है। दूसरी ओर हाइड्रोजन हैलोजन की तरह द्विपरमाणुक अणु के रूप में पाया जाता है एवं धातुओं तथा अधातुओं के साथ सह संयोजक यौगिक बनाता है।

अत: मेन्डलीफ ने आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को नियत स्थान नहीं दिया और न ही हाइड्रोजन के स्थान की ब्याख्या की। यह मेन्डलीफ के आवर्त सारणी की पहली कमी थी।

(b) मेन्डलीफ द्वारा आवर्त सारणी तैयार करने के बहुत बाद समस्थानिकों का पता चला।

समस्थानिकों के रासायनिक गुण समान होते हैं परंतु परमाणु द्रव्यमान भिन्न भिन्न होते हैं।

इस प्रकार तत्वों के समस्थानिक मेन्डलीफ के आवर्त सारणी के लिये एक चुनौती बन गई थी। चूँकि मेन्डलीफ की आवर्त सारणी का आधार तत्वों के परमाणु द्रव्यमान थे, अत: यदि समस्थानिकों को आवर्त सारणी में समावेशित किया जाता तो, सारणी का क्रम खराब हो जाता।

(c) मेन्डलीफ ने कुछ अपेक्षाकृत कम परमाणु द्रव्यमान वाले तत्वों को ज्यादा परमाणु द्रव्यमान वाले तत्वों के बाद रखा। जैसे कि कोबाल्ट (परमाणु द्रव्यमान: 58.93) को निकेल (परमाणु द्रव्यमान: 58.71) के पहले रखा।

उपरोक्त कमियों के बाबजूद भी मेन्डलीफ की आवर्त सारणी ने विज्ञान को एक नई दिशा दी। साथ ही मेन्डलीफ के द्वारा नये तत्वों के बारे में अनुमान की असाधारण सफलता के कारण रसायनज्ञों ने उनकी आवर्त सारणी को न केवल स्वीकारा बल्कि उनको इस सिद्धांत का सृजक भी माना।

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