ध्वनि

नवमी विज्ञान

ध्वनि तरंग के अभिलक्षण

(a) तरंगदैर्ध्य [वेवलेंथ (Wavelenght)]

class nine 9 science sound Wavelength of sound wave

चित्र: ध्वनि तरंग: तरंगदैर्ध्य14

दो क्रमागत संपीड़न या विरलन या दो क्रमागत शिखर के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य [वेवलेंथ (Wavelength)] कहा जाता है। तरंगदैर्ध्य (वेवलेंथ) ग्रीक के अक्षर "λ (लैम्डा)" के द्वारा दर्शाया जाता है।

तरंगदैर्ध्य का एस आई यूनिट मीटर (m) है।.

(b) आवृत्ति [फ्रिक्वेंसी (Frequency)]

एकांक समय में होने वाली घटना की संख्या उस घटना की आवृति (फ्रीक्वेंसी) कहलाती है।

जब ध्वनि तरंग किसी माध्यम से संचरित होती है तो माध्यम का घनत्व किसी अधिकतम तथा न्यूनतम मान के बीच बदलता है। घनत्व के अधिकतम मान से न्यूनतम मान तक परिवर्तन और पुन: अधिकतम मान तक आने पर एक दोलन पूरा होता है।

एकांक समय में इन दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृति कहलाती है।

यदि हम प्रति एकांक समय में अपने पास से गुजरने वाले संपीड़नों तथा विरलनों की संख्या की गणना करें तो हमें ध्वनि तरंग की आवृत्ति ज्ञात हो जायेगी।

आवृत्ति को प्राय: ग्रीक अक्षर "ν (न्यू)" से प्रदर्शित किया जाता है। कभी कभी आवृत्ति को अंग्रेजी के अक्षर "f" से भी निरूपित किया जाता है।

ध्वनि का एस आई मात्रक हर्ट्ज है। हर्ट्ज को "Hz" से निरूपित किया जाता है।

(c) आवर्त काल

दो क्रमागत संपीड़नों [कम्प्रेशन (Compression)] या दो विरलनों [रेयरफैक्शन (Rarefaction)] को किसी निश्चित बिन्दु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्त काल कहते हैं।

दूसरे शब्दों में, माध्यम के घनत्व के एक सम्पूर्ण दोलन में लिया गया समय ध्वनि तरंग का आवर्त काल कहा जाता है।

आवर्त काल को अंग्रेजी के अक्षर "T" से निरूपित किया जाता है।

आवर्त काल का एस. आई. यूनिट सेकेंड (s) है।.

आवृत्ति तथा आवर्त काल में संबंध

आवृति = 1 / आवर्त काल

`=>nu = 1/T`

(d) आयाम [ एमप्लीट्युड (Amplitude)]

किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ (डिस्टरबेंस) को तरंग का आयाम कहते हैं।

class nine 9 science sound  ध्वनि तरंग का आयाम

चित्र: ध्वनि तरंग का आयाम (एम्प्लीट्युड)14

आयाम को प्राय: अंग्रेजी के अक्षर "A" से निरूपित किया जाता है।

ध्वनि की प्रबलता तथा मृदुलता

ध्वनि की प्रबलता तथा मृदुलता ध्वनि तरंगों के आयाम से निर्धारित होती है।

आयाम ध्वनि तरंग की उर्जा होती है। .

ध्वनि तरंग का आयाम उस उर्जा पर निर्भर करती है जिससे कोई वस्तु को कंपायमान किया जाता है।

प्रबल ध्वनि का आयाम अधिक होता है तथा मृदुल ध्वनि का आयाम कम होता है। इसका अर्थ यह है कि यदि ध्वनि की प्रबलता अधिक तो उसका आयाम अधिक होगा। तथा यदि ध्वनि की प्रबलता कम है अर्थात मृदुल है तो ध्वनि का आयाम अधिक होगा।

दूसरे शब्दों में अधिक आयाम वाली ध्वनि प्रबल अर्थात तेज तथा कम आयाम वाली ध्वनि मृदुल अर्थात धीमी सुनाई देती है।

उदाहरण: यदि किसी चीज, जैसे कि लकड़ी के बोर्ड को धीरे धीरे मारने पर उत्पन्न ध्वनि धीमी होती है। अर्थात धीरे मारने से कम उर्जा की ध्वनि अर्थात कम आयाम वाली ध्वनि उत्पन्न होती है।

class nine 9 science sound Perception of Loudness of Sound wave

चित्र : ध्वनि के प्रबलता का अनुभव15

संदर्भ: By Rburtonresearch [CC BY-SA 4.0 ], from Wikimedia Commons

उसी प्रकार यदि किसी लकड़ी के बोर्ड को जोर से चोट किया जाता है तो तेज ध्वनि उत्पन्न होती है। ऐसा इसलिए होता है कि जोर से प्रहार करने पर वस्तु जोर से कंपित होती है और अधिक उर्जा वाली ध्वनि उत्पन्न होती है अधिक उर्जा वाली ध्वनि अर्थात अधिक आयाम वाली ध्वनि अधिक प्रबल होती है तथा तेज सुनाई देती है।

class nine 9 science sound wave of soft sound

चित्र : मृदुल ध्वनि तरंग16

चूँकि प्रबल (तेज) आवाज में अधिक उर्जा होती है अत: यह दूर तक जाती है। वहीं धीमी आवाज में कम उर्जा निहित होती है, अत: धीमी आवाज कम दूरी तक जाती है अर्थात कम दूरी तक सुनाई देती है।

class nine 9 science sound  प्रबल ध्वनि की तरंग

चित्र: प्रबल ध्वनि की तरंगें17

जैसे जैसे ध्वनि तरंग श्रोत से दूर होती जाती है, इसका आयाम अर्थात प्रबलता कम होती जाती है।

(e)तारत्व (पिच)

तारत्व ध्वनि का वह विशेष अभिलक्षण है जिसके कारण विभिन्न प्रकार की ध्वनि में विभेद किया जाता है।

जैसे कि एक बाँसुरी तथा एक वायलिन से आ रही आवाज को उसके तारत्व के कारण ही आसानी से पहचाना जा सकता है। इसी पिच के कारण एक बच्चे तथा किसी बड़े व्यक्ति की आवाज में आसानी से विभेद किया जा सकता है।

किसी ध्वनि तरंग की आवृत्ति को मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करता है, उसे तारत्व कहते हैं।

अधिक आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व अधिक तथा कम आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व कम होता है।

(f) ध्वनि की गुणता या टिम्बर (लय)

ध्वनि का एक अभिलक्षण जो समान तारत्व तथा प्रबलता की दो ध्वनियों में अंतर करने में सहायता प्रदान करता है, ध्वनि की गुणता या टिम्बर (लय) कहलाती है।

ध्वनि, जो सुनने में कर्ण प्रिय हो, अर्थात सुनने में सुखद होती है, को अच्छी ध्वनि या अच्छी गुणता वाली ध्वनि कहा जाता है।

एक आवृत्ति की ध्वनि को टोन कहा जाता है जबकि अनेक आवृत्तियों के मिश्रण से उत्पन्न ध्वनि को स्वर (नोट) कहते हैं।

संगीत तथा शोर

ध्वनि जो अनेक आवृत्तियों के मिश्रण से उत्पन्न होती है तथा सुनने में अच्छी लगती है, संगीत कहलाती है। जबकि वैसी ध्वनि जो सुनने में खराब लगता है, शोर कहलाता है।

उदाहरण

एक वाद्य यंत्र, जिसे एक कलाकार द्वारा बजाया जा रहा हो, से आने वाली ध्वनि संगीत है, तथा सुनने में अच्छा लगता है। जबकि कार हॉर्न, बस की आवाज, आदि से आने वाली ध्वनि शोर है।

(g) ध्वनि की गति या तरंग वेग

तरंग के किसी बिन्दु जैसे एक संपीड़न या एक विरलन द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी तरंग वेग (ध्वनि की गति) कहलाती है।

दूसरे शब्दों में ध्वनि द्वारा एकांक समय में तय की गयी दूरी, ध्वनि की गति (v) कहलाती है।

हम जानते हैं कि, गति (v) = दूरी / समय

अत: ध्वनि की गति (v) `=lambda/T`

यहाँ, λ ध्वनि का तरंगदैर्ध्य (वेवलेंथ) है। यह तरंग द्वारा एक आवर्त्त काल (T) में चली गई दूरी है।

और चूँकि, `nu=1/T`

जहाँ, ν (nu) = आवृत्ति

अत: ध्वनि की गति (v) `=lambda\ nu`

अत: ध्वनि की गति = तरंगदैर्ध्य × आवृत्ति

किसी माध्यम के लिए समान भौतिक परिस्थितियों में ध्वनि का वेग सभी आवृत्तियों के लिए लगभग स्थिर रहता है।

उदाहरण प्रश्न (1) 5 kHz आवृत्ति तथा 20 cm तरंगदैर्ध्य वाले ध्वनि तरंग का वेग कितना होगा?

हल :

दिया गया है, आवृत्ति (ν) = 5 kHz = 5 × 1000 = 5000 Hz

तरंगदैर्ध्य (λ) = 20 cm = 20/100 = 0.2 m

अत: ध्वनि का वेग (v) = ?

हम जानते हैं कि ध्वनि की गति या वेग (v) = तरंगदैर्ध्य × आवृत्ति

⇒ वेग (v) = 0.2 m × 5000 Hz

⇒ वेग (v) = 1000 m/s

दिये गये ध्वनि का वेग 1000 m/s उत्तर

उदाहरण प्रश्न (2) कितने समय में एक 500 Hz की आवृत्ति तथा 50 cm तरंगदैर्ध्य वाली ध्वनि 1 km की दूरी तय करेगी?

हल :

दिया गया है, आवृत्ति (ν) = 500 Hz

तथा तरंगदैर्ध्य (&lambada;) = 50 cm = 50/100 = 0.5 m

तथा दूरी = 1 km = 1000 m

अत: दिये गये दूरी को तय करने में लगा समय = ?

हम जानते हैं कि,

ध्वनि का वेग (v) = तरंगदैर्ध्य × आवृत्ति

= 0.5 m × 500 Hz

⇒ वेग (v) = 250 m/s

अब,

∵ 250 m की दूरी तय करने में लगने वाला समय = 1 सेकेंड

∴ 1 m दूरी तय करने में लगने वाला समय = 1/250 सेकेंड

∴ 1000 m दूरी तय करने में लगने वाला समय `= 1/250xx1000\ s`

अत: लगने वाला समय = 4 सेकेंड उत्तर

(h) ध्वनि की तीव्रता

किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि उर्जा को ध्वनि की तीव्रता (इंटेंसिटि ऑफ साउंड) कहते हैं।

कभी कभी "प्रबलता (लाउडनेस)" और "तीव्रता (तीव्रता)" शब्दों को पर्याय के रूप में उपयोग किया जाता है, परंतु दोनों शब्दों का अर्थ समान नहीं है।

प्रबलता (लाउडनेस) ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है।

दो ध्वनियों के समान तीव्रता के होते हुए भी भी एक को दूसरे की अपेक्षा हम अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं, क्योंकि हमारे कान इसके लिए अधिक संवेदनशील हैं।

विभिन्न माध्यमों ध्वनि की चाल

किसी माध्यम से ध्वनि एक निश्चित चाल से संचरित होती है, अर्थात चलती है। ठोस, द्रव तथा गैस में ध्वनि का वेग ठोस में अधिकतम तथा गैस में न्यूनतम होता है।

ठोस माध्यम से द्र्व होते हुए गैसीय माध्यम में ध्वनि की गति क्रमश: कम होती जाती है।

ध्वनि के वेग पर ताप का प्रभाव

किसी भी माध्यम में तापक्रम में वृद्धि होने पर ध्वनि का वेग या चाल बढ़ जाती है, तथा ताप में कमी होने पर ध्वनि की चाल में कमी आती है। यही कारण है हम गर्मी के दिनों में जाड़े की अपेक्षा अधिक साफ सुन पाते हैं।

उदाहरण: O0 C पर हवा में ध्वनि का वेग 331 m s–1 तथा 220C पर 344 ms–1 है।

ध्वनि का परावर्तन (रिफलेक्शन ऑफ साउंड)

ध्वनि का किसी ठोस या तरल से टकराकर लौटना ध्वनि का परावर्तन (रिफलेक्शन ऑफ साउंड) कहते हैं। प्रकाश की तरा ही ध्वनि भी किसी ठोस या द्रव से परावर्तित होती है।

ध्वनि का परावर्तन उन्हीं नियमों का पालन करती हैं जिनका प्रकाश का परावर्तन करती है।

परावर्तक सतह पर खींचे गए अभिलम्ब तथा ध्वनि के आपतन होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा की बीच बने कोण आपस में बराबर होते हैं और ये तीनों दिशाएँ एक ही तल में होती हैं।

ध्वनि तरंगों के परावर्तन के लिए बड़े आकार के अवरोधक की आवश्यकता होती है। अवरोधक पालिश किया हुआ या खुरदरा कोई भी हो सकता है।

प्रतिध्वनि (इको)

मूल ध्वनि सुनाई देने के कुछ ही समय पश्चात किसी परावर्तक सतह से टकराकर लौटने के कारण उसी ध्वनि का पुन: सुनाई देना प्रतिध्वनि कहलाती है।

यदि किसी बड़ी और ऊँची इमारत या किसी पहाड़ या किसी बड़े हॉल में ताली बजाई जाती है या कुछ जोर से बोला जाता है, तो वही ध्वनि कुछ समय पश्चात सुनाई देती है। यह फिर से सुनाई देने वाली ध्वनि प्रतिध्वनि कहलाती है।

मूल ध्वनि के बाद प्रतिध्वनि इसलिए सुनाई देती है कि मूल ध्वनि किसी बड़े परावर्तक सतह से टकराकर वापस लौटती है। यह परावर्तक सतह बड़ा पहाड़, बड़ी तथा ऊँची इमारत या बड़ी सी दीवार हो सकती है।

कई बार या बारंबार परावर्तन

किसी मूल ध्वनि की प्रतिध्वनि कई बार या बारंबार परावर्तन के कारण कई बार सुनाई दे सकती है।

किसी मूल ध्वनि का बार बार परावर्तन होने के कारण सुनाई देना ध्वनि का बारंबार परावर्तन कहलाता है।

उदाहरण: बादलों के गड़गड़ाहट की ध्वनि कई परावर्तक पृष्ठों, जैसे बाद्लों तथा भूमि से बारंबार परावर्तन के फलस्वरूप सुनाई देती है।

प्रतिध्वनि के लिए शर्त

किसी ध्वनि की संवेदना हमारे मस्तिष्क में लगभग 0.1 सेकेंड तक बनी रहती है। अत: प्रतिध्वनि को सुनने के लिए मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के बीच का समय अंतराल कम से कम 0.1 सेकेंड अवश्य होना चाहिए।

हम जानते हैं कि 220C, पर हवा में ध्वनि का वेग = 344 m/s

अब चूँकि ध्वनि को को परावर्तक सतह तक जाने तथा परावर्तित होकर हमारे कानों में पहुँचने में कम से कम 0.1s के बाद ही पहुँचना चाहिए।

अत: ध्वनि द्वारा 0.1 सेकेंड में तय की गई दूरी = (344 m/s) × 0.1 s = 34.4 m

अर्थात ध्वनि के श्रोत से परावर्तक सतह की दूरी अर्थात 34.4 m की आधी दूरी = 34.4 m/2 = 17.2 m होना चाहिए।

अत: प्रतिध्वनि सुनने के लिए परावर्तक सतह की दूरी कम से कम 17.2 मीटर या इससे अधिक होना चाहिए, अन्यथा प्रतिध्वनि सुनाई नहीं देगी।

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