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विलयन

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द्रवीय विलयन का वाष्प दाब

विलायक के द्रव होने पर द्रवीय विलयन बनता है। विलेय एक गैस, ठोस या द्रव कुछ भी हो सक्ता है। द्रवीय विलयन में एक या अधिक अवयव वाष्पशील हो सकते हैं। प्राय: विलायक वाष्पशील होता लेकिन विलेय भी वाष्पशील हो सकते हैं अथवा नहीं।

जब एक द्रवीय विलयन को एक बंद पात्र या जार में रखा जाता है, तो विलयन के कुछ अणु वाष्पीकृत होकर विलयन के ऊपर स्थित खाली जगह में जमा होने लगते हैं।

विलयन के वाष्पीय अवस्था वाले अणु तेजी से गति करते हुए विलयन की सतह पर टकराते हैं तथा संघनित हो जाते हैं। यह प्रक्रिया वाष्पीकरण तथा संघनित होने में साम्य स्थापित होने तक चलती रहती है।

बंद पात्र में विलयन के ऊपर उसके वाष्पीकृत अवस्था वाले अणुओं द्वारा विलयन की सतह पर लगाये जाने वाला दाब द्रवीय विलयन का वाष्प दाब कहलाता है।

द्रव द्रव विलयनों का वाष्प दाव

एक बंद पात्र में एक द्विअंगी विलयन (बाइनरी विलयन) लेने पर, विलयन के दोनों अवयव तबतक वाष्पीकृत होते हैं जबतक कि दोनों अवयवों के वाष्प फेज (वाष्प प्रावस्था) तथा द्रव फेज (द्रव प्रावस्था) के बीच एक साम्य नहीं स्थापित हो जाता है।

राउल्ट का नियम

फ्रेंसियस मार्टे राउल्ट, जो एक फ्रांसिसी वैज्ञानिक थे, ने द्रव–द्रव द्विआंगी विलयन के वाष्प दाब तथा मोल अंश के बीच मात्रात्मक संबंध बतलाया था, जिसे राउल्ट नियम कहा जाता है।

राउल्ट नियम के अनुसार वाष्पशील द्रवों के विलयन में प्रत्येक अवयव का आंशिक दाब विलयन में उसके मोल अंश के समानुपाती होता है।

मान लिया कि एक बंद पात्र में द्रव 1 और 2 का एक द्विअंगी (बाइनरी) विलयन है।

मान लिया कि द्रव 1 का आंशिक दाब `=p_1` तथा द्रव 2 का आंशिक दाब `=p_2` है।

मान लिया लिये गये विलयन का का साम्य अवस्था में कुल वाष्प दाब `=p_t` है।

तथा विलयन के दोनों अवयवों का मोल अंश क्रमश: `x_2` तथा `x_2` हैं।

अत: राउल्ट के नियम के अनुसार,

विलयन के अवयव 1 के लिए `p_1 prop x_1`

`=> p_1 = p_1^o x_1` - - - - - (i)

उसी प्रकार, विलयन के अवयव 2 के लिए

`p_2 prop x_2`

`=> p_2 = p_2^o x_2` - - - - - (ii)

जहाँ `p_1` और `p_2` विलयन 1 तथा 2 के शुद्ध अवयवों का क्रमश: आंशिक वाष्प दाब है।

अब, डाल्टन के आंशिक दाब के नियम के अनुसार पात्र में विलयन अवस्था का कुल दाब (`p_t`) विलयनों के अवयवों के आंशिक दाब के जोड़ के बराबर होता है।

अर्थात, `p_t = p_1 + p_2`

अत: समीकरण (1) तथा समीकरण (2) से

`p_t = p_1^o x_1 + p_2^o x_2`

[∵ `x_1+x_2 = 1`, ∴ `x_1=1-x_2`]

`:. P_t = (1-x_2) p_1^o + x_2 p_2^o`

`=> p_t = p_1^o – p_1^o x_2` + x_2 p_2^o`

`=> p_t=p_1^o – x_2 (p_1^o – p_2^o)`

`=> p_t = p_1^o + (p_2^o + P_1^o)x_2` - - - - (iii)

उसी प्रकार, ∵ `x_2=1–x_1`

अत: `p_t = p_2^o + (p_1^o + p_2^o)x_1` - - - - (iv)

अत: समीकरण (iii) तथा (iv) से कहा जा सकता है कि

(i) किसी विलयन के कुल वाष्प दाब को उसके किसी अवयव के मोल अंश से संबंधित किया जा सकता है।

(ii) किसी विलयन का कुल वाष्प दाब अवयव 2 के मोल अंश के साथ रेखीय रूप से परिवर्तित होता है।

(iii) शुद्ध अवयव 1 एवं 2 के वाष्प दाब पर निर्भर रहते हुए विलयन का कुल वाष्प दाब अवयव 1 के मोल अंश के बढ़ने से कमा या ज्यादा होता है।

किसी विलयन के लिए आंशिक दाब `p_1` या `p_2` का `x_1` तथा `x_2` के विरूद्ध आलेख (ग्राफ)

किसी विलयन के लिए आंशिक दाब `p_1` या `p_2` का `x_1` तथा `x_2` के विरूद्ध आलेख (ग्राफ) रेखीय (सरल रेखा) होता है।

गैस के आंशिक दाब तथा विलयन में गैस के मोल अंश के बीच ग्राफ

जब `x_1` का मान 1 होता है तो रेखा I बिन्दुअ `p_1^o` से होकर गुजरती है।

जब `x_2` का मान 1 होता है तो रेखा II बिन्दुअ `p_2^o` से होकर गुजरती है।

उसी प्रकार `p_t` का `x_2` के विरूद्ध खींचा गया ग्राफ रेखा III भी रेखीय अर्थात एक सरल रेखा होता है।

`p_t` का न्यूनतम मान `p_1^o` तथा अधिकत मान `p_2^o` है। यहाँ पर विलयन के अवयव 1 अवयव 2 की तुलना में कम वाष्पशेल है। अर्थात, `p_1^o < p_2^o`

विलयन के साथ साम्य में वाष्प प्रावस्था के संघटन का निर्धारण

विलयन के साथ साम्य में वाष्प प्रावस्था के संघटन का निर्धारण अवयवों के आंशिक दाब से निर्धारित किया जा सकता है।

यदि `y_1` तथा `y_2` क्रमश: अवयव 1 तथा 2 के वाष्पीय अवस्था में मोल अंश हैं तब डाल्टन के आंशिक दाब के नियम के अनुसार

`p_1 = y_1 p_t`

तथा `p_2 = y_2 p_t`

सामान्य रूप में `p_i = y_i p_t` - - - - - (v)

राउल्ट का नियम; हेनरी के नियम की एक विशेष स्थिति

राउल्ट के नियम के अनुसार, किसी विलयन में उसके वाष्पशील घटक का वाष्प दाब उसके मोल अंश का समानुपाती होता है।

अर्थात `p_i = x_i p_i^o`

जहाँ `p_i` वाष्पशील अवयव का वाष्प दाब, ` x_i ` तथा `p_i^o` शुद्ध घटक का वाष्प दाब है। इसे समानुपाती स्थिरांक भी कह सकते हैं।

यदि किसी द्रवीय विलयन में घुलनशील घटक गैस हो, तो यह घटक हमेशा गैसीय रूप में ही रहता है। द्रवीय विलयन में गैस की घुलनशीलता हेनरी के नियम से निर्धारित की जाती है। हेनरी के नियम के अनुसार, किसी गैस का वाष्प अवस्था में आंशिक दाब (`p`) उस विलयन में गैस के मोल अंश (`x`) का समानुपाती होता है।

अर्थात, `p = K_H x`

जहाँ, `p ` आंशिक दाब, `x` गैस का मोल अंश तथा ` K_H ` समानुपाती स्थिरांक है।

इस तरह यदि हम राउल्ट के नियम तथा हेनरी के नियम को गौर से देखें तो पाते हैं कि दोनों में केवल समानुपाती स्थिरांक `K_H` तथा `p_i^o` में भिन्नता है।

इस प्रकार राउल्ट का नियम, हेनरी के नियम की एक विशेष स्थिति है जिसमें `K_H` का मान `p_i^o` के मान के बराबर हो जाता है।

ठोस पदार्थों का द्रवों में विलयन एवं उनका वाष्प दाब

ठोस पदार्थों का द्रवों में विलयन के कुछ भौतिक गुण शुद्ध विलायकों से बहुत अलग होते हैं, जैसे वाष्प दाब। सोडियम क्लोराइड, या ग्लूकोज या यूरिया आदि का जल में विलयन या आयोडीन, गंधक आदि ठोस का कार्बन डायऑक्साइड में विलयन इस प्रकार के विलयन अर्थात ठोस पदार्थों का द्रवों में विलयन के कुछ उदाहरण हैं।

वाष्प दाब: किसी दिए गये ताप पर द्रव वाष्पित होता है तथा साम्यावस्था पर द्रव के वाष्प का, द्रव प्रावस्था पर डाला गया दाब उस द्रव का वाष्प दाब कहलाता है।

शुद्ध द्रवों की सारी सतह द्रव के अणुओं से घिरी रहती है। यदि किसी विलायक में एक अवाष्पशील विलेय डालकर विलयन बनाया जाता है तो इस विलयन का वाष्प दब केवल विलायक के वाष्पदाब के कारण होता है। विलयन की सतह पर विलेय व विलायक दोनों के अणु उपस्थित रहते हैं।

विलयन में शुद्ध विलायक के कारण वाष्प दाब

शुद्ध विलायक का वाष्प दाब

अत: सतह का विलायक के अणुओं से घिरा भाग कम रह जाता है। इस कारण सतह को छोड़कर जाने वाले विलायक अणुओं की संख्यां भी तद्नुसार घट जाती है।

विलयन में अवाष्पशील विलायक के कारण वाष्प दाब में कमी

विलायक में विलेय की उपस्थिति के कारण विलायक के वाष्प दाब में कमी

अत: विलायक का वाष्प दाब भी कम हो जाता है

वियालयक के वाष्प दाब में यह कमी विलयन में उपस्थित अवाष्पशील विलेय की मात्रा पर निर्भर करता है न कि उसकी प्रकृति पर।

राउल्ट के नियम के अनुसार हम जानते हैं कि किसी विलयन के प्रत्येक वाष्पशील अवयव का आंशिक वाष्प दाब इसके मोल अंश के समानुपाती होता है।

प्राय: द्विअंगी विलयन जिसमें विलेय अवाष्पशील है तथा विलायक को 1 तथा विलेय को 2 से व्यक्त किया जाता है।

यदि विलेय अवाष्पशील है तो विलयन में केवल विलायक के अणु ही वाष्प अवस्था में होते हैं तथा वाष्प दाब के कारण होते हैं।

यदि `p_1` विलायक का वाष्प दाब `x_1` मोल अंश तथा `p_1^o` इसकी शुद्ध अवस्था में वाष्प दाब है तो राउल्ट के नियम के अनुसार

`p_1 prop x_1`

या, `p_1 = x_1 p_1^o`

यहाँ ` p_1^o`, जो कि शुद्ध अवस्था में वाष्प दाब है समानुपाती स्थिरांक के बराबर होता है।

विलयन में शुद्ध विलायक के वाष्प दाब तथा मोल अंश का ग्राफ

विलायन में शुद्ध विलायक के वाष्प दाब तथा मोल अंश के बीच ग्राफ रेखीय होता है।

शुद्ध विलायक के वाष्प दाब तथा मोल अंश का ग्राफ

यदि कोई विलयन सभी सांद्रणों के लिए राउल्ट के नियम का पालन करता है तो उनका वाष्प दाब एक सरल रेखा में शून्य से शुद्ध विलायक के वाष्प दाब तक बढ़ता जाता है।

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