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सरल रेखा में गति - ग्यारवीं भौतिकी

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एक समान गति


यदि कोई वस्तु समान समय अंतराल में समान दूरी तय करती है, तो उस वस्तु की गति एक समान गति कहलाती है।

स्थिति–समय ग्राफ (b) में ग्राफ की लाइन एक समान गति को दर्शाती है।

स्थिति–समय ग्राफ (c) में ग्राफ की लाइन बतलाती है कि एक वस्तु मूल बिन्दु O से चलना शुरू करती है तथा समय t = 10s तक गति पकड़ती है। उसके बाद समय t = 18s तक एक समान गति से चलती है फिर ब्रेक लगाया जाता है और उसकी गति घटने लगती है और अंतत: समय t = 20s में वह वस्तु रूक जाती है। इस केस में वस्तु कुल दूरी x = 296m तय करती है।

चाल (स्पीड)

किसी वस्तु द्वारा इकाई समय में तय गयी दूरी उसकी चाल (स्पीड) कहलाती है।

अत: चाल (v) = तय की गयी दूरी (s)/समय(t)

अत: किसी वस्तु द्वारा तय की गयी दूरी को उस दूरी को तय करने में लिये गये समय से भाग दिया जाय तो भागफल उस वस्तु की चाल होती है।

चाल को गति भी कहा जाता है।

उदाहरण:

यदि एक कार 50km दूरी 5 घंटे में तय करती है, तो वस्तु की चाल ज्ञात करें।

हल:

दिया गया है, दूरी (s) = 50 km

और समय (t) = 5h

अत: चाल (v) = ?

हम जानते हैं कि चाल(v) = दूरी(s)/समय(t)

अत:, चाल (v) =50km/10h = 10km/h

अत: दिये गये कार की चाल (गति) = 10km/h or 10km h–1

चाल (गति) का एस आइ मात्रक

दूरी का मात्रक 'मीटर' तथा समय का मात्रक 'सेकेंड' होता है।

हम जानते हैं कि चाल(v) = दूरी(s)/समय(t)

अत: चाल (v) = m/s

अत: चाल या गति का एस आई मात्रक मीटर प्रति सेकेंड या m/s or ms–1 है।

चाल या गति में केवल परिमाण होता है तथा दिशा नहीं। अत: चाल या गति एक अदिश राशि है।.

औसत चाल या गति

औसत गति या चाल की परिभाषा किसी वस्तु द्वारा कुल तय की गयी दूरी को कुल लिये गये समय से भाग देने पर प्राप्त भागफल को वस्तु की औसत चाल या गति कहते हैं।

अत:, औसत चाल या गति = पथ की कुल लम्बाई/कुल समय अंतराल

औसत चाल या गति की एस आई मात्रक

औसत गति या गति का एस आई मात्रक गति के बराबर होती है। या औसत गति या चाल का एस आई मात्रक मीटर प्रति सेकेंड या m/s या ms–1 है।

हालाँकि दिन प्रतिदिन के उपयोग में अधिक दूरी का उपयोग किये जाने के कारण गति या औसत गति का मात्रक किलोमीटर प्रति घंटा या km/h or kmh–1 लिया जाता है।

वेग तथा औसत वेग (वेलोसिटी और एवरेज वेलोसिटी)

निर्देश तंत्र के अनुदिश किसी वस्तु के स्थिति में परिवर्तन की दर वेग (वेलोसिटी) कहलाती है।

अर्थात किसी वस्तु द्वारा किसी खास दिशा में इकाई समय में तय की गयी दूरी वेग कहलाती है।

अत:, वेग (v) = पथ की लम्बाई(s)/समय अंतराल(t)

⇒ v = s/t

किसी वस्तु का वेग वस्तु की चाल के बराबर होती है। लेकिन चाल या गति और वेग में अंतर यह है कि चाल या गति में केवल परिमाण होता है जबकि वेग में परिमाण और दिशा दोनों होता है।

चूँकि वेग में परिमाण और दिशा दोनों होता है, अत: वेग एक सदिश राशि है जबकि चाल या गति में केवल परिमाण होने के कारण यह एक अदिश राशि है।

वेग का एस आई मात्रक

वेग का एस आई मात्रक मीटर प्रति सेकेंड या m/s या ms है। यह मात्रक चाल के मात्रक के समान ही होता है।

औसत वेग (एवरेज वेलोसिटी)

किसी वस्तु वेग का किसी दिशा में उसके स्थिति परिवर्तन की दर को औसत वेग कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में, किसी वस्तु का विस्थापन या उसकी स्थिति में परिवर्तन (Δx) को समय अंतराल से भाग देने पर हमें वस्तु की औसत गति प्राप्त होती है।

अत:, औसत वेग,

जहाँ x1 और x2 क्रमश: समय t2 और t1 में वस्तु की स्थिति है।

यहाँ वेग (वेलोसिटी) के चिन्ह (v) के ऊपर एक क्षैतिज रेखा (बार) का उपयोग किया जाता है, जो वस्तु के औसत वेग को दर्शाता है।

औसत वेग का एस आई मात्रक

औसत वेग का एस मात्रक मीटर प्रति सेकेंड या m/s या ms–1 है।

विस्थाप और वेग की तरह ही औसत वेग में दिशा और परिमाण दोनों होने के कारण यह एक सदिश राशि (वेक्टर क्वांटिटी) है।

धनात्मक वेग, ऋणात्मक वेग और शून्य औसत वेग

औसत वेग धनात्मक, ऋणात्मक या शून्य कुछ भी हो सकता है जो कि वस्तु के विस्थापन के चिन्ह पर निर्भर करता है।

यदि वस्तु का विस्थापन धनात्मक है, तो वस्तु का औसत वेग धनात्मक होगा। और यदि वस्तु का विस्थापन ऋणात्मक है तो वस्तु का औसत वेग भी ऋणात्मक होगा। उसी तरह यदि वस्तु का विस्थापन शून्य है, तो वस्तु का औसत वेग शून्य होगा।

धनात्मक, ऋणात्मक और शून्य वेग के लिए स्थिति–समय ग्राफ

स्थिति–समय ग्राफ (a) धनात्मक वेग को दर्शाता है। स्थिति–समय ग्राफ (b) ऋणात्मक वेग को दर्शाता है, जबकि स्थिति–समय ग्राफ (c) शून्य वेग को दर्शाता है।

तात्क्षणिक वेग एवं चाल (इंसटैटेनियस वेलोसिटी एंड स्पीड)

किसी वस्तु का किसी खास समय में वेग को तात्क्षणिक वेग कहा जाता है।

अर्थात किसी वस्तु का किसी खास समय (t) में वेग (v) उसका तात्क्षणिक वेग कहलाता है। और इस तात्क्षणिक वेग को 'v' से संसूचित किया जाता है।

किसी गतिमान वस्तु का तात्क्षणिक वेग उसके औसत वेग के बराबर होता है यदि उसके दो समयों (t और t+Delta;t) के बीच का अंतराल, Δt, अनन्त: सूक्षम हो।

दूसरे शब्दों में,

जहाँ का अर्थ या तात्पर्य उसके दायीं ओर स्थित राशि जैसे का वह मान है जो Delta;t के मान को शून्य की ओर प्रवृत्त करने पर प्राप्त होगा।

कलन गणित की भाषा में ऊपर के समीकरण में दायीं ओर की राशि का t के सापेक्ष अवकलन गुणांक है।

यह गुणांक उस क्षण पर वस्तु की स्थिति परिवर्तन की दर होती है।

त्वरण (एक्सलरेशन)

किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण (एक्सलरेशन) कहते हैं।

त्वरण का एस आई मात्रक (एस आई यूनिट ऑफ एक्सलरेशन)

त्वरण का एस आई मात्रक मीटर प्रति सेकेंड प्रति सेकेंड ( m/s/s) या ms–2 है।

औसत त्वरण (एवरेज एक्सलरेशन)

गतिमान वस्तु के वेग में समय के साथ परिवर्तन की दर औसत त्वरण (एवरेज एक्सलरेशन), कहलाती है।

जहाँ v2 और v1 वस्तु का क्रमश: समय t2 और t1 में तात्क्षणिक वेग या केवल वेग है। वास्तव में यह इकाई समय में वेग में परिवर्तन की दर है।

तात्क्षणिक त्वरण

तात्क्षणिक त्वरण को तात्क्षणिक वेग के समान ही परिभाषित किया जा सकता है।

अर्थात, तात्क्षणिक त्वरण,

v–t ग्राफ में किसी क्षण वस्तु का त्वरण उस क्षण वक्र पर खींची गयी स्पर्श रेखा की प्रवणता के बराबर होता है।

जब त्वरण एक समान रहता है, तो स्पष्टत: तो इस स्थिति में औसत त्वरण, का मान गति की अवधि में स्थिर त्वरण के मान के बराबर होता है।

चूँकि वेग में परिमाण और दिशा दोनों होता है, अत: वेग में परिवर्तन की दर अर्थात त्वरण में भी परिमाण और दिशा दोनों होगा। स्पष्टत: त्वरण (a) एक सदिश राशि होगी अर्थात त्वरण में परिमाण और दिशा दोनों होगा।

धनात्मक त्वरण, ऋणात्मक त्वरण और शून्य त्वरण

वेग की तरह ही त्वरण धनात्मक, ऋणात्मक और शून्य होता है।

धनात्मक त्वरण, ऋणात्मक त्वरण और शून्य त्वरण दर्शाने के लिए स्थिति–समय ग्राफ




Reference: