चतुर्भुजों को समझना - आठवीं गणित
कोण-योग गुण धर्म
त्रिभुज के कोणों के योग गुण धर्म
किसी त्रिभुज के तीनों कोणों के योग 1800 होता है।
उदाहरण (i):
यहाँ, कोण A + कोण B + कोण C = 1800
यदि कोण A = 600 और कोण B = 450, तो कोण C = ?
हम जानते हैं कि किसी त्रिभुज के तीनों कोणों का योग = 1800
अत: दिये गये त्रिभुज में, कोण A + कोण B + कोण C = 1800
⇒ 600 + 450 + कोण C = 1800
⇒ 1050 + कोण C = 1800
⇒ कोण C = 1800 – 1050
⇒ कोण C = 750 उत्तर
उदाहरण (ii) : दिये गये त्रिभुज के दो कोण 450 और 750 हैं, तो तीसरे कोण की माप क्या है?
यहाँ, कोण c = 450 और कोण y = 750
चूँकि कोण c और कोण n उर्ध्वाधर सम्मुख (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, कोण n = कोण c = 450
अब हम जानते हैं कि कोण c और कोण m संपूरक कोण हैं,
अत:, कोण c + कोण m = 1800
⇒ 450 + कोण m = 1800
⇒ कोण m = 1800 – 450
⇒ कोण m = 1350
अब चूँकि कोण m और कोण g उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, कोण m = कोण g = 1350
अब चूँकि कोण c कोण n उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, कोण n = कोण c = 450
अब चूँकि कोण y और कोण b उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, कोण b = कोण y = 750
अब, कोण y और कोण b साथ मिलकर एक सरल रेखा बनाते हैं अत: संपूरक कोण हैं।
अत:, कोण y + कोण a = 1800
⇒ 750 + कोण a = 1800
⇒ कोण a = 1800 – 750
⇒ कोण a = 1050
अब चूँकि कोण a कोण d उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, कोण a = कोण d = 1050
अब दिये गये त्रिभुज में,
कोण a = 1050, कोण c = 450
हम जानते हैं कि एक त्रिभुज के सभी अंत:कोणों का योग = 1800
अत:, कोण a + कोण c + कोण h = 1800
⇒ 1050 + 450 + कोण h = 1800
⇒ 1500 + कोण h = 1800
⇒ कोण h = 1800 – 1500
⇒ कोण h = 300
अब चूँकि कोण h और कोण q उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, कोण q = कोण h = 300
अब चूँकि कोण h और कोण r दोनों मिलकर एक सरल रेखा बनाते हैं अत: संपूरक कोण हैं।
अत:, कोण h + कोण r = 1800
⇒ 300 + कोण r = 1800
⇒ कोण r = 1800 – 300
⇒ कोण r = 1500
अब, कोण r और कोण p उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, कोण p = कोण r = 1500
चतुर्भुज का कोण योग गुण धर्म
एक चतुर्भुज के सभी अंत: कोणों का योग 3600 के बराबर होता है।
इसका अर्थ है कि एक चतुर्भुज में
कोण a + कोण b + कोण a + कोण b = 3600
उदाहरण (i): यदि एक चतुर्भुज के तीन कोण क्रमश: 650, 950 और 800 हैं, तो दिये गये चतुर्भुज के चौथे कोण की माप क्या है?
हल
हम जानते हैं कि एक चतुर्भुज के सभी अंत: कोणों का योग 3600 के बराबर होता है।
अत:, 650 + 950 + 800 + कोण D = 3600
⇒ 2400 + कोण D = 3600
⇒ कोण D = 3600 – 2400
⇒ कोण D = 1200 उत्तर
उदाहरण (ii): यदि एक पंचभुज के चार कोणों की माप क्रमश: 650, 750, 950 और 700 हैं, तो इस दिये गये पंचभुज के पाँचवे कोण की माप क्या होगी?
हल
हम जानते हैं कि एक पाँच भुजाओं वाले बहुभुज के सभी अंत: कोणों का योग = 5400
अत: दिये गये पंचभुज के चित्र में
650 + 750 + 950 + 700 + a = 5400
⇒ 3050 + a = 5400
⇒ a = 5400 – 3050
⇒ a = 2350 उत्तर
एक बहुभुज के बाहरी कोणों की माप का योग
एक बहुभुज के सभी बाह्य कोणों की माप का योग 3600 होता है।
दिये गये चतुर्भुज में,
उदाहरण (i) यदि एक पंचभुज के चार बाह्य कोणों की माप क्रमश: 500, 650, 600 और 750 है, तो पाँचवे बाह्य कोण की माप क्या होगी?
हल
मान लिया कि प्रश्न में दिये गये पंचभुज का चित्र निम्नांकित है
तथा प्रश्न के अनुसार, कोण a = 500
कोण b = 650
कोण c = 600
और कोण d = 750
अत: कोण e = ?
हम जानते हैं कि एक बहुभुज के सभी बाह्य कोणों की माप का योग 3600 होता है।
अत: एक पंचभुज के सभी बाह्य कोणों की माप का योग = 3600
अत: दिए गये पंचभुज में,
अत:, कोण a = 1100 उत्तर
Example (ii) दिये गये पंचभुज में सभी अज्ञात कोणों की माप क्या होगी?
∠DAE और ∠ PAE में
∠DAE और ∠ PAE मिलकर एक सरल रेखा बनाते हैं, अत: संपूरक कोण हैं।
अत:, ∠DAE + 750 = 1800
⇒ ∠DAE = 1800 – 750
⇒ ∠DAE = 1050
अब, चूँकि ∠ PAE और ∠ DAO उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, ᩐ DAO = ∠ PAE = 750
अब चूँकि ∠ PAO और ∠ DAO उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, ∠ PAO = ∠ DAO = 1050
अब कोण AEF और कोण GEB में
∠ AEF और ∠GEB उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, ∠ AEF = ∠ GEB = 650
∠GEB और ∠AEB में
दोनों कोण GEB और AEB आपस में मिलकर एक सरल रेखा बनाते हैं, अत: संपूरक कोण हैं।
अत:, ∠ GEB + ∠ AEB = 1800
⇒ 650 + ∠ AEB = 1800
⇒ ∠ AEB = 1800 – 650
⇒ ∠ AEF = 1150
कोण AEB और कोण FEG में
कोण AEB और FEG उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, ∠ AEF = ∠ FEG = 1150
कोण EBC और कोण HBJ में
∠ EBC और ∠ HBJ उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, ∠ EBC = ∠ HBJ = 1100
कोण EBH और कोण EBC में
दोनों कोण EBH और EBC आपस में मिलकर एक सरल रेखा बनाते हैं, अत: संपूरक कोण हैं।
अत:, ∠ EBH + ∠ EBC = 1800
⇒ ∠ EBH + 1100 = 1800
⇒ ∠EBH = 1800 – 1100
⇒ ∠ EBH = 700
कोण EBH और कोण CBJ में
कोण EBH और कोण CBJ उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, ∠ EBH = ∠ EBJ = 700
कोण DCB और कोण LCK में
कोण DCB और LCK उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, ∠ECB = ∠ LCK = 1150
कोण DCB और कोण BCK में
कोण DCB और BCK आपस में मिलकर एक सरल रेखा बनाते हैं, अत: संपूरक कोण हैं।
अत:, ∠ DCB + ∠ BCK = 1800
⇒ 1150 + ∠ BCK = 1800
⇒ ∠ BCK = 1800 – 1150
⇒ ∠ BCK = 650
कोण BCK और कोण DCL में
कोण BCK और DCL उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, ∠ BCK = ∠ DCL = 650
कोण ADC और कोण NDM में
कोण DC और कोण NDM आपस में मिलकर एक सरल रेखा बनाते हैं, अत: संपूरक कोण हैं।
अत:, ∠ ADC = ∠ NDM = 1200
कोण ADC और कोण CDM में
कोण ADC और कोण CDM आपस में मिलकर एक सरल रेखा बनाते हैं, अत: संपूरक कोण हैं।
अत:, ∠ ADC + ∠ CDM = 1800
⇒ 1200 + ∠ CDM = 1800
⇒ ∠ CDM = 1800 – 1200
⇒ ∠ CDM = 600
कोण CDM और कोण ADN में
कोण CDM और ADN उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (वर्टिकली अपोजिट एंगल) हैं, अत: आपस में बराबर हैं।
अत:, ∠ CDM = ∠ ADN = 600
अत:,
∠ DAE = 1050
∠ PAO = 1050
∠ OAD = 750
∠ FEA = 650
∠ AEB = 1150
∠ FEG = 1150
∠ EBH = 700
∠ HBJ = 1100
∠ CBJ = 700
∠ BCK = 650
∠ KCL = 1150
∠ DCL = 650
∠ CDM = 600
∠ NDM = 1200
And, ∠ ADN = 600
संदर्भ: