प्रश्न : प्रथम 1164 विषम संख्याओं का औसत कितना होगा?
सही उत्तर 1164
हल एवं ब्याख्या
ब्याख्या
औसत ज्ञात करने की विधि
चरण : 1 औसत ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम दी गयी संख्याओं का योग ज्ञात करें।
चरण: 2 दी गयी संख्याओं का योग ज्ञात हो जाने के पश्चात, इस योग में दी गयी संख्याओं की कुल संख्या से भाग दें। इस तरह प्राप्त भागफल = दी गयी संख्याओं का औसत है।
प्रश्न का हल
प्रथम 1164 विषम संख्याओं को लिखने पर निम्नांकित सूची बनेगी
1, 3, 5, 7, 9, . . . . . 1164 वें पद तक
इस सूची के अवलोकन से पता चलता है कि पहली संख्या में 2 जोड़ने पर दूसरी संख्या प्राप्त होती है, उसी तरह दूसरी संख्या में 2 जोड़ने पर हमें तीसरी संख्या प्राप्त होती है। अर्थात इस सूची में निहित संख्याएँ एक विशेष क्रम में हैं, जिसमें लगातार दो पदों (संख्याओं) का अंतर 2 है।
ऐसी सूची जिसमें लगातार दो संख्याओं का अंतर बराबर हो, को समांतर श्रेणी में सूची या समांतर श्रेणी कहा जाता है।
किसी सूची में लगातार दो पदों (संख्याओं ) के अंतर को सार्व अंतर कहा जाता है। सार्व अंतर को अंग्रेजी में कॉमन डिफ्रेंस कहा जाता है।
यहाँ सूची के स्वरूप को समझने की आवश्यकता इसलिए है कि प्रथम 1164 विषम संख्याओं का औसत ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम सभी संख्याओं का योग करना है। चूँकि यहाँ बहुत सारी संख्याओं (1164) का योग ज्ञात करना है, जिसे सभी संख्याओं को साधारण तरीके से जोड़कर ज्ञात किया जा सकता है, परंतु यह मुश्किल होगा। इसलिए समांतर श्रेणी के n पदों के योग ज्ञात करने के सूत्र का उपयोग किया जाता है, इस सूत्र की सहायता से एक समांतर श्रेणी में स्थित n पदों का योग ज्ञात किया जा सकता है। यहाँ n पद से अर्थ है किसी भी पद तक अर्थात असंख्य पद तक।
प्रथम 1164 विषम संख्याओं के योग की गणना
प्रथम 1164 विषम संख्याओं की सूची समांतर श्रेणी में है, क्योंकि प्रत्येक अगला पद उसके पिछले पद में एक निश्चित संख्यां 2 के जोड़ने से प्राप्त होता है। अर्थात इस सूची का कॉमन डिफ्रेंस (सार्व अंतर) बराबर है।
यहाँ प्रथम 1164 विषम संख्याओं की सूची है,
1, 3, 5, 7, . . . . . 1164 वें पद तक
अत: यहाँ प्रथम पद, a = 1
सार्व अंतर (कॉमन डिफ्रेंस ) d = 2
तथा पदों की संख्या n = 1164
समांतर श्रेणी के n पदों का योग का फॉर्मूला (सूत्र)
Sn = n/2 [2a + (n – 1) d]
अत:
प्रथम 1164 विषम संख्याओं का योग,
S1164 = 1164/2 [2 × 1 + (1164 – 1) 2]
= 1164/2 [2 + 1163 × 2]
= 1164/2 [2 + 2326]
= 1164/2 × 2328
= 1164/2 × 2328 1164
= 1164 × 1164 = 1354896
अत:
प्रथम 1164 विषम संख्याओं का योग (S1164) = 1354896
प्रथम n विषम संख्याओं के योग के गणना की दूसरी विधि
प्रथम n विषम संख्याओं के योग की गणना का सूत्र [ लघु विधि (शॉर्टकट मेथड)]
प्रथम n विषम संख्याओं का योग = n2
प्रश्न के अनुसार, n = 1164
अत:
प्रथम 1164 विषम संख्याओं का योग
= 11642
= 1164 × 1164 = 1354896
अत:
प्रथम 1164 विषम संख्याओं का योग = 1354896
प्रथम 1164 विषम संख्याओं के औसत की गणना
औसत ज्ञात करने का सूत्र
औसत = दी गयी संख्याओं का योग /दी गयी संख्याओं की कुल संख्या
अत:
प्रथम 1164 विषम संख्याओं का औसत
= प्रथम 1164 विषम संख्याओं का योग/1164
= 1354896/1164 = 1164
अत:
प्रथम 1164 विषम संख्याओं का औसत = 1164 है। उत्तर
प्रथम 1164 विषम संख्याओं का औसत निकालने की लघु विधि (शॉर्टकट)
(1) प्रथम 2 विषम संख्याओं का औसत
= 1 + 3/2
= 4/2 = 2
अत:
प्रथम 2 विषम संख्याओं का औसत = 2
(2) प्रथम 3 विषम संख्याओं का औसत
= 1 + 3 + 5/3
= 9/3 = 3
अत:
प्रथम 3 विषम संख्याओं का औसत = 3
(3) प्रथम 4 विषम संख्याओं का औसत
= 1 + 3 + 5 + 7/4
= 16/4 = 4
अत:
प्रथम 4 विषम संख्याओं का औसत = 4
(4) प्रथम 5 विषम संख्याओं का औसत
= 1 + 3 + 5 + 7 + 9/5
= 25/5 = 5
अत:
प्रथम 5 विषम संख्याओं का औसत = 5
अर्थात
प्रथम n विषम संख्याओं का औसत = n
अत: प्रथम 1164 विषम संख्याओं का औसत = 1164 उत्तर
Similar Questions
(1) प्रथम 630 विषम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(2) प्रथम 1681 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(3) प्रथम 3968 विषम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(4) प्रथम 2098 विषम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(5) प्रथम 3191 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(6) प्रथम 3615 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(7) प्रथम 1943 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(8) प्रथम 3785 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(9) प्रथम 4384 विषम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(10) प्रथम 4130 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?