प्रश्न : प्रथम 92 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
सही उत्तर 93
हल एवं ब्याख्या
ब्याख्या
औसत ज्ञात करने की विधि
चरण : 1 औसत ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम दी गयी संख्याओं का योग ज्ञात करें।
चरण: 2 दी गयी संख्याओं का योग ज्ञात हो जाने के पश्चात, इस योग में दी गयी संख्याओं की संख्या से भाग दें। इस तरह प्राप्त भागफल = औसत है।
प्रश्न का हल
प्रथम 92 सम संख्याओं को लिखने पर निम्नांकित सूची बनेगी
2, 4, 6, 8, . . . . . 92 वें पद तक
इस सूची के अवलोकन से पता चलता है कि पहली संख्या में 2 जोड़ने पर दूसरी संख्या प्राप्त होती है, उसी तरह दूसरी संख्या में 2 जोड़ने पर हमें तीसरी संख्या प्राप्त होती है। अर्थात इस सूची में निहित संख्याएँ एक विशेष क्रम में हैं, जिसमें लगातार दो पदों (संख्याओं) का अंतर 2 है।
ऐसी सूची जिसमें लगातार दो संख्याओं का अंतर बराबर हो, को समांतर सूची या समांतर श्रेणी कहा जाता है।
किसी सूची में लगातार दो पदों (संख्याओं ) के अंतर को सार्व अंतर कहा जाता है। सार्व अंतर को अंग्रेजी में कॉमन डिफ्रेंस कहा जाता है।
यहाँ सूची के स्वरूप को समझने की आवश्यकता इसलिए है कि प्रथम 92 सम संख्याओं का औसत ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम सभी संख्याओं का योग करना है। चूँकि यहाँ बहुत सारी संख्याओं (92) का योग ज्ञात करना है, जिसे या तो सभी संख्याओं को साधारण तरीके से जोड़कर ज्ञात किया जा सकता है, परंतु यह मुश्किल होगा। इसलिए समांतर श्रेणी के n पदों के योग ज्ञात करने के सूत्र का उपयोग किया जाता है, इस सूत्र की सहायता से एक समांतर श्रेणी में स्थित n पदों का योग ज्ञात किया जा सकता है। यहाँ n पद से अर्थ है किसी भी पद तक अर्थात असंख्य पद तक।
प्रथम 92 सम संख्याओं के योग की गणना
प्रथम 92 सम संख्याओं की सूची समांतर श्रेणी में है, क्योंकि प्रत्येक अगला पद उसके पिछले पद में एक निश्चित संख्यां 2 के जोड़ने से प्राप्त होता है। अर्थात इस सूची का कॉमन डिफ्रेंस (सार्व अंतर) बराबर है।
यहाँ प्रथम 92 सम संख्याओं की सूची है,
2, 4, 6, 8, . . . . . 92 वें पद तक
अत: यहाँ प्रथम पद, a = 2
तथा सार्व अंतर (कॉमन डिफ्रेंस ) d = 2
तथा पदों की संख्या n = 92
समांतर श्रेणी के n पदों का योग
Sn = n/2 [2a + (n – 1) d] होता है।
अत: प्रथम 92 सम संख्याओं का योग,
S92 = 92/2 [2 × 2 + (92 – 1) 2]
= 92/2 [4 + 91 × 2]
= 92/2 [4 + 182]
= 92/2 × 186
= 92/2 × 186 93
= 92 × 93 = 8556
⇒ अत: प्रथम 92 सम संख्याओं का योग , (S92) = 8556
निम्नांकित दूसरी विधि से भी प्रथम n सम संख्याओं के योग की गणना की जा सकती है।
प्रथम n सम संख्याओं के योग की गणना का सूत्र [ लघु विधि (शॉर्टकट)]
प्रथम n सम संख्याओं का योग = n2 + n
प्रश्न के अनुसार, n = 92
अत: प्रथम 92 सम संख्याओं का योग
= 922 + 92
= 8464 + 92 = 8556
अत: प्रथम 92 सम संख्याओं का योग = 8556
प्रथम 92 सम संख्याओं के औसत की गणना
औसत ज्ञात करने का सूत्र
औसत = दी गयी संख्याओं का योग /दी गयी संख्याओं की संख्या
अत: प्रथम 92 सम संख्याओं का औसत
= प्रथम 92 सम संख्याओं का योग/92
= 8556/92 = 93
अत: प्रथम 92 सम संख्याओं का औसत = 93 है। उत्तर
प्रथम 92 सम संख्याओं का औसत निकालने की लघु विधि (शॉर्टकट)
(1) प्रथम 2 सम संख्याओं का औसत
= 2 + 4/2
= 6/2 = 3
अत: प्रथम 2 सम संख्याओं का औसत = 2 + 1 = 3
(2) प्रथम 3 सम संख्याओं का औसत
= 2 + 4 + 6/3
= 12/3 = 4
अत: प्रथम 3 सम संख्याओं का औसत = 3 + 1 = 4
(3) प्रथम 4 सम संख्याओं का औसत
= 2 + 4 + 6 + 8/4
= 20/4 = 5
अत: प्रथम 4 सम संख्याओं का औसत = 4 + 1 = 5
(4) प्रथम 5 सम संख्याओं का औसत
= 2 + 4 + 6 + 8 + 10/5
= 30/5 = 6
प्रथम 5 सम संख्याओं का औसत = 5 + 1 = 6
अर्थात प्रथम n सम संख्याओं का औसत = n + 1
अत: प्रथम 92 सम संख्याओं का औसत = 92 + 1 = 93 होगा।
अत: उत्तर = 93
Similar Questions
(1) 12 से 272 तक की सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(2) 6 से 1018 तक की सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(3) प्रथम 1039 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(4) प्रथम 2346 विषम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(5) प्रथम 948 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(6) प्रथम 4534 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(7) प्रथम 3115 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(8) 4 से 282 तक की सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(9) प्रथम 4977 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(10) प्रथम 1986 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?