फसल उत्पादन एवं प्रबंध - आठवीं विज्ञान
खरपतवार से सुरक्षा
खेतों में फसल के साथ अवांछित कई पौधे उग जाते हैं, जिन्हें प्राय: खरपतवार कहा जाता है। ये अवांछित पौधे (खरपतवार) भी जीवित रहने के लिए खेतों से पोषण प्राप्त करते हैं जिसके कारण फसलों को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है, जिससे फसल अच्छा नहीं हो पाते हैं। बहुत सारे खरपतवार विषैले भी होते हैं। अत: खेतों इन आवांछित पौधों को हटाना आवश्यक हो जाता है।
खेतों से अवांछित पौधों को हटाया जाना खरपतवार से सुरक्षा है। खेतों के अवांछित पौधों को अंग्रेजी में वीड्स (Weeds) कहते हैं।
चित्र: भारत में खरपतवार को हटाते हुए किसान
चित्र संदर्भ: By No machine-readable author provided. Deeptrivia assumed (based on copyright claims). - No machine-readable source provided. Own work assumed (based on copyright claims)., CC BY-SA 3.0, Link
खरपतवार से सुरक्षा के तरीके
खरपतवार को हटाने को निराई कहा जाता है।
खरपतवार को हटाने का सबसे अच्छा समय उसमें फूल तथा बीज बनने से पहले का होता है।
(क) फसल को उगाने से पहले खेत को अच्छी तरह जोतने पर खरपतवार जड़ सहित उखड़ जाते हैं तथा मर जाते हैं। मरने के बाद वे विघटित होकर मिट्टी में मिल जाते हैं जो खेत की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाता है।
(ख) खरपतवार को फसल के उगने के बाद हाथ तथा खुरपी आदि की मदद से उखाड़ दिया जाता है।
(ग) खरपतवार को हटाने के लिए खरपतवार नाशी का प्रयोग किया जाता है। खरपतवार नाशी एक प्रकार की रासायनिक दवा होती है। जिसका छिड़काव फसल पर किया जाता है। छिड़काव से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं, इससे फसलों को हानि नहीं पहुँचती है।
2, 4 D इथाइल इस्टर, नीम का अर्क, ग्लाईफॉस्फेट आदि कुछ प्रचलित खरपतवार नाशी हैं। खरपतवार नाशी को अंग्रेजी में वीडिसाइड्स (Weedicides) कहा जाता है।
(6) कटाई
खेतों में फसल के तैयार हो जाने के बाद उसे काटना पड़ता है। फसल को काटना फसल की कटाई या केवल कटाई कहा जाता है। कटाई को अंग्रेजी में हार्वेस्टिंग (Harvesting) कहते हैं। कटाई फसल के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य है।
कटाई में या तो फसल को जड़ से उखाड़ लिया जाता है अथवा कटाई वाले औजार, जिसे प्राय: दराँती या हँसिया कहा जाता है, के उपयोग से धरातल के पास से काट लिया जाता है।
फसल की कटाई के लिए एक मशीन जिसे हार्वेस्टर (Harvester) कहा जाता है का उपयोग किया जाता है।
थ्रेसिंग: कटाई के बाद फसल से दाने और भूसे को अलग किया जाता है। फसल से दाने तथा भूसे को अलग करने की प्रक्रिया को थ्रेसिंग (Threshing) कहा जाता है।
छोटे किसान अनाज के दानों को फटक कर अलग करते हैं। दानों को भूसे से अलग करना विनोईंग (Winowing) कहा जाता है।
कॉम्बाइन मशीन हार्वेस्टर तथा थ्रेशर का संयुक्त रूप है। आजकल फसल के पक जाने के बाद कॉम्बाइन मशीन द्वारा दानों तथा भूसे को अलग किया जाता है।
भूसे तथा दानों को अलग करने के लिए फटकने का काम या हो हाथों द्वारा या थ्रेसिंग मशीन द्वारा किया जाता है।
कटाई पर्व
फसल को तैयार होने में लगभग तीन से चार महीने लगते हैं। तीन चार महीनों के मेहनत के बाद फसल की कटाई का समय आना किसानों के लिए पर्व का माहौल होता है।
होली, पोंगल, वैसाखी, दीवाली नबान्या एवं बिहू आदि कटाई ऋतु के साथ जुड़े हुए कुछ पर्व हैं।
चित्र: भारत का एक कटाई पर्व पोंगल
चित्र संदर्भ : By BennyWikipedian - Ben Israel, Public Domain, Link
(7) भण्डारण
फसलों के उत्पाद का भण्डारण काफी महत्वपूर्ण है। उत्पाद का सही तरीके से भण्डारण नहीं होने पर वे खराब हो सकते हैं।
फसल के दानों को अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए उन्हें नमी, कीट, चूहों तथा सूक्ष्मजीवों बचा कर सुरक्षित रखना होता है।
ताजा फसल में नमी की मात्रा अधिक होती है, अत: सबसे पहले फसल के दानों को अच्छी तरह सुखाना होता है। फसल के दानों को नमी सहित रखने पर उसमें कीट आदि लगकर खराब होने की संभावना अधिक हो जाती है तथा फसल अधिक दिनों तक नहीं सुरक्षित नहीं रह पाते हैं।
सुखाने के फसल को जूट के बोरे, ड्र्म आदि में भण्डारण के लिए रखा जाता है।
बड़े पैमाने पर फसल का भंडारण साईलो और भंडार गृहों में किया जता है। भण्डारण से पहले फसल के दानों में कीटनाशक आदि भी मिलाया जाता है। कीटनाशक एक रासायनिक दवा है, जो फसल को कीटों, चूहों आदि से बचाकर रखता है।
छोटे स्तर पर फसल के दानों को भण्डारण करने से पूर्व उसमें नीम के पत्तों को सुखाकर भी मिलाया जाता है।
कीटनाशक तथा नीम के पत्ते फसल को कीटों आदि से बचाकर रखते हैं।
फसल के भण्डारण के लिए भार में एफoसीoआईo (FCI) नाम का विभाग है। एफoसीoआईo (FCI), फुड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (Food Corporation of India) का संक्षिप्त रूप है।
जंतुओं से भोजन
बहुत सारे खाद्य पदार्थ हमें जंतुओं से प्राप्त होता है। जैसे माँस, मछली, अंडे, दूध, घी आदि।
बकरी, भेड़, खरगोश, भेड़, मछली आदि से हमें माँस प्राप्त होता है। माँस प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्वों से परिपूर्ण खाद्य पदार्थ है।
गाय, भैंस, भेड़, ऊँट आदि से हमें दूध प्राप्त होता है। दूध से अन्य बहुत सारे खाद्य पदार्थ, जैसे दही, मिठाई, घी आदि बनते हैं।
मुर्गी का पालन अंडे तथा माँस प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
इन खाद्य देने वाले पशुओं को घरेलू स्तर पर तथा बड़े स्तर पर पालन किया जाता है।
पालतू पशुओं का बड़े पैमाने पर पालन तथा देखभाग पशुपालन कहलाता है।
कृषि से संबंधित प्रमुख शब्द तथा उनके परिभाषा
(1) कृषि पद्धतियाँ
कृषि पद्धतियाँ क्या है: फसल को उगाने से लेकर तैयार करने और भंडारण तक किये जाने वाले कार्यों को फसल पद्धतियाँ कहते हैं। फसल पद्धतियाँ को आधारिक फसल पद्धतियाँ भी कहते हैं।फसल पद्धतियाँ के अंतर्गत मिट्टी तैयार करना, बुवाई, खाद एवं उर्वरक देना, सिंचाई, खरपतवार से सुरक्षा, कटाई तथा भण्डारण आता है।
(2) पशुपालन
पशुपालन की परिभाषा: पालतू पशुओं का बड़े पैमाने पर पालन तथा देखभाग पशुपालन कहलाता है।
(3) फसल
फसल की परिभाषा: किसी स्थान पर जब बड़े पैमाने एक ही किस्म के पौधे उगाये जाते हैं, तो उसे फसल कहते हैं, जैसे गेहूँ का फसल, धान का फसल, आलू की फसल, गोभी का फसल इत्यादि।
(4) उर्वरक
उर्वरक की परिभाषा: पदार्थ जो खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं, उर्वरक कहलाते हैं। उर्वरा शक्ति बढ़ाने वाले प्राय: रासायनिक पदार्थों को ही उर्वरक के नाम से जाना जाता है।
(5) भण्डार गृह
भण्डार गृह की परिभाषा: फसल आदि के दानों को जहाँ सुरक्षित रखा जाता है, को भण्डार गृह कहते हैं।
(6) कटाई
कटाई की परिभाषा: फसल तैयार होने के बाद उसे काटने की प्रक्रिया कटाई कहलाती है। कटाई पारंपरिक तथा आधुनिक दोनों तरीकों से की जाती है। पारंपरिक तरीकों में कटाई के लिए दराँती आदि का प्रयोग किया जाता है जहाँ आधुनिक तरीकों में कटाई के लिए मशीन का उपयोग किया जाता है।
(7) सिंचाई
सिंचाई की परिभाषा: पौधों को भी अन्य सजीव की तरह ही जल की आवश्यकता होती है। समय समय पर आवश्यकतानुसार फसल में जल देने की प्रक्रिया सिंचाई कहलाती है।
नलकूप, कुएँ, नदी, तालाब, झील, बर्षा आदि सिंचाई के श्रोत हैं।
(8) खरीफ
खरीफ की परिभाषा: फसल जिन्हें बर्षा ऋतु में लगाया जाता है, खरीफ कहलाता है। धान, मक्का आदि खरीफ फसल के अंतर्गत आते हैं।
(9) खाद
खाद की परिभाषा: मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए जैविक पदार्थों से बनाये गये पदार्थ खाद कहलाते हैं। कम्पोस्ट, बर्मी कम्पोस्ट आदि खाद हैं। खाद को पौधों तथा जंतुओं के अपशिष्ट से तैयार किया जाता है। खाद बनाने के लिए पत्ते, सब्जियों के छिलके, गोबर आदि को गड्ढ़े में डालकर छोड़ दिया जाता है जिसका सूक्ष्म जीवों द्वारा धीरे धीरे अपघटन हो जाता है।
(10) हल
हल की परिभाषा: खेत को जोतने के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला यंत्र हल कहलाता है।
(11) रबी
रबी की परिभाषा: फसलें जिन्हें जाड़े के ऋतु में लगाया जाता है, को रबी कहा जाता है। गेहूँ, मटर, चना आदि रबी फसल की श्रेणी में आते हैं।
(12) बीज
बीज की परिभाषा: फसल के दाने जिन्हें नई फसल को उगाने में प्रयोग किया जाता है बीज कहलाते हैं।
(13) साइलो
साइलो की परिभाषा: बीजों का बृहत पैमाने पर भण्डारण करने के लिए बड़े बड़े बेलनाकार वाले गृहों का उपयोग किया जाता है। इसे साइलो कहते हैं। साइलो का उपयोग अनाजों के भण्डारण के लिए भी किया जाता है।
(14) बुआई
बुआई की परिभाषा: फसल के पौधे तैयार करने के लिए बीजों को मिट्टी में प्रत्यारोपित करने की प्रक्रिया बुआई कहलाती है।
(15) भण्डारण
भण्डारण: अनाजों आदि को बृहद पैमाने पर लम्बे समय के लिए सुरक्षित रखना भण्डारण कहलाता है।
(16) थ्रेसिंग
थ्रेसिंग: फसल की कटाई के बाद दानों को भूसे से अलग करने की प्रक्रिया थ्रेसिंग कहलाती है।
(17) खरपतवार
खरपतवार की परिभाषा: फसलों के साथ उग जाने वाले अवांछित पौधों को खरपतवार कहलाते हैं। खरपतवार चूँकि फसल के साथ पोषक तत्व प्राप्त करने में प्रतिस्पर्धा करने लगते हैं इसलिए इन्हें अवांछित पौधे कहा जाता है, तथा अच्छी फसल के लिए इन्हें खेतों से हटाना अनिवार्य हो जाता है।
(18) खरपतवारनाशी
खरपतवारनाशी की परिभाषा: एक रासायन जिसे खेतों में उगनेवाले खरपतवार को नष्ट करने के लिए छिड़काव किया जाता है खरपतवारनाशी कहलाता है।
(19) फटकना
फटकना की परिभाषा: फसल के दानों से भूसे को झटक कर अलग करने की प्रक्रिया को फटकना कहते हैं।
Reference: