औसत
गणित एमoसीoक्यूo


प्रश्न :    प्रथम 96 विषम संख्याओं का औसत कितना होगा?


सही उत्तर  96

हल एवं ब्याख्या

96

ब्याख्या

औसत ज्ञात करने की विधि

चरण : 1 औसत ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम हमें दी गयी संख्याओं का योग ज्ञात करना होगा।

चरण: 2 दी गयी संख्याओं का योग ज्ञात हो जाने के पश्चात, इस योग में दी गयी संख्याओं की संख्या से भाग देने पर औसत प्राप्त हो जायेगा।

प्रथम 96 विषम संख्याएँ निम्नांकित सूची बनायेगी

1, 3, 5, 7, 9. . . . . 96 वें पद तक

प्रथम 96 विषम संख्याओं के योग की गणना

यह सूची समांतर श्रेणी में है, क्योंकि प्रत्येक अगला पद उसके पिछले पद में एक निश्चित संख्यां 2 के जोड़ने से प्राप्त होता है। अर्थात इस सूची का कॉमन डिफ्रेंस (सार्व अंतर) बराबर है।

अत: यहाँ प्रथम पद a = 1

तथा सार्व अंतर (कॉमन डिफ्रेंस ) d = 2

तथा पदों की संख्या n = 96

एक समांतर श्रेणी के n पदों का योग

Sn = n/2 [2a+(n – 1)d] होता है।

∴ S96 = 96/2 [2 × 1 +(96 – 1)2]

= 48 [2 + 95 × 2]

= 48 [2 + 190]

= 48 × 192

= 9216

अत: प्रथम 96 विषम संख्याओं की सूची का योग = 9216

प्रथम n विषम संख्याओं के योग की गणना का सूत्र [ट्रिक (लघु विधि)]:

प्रथम n विषम संख्याओं का योग = n2

प्रश्न के अनुसार, n = 96

अत: प्रथम 96 विषम संख्याओं की सूची का योग = 962 = 9216

अत: प्रथम 96 विषम संख्याओं की सूची का योग = 9216

प्रथम 96 विषम संख्याओं के औसत की गणना

अब हम जानते हैं कि

औसत = दी गयी संख्याओं का योग /दी गयी संख्याओं की संख्या

अत: प्रथम 96 विषम संख्याओं का औसत

= प्रथम 96 विषम संख्याओं का योग/96

= 9216/96 = 96

अत: प्रथम 96 विषम संख्याओं का औसत 96 है। उत्तर

प्रथम 96 विषम संख्याओं का औसत निकालने का ट्रिक (लघु विधि)

प्रथम 2 विषम संख्याओं का औसत 2 होता है।

प्रथम 3 विषम संख्याओं का औसत 3 होता है।

प्रथम 4 विषम संख्याओं का औसत 4 होता है।

प्रथम 5 विषम संख्याओं का औसत 5 होता है।

अर्थात प्रथम n विषम संख्याओं का औसत = n

अत: प्रथम 96 विषम संख्याओं का औसत 96 होगा।

अत: उत्तर = 96


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