प्रश्न : 5 से 403 तक की विषम संख्याओं का औसत कितना होगा?
सही उत्तर
204
हल एवं ब्याख्या
हल
विधि (1) 5 से 403 तक विषम संख्याओं के औसत ज्ञात करने की लघु विधि
लगातार विषम संख्याओं के औसत निकालने का शॉर्टकट ट्रिक
चूँकि दो लगातार विषम संख्याओं का अंतर समान होता है, अत: लगातार विषम संख्याएँ समांतर श्रेणी में होती हैं।
समांतर श्रेणी में निहित संख्याओं का औसत
= प्रथम पद (a) + अंतिम पद (ℓ)/2
अत: इस सूत्र का उपयोग कर लगातार विषम संख्याओं का औसत ज्ञात किया जा सकता है।
प्रश्न में दिये गये 5 से 403 तक की विषम संख्याएँ निम्नांकित हैं
5, 7, 9, . . . . 403
5 से 403 तक विषम संखाओं की सूची के पर्यवेक्षण से पता लगता है कि दो लगातार विषम संख्याओं का अंतर बराबर है। इसका अर्थ है कि विषम संख्याओं की लगातार सूची समांतर श्रेणी में होती हैं।
इस 5 से 403 तक विषम संख्याओं की सूची जो समांतर श्रेणी में हैं, में
प्रथम पद (a) = 5
सार्व अंतर (d) = 2
तथा अंतिम पद (ℓ) = 403
चूँकि समांतर श्रेणी में निहित संख्याओं का औसत = a + ℓ/2
अत: 5 से 403 तक विषम संख्याओं का औसत
= 5 + 403/2
= 408/2 = 204
अत: 5 से 403 तक विषम संख्याओं का औसत = 204 उत्तर
विधि (2) 5 से 403 तक दी गयी विषम संख्याओं का योग निकालकर औसत निकालना
दिये गये लगातार विषम संख्याओं का योग निकालकर उनके औसत की गणना
5 से 403 तक की विषम संख्या निम्नांकित सूची बनाती हैं
5, 7, 9, . . . . 403
अर्थात 5 से 403 तक की विषम संख्याओं की सूची एक समांतर श्रेणी बनाती हैं जिसमें
प्रथम पद (a) = 5
दो लगातार पदों का अंतर अर्थात सार्व अंतर (d) = 2
तथा अंतिम पद (ℓ) = 403
दी गयी संख्याओं का औसत
= संख्याओं का योग/संख्याओं की कुल संख्या
अर्थात दी गयी संख्याओं का औसत निकालने के लिए सर्वप्रथम उनका योग ज्ञात करना होता है तथा संख्याओं की कुल संख्या ज्ञात कर उससे संख्याओं के योग में भाग देना होता है।
दी गयी संख्याओं में कुल पदों अर्थात संख्याओं की संख्या की गणना
समांतर श्रेणी में n वां पद
an = a + (n – 1) d
जहाँ
a = प्रथम पद
d = सार्व अंतर
n = पदों की कुल संख्या
तथा an = n वां पद
अत: दिये गये 5 से 403 तक के संख्याओं की सूची जो समांतर श्रेणी में हैं के लिए
403 = 5 + (n – 1) × 2
⇒ 403 = 5 + 2 n – 2
⇒ 403 = 5 – 2 + 2 n
⇒ 403 = 3 + 2 n
अब 3 को बायें पक्ष (LHS) में पक्षांतरित करने पर
⇒ 403 – 3 = 2 n
⇒ 400 = 2 n
उपरोक्त व्यंजक को पुनर्व्यवस्थित करने पर
⇒ 2 n = 400
अब 2 को दायें पक्ष (RHS) में पक्षांतरित करने पर
⇒ n = 400/2
⇒ n = 200
अत: 5 से 403 तक विषम संख्याओं में कुल पदों अर्थात संख्याओं की संख्या = 200
इसका अर्थ है 403 इस सूची में 200 वां पद है। अर्थात इस सूची में संख्याओं की कुल संख्या 200 है।
दी गयी 5 से 403 तक विषम संख्याओं के योग की गणना
समांतर श्रेणी में सभी पदों का योग (S)
= n/2 (a + ℓ)
जहाँ, n = पदों की संख्या
a = प्रथम पद
तथा , ℓ = अंतिम पद
अत: 5 से 403 तक की विषम संख्याओं में सभी पदों का योग
= 200/2 (5 + 403)
= 200/2 × 408
= 200 × 408/2
= 81600/2 = 40800
अत: 5 से 403 तक की विषम संख्याओं का योग = 40800
तथा संख्याओं की कुल संख्या = 200
चूँकि दी गयी संख्याओं का औसत
= दी गयी संख्याओं का योग/संख्याओं की कुल संख्या
अत: 5 से 403 तक विषम संख्याओं का औसत
= 40800/200 = 204
अत: 5 से 403 तक विषम संख्याओं का औसत = 204 उत्तर
Similar Questions
(1) प्रथम 2203 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(2) प्रथम 350 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(3) प्रथम 902 सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(4) 5 से 237 तक की विषम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(5) 4 से 974 तक की सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(6) 100 से 662 तक की सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(7) प्रथम 3453 विषम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(8) 6 से 1026 तक की सम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(9) प्रथम 2286 विषम संख्याओं का औसत कितना होगा?
(10) प्रथम 4325 विषम संख्याओं का औसत कितना होगा?