प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन - क्लास दसवीं विज्ञान
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गोलीय दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब बनाना
(Image formation by spherical mirror)
किसी गोलीय दर्पण द्वारा निर्मित प्रतिबिम्ब (Image) की स्थिति, प्रकृति तथा आकार [Size (साइज)] के निर्धारण के लिये बिम्ब (Object) से आने वाले प्रकाश की दो किरणों को लेकर उनपर विचार आवश्यक होता है। इसके लिये बिम्ब से दर्पण की ओर आने वाली मुख्य अक्ष से समानांतर एक किरण तथा दर्पण के वक्रता केन्द्र से गुजरने वाली एक किरण को विचार के लिये लिया जाता है। इन दोनों किरणों का दर्पण से परावर्तन के बाद मिलन बिन्दु पर ही प्रतिबिम्ब बनता है।
अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब बनना
(a)जब बिम्ब (Object) अनंत पर हो, तो अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना
अनंत पर स्थित बिम्ब (Object) से आती हुई किरणें, जो कि मुख्य अक्ष के समानांतर होती हैं, अवतल दर्पण से परावर्तन के पश्चात मुख्य फोकस पर अभिसरित होती है।
प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image) : चूँकि बिम्ब से आती हुई किरणें अवतल दर्पण से परावर्तित होकर फोकस पर अभिसरित होती है, अत: प्रतिबिम्ब फोकस `(F)` पर बनता है।
प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image) : अत्यधिक छोटा, लगभग बिन्दु के आकार का (Highly diminished, point sized)
प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image) : वास्तविक तथा उलटा (Real and Inverted)
(b)जब बिम्ब वक्रता केन्द्र से परे हो (Object is beyond Centre of Curvature (C))
बिम्ब की स्थिति जब अवतल गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या से परे हो, तो बिम्ब से आने वाली किरणें दर्पण से परावर्तन के पश्चात मुख्य फोकस से गुजरती है। इस स्थिति में प्रतिबिम्ब फोकस तथा वक्रता केन्द्र के बीच बनता है।
प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image) : मुख्य फोकस (F) तथा वक्रता केन्द्र (C) के बीच
प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image) : बिम्ब से छोटा (Diminished than image)
प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image) : वास्तविक तथा उलटा (Real and Inverted)
(c)बिम्ब (Object) के वक्रता केन्द्र (Centre of curvature) पर अवस्थित होने की स्थिति में अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का निर्माण
जब बिम्ब (Object) की स्थिति वक्रता केन्द्र [Center of curvature `(C)`]पर हो तो, वक्रता केन्द्र `(C)` पर ही अवतल दर्पण (Concave mirror) द्वारा एक उलटा तथा समान आकार (Size) का प्रतिबिम्ब (Image) बनाया जाता है।
प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image): वक्रता केन्द्र `(C)`
प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image): समान आकार (Same size)
प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image) : वास्तविक तथा उलटा (Real and Inverted)
(d)जब बिम्ब (Object) वक्रता केन्द्र [Center of curvature `(C)` ] तथा फोकस [Focus `(F)`]के बीच हो तो अवतल दर्पण (Concave mirror) द्वारा प्रतिबिम्ब का निर्माण
जब बिम्ब (Object) वक्रता केन्द्र [Center of curvature `(C)` ] तथा फोकस [Focus `(F)`]के बीच हो तो अवतल दर्पण (Concave mirror) द्वारा वक्रता केन्द्र से परे प्रतिबिम्ब बनाया जाता है।
प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image): वक्रता केन्द्र `(C)` से परे
प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image): विवर्धित (Enlarged)
प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image) : वास्तविक तथा उलटा (Real and Inverted)
(e)जब बिम्ब फोकस `(F)` पर हो तो अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का निर्माण
जब बिम्ब फोकस `(F)` पर हो तो अवतल दर्पण द्वारा अनंत पर प्रतिबिम्ब बनाया जाता है।
यह प्रक्रिया बिम्ब के अनंत पर होने की स्थिति से बिल्कुल उलटा है। बिम्ब के अवतल दर्पण से अनंत की दूरी पर होने की स्थिति में प्रतिबिम्ब फोकस पर बनता है जबकि बिम्ब के फोकस पर होने की स्थिति में प्रतिबिम्ब अनंत पर बनता है।
प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image): अनंत पर
प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image): अत्यधिक विवर्धित (Highly Enlarged)
प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image) : वास्तविक तथा उलटा (Real and Inverted)
(f)बिम्ब के फोकस `(F)` तथा ध्रुव `(P)` के बीच होने की स्थिति में अवतल दर्पण द्वार प्रतिबिम्ब का निर्माण
जब बिम्ब अवतल दर्पण के फोकस `(F)` तथा ध्रुव `(P)` के बीच स्थित हो तो दर्पण के पीछे एक आभासी, सीधा तथा विवर्धित प्रतिबिम्ब बनता है।
प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image): दर्पण के पीछे
प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image): विवर्धित (Enlarged)
प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image) : आभासी तथा सीधा (Virtual and Erect)
अवतल दर्पण द्वार केवल इसी स्थिति में, अर्थात बिम्ब के फोकस `(F)` तथा ध्रुव `(P)` के बीच होने की स्थिति में ही प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे, आभासी तथा सीधा बनाया जाता है। बाकि स्थितियों में प्रतिबिम्ब आभासी, उलटा तथा दर्पण के सामने बनता है।
अवतल दर्पण द्वारा बिम्ब की विभिन्न स्थितियों में प्रतिबिम्ब का निर्माण | |||
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बिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब का आकार | प्रतिबिम्ब की प्रकृति |
अनंत पर | फोकस `(F)` पर | अत्यधिक छोटा, बिन्दु के आकार का | वास्तविक तथा उलटा |
वक्रता केन्द्र से परे | फोकस तथा वक्रता केन्द्र के बीच | छोटा | वास्तविक तथा उलटा |
वक्रता केन्द्र पर | वक्रता केन्द्र पर | समान आकार का | वास्तविक तथा उलटा |
वक्रता केन्द्र तथा फोकस के बीच | वक्रता केन्द्र से परे | विवर्धित | वास्तविक तथा उलटा |
फोकस पर | अनंत पर | अत्यधिक विवर्धित | वास्तविक तथा उलटा |
ध्रुव तथा फोकस के बीच | दर्पण के पीछे | विवर्धित | आभासी तथा सीधा |
अवतल दर्पण के उपयोग
अवतल दर्पण का उपयोग टॉर्च, सर्च लाईट, तथा गाड़ियों के हेड लाईट आदि में किया जाता है। इनमें बल्ब को अवतल दर्पण के फोकस पर रखा जाता है, जिससे प्रकाश की किरणों का समानांतर बीम प्राप्त होता है, जिससे रोशनी दूर तक जाती है।
अवतल दर्पण का उपयोग हजामत बनाने के लिये दर्पण के रूप में किया जाता है। अवतल दर्पण के उपयोग से चेहरे का बड़ा प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है, तथा हजामत बनाने में सुविधा होती है।
अवतल दर्पण का उपयोग दाँतों के डॉक्टर द्वारा रोगी के दाँतों का बड़ा प्रतिबिम्ब देखने के लिये किया जाता है।
बड़े अवतल दर्पण का उपयोग सौर भट्ठी में किया जाता है। बड़े अवतल दर्पण का द्वारक भी बड़ा होता है, जिसके कारण यह सूर्य के किरणों की बड़ी मात्रा को एक जग केन्द्रित कर उष्मा की बड़ी मात्रा देता है।
उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनाना
चूँकि उत्तल दर्पण में फोकस [Focus `(F)`], तथा वक्रता केन्द्र [Center of Curvature `(C)`] दर्पण के पीछे स्थित होता है, अत: बिम्ब को केवल दो ही स्थिति हो सकती है, एक अनंत दूरी पर तथा दूसरा दर्पण के ध्रुव तथा अनंत दूरी के बीच।
(a)बिम्ब के अनंत दूरी पर होने की स्थिति में उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनाना
जब बिम्ब अनंत दूरी पर हो तो उससी आने वाली किरणें दर्पण के फोकस से अपसरित होती हुई प्रतीत होती है, तथा प्रतिबिम्ब उत्तल दर्पण के फोकस पर बनता है।
प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image): फोकस पर, दर्पण के पीछे
प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image): अत्यधिक छोटा, बिन्दु के आकार का
प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image) : आभासी तथा सीधा (Virtual and Erect)
(b) बिम्ब का उत्तल दर्पण के ध्रुव तथा अनंत दूरी के बीच होने की स्थिति में प्रतिबिम्ब का बनाना
जब बिम्ब उत्तल दर्पण के ध्रुव तथा अनंत के बीच कहीं भी स्थित हो, तो प्रतिबिम्ब दर्पण के ध्रुव तथा फोकस के बीच में, जो कि दर्पण के पीछे होता है, बनता है।
प्रतिबिम्ब की स्थिति (Position of Image): फोकस तथा ध्रुव के बीच, दर्पण के पीछे
प्रतिबिम्ब का आकार (Size of Image): छोटा
प्रतिबिम्ब की प्रकृति (Nature of Image) : आभासी तथा सीधा (Virtual and Erect)
उत्तल दर्पण के उपयोग (Use of Convex Mirror)
(a) उत्तल दर्पण का उपयोग वाहनों में पश्च दृश्य दर्पणों (Rear view mirror) के रूप में किया जाता है। पश्च दृश्य दर्पण वाहनों के पार्श्व (Side) में लगे होते हैं, जिसमें वाहन चालक पीछे आने वाले वाहनों को देख सकता है। उत्तल दर्पण के बाहर की ओर वक्रित होने के कारण इसका दृष्टि क्षेत्र बड़ा होता है तथा ये सीधा तथा सापेक्ष रूप से छोटा प्रतिबिम्ब बनाते हैं, जिसके कारण वाहन चालक उनके पीछे दूर तक आते वाहनों को आसानी से देख पाते हैं, जिससे वाहन चलान में सुविधा होती है।
(b) उत्तल दर्पण का उपयोग तीक्ष्ण मोड़ पर दूसरी तरफ से आने वाले वाहनों को देखने में होता है। दूसरी तरफ से आने वाले वाहनों को देख लेने के बाद विपरीत दिशा से आने वाले वाहन चालक सतर्क हो जाते हैं तथा वाहन सुरक्षित रूप से चला पाते हैं।
गोलीय दर्पणों द्वारा परावर्तन के लिए चिन्ह परिपाटी (Sign Convention of Reflection by Spherical Mirror)
गोलीय दर्पणों द्वारा प्रकाश के परावर्तन पर विचार करने के लिये एक निश्चत चिन्ह परिपाटी तैयार की गई है, जिसे नयी कार्तीय चिन्ह परिपाटी कहते हैं।
गोलीय दर्पणों द्वारा प्रकाश के परावर्तन पर विचार करने के लिये नयी कार्तीय चिन्ह परिपाटी के नियम (Rules of New Cartesian Sign Convention)
(a) बिम्ब को सदैव दर्पण के बाईं ओर रखा जाता है अर्थात दर्पण पर बिम्ब से प्रकासह बाईं ओर से आपतित होता है।
(b) मुख्य अक्ष के समांतर सभी दूरियाँ दर्पण के ध्रुव से मापी जाती है।
(c) मूल बिन्दु के दाईं ओर (+ x – अक्ष के अनुदिश) मापी गई सभी दूरियाँ धनात्मक मानी जाती हैं जबकि मूल बिन्दु के बाईं ओर (– x – अक्ष के अनुदिश) के अनुदिश मापी गई दूरियाँ ऋणात्मक मानी जाती हैं।
(d) मुख्य अक्ष के लंबबत तथा उपर की ओर (+ y – अक्ष के अनुदिश) मापी जाने वाली दूरियाँ धनात्मक मानी जाती हैं।
(e) मुख्य अक्ष के लंबबत तथा नीचे की ओर (– y – अक्ष के अनुदिश) मापी जाने वाली दूरियाँ ऋणात्मक मानी जाती हैं
दर्पण सूत्र तथा आवर्धन (Mirror Formula and Magnification)
ध्रुव से बिम्ब की दूरी `(u)`, ध्रुव से प्रतिबिम्ब की दूरी `(v)` तथा मुख्य फोकस की दूरी `(f)` के बीच संबंध को नोम्नांकित तरीके से दर्शाया जाता है:
`1/v+1/u=1/f`
जहाँ, `u` = ध्रुव से बिम्ब की दूरी [इसे बिम्ब दूरी कहते हैं।] (Distance of object from pole)
`v` = ध्रुव से प्रतिबिम्ब की दूरी (distance of image from pole of mirror)
`f` = ध्रुव से मुख्य फोकस की दूरी (focal length (distance between principal focus and pole)
बिम्ब दूरी `(u)`, प्रतिबिम्ब दूरी `(v)` तथा फोकस दूरी `(f)` के बीच इस संबंध को दर्पण सूत्र कहा जाता है।
यह संबह सभी प्रकार के गोलीय दर्पणों के लिये बिम्ब की सभी स्थितियों के लिये मान्य है।
आवर्धन (Magnification)
गोलीय दर्पण द्वार उत्पन्न आवर्धन वह सापेक्षिक विस्तार है जिससे ज्ञात होता है कि कोई प्रतिबिम्ब बिम्ब की अपेक्षा कितना गुना आवर्धित है।
आवर्धन को अंगरेजी के अक्षर `(m)` से निरूपित किया जाता है।
आवर्धन `(m)` को बिम्ब की उँचाई `(h)` तथा प्रतिबिम्ब की उँचाई `(h')` के अनुपात में व्यक्त किया जाता है।
`m=(text{height of image}(h))/(text{height of object}(h'))`
Or, `m=(h')/h` ---------(i)
आवर्धन `(m)` तथा बिम्ब दूरी `(u)` तथा प्रतिबिम्ब दूरी `(v)` में संबंध
आवर्धन `(m)=(h')/h=-v/u` -----(ii)
अत: उपरोक्त समीकरण (i) तथ समीकरण (ii) की मदद से किसी दो का मान ज्ञात रहने पर तीसरे के मान की गणना की जा सकती है।
Reference:
Images are taken from NCERT Book Class ten science