भोजन: यह कहाँ से आता है
कच्ची सामग्रियाँ जिनसे भोजन बनाया जाता है, भोजन के संघटक कहलाते हैं।
भोजन पकाने में हम कई तरह की कच्ची सामग्रियों का उपयोग करते हैं। चावल बनाने में केवल दो संघटकों अर्थात कच्ची सामग्रियों का उपयोग होता है। ये सामग्रियाँ हैं, कच्चा चावल तथा जल। चावल को जल में कुछ समय अर्थात उसके पकने तक उबाल देने पर ही चावल तैयार हो जाता है। सब्जी बनाने के लिये सामान्यत: कच्ची सब्जी, नमक, हल्दी, मिर्ची, तथा जल का कच्ची सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है। हालाँकि कई ऐसी खाद्य सामग्रियाँ हैं, जिन्हें हम कच्चा ही खाते है, अर्थात उन्हें पकाने की आवश्यकता नहीं होती है।
खाद्य सामग्री हमें केवल दो स्त्रोतों से प्राप्त होते हैं, ये स्त्रोत हैं (A) पेड़-पौधे (पादप) तथा (B) जंतु ....
भोजन के घटक
सभी सजीवों को जीवित रहने तथा कार्य करने के लिए उर्जा की आवश्यकता होती है, इस उर्जा को वे भोजन से प्राप्त करते हैं।
भोजन उर्जा के अलावे भी हमें कई अन्य पदार्थ देता है, जो हमें विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाता है तथा हमारे शरीर को विकसित होने में सहायक होता है।
पोषक तत्व क्या हैं: वैसे तत्व जो पोषण देते हैं, पोषक तत्व कहलाते हैं। पोषक तत्व मुख्यत: पाँच प्रकार के हैं। ये पोषक तत्व हैं कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन तथा खनिज।
भोजन में पाये जाने वाले पोषक तत्व भोजन के घटक कहलाते हैं।भोजन के घटक मुख्यत: पाँच प्रकार के हैं, ये हैं कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन तथा खनिज। इनके अतिरिक्त हमारे शरीर को रूक्षांश तथा जल की भी आवश्यकता होती है। ……
तंतु से वस्त्र तक
यह तंतु या रेशा ही है जिससे वस्त्र बनाया जाता है है। तंतु दो प्रकार के होते हैं: (a) प्राकृतिक तंतु (नैचुरल फाइवर) (b) संश्लिष्ट तंतु या बनाबटी तंतु (आर्टिफिशियल फाइवर या सिंथेटिक फाइवर)
पोशाक वस्त्र से से बनते हैं। वस्त्र धागे से बनता है, तथा धागा तंतु से बनता है। वस्त्र का उपयोग पोशाक बनाने के साथ साथ बेड शीट, बैग, डोर मैट, कंबल, स्वेटर, मफलर, बोरा, गनी बैग, आदि तथा कई अनगिनत वस्तुएँ बनाने में किया जाता है।
गर्मियों में वैसे कपड़ों का उपयोग किया जाता है जो हमें ठंढ़ा रखता है। वस्त्र का गुण तंतु पर निर्भर होता है जिससे वे बनते हैं। .....
वस्तुओं के समूह बनाना
विज्ञान की दृष्टिकोण से वस्तुओं के क्रमिक अध्ययन के लिए उन्हें समूहों में बाँटने की आवश्यकता होती है।
ध्यान से देखने पर हम पाते हैं कि किचन हो या कपड़े या किताब की आलमीरा। सभी जगहों पर वस्तुओं को समूहवार रखा जाता है। यहाँ तक कि स्कूलों में भी बच्चों को समूहवार बैठाया जाता है।
सामानों को समूह में बाँटकर रखने में आवश्यकतानुसार उन्हें खोजने में आसानी होती है। यही कारण है कि हमें वस्तुओं को समूह में बाँटने की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो वस्तुओं को सुनियोजित रूप से रखने के लिए समूह में बाँटना आवश्यक है। ....
चुम्बकों द्वारा मनोरंजन
मैग्नेट श्ब्द जिसे हिन्दी में चुम्बक कहते हैं, ग्रीस के एक नाम "मैग्नस" से आया है।
एक पदार्थ जिसमें लोहा (iron) की मात्रा रहती है, या लोहे (आयरन) का बना होता है, तथा उसमें लोहे को या लोहा से बने पदार्थों को आकर्षित करने की क्षमता होती है, चुम्बक [मैग्नेट (Magnet)] कहलाता है।
हमारे प्रतिदिन के जीवन में चुम्बक का काफी उपयोग होता है। वास्तव में हम चुम्बक से घिरे हुए हैं। बहुत सारे यंत्र, जिसका उपयोग दैनिक जीवन में होता है, वह चुम्बक पर आधारित है, जैसे कि बिजली से चलने वाला पंखा, विद्युत जेनरेटर, मिक्सर ग्राइंडर, कपड़ा धोने की मशीन, हेयर ड्रायर, आदि।
यहाँ तक कि पृथ्वी, जिसपर हम रहते हैं, एक बहुत बड़ा चुम्बक है।
प्राकृतिक चुम्बक मैग्नेटाइड से बना होता है। मैग्नेटाइट एक चट्टानीय खनिज है। मैग्नेटाइट में लोहा होता है, तथा इसमें लोहा या लोहे से बनी वस्तुओं को आकर्षित करने का गुण होता है। बाद में चलकर कृत्रिम चुम्बक बनाने के तकनीकि की खोज की गयी।
हमारे चारों ओर के परिवर्तन
जब कोई छोटा पौधा एक पेड़ बन जाता है, तो इसे परिवर्तन कहा जाता है। जब बर्फ पिघल कर पानी बन जाता है, तो यह परिवर्तन कहलाता है। जब पानी जम कर बर्फ बन जाता है, तो इसे परिवर्तन कहते हैं। जब कोई बल्ब जलता है, तो इसे परिवर्तन कहते हैं। जब एक व्यक्ति नये कपड़े पहनता है, तो इसे परिवर्तन कहते हैं। जब पॉलिश करने पर जूता चमकने लगता है, तो इसे परिवर्तन कहते हैं। जब सूरज उगता है, तो इसे परिवर्तन कहते हैं। जब सूरज में डूबता है, तो इसे परिवर्तन कहते हैं। हम चंद्रमा को घटते या बढ़ते देखते हैं, तो यह भी परिवर्तन कहलाता है।
इस तरह हम अपने आस पास कई तरह के परिवर्तन देखते हैं। इस तरह हम पाते हैं कि हमारा जीवन परिवर्तनों से भरा पड़ा है। दरअसल बिना परिवर्तन के जीवन संभव ही नहीं है। अत: यह आवश्यक हो जाता है कि जीवन में तथा आसपास होने वाले परिवर्तनों का क्रमिक और वैज्ञानिक अध्ययन किया जाय।
गति एवं दूरियों का मापन
पहिये की बनाबट तथा रूप रेखा में हजारों वर्षों में उत्तरोत्तर सुधार होता हुआ। आज आधुनिक समय में भी बिना पहिए के किसी भी वाहन की कल्पना मुश्किल है। हम देख सकते हैं कि वायुयान को भी उड़ान भरने के लिए रनवे पर दौड़ना होता है जिसके लिए पहिए की आवश्यकता होती है।
उन्नीसवीं सदी के आसपास वाष्प ईंजन के आविष्कार से यायायात के क्षेत्र में फिर से एक नयी क्रांति आ गयी। फिर लोहे की पटरियाँ बनायी गयीं जिसपर यानों तथा गाड़ियों को वाष्प ईंजन द्वारा खींचा जाने लगा। वाष्प ईंजन के आविष्कार से पहले तक लोग गाड़ियों को खींचने के लिए पशुओं यथा घोड़े, बैल, खच्चर, ऊँट, हाथी पर निर्भर थे अर्थात वाष्प ईंजन के आविष्कार से पहले यातायात के लोग पशु शक्ति पर निर्भर थे।
लेकिन आधुनिकतम यातायात के साधनों के साथ साथ हमें तय की गयी दूरी को मापने की आवश्यकता होती है। बिना दूरी का मापन किये यह अंदाजा लगाना संभव नहीं है कि दो जगहों की दूरी कितनी है या कोई भी बस्तु कितनी लम्बी या चौड़ी है। नाव या किसी गाड़ी की लम्बाई कितनी होनी चाहिए . . .
पदार्थों का पृथक्करण
जो स्थान घेरता हो तथा उसका कुछ द्रव्यमान हो पदार्थ कहलाता है। जैसे: मेज, कुर्सी, कम्प्यूटर, कलम, पेंसिल, हवा, जल, बर्फ, बल्ब, पेड़ पौधे, आदि।
वैसे पदार्थ जिनके सूक्ष्मतम कण भी समान पदार्थ के बने हों शुद्ध पदार्थ कहलाते हैं। जैसे सोना, चाँदी, जल, नमक, चीनी, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, आदि।
जल का सबसे सूक्ष्म कण भी लिया जाय तो वह जल ही होगा, अत: जल एक शुद्ध पदार्थ है। उसी तरह सोना, चाँदी, एल्युमिनियम, ताम्बा, लोहा, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, आदि शुद्ध पदार्थ के कुछ उदाहरण हैं।
मिश्रण दो प्रकार के होते हैं, समांगी मिश्रण तथा असमांगी मिश्रण्। मिश्रण जिसका संगठन समान हो, अर्थात मिश्रण के घटक या अवयव अलग नहीं दीखते हों, को समांगी मिश्रण कहा जाता है। . . .