सप्तम विज्ञान (seventh science hindi medium)

पादपों में पोषण

सजीवों द्वारा भोजन ग्रहण करने एवं इसके उपयोग की विधि को पोषण क...

प्राणियों में पोषण

मनुष्य सहित सभी जीव जंतुओं को जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यक्ता होती है। भोजन से प्राप्त आवश्यक पोषक पदार्थों को प्राप्त करना पोषण कहलाता है। सभी जीवों की बृद्धि करने, शरीर को स्वस्थ रखने, शरीर को गतिशील बनाये रखने तथा अन्य कार्य जो उन्हें जीवित रखने में मदद करता है के लिए पोषण की आवश्यकता होती है। पौधे अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा स्वयं तैयार करते है...

रेशों से वस्त्र तक

रेशे एक सतत तंतु (फिलामेंट) की तरह होते हैं। रेशे का उपयोग अनेक प्रकार से किया जा सकता है। रेशों को कात कर धागा या रस्सी बनाया जा सकता है। रेशों का उपयोग मुख्य रूप से कपड़े बनाने में किया जाता है।

रेशों को उनके प्राप्ति के आधार पर मुखत: दो भागों में बाँटा जा सकता है, प्राकृतिक रेशा और कृत्रिम रेशा। प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले रेशों को प्राकृतिक र...

उष्मा

उष्मा एक प्रकार की उर्जा होती है। उष्मा अर्थात गर्मी एक ओर जहाँ हमें जाड़े के मौसम में आराम देता है वहीं गर्मी के मौसम में हमें कष्ट देता है। हम काफी गर्मियों के मौसम में अत्यधिक गर्मी वाले दिनों और ठंढ़ के मौसम में काफी सर्द दिन और रात के बारे में समाचारों में सुना करते हैं और महसूस भी करते हैं।

एक वस्तु गर्मी अवशोषित कर गर्म हो जाती है। वहीं दूसरी ओर एक गर्म व...

अम्ल, क्षारक और लवण

पदार्थों को उनके कुछ विशेष गुणों के आधार पर तीन भागों में बाँटा जा सकता है, ये भाग हैं अम्ल, क्षारक तथा लवण

अम्ल (एसिड)

बहुत सारे पदार्थों में अम्ल पाया जाता है। इन पदार्थों में अम्ल पाये जाने के कारण इनका स्वाद खट्टा होता है।

उदाहरण: नींबू, दही, इमली, टमाटर, अचार, इत्यादि

दूसरे शब्दों में कहें तो वैसे पदार्थ जिनका स्वाद खट्टा ह...

जीवों में श्वसन

हमारा शरीर विभिन्न प्रकार के कार्य करता है, जैसे चलना, दौड़ना, बोलना, पढ़ना, आदि। शरीर को सभी प्रकार के कार्य करने के लिए उर्जा की आवश्यकता होती है। यहाँ तक कि सोने की स्थिति में भी हमारे शरीर को उर्जा की आवश्यकता होती है।

यह उर्जा हम भोजन से प्राप्त करते हैं। पाचन के बाद भोजन ग्लूकोज में परिणत हो जाता है जो रूधिर (खून) के साथ मिलकर सभी कोषिकाओं (सेल) में पहुँचता ...

भौतिक तथा रासायनिक परिवर्तन

हम अपने आस-पास बहुत से परिवर्तन देखते हैं, जैसे पौधों का बढ़ना, पेड़ों से पत्तों का टूटना, ईंधन का जलना, कागजों को काटना, सब्जियों को काटना, सूर्य का उगना, सूर्य का अस्त होना, चन्द्रमा की कलाओं में परिवर्तन, आदि। स्पष्टत: हमारे चारों ओर लगातार परिवर्तन होते रहते हैं, बदलाव होते रहते हैं। यह हमें बतलाता है कि हमारे जीवन में परिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण हैं हमारा जीवन परिवर्त...

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