संसाधन एवं विकास : भूगोल क्लास दसवां (समाजिक विज्ञान)
एनसीईआरटी प्रश्नावली का हल
प्रश्न संख्या (1) बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है?
(क) नवीकरण योग्य
(ख) जैव
(ग) प्रवाह
(घ) अनवीकरण योग्य
उत्तर (घ) अनवीकरण योग्य
ब्याख्या : लौह अयस्क खनिज के रूप में प्राप्त होता है, तथा किसी भी खनिज को बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं। अत: लौह अयस्क को अनवीकरण योग्य संसाधन के अंतर्गत माना गया है।
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(ii) ज्वारीय उर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन है?
(क) पुन: पूर्ति योग्य
(ख) अजैव
(ग) मानवकृत
(घ) अचक्रीय
उत्तर (क) पुन: पूर्ति योग्य
ब्याख्या ज्वारीय उर्जा का उपयोग विद्युत उर्जा प्राप्त करने के लिए होता है। चूँकि समुद्र में ज्वार लगातार आता रहता है, जिसका कारण चन्द्रमा की स्थिति को माना गया है। अत: ज्वारीय उर्जा यह एक पुन: पूर्ति योग्य उर्जा है। अत: विकल्प (क) पुन: पूर्ति योग्य सही उत्तर है।
(iii) पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?
(क) गहन खेती
(ख) अधिक सिंचाई
(ग) वनोन्मूलन
(घ) अति पशुचारण
उत्तर (ख) अधिक सिंचाई
ब्याख्या दिये गये विकल्पों में से सभी भूमि निम्नीकरण का कारण है। परंतु पंजाब राज्य में अधिक सिंचाई भूमि निम्नीकरण का मुख्य कारण है।
(iv) निम्नलिखित में से किस प्रांत में सीढ़ीदार (सोपानी) खेती की जाती है?
(क) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश के मैदान
(ग) हरियाणा
(घ) उत्तराखण्ड
उत्तर (घ) उत्तराखण्ड
ब्याख्या सीढ़ीदार (सोपानी) खेती पहाड़ी इलाके में होती है, जहाँ भूमि अधिक ढ़ाल वाली होती है। चूँकि उत्तराखण्ख में पहाड़ हैं, तथा बाकी के तीन विकल्प मैदानी भाग हैं। अत: यहाँ दिये गये विकल्पों में से (घ) उत्तराखण्ड सही उत्तर है।
(v) इनमें से किस राज्य में काली मृदा पाई जाती है?
(क) जम्मू और कश्मीर
(ख) राजस्थान
(ग) गुजरात
(घ) झारखंड
उत्तर (ग) गुजरात
ब्याख्या काली मिट्टी (मृदा) दक्कन पठार क्षेत्र के उत्तर पश्चिमी भागों में पायी जाती है। यह मिट्टी लावा जनक शैलों से बनी हैं। भारत में महाराष्ट्र, सौराष्ट्र मालवा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पठार पर काली मिट्टी पयी जाती हैं तथा दक्षिण पूर्वी दिशा में गोदावरी और कृष्णा नदियों की घाटियों तक फैली हैं। इसके साथ ही गुजरात के दक्षिणी भाग में भी काली मिट्टी पायी जाती है, चूँकि गुजरात दक्कन पठार के उत्तर पश्चिमी भाग में पड़ता है।
अत: विकल्प (ग) गुजरात सही उत्तर है।
प्रश्न संख्या (2) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) तीन राज्यों के नाम बताएँ जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौन सी फसल उगाई जाती है?
उत्तर
भारत में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पठार पर काली मिट्टी पयी जाती है। काली मिट्टी कपास की खेती के लिए अधिक उपयुक्त है, इसलिए काली मृदा को काली कपास मृदा भी कहा जाता है।
(ii) पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पायी जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर पूर्वी तट की नदी डेल्टाओ पर जलोढ़ मिट्टी (मृदा) पायी जाती है।
जलोढ़ मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ हैं:
(क) जलोढ़ मिट्टी में पोटाश, फास्फोरस और चूना की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है।
(ख) जलोढ़ मृदा सबसे अधिक उपजाऊ होती है।
(ग) जलोढ़ मिट्टी गन्ने, चावल, गेहूँ, दलहन, तथा अन्य अनाजों की फसलों की खेती के लिए अधिक उपयुक्त होती है।
(iii) पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए पवन तथा जल के बहाव के जनित बल को कमजोर किया जाना चाहिए इसके लिए निम्नांकित कदम उठाने चाहिए
(क) सीढ़ीदार खेती करना चाहिए
(ख) भूमि पर पेड़ अर्थात वनरोपन करना चाहिए
(iv) जैव तथा अजैव संसाधन क्या होते हैं? कुछ उदाहरण दें।
उत्तर
हमारे पर्यावरण में उपस्थित वैसी सभी वस्तुएँ जिनमें जीवन है, को जैव संसाधन कहा जाता है। जैसे मनुष्य सहित सभी प्राणि।
(b) अजैव संसाधन
हमारे वातावरण में उपस्थित वैसे सभी संसाधन जिनमें जीवन व्याप्त नहीं हैं अर्थात निर्जीव हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं। जैसे चट्टान, पर्वत, नदी, तालाब, समुद्र, धातुएँ, हवा, सभी गैसें, सूर्य का प्रकाश, आदि।
प्रश्न संख्या (3) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
(i) भारत में भूमि उपयोग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुयी, इसका क्या कारण है?
उत्तर
भौतिक कारक जैसे भू–आकृति, जलवायु और मृदा (मिट्टी) के प्रकार तथा मानवीय कारक जैसे जनसंख्या घनत्व, तकनीकि क्षमता, सांस्कृतिक परम्पराएँ आदि भू उपयोग को निर्धारित करते हैं।
भारत में भू–उपयोग के आँकड़ें निम्नांकित हैं:
(a) भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्र 32.8 लाख वर्ग किलो मीटर है।
(b) भारत में दिनों दिन स्थायी चरागाहों के अंतर्गत आने वाली भूमि का क्षेत्र कम हुआ है।
(c) भारत में वर्तमान परती के अतिरिक्त अन्य परती भूमि उपजाऊ नहीं है।
(d) भारत के पंजाब तथा हरियाणा में 80 प्रतिशत भूमि पर खेती होती हैं जबकि अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 10 प्रतिशत से भी कम भाग पर खेती होती है।
(e) भारत में राष्ट्रीय वन नीति (1952) द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार वनों के अंतर्गत 33 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र वांछित है जिसकी तुलना में वर्तमान में भारत में वन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र का प्रतिशत काफी कम है।
1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं होने के निम्नांकित कारण हैं:
(क) वन नीति का कार्यांवयन सही ढ़ंग से नहीं होना।
(ख) पेड़ों तथा वनों की अंधाधुंध कटाई
(ग) पर्याप्त मात्रा में नये वनरोपन का आभाव।
(ii) प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग कैसे हुआ है?
उत्तर
प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग निम्नांकित रूप से हुआ है।
(क) प्राद्योगिक विकास के निरंतर होने से नई इमारतें, सड़कें, रेल लाईन बनी हैं। इसके साथ परिवहन तथा सूचना आदि के नये नये साधन विकसित हुए हैं। इन साधनों के विकसित होने आम आदमी का जीवन अपेक्षाकृत आसान हो गया है।
सूचना एवं परिवहन के नये साधन विकसित होने से विश्व में दूरियाँ कम हो गयी हैं। लोगों का विभिन्न संस्कृतियों से अच्छा परिचय हुआ है। इससे एक दूसरे जगह की तकनीकि तथा ज्ञान का आदान प्रदान हुआ है, जिसका लाभ विभिन्न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, तकनीकि, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में मिल रहा है।
(ख) प्राद्योगिक विकास से नये क्षेत्रों में संभावनाएँ बढ़ी हैं इससे आर्थिक विकास हुआ है। आर्थिक विकास होने से संसाधनों की माँग भी लगातार बढ़ रही है।
(1) चित्र (1) By Fundy (Fundy) - Own work, CC BY-SA 3.0, Link