चुम्बकों द्वारा मनोरंजन: छठवीं विज्ञान


भारतीय कम्पास: मत्स्य यंत्र

प्राचीन भारत के दिकसूचक या कम्पास को मत्स्य यंत्र के नाम से जाना जाता था। चूँकि प्राचीन भारत में उपयोग की जाने वाली दिकसूचक में मछली के आकारनुमा चुम्बक लगी होती है, इसलिए इसे मत्स्य यंत्र कहा जाता था।

मत्स्य यंत्र
चित्र6: प्राचीन भारत का दिकसूचक : मत्स्य यंत्र

मत्स्य यंत्र के उपयोग किये जाने का उल्लेख ऋग वेद में मिलता है। तथा बेलक अल किलजकी की पुस्तक "मरचेंट ट्रेजर" जो काहिरा में लिखी गयी थी में भी उल्लेख मिलता है कि "हिंद महासागर में चुम्बकीय सूई का उपयोग दिशा ज्ञात करने के लिए किया जाता था"।

चुम्बकीय गुण का संकेंद्रण

किसी चुम्बक का चुम्बकीय गुण उसके ध्रुवों पर संकेंद्रित रहता है। इसका यह अर्थ है कि एक चुम्बक में चुम्बकीय पदार्थों को आकर्षित करने की क्षमता उसके ध्रुवों पर अत्यधिक होती है, या दूसरे शब्दों में चुम्बक ध्रुवों पर अधिक शक्तिशाली होता है।

 लोहे के बुरादों का चुम्बक के ध्रुवों पर अधिक आकर्षित होना
Figure7: एक छड़ चुम्बक के ध्रुवों पर लोहे के बुरादों का चिपकना

जब किसी चुम्बक को लोहे के बुरादों में रखा जाता है या किसी चुम्बक पर जब लोहे के बुरादों को छिड़का जाता है, तो लोहे के बुरादे चुम्बक के ध्रुवों पर अधिक चिपक जाता है। तथा लोहे के बुरादे चुम्ब्क के बाकी हिस्सों पर ध्रुवों की तुलना में कम चिपकता है। यह दर्शाता है कि एक चुम्बक ध्रुवों पर अधिक शक्तिशाली होता है।

चुम्बक की क्षेत्र रेखाएँ

जब किसी चुम्बक को एक समतल सतह पर रखकर उसपर लोहे का बुरादा छिड़का जाता है, तो लोहे के बुरादे एक विशेष पैटर्न बनाते हुए चुम्बक में चिपक जाते हैं। लोहे के बुरादे चुम्बक के ध्रुवों पर अधिक चिपकते हैं तथा यह चिपकना धीरे धीरे चुम्बक के बीच में जाते हुए कम होते जाते हैं।

छड़ चुम्बक की क्षेत्र रेखाएँ
चित्र8: छड़ चुम्बक की क्षेत्र रेखाएँ

लोहे बुरादों को चुम्बक में चिपकने के पैटर्न को रेखा चित्र द्वारा कागज पर दर्शाया जा सकता है। लोहे के बुरादों का चुम्बक में विशेष पैटर्न में चिपकने से बनी हुई रेखाएँ क्षेत्र रेखाएँ या फिल्ड लाइंस कहलाती हैं।

 छड़ चुम्बक की क्षेत्र रेखाएँ 1
चित्र9: छड़ चुम्बक की क्षेत्र रेखाएँ

 छड़ चुम्बक की क्षेत्र रेखाएँ 2
चित्र10: छड़ चुम्बक की क्षेत्र रेखाएँ

 छड़ चुम्बक की क्षेत्र रेखाएँ 3
चित्र11: छड़ चुम्बक की क्षेत्र रेखाएँ

चुम्बकों के बीच आकर्षण और विकर्षण

किसी दो चुम्बकों के समान ध्रुव एक दूसरे को विकर्षित करते हैं और असमान ध्रुव एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।

अर्थात दो चुम्बकों के दक्षिणी ध्रुव एक दूसरे को विकर्षित करते हैं तथा उत्तर ध्रुव और दक्षिण ध्रुव एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।

चुम्बक के ध्रुवों को अलग करना

किसी चुम्बक के दो ध्रुव, उत्तर ध्रुव और दक्षिण ध्रुव, होते हैं तथा उन्हें अलग अलग नहीं किया जा सकता है।

जब एक छड़ चुम्बक को दो भागों में तोड़ा जाता है, तो इस तरह बने हुए दो चुम्बकों के भी दो ध्रुव होते हैं। यदि पुन: उन दोनों टुकड़ों को दो दो भागों में तोड़ा जाता है, तो पुन: बने हुए चारों टुकड़ों के दो दो ध्रुव बन जाते हैं।

अत: यह पाया गया है कि यदि एक चुम्बक को दो या अधिक भागों में तोड़े जाने पर भी उनके ध्रुवों को अलग नहीं किया जा सकता है, बल्कि टूटने से बने हुए अलग अलग चुम्बकों के भी दो ध्रुव होते हैं।

अत: चुम्बक के ध्रुवों को अलग नहीं किया जा सकता है। बल्कि चुम्बक के ध्रुव हमेशा जोड़े में होते हैं।

अपना चुम्बक स्वयं बनाइए

एक चुम्बक को आसानी से बनाया जा सकता है।

एक चुम्बक को जब किसी लोहे की पट्टी या चुकड़े पर एक ही ओर लगातार रगड़ा जाता है, तो वह दूसरे लोहे के टुकड़े में भी चुम्बकीय गुण आ जाता है, तथा वह भी चुम्बक में बदल जाता है।

एक लोहे के टुकड़े को चुम्बक बनाना
चित्र12: एक लोहे के टुकड़े का चुम्बक बनाना

विद्युत की सहायत से चुम्बक बनाना: विद्युत चुम्बक

किसी लोहे के टुकड़े में विद्युत प्रवाहित कर उसे चुम्बक बनाया जा सकता है।

किसी लोहे के टुकड़े पर तार को लपेट कर उसमें जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो व्ह लोहे का टुकड़ा चुम्बक की तरह कार्य करने लगता है। इस तरह विद्युत धारा प्रवाहित कर बनाये गये चुम्बक को विद्युत चुम्बक कहते हैं।

विद्युत चुम्बक प्राकृतिक चुम्बक से अधिक शक्तिशाली होता है।

विद्युत चुम्बक का उपयोग बिजली से चलने वाले पंखे, विद्युत जनरेटर, आदि में किया जाता है।

कम्प्यूटर हार्ड डिस्क
चित्र13: कम्प्यूटर का हार्ड डिस्क

चुम्बक के कुछ उपयोग

(a) रेकॉर्डिंग में चुम्बकीय पट्टी का उपयोग किया जाता है।

(b) क्रेडिट और डेविट कार्ड में चुम्बकीय पट्टी का उपयोग किया जाता है। क्रेडिट और डेविट कार्डों पर लगी हुयी काली पट्टी चुम्बकीय पट्टी होती है। ये चुम्बकीय पट्टियाँ डेविट कार्ड और क्रेडिट कार्डों से संबंधित आवश्यक सूचनाओं को अंकित करने के लिए किया जाता है।

(c) पर्श के ढ़क्कनों में चुम्बक का उपयोग किया जाता है, ताकि वे आसानी से और मजबूती से चिपक सकें।

(d) आलमीरा आदि के दरवाजों में भी चुम्बक का उपयोग किया जाता है, ताकि वे आसानी तथा मजबूती से बंद हो सकें।

(e) कम्प्यूटर के हार्ड डिस्क में सूचनाएँ अंकित तथा संरक्षित करने के लिए चुम्बकीय डिस्क का उपयोग किया जाता है।

(f) लाउड स्पीकर में चुम्बक का उपयोग किया जाता है।

(g) विद्युत मोटर और विद्युत जनरेटर में चुम्बक का उपयोग किया जाता है।

(h) बहुत सारे खिलौनों में भी चुम्बक का उपयोग किया जाता है।

(i) स्क्रू ड्राइवर में भी चुम्बक का उपयोग होता है ताकि स्क्रू को लगाने के क्रम में आसानी हो सके।

(j) चुम्बक का उपयोग कुछ बीमारियों के ईलाज के लिए भी किया जाता है।

चुम्बक से जुड़ी कुछ सावधानियाँ

एक चुम्बक को रखने के समय कुछ सावधानियाँ आवश्यक है, क्योंकि चुम्बक को रखने में यदि ये सावधानियाँ नहीं रखी जाये, तो चुम्बक का चुम्बकत्व नष्ट हो सकता है।

(a) चुम्बक को गर्म नहीं करना चाहिए, क्योंकि गर्म करने पर चुम्बकीय गुण नष्ट हो सकता है।

(b) चुम्बक को हथौड़े आदि से पीटने पर उसका चुम्बकीय गुण नष्ट हो सकता है।

(c) यदि चुम्बक को किसी ऊँचाई से गिराया जाय, तो उसका चुम्बकीय गुण नष्ट हो सकता है।

एक चुम्बक को सही तरीके से नहीं रखने पर उसका चुम्बकत्व नष्ट हो सकता है, अत: चुम्बक को सावधानीपूर्वक रखा जाना चाहिए।

चुम्बक को सुरक्षित रखने के कुछ सुझाव

(a) एक छड़ चुम्बक हमेशा जोड़े में तथा उसके असमान ध्रुवों को एक साथ लगाकर रखना चाहिए।

(b) चुम्बक को रखते समय दो चुम्बकों के बीच एक लकड़ी का टुकड़ा रखना चाहिए तथा एक लोहे की पत्ती या टुकड़ा इनके सिरों से लगाकर रखना चाहिए।

(c) एक नाल चुम्बक को संरक्षित करते समय उसके दोनों ध्रुवों से सटाकर एक नर्म लोहे का टुकड़ा रखना चाहिए।

सारांश

(1) चुम्बक शब्द ग्रीस के एक शब्द "मैग्नस (Manges)" से आया है।

(2) प्राकृतिक चुम्बक मैग्नेटाइट नामक चट्टानीय खनिज से बना होता है।

(3) मैग्नेटाइट, जो कि एक चट्टानीय खनिज है में लोहे की मात्रा होती है, तथा इसमें लोहा तथा लोहे से बनी वस्तुएँ तथा अन्य चुम्बकीय पदार्थों को आकर्षित करने की क्षमता होती है।

(4) पदार्थ जो चुम्बक की ओर आकर्षित होते हैं, चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं, जैसे लोहा, कोबाल्ट तथा निकेल आदि।

(5) पदार्थ जो चुम्बक की ओर आकर्षित नहीं होते हैं, अचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं, जैसे रबर, प्लास्टिक, लकड़ी, आदि।

(6) एक चुम्बक के दो ध्रुव होते हैं।

(7) चुम्बक के ध्रुव जो उत्तर दिशा को सूचित करते हैं उत्तरी ध्रुव तथा जो दक्षिण दिशा को सूचित करते हैं दक्षिणी ध्रुव कहलाते हैं।

(8) एक चुम्बक को मुक्त रूप से लटकाने पर इसका उत्तरी ध्रुव उत्तर दिशा को और दक्षिणी ध्रुव दक्षिण दिशा को सूचित करता है।

(9) किसी दो चुम्बकों के असमान ध्रुव एक दूसरे को आकर्षित करते हैं तथा समान ध्रुव एक दूसरे को विकर्षित करते हैं। अर्थात दो चुम्बकों के दक्षिण ध्रुवों या उत्तर ध्रुवों में विकर्षण होता है तथा उत्तर ध्रुव और दक्षिण ध्रुव एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।

(10) किसी चुम्बक के दोनों ध्रुवों को अलग अलग नहीं किया जा सकता है। यदि किसी चुम्बक का दो टुकड़ा कर दिया जाये तो दोनों टुकड़ों चुम्बक की तरह व्यवहार करते हैं तथा दोनों चुम्बकों के दो दो ध्रुव होते हैं।

(11) चुम्बक का उपयोग खिलौनों, लाउड स्पीकर, स्पीकर, विद्युत मोटर, विद्युत जेनरेटर, डेविट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, कम्प्यूटर के हार्ड डिस्क, आदि में होता है।

(12) चुम्बक का उपयोग कई सारी बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है।

(13) चुम्बक का उपयोग कई सारी बीमारियों की जाँक करने की मशीन में भी किया जाता है।

चुम्बक से संबंधित प्रमुख शब्द और परिभाषाएँ

(a) कम्पास या दिकसूचक

कम्पास दिशा ज्ञान के लिये उपयोग में लायी जाने वाली एक युक्ति होती है। एक कम्पास, एक काँच के कवर वाली एक छोटी डिब्बी होती है जिसमें एक चुम्बकीय सूई लगी होती है। यह चुम्बकीय सूई एक पिन पर स्वतंत्र रूप से घूम सकती है, जिसके कारण वह दिशा को बतलाती है।

(b) चुम्बक

लोहे का टुकड़ा जो लोहा, कोबाल्ट और निकेल को आकर्षित करता है, चुम्बक कहलाता है।

(c) चुम्बकीय पदार्थ

पदार्थ जो चुम्बक की ओर आकर्षित होते हैं, चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। जैसे लोहा, निकेल, कोबाल्ट आदि।

(d) अचुम्बकीय पदार्थ

पदार्थ जो चुम्बक की ओर आकर्षित नहीं होते हैं, अचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। जैसे रबर, प्लास्टिक, लकड़ी आदि।

(e) मैग्नेटाइट

मैग्नेटाइट एक चट्टानीय खनिज है जिसमें चुम्बकीय पदार्थों को आकर्षित करने की क्षमता होती है। मैग्नेटाइट को प्राकृतिक चुम्बक भी कहा जाता है।

(f) चुम्बक का उत्तरी ध्रुव

किसी चुम्बक को मुक्त रूप से लटकाने के बाद उसके स्थिर होने पर वह सिरा जो उत्तर दिशा को दर्शाता है, चुम्बक का उत्तरी ध्रुव कहलाता है।

(f) चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव

किसी चुम्बक को मुक्त रूप से लटकाने के बाद उसके स्थिर होने पर वह सिरा जो दक्षिण दिशा को दर्शाता है, चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव कहलाता है।

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6th-science-home(hindi)

Reference:

Figure6 : Krishna Chaitanya Velaga / CC BY-SA, Link

Figure7: Fun With magnet, NCERT Book, Science class 6 page number 128

Figure8: By Newton Henry Black - Newton Henry Black, Harvey N. Davis (1913) Practical Physics, The MacMillan Co., USA, p. 242, fig. 200, Public Domain, Link

Figure9: By Geek3 - Own work, CC BY-SA 4.0, Link

Figure10: By Geek3 - Own work, CC BY-SA 4.0, Link

Figure11: By Geek3 - Own work, CC BY-SA 3.0, Link

Figure12: Fun With magnet, NCERT Book, class 6 science, page number: 131

Figure13: By Inklein - Own work, CC BY-SA 3.0, Link

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