गति एवं दूरियों का मापन: छठवीं विज्ञान


एसआई मात्रक: अंतर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली

वर्ष 1790 में फ्रांस में मापन के लिए एक मानक मात्रक का सुझाव दिया गया जिसके उपयोग पर धीरे धीरे सभी देशों द्वारा सहमति व्यक्त की गयी। इस मानक मापन प्रणाली को मिट्रिक प्रणाली या मीटर प्रणाली कहा जाता है। चूँकि इस मिट्रिक प्रणाली का धीरे धीरे सभी देशों में उपयोग होने लगा इसलिए इसे अंतर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली भी कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली को संक्षिप्त रूप में एसआई मात्रक कहा जाता है।

लम्बाई का मात्रक

एसआई मात्रक प्रणाली में लम्बाई के मात्रक को मीटर कहा जाता है जिसे प्राय: अंग्रेजी के छोटे अक्षर m या हिंदी में मी लिखकर दर्शाया जाता है।

एक मीटर को फिर 100 बराबर भागों में बाँटा गया है। इसमें एक भाग को सेन्टीमीटर कहा जाता है तथा इसे अंग्रेजी के दो छोटे अक्षरों को मिलाकार cm से संक्षिप्त रूप में दर्शाया जाता है। हिंदी में प्राय: सेंटीमीटर को संक्षिप्त रूप में सेंo मीo लिखकर दर्शाया जाता है।

अर्थात 1 मीटर = 100 सेन्टीमीटर

फिर एक सेंटीमीटर को 10 बराबर भागों में बाँटा गया है जिसमें एक भाग को मिलीमीटर कहा जाता है। मिलीमीटर को संक्षिप्त रूप में अंग्रेजी के दो छोटे अक्षरों mm से दर्शाया जाता है तथा हिंदी में इसे प्राय: संक्षिप्त रूप में मिoमीo लिखा जाता है।

मीटर, सेंटीमीटर तथा मिलीमीटर का उपयोग छोटी लम्बाई तथा दूरी को मापने में किया जाता है।

बड़ी दूरियों को मापने के लिए मात्रक के रूप में किलोमीटर का उपयोग किया जाता है जिसे संक्षिप्त रूप से अंग्रेजी के दो छोटे अक्षरों को मिलाकर km से निरूपित किया जाता है। इसे हिंदी में संक्षिप्त रू में किमी लिखकर दर्शाया जाता है।

एक किलोमीटर में 1000 मीटर होते हैं।

1 मीटर (m) = 100 सेंटीमीटर (cm)

1 सेंटीमीटर (cm) = 10 मिलीमीटर (mm)

1 किलोमीटर (km) = 1000 मीटर (m)

इन मात्रकों का आरोही क्रम निम्नांकित है:

10 मिलीमीटर (mm) = 1 सेंटीमीटर (cm)

100 सेंटीमीटर (cm) = 1 मीटर (m)

1000 मीटर (m) = 1 किलोमीटर (km)

इन मात्रकों से प्रचलित होने पर छोटी लम्बाई को मीटर, सेंटीमीटर तथा मिलीमीटर में मापा जाने लगा तथा बड़ी दूरियों यथा दो शहरों या जगहों के बीच की दूरी को किलोमीटर में मापा जाने लगा।

लम्बाई की यथार्थ (परिशुद्ध) माप

लम्बाई या किसी भी मापन की शुद्धता के लिए सही युक्तियों के साथ साथ सही विधि का उपयोग भी आवश्यक है। दैनिक जीवन में विभिन्न मापन के लिए विभिन्न प्रकार की युक्तियों के साथ विभिन्न विधि तथा मात्रक का उपयोग किया जाता है।

एक दर्जी इस मापन के लिए मीटर टेप का उपयोग करता है जबकि एक कपड़ा व्यापारी कपड़े को मापने के लिए मीटर रॉड का उपयोग करता है। दोनों प्रकार की मापन युक्तियों, मीटर टेप तथा मीटर रॉड का अपना महत्व है तथा दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।

एक दर्जी किसी व्यक्ति के लिए पोशाक को सीने से पहले उस व्यक्ति के पूरे शरीर यथा हाथ, गले, आदि का माप लेता है ताकि वह पोशाक उस व्यक्ति के सही माप का बन सके। इस माप को लेने के लिए एक दर्जी मीटर टेप का उपयोग करता है। तथा कपड़े को काटने से पहले उसपर माप को चिन्हित करने के लिए मीटर टेप तथा लकड़ी के बने स्केल का उपयोग करता है। इस माप के लिए मीटर रॉड उपयुक्त युक्ति नहीं होगी क्योंकि मीटर रॉड के उपयोग से सीने का माप या कमर का माप नहीं लिया जा सकता।

उसी प्रकार एक कपड़ा व्यापारी कपड़े को काटने से पहले उसे मापने के लिए मीटर रॉड का उपयोग करता है। इस कार्य के लिए मीटर टेप का भी उपयोग किया जा सकता है लेकिन मीटर रॉड का उपयोग अधिक सुविधाजनक है।

उसी प्रकार एक बृक्ष की मोटाई को मापने के लिए मीटर टेप का उपयोग उपयुक्त होगा मीटर रॉड का नहीं।

नोटबुक पर खींची गयी सरल रेखा को ज्यामिति बॉक्स में दिये जाने वाले छोटे स्केल के उपयोग से आसानी से मापा जा सकता है। इस कार्य के लिए मीटर टेप या मीटर रॉड का उपयोग करना असुविधाजनक होगा। उसी प्रकार एक पेंसिल की लम्बाई छोटे स्केल से आसानी से मापा जा सकता है, इस कार्य के लिए मीटर रॉड का उपयोग असुविधाजनक होगा।

मापन के समय आँख की सही स्थिति

मापन की शुद्धता के लिए सही युक्ति के साथ साथ आँख की सही स्थिति भी महत्वपूर्ण है।

किसी वस्तु यथा एक पेंसिल की लम्बाई को किसी स्केल से मापते समय आँख की स्थिति ठीक उस बिंदु के सामने होना चाहिए जहाँ से मापन किया जा रहा है। यदि आँख की स्थिति लम्बाई के मापन के लिए लिए गये बिंदु के सामने नहीं होकर तिरछी होती है तो मापन में शुद्धता नहीं होगी बल्कि मापन का फल अशुद्ध हो सकता है।

अत: मापन के लिए आँखों की स्थिति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि मापन के लिए युक्ति का चयन करना।

एक वक्र रेखा की लम्बाई का मापन

किसी वक्र रेखा को केवल स्केल या मीटर टेप के उपयोग से सीधे तौर पर नहीं मापा जा सकता है। बल्कि एक वक्र रेखा की लम्बाई को मापने के लिए दो वस्तुओं की आवश्यकता होगी प्रथम एक धागा तथा दूसरी एक मीटर टेप या एक स्केल।

एक वक्र रेखा की लम्बाई कैसे मापें?

* अपनी नोट बुक पर एक वक्र रेखा खींचें।

* एक धागा लें तथा उसके एक सिरे पर एक गाँठ बाँध दें।

* अब गाँठ वाले भाग को वक्र रेखा के एक सिरे पर एक हाथ की अंगुली से रखकर पकड़े। गाँठ वाले सिरे को एक पिन की सहायता से वक्र रेखा के एक सिरे पर स्थिर भी कर सकते हैं।

* तथा दूसरी हाथ से सावधानीपूर्वक धागे को वक्र रेखा के ऊपर रेखा के अनुसार इस तरह रखें कि धागा वक्र रेखा के अनुसार उसके ठीक उपर आ जाये।

* वक्र रेखा के अंत में पहुँचने पर धागे के उस भाग पर एक स्केच पेन की मदद से चिन्ह बना लें जहाँ रेखा खत्म होती है।

* अब धागे उठाकर उसे सीधा तान कर पकड़ें तथा स्केल की मदद से गाँठ वाले सिरे से स्केच के निशान तक की लम्बाई को माप लें।

* धागे की यह लम्बाई (गाँठ वाले भाग से स्केच निशान तक) वक्र रेखा की लम्बाई होगी।

इस प्रकार हमने सीखा कि किसी वक्र रेखा की लम्बाई एक धागे तथा एक स्केल की सहायता से कैसे माप सकते हैं।

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Reference:

NCERT Solution and CBSE Notes for class twelve, eleventh, tenth, ninth, seventh, sixth, fifth, fourth and General Math for competitive Exams. ©