हमारे चारों ओर की गतिशील वस्तुएँ
हम अपने चारों ओर बहुत सारी वस्तुएँ देखते हैं। इन वस्तुओं में कुछ गतिशील होते हैं तथा कुछ गतिशील नहीं होते हैं। वस्तुएँ जो गतिशील होती हैं की अवस्था को गत्यावस्था या गति की अवस्था तथा जो गतिशील नहीं होती हैं की अवस्था को विरामावस्था या विराम अवस्था कहा जाता है।
गत्यावस्था तथा विरामावस्था
वस्तुएँ जो समय के साथ साथ स्थान परिवर्तन करती हैं उनको गत्यावस्था या गति की अवस्था या गतिशील में कहा जाता है। तथा जब कोई वस्तु समय के साथ साथ स्थान परिवर्तन नहीं करती है तो वैसी वस्तुओं को विरामावस्था या विराम की अवस्थामें कहा जाता है।
गत्यावस्था में वस्तुओं के उदाहरण:
एक दौड़ता हुआ कुत्ता, एक दौड़ती हुयी बिल्ली, सड़क पर दौड़ती एक कार, सड़क पर जाता हुआ एक साइकल सवार, पृथ्वी, चंद्रमा, ग्रह, उड़ता हुआ वायुयान, आदि गत्यावस्था में वस्तुओं के कुछ उदाहरण हैं।
एक कुत्ता जो दौड़ रहा है या चल रहा है, मान लिया कि एक बिजली के खम्भे के पास था जो कुछ समय पश्चात दूसरी जगह पहुँच गया। अर्थात समय बीतने के साथ साथ कुत्ते के स्थान में परिवर्तन हो जाता है, अत: यह कुत्ता गत्यावस्था में है।
उसी प्रकार सड़क पर खड़े होकर जब हम देखते हैं कि एक बस या कार दूर से आ रही तथा कुछ समय पश्चात हमसे आगे निकल जाती है। अर्थात समय बीतने के साथ साथ उस बस या कार के स्थान में परिवर्तन होता है, इसलिए हम कह सकते हैं कि यह बस या कार गति की अवस्था में है या गत्यावस्था में है।
विरामावस्था में वस्तुओं के उदाहरण:
एक रूकी हुयी बस, एक बैठा हुआ कुत्ता, एक पेड़, एक बिजली का खम्भा, एक घर, आदि विरामावस्था में वस्तुओं के कुछ उदाहरण हैं।
गति के प्रकार
हम अपने चारों ओर बहुत सारी वस्तुओं को गतिशील अवस्था में देखते हैं। परंतु जब हम उसकी गति का अवलोकन करते हैं तो पाते हैं कि सभी वस्तुओं की गति का तरीका समान नहीं है। कुछ वस्तुएँ एक ही जगह रूककर ईधर उधर हिलती रहती है, जैसे हवा से हिलती हुई पेड़ की पत्तियाँ, घड़ी की सूई, आदि। जबकि कुछ वस्तुएँ जैसे कि एक चलती हुयी बस सड़क पर एक दिशा से दूसरी दिशा की ओर जा रही होती है। झूले पर बच्चे की गति ऊपर नीचे या आगे पीछे होती रहती है। मक्खियाँ ईधर उधर उड़ती रहती हैं। इस प्रकार हम देख सकते हैं विभिन्न वस्तुएँ अलग अलग प्रकार से गति करती हैं।
अत: गति की प्रकार के अनुसार वस्तुओं की गति को निम्नांकित भागों में बाँटा जा सकता है:
(a) सीधी रेखा में गति: सरल रेखीय गति
(b) वृत्तीय गति
(c) आवर्ती गति
(d) टेढ़ी मेढ़ी गति
(a) सरल रेखा के अनुदिश गति: सरल रेखीय गति
यदि कोई वस्तु एक सरल रेखा के अनुदिश अर्थात सरल रेखा में चल रही हो तो वस्तु की ऐसी गति को सरल रेखीय गति कहा जाता है।
उदाहरण:
एक सीधी सड़क पर दौड़ता हुआ एक कुत्ता, सीधी रेखा में दौड़ती हुयी एक बिल्ली, सीधी रेखा में जाता हुआ एक फुटबॉल, सीधी सड़क पर दौड़ती हुयी एक कार, सेना का मार्च पास्ट, आदि सरल रेखीय गति के कुछ उदाहरण हैं।
सेना का मार्च पास्ट सीधी रेखा में होता है, अत: यह एक सरल रेखीय गति है।
बल्ले से मारने के बाद क्रिकेट का बॉल सीधी रेखा में जाता है, अत: यह एक सरल रेखीय गति का उदाहरण है।
अत: किसी भी वस्तु की सरल रेखा के अनुदिश गति सरल रेखीय गति है।
(b) वृत्तीय गति
यदि कोई वस्तु वृत्तीय पथ के अनुदिश चल रही हो, तो ऐसी गति को वृत्तीय गति कहा जाता है।
उदाहरण
(1) पंखे के पत्तियों की गति।
पंखे की पत्तियाँ वृत्तीय पथ के अनुदिश चलती है, अत: पंखे के पत्तियों की या पत्तियों के किनारों की या किसी पत्ती पर बने किसी चिन्ह की गति वृत्तीय गति होती है।
यदि पंखे की एक पत्ती पर कोई निशान बना दिया जाये तथा पंखे को चला दिया जाय तो उस चिन्ह की दूरी हमेशा केंद्र से बराबर रहेगी। अर्थात पत्ती पर उस चिन्ह की गति वृत्तीय गति है।
(2) यदि एक साइकल सवार वृत्तीय पथ पर चल रहा है तो यह गति वृत्तीय गति कहलाती है।
(3) यदि पत्थर के एक छोटे टुकड़े को किसी डोरी के एक सिरे पर बांध दिया जाय तथा डोरी के दूसरे सिरे को घुमाया जाय, तो उस पत्थर की दूरी केंद्र से हमेशा बराबर रहेगी और यह गति वृत्तीय गति कहलायेगी।
(4) घड़ी के सूई के किनारों की गति वृत्तीय गति होती है।
(5) आपने मेलों में मौत के कुँए में साइकल, मोटरसाइकल या कार चलाते हुए अवश्य देखा होगा। चूँकि मौत के कुँए में साइकल, मोटरसाइकल या कार को वृत्तीय पथ के अनुदिश चलाया जाता है, अत: यह गति वृत्तीय गति होती है।
अत: कोई भी वस्तु जो वृत्तीय पथ पर गति कर रही हो वृत्तीय गति कहलाती है।
(c) आवर्ती गति
जब कोई वस्तु एक गति को निश्चित पथ पर निश्चित समय अंतरात के बाद दोहराती है, तो ऐसी गति को आवर्त्ती गति कहा जाता है।
उदाहरण
बच्चों के झूले की आगे-पीछे की गति, सी-शॉ जो एक प्रकार का झूला होता है जिसपर बच्चे दोनों किनारों पर बैठकर ऊपर नीचे जाते हैं, की गति, गिटार के तारों की गति, घड़ी के पेंडुलम की गति, आदि आवर्ती गति के कुछ उदाहरण हैं।
आवर्ती गति दर्शाने का क्रियाकलाप
* पत्थर का एक छोटा टुकड़ा तथा एक लगभग 20 सेंटीमीटर लम्बा घागा लें।
* पत्थर के इस छोटे टुकड़े को धागे के एक सिरे पर बाँध दें।
* धागे के दूसरे सिरे को हाथ में पकड़कर पत्थर के टुकड़े को नीचे स्वतंत्र रूप से लटकने दें।
* अब पत्थर के टुकड़े को दूसरे हाथ से खींचकर एक ओर ले जाकर छोड़ दें।
आप देखेंगे कि पत्थर का टुकड़ा एक ओर से दूसरी ओर तक झूलने लगेगा तथा बार बार यह क्रिया होती रहेगी। इस प्रकार की युक्ति पेंडुलम कहलाती है। पेंडुलम की गति आवर्ती गति होती है।
पुराने समय में दीवार घड़ी में पेंडुलम लगा होता था, बल्कि आज भी कुछ इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों में पेंडुलम लगे होते हैं।
(d) टेढ़ी मेढ़ी गति
आपने मक्खियों तथा मच्छरों को उड़ते हुए देखा होगा। मच्छर तथा मक्खियाँ प्राय: इधर उधर उड़ती हैं, इनकी गति प्राय: न तो सीधी रेखा में होती है और न ही किसी निश्चित दिशा में। ऐसी गति जिसकी कोई निश्चित दिशा न हो अर्थात टेढ़ी मेढ़ी हो, को टेढ़ी मेढ़ी गति कहा जाता है। इस टेढ़ी मेढ़ी गति को अंग्रेजी में जिग जैक गति कहा जाता है।