परिवर्तन क्या होता है
जब कोई छोटा पौधा एक पेड़ बन जाता है, तो इसे परिवर्तन कहा जाता है। जब बर्फ पिघल कर पानी बन जाता है, तो यह परिवर्तन कहलाता है। जब पानी जम कर बर्फ बन जाता है, तो इसे परिवर्तन कहते हैं। जब कोई बल्ब जलता है, तो इसे परिवर्तन कहते हैं। जब एक व्यक्ति नये कपड़े पहनता है, तो इसे परिवर्तन कहते हैं। जब पॉलिश करने पर जूता चमकने लगता है, तो इसे परिवर्तन कहते हैं। जब सूरज उगता है, तो इसे परिवर्तन कहते हैं। जब सूरज में डूबता है, तो इसे परिवर्तन कहते हैं। हम चंद्रमा को घटते या बढ़ते देखते हैं, तो यह भी परिवर्तन कहलाता है।
इस तरह हम अपने आस पास कई तरह के परिवर्तन देखते हैं। इस तरह हम पाते हैं कि हमारा जीवन परिवर्तनों से भरा पड़ा है। दरअसल बिना परिवर्तन के जीवन संभव ही नहीं है। अत: यह आवश्यक हो जाता है कि जीवन में तथा आसपास होने वाले परिवर्तनों का क्रमिक और वैज्ञानिक अध्ययन किया जाय।
चित्र1बीज से पौधों का बनना: एक धीमा परिवर्तन
प्रत्येक दिन होने वाले परिवर्तनों को समझने के लिए, परिवर्तनों को कई भागों में बाँटा गया है।
परिवर्तन का वर्गीकरण
तेज तथा धीमा परिवर्तन
कुछ परिवर्तन तेजी से होता है तथा कुछ काफी धीरे। अर्थात कुछ परिवर्तनों को होने में काफी समय लगता है जबकि कुछ परिवर्तन तुरत हो जाते हैं।
त्वरित परिवर्तन या तेजी से होने वाले परिवर्तन
वैसे परिवर्तन जिनके होने में बहुत ही कम समय लगता है, या बहुत ही कम समय में होने वाले परिवर्तन को त्वरित परिवर्तन या तेज परिवर्तनया द्रुत परिवर्तनकहा जाता है। जैसे कि पटाखे का फूटना, बर्फ का पिघलना, माचिस की तीली का जलना, इत्यादि त्वरित परिवर्तन या तेज परिवर्तनया द्रुत परिवर्तनके कुछ उदाहरण हैं।
धीमा परिवर्तन
वैसे परिवर्तन जिसके होने में काफी समय लगता है, को धीमा परिवर्तन या स्लो चेंजकहते हैं। किसी मनुष्य का उम्र बढ़ना, किसी पशु का उम्र बढ़ना, पेड़ों का बढ़ना, लोहे में जंग का लगना, आदि जैसे परिवर्तन को होने में काफी समय लगता है, तथा इस प्रकार के परिवर्तन धीमा परिवर्तन या स्लो चेंजके उदाहरण हैं।
उत्क्रमणीय (परिवर्तनीय) और अनुत्क्रमणीय (अपरिवर्तनीय) परिवर्तन (रिवर्सिवल और इर्रिवर्सिवल चेंज)
उत्क्रमणीय परिवर्तन या प्रतिवर्ती परिवर्तन या परिवर्तनीय परिवर्तन (रिवर्सिवल चेंज)
वैसे परिवर्तन जिसे उत्क्रमित (Reverse) अर्थात वापस किया जा सकता है, उसे उत्क्रमणीय परिवर्तन या प्रतिवर्ती परिवर्तन या परिवर्तनीय परिवर्तन (रिवर्सिवल चेंज)कहा जाता है।इसका अर्थ है यदि परिवर्तन होने के पश्चात किसी पदार्थ को वापस पुराने रूप में लाया जा सकता है, तो ऐसे परिवर्तन को उत्क्रमणीय परिवर्तन या प्रतिवर्ती परिवर्तन या परिवर्तनीय परिवर्तन (रिवर्सिवल चेंज)कहा जाता है।
उदाहरण:जल का जलवाष्प में परिवर्तन। जल के जलवाष्प में परिवर्तन के पश्चात जलवाष्प को पुन: जल में परिवर्तित किया जा सकता है। अत: जल का जलवाष्प में परिवर्तन उत्क्रमणीय परिवर्तन है।
बर्फ का पिघलकर पानी में बदलना, पानी का गर्म होकर वाष्प में बदलना, वाष्प का ठंढ़ा होकर पानी में बदलना, तथा पानी का जम कर बर्फ में बदलना, सभी उत्क्रमणीय परिवर्तनहैं।
चीनी का जल में घुलना। चीनी को जल में घोलने के बाद उस घोल को गर्म कर सुखा कर पुन: चीनी में बदला जा सकता है। अत: यह उत्क्रमणीय परिवर्तन है।
पानी का आसवन (Distillation) एक उत्क्रमणीय परिवर्तनहै। इस प्रक्रिया में जल को पहले गर्म कर वाष्प में बदला जाता है, तथा वाष्प को संघनित (ठंढ़ा) कर पुन: जल में बदला जाता है। इस तरह जल में वर्तमान अशुद्धि पात्र में बची रह जाती है और विशुद्ध जल (आसवित जल) प्राप्त होता है। अत: जल का वाष्पीकरण और जल का संघनन दोनों ही उत्क्रमणीय परिवर्तनहैं।
उसी प्रकार मोम का पिघलना, कागज या कपड़े का मोड़ना, आदि उत्क्रमणीय परिवर्तनके कुछ उदाहरण हैं क्योंकि इन परिवर्तनों के पश्चात भी पदार्थ को पुरानी स्थिति में लाया जा सकता है।
अपरिवर्तनीय परिवर्तन या अनुत्क्रमणीय परिवर्तन या अप्रतिवर्ती परिवर्तन
वैसे परिवर्तन जिसके पश्चात पदार्थ को पुराने रूप में नहीं लाया जा सकता है, अपरिवर्तनीय परिवर्तन या अनुत्क्रमणीय परिवर्तन या अप्रतिवर्ती परिवर्तनकहा जाता है।
उदाहरण: कोयले का जलना, पेपर का जलना, किसी प्राणी की उम्र का बढ़ना, किसी व्यक्ति का बूढ़ा होना, पेड़ का बढ़ना, दूध से दही बनना, आदि अपरिवर्तनीय परिवर्तन या अनुत्क्रमणीय परिवर्तन या अप्रतिवर्ती परिवर्तनके कुछ उदाहरण हैं।
भौतिक परिवर्तन और रासायनिक परिवर्तन (फिजिकल एंड केमिकल चेंज)
भौतिक परिवर्तन
यदि परिवर्तन के बाद किसी पदार्थ के केवल भौतिक गुणों में परिवर्तन होता है, तो वैसे परिवर्तन को भौतिक परिवर्तन (फिजिकल चेंज)कहते हैं।
पानी का वाष्पीकरण, जलवाष्प का संघनन, जल का जमना, बर्फ का पिघलना, लोहे की छड़ का गर्म होना, आदि भौतिक परिवर्तन (फिजिकल चेंज)के कुछ उदाहरण हैं।
भौतिक परिवर्तन उत्क्रमणीय होते हैं अर्थात भौतिक परिवर्तन के बाद भी पदार्थ को पुन: पुराने रूप में प्राप्त किया जा सकता है।
रासायनिक परिवर्तन (केमिकल चेंज)
जब किसी पदार्थ के संघटक में परिवर्तन होता है अर्थात रासायनिक गुणों में परिवर्तन होता है तथा एक नये पदार्थ का निर्माण होता है, तो ऐसे परिवर्तन को रासायनिक परिवर्तन (केमिकल चेंज) कहा जाता है।
रासायनिक परिवर्तन अपरिवर्तनीय होते हैं, अर्थात रासायनिक परिवर्तन के पश्चात पदार्थ को वापस नहीं पाया जा सकता है। हालाँकि रासायनिक परिवर्तन के पश्चात भी कुछ पदार्थों को रासायनिक विधि द्वारा वापस प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन प्राय: अधिकांश रासायनिक परिवर्तन, अपरिवर्तनीयहोते हैं।
उदाहरण
कोयले का जलना। कोयले के जलने के पश्चात उष्मा, प्रकाश, धुँआ, जलवाष्प, कार्बन डॉयऑक्साइड बनता है। इन पदार्थों से वापस कोयला नहीं प्राप्त किया जा सकता है। अत: कोयले का जलना एक रासायनिक परिवर्तन (केमिकल चेंज)है।
किसी भी पदार्थ का जलना एक रासायनिक परिवर्तन (केमिकल चेंज)है।
चंद्रमा की विभिन्न कलाएँ: चंद्रमा के आकार का बढ़ना और कम होना: एक प्राकृतिक परिवर्तन
प्राकृतिक परिवर्तन और मानव निर्मित या कृत्रिम परिवर्तन
प्राकृतिक परिवर्तन
बहुत सारे परिवर्तन प्राकृतिक रूप से होते हैं। अर्थात प्राकृतिक परिवर्तन अपने आप होते हैंतथा उनपर मनुष्यों का नियंत्रण नहीं है। जैसे दिन और रात का होना, सूरज का उदय और अस्त होना, चंद्रमा की आकृति में परिवर्तन, बादल का बनना, बादल से बर्षा होना, उम्र का बढ़ना, आदि प्राकृतिक परिवर्तनके कुछ उदाहरण हैं, इन परिवर्तनों पर मनुष्य का नियंत्रण नहीं है।
अत: प्राकृतिक द्वारा होने वाले परिवर्तन को प्राकृतिक परिवर्तन (नैचुरल चेंज) कहा जाता है।
मानव निर्मित परिवर्तन या कृत्रिम परिवर्तन
बहुत सारे परिवर्तन मानव द्वारा किये जाते हैं, जैसे मक्खन से घी बनाना, लकड़ी को जलाना, कोयले को जलाना, लकड़ी को काटकर फर्नीचर बनाना, कुँआ खोदना, तालाब खोदना, बिजली का उत्पादन, बाँध बनाना आदि।
अत: वैसे परिवर्तन जो मानव द्वारा किये जाते हैं, मानव निर्मित या कृत्रिम परिवर्तनकहलाते हैं।