हमारे चारों ओर के परिवर्तन: छठवीं विज्ञान


वांछित-अवांछित परिवर्तन

कुछ परिवर्तन वांछित होते हैं अर्थात वह फायदा पहुँचाने वाले होते हैं, जबकि कुछ परिवर्तन अवांछित अर्थात मनुष्य को नुकसान पहुँचाने वाले होते हैं।

वांछित परिवर्तन (डिजायरेवल परिवर्तन)

वैसे परिवर्तन जो वांछित होते हैं, अर्थात मनुष्य की इच्छा के अनुरूप होता है, वांछित परिवर्तनकहते हैं। उदाहरण के लिए दूध का दही में परिवर्तन, भोजन का पाचन, पौधों द्वारा ऑक्सीजन का छोड़ा जाना, आदि कुछ वांछित परिवर्तनहैं।

इसका अर्थ है कि वैसे परिवर्तन जो लाभकारी है, वांछित परिवर्तनहोते हैं। अत: दूसरे शब्दों में लोगों के लिए लाभकारी परिवर्तनों को वांछित परिवर्तनकहा जाता है।

ज्वालामुखी का फटना

 

चित्र1 ज्वालामुखी का फटना

अवांछित परिवर्तन (अनडिजायरेवल चेंज)

अलाभकारी परिवर्तन अर्थात वैसे परिवर्तन जो हानिकारक हैं, अवांछित परिवर्तनकहते हैं। उदाहरण के लिए ज्वालामुखी का फटना, बादल का फटना, भूकम्प का होना, नदियों के बांध का टूटना, आदि अवांछित परिवर्तनहैं।

परिवर्तन के कारण

प्रत्येक परिवर्तन के कुछ न कुछ कारण होते हैं। परिवर्तनों के सामान्य कारण

(a) तापमान

(b) दाब या बल

(c) जैविक प्रक्रिया

(d) दो पदार्थों का मिश्रित होना

(e) किसी पदार्थ का जलना

तापमान के कारण परिवर्तन

अनेक परिवर्तन तापमान में परिवर्तन के कारण होते हैं।

उदाहरण: एक लोहे के छड़ को गर्म करने वह फैल जाता है। जल को गर्म करने पर वह वाष्प में परिवर्तित हो जाता है, तथा जल को ठंढ़ा करने पर वह जम कर बर्फ बन जाता है।

दाब कम होने या बढ़ने के कारण परिवर्तन

दाब के कम होने या बढ़ने के कारण बहुत तरह के परिवर्तन होते हैं।

उदाहरण:जब किसी बैलून में हवा भरा जाता है, तो दाब बढ़ने के कारण वह फूल जाता है। तथा उसी फूले हुए बैलून पर जब ऊपर से अधिक दाब डाला जाता है, या और अधिक हवा भरी जाती है, तो दाब अधिक होने के कारण वह फूट जाता है।

हवा का दबाव एक स्थान पर कम होने से दूसरे स्थान की हवा उसे भरने के लिए तेजी से चलने लगती है, तथा आँधी आ जाती है। बाँध में पानी का दबाब अधिक हो जाने के कारण अक्सर बाँध टूट जाते हैं, आदि। ये सभी परिवर्तन दबाव में होने वाले बदलाव के कारण होते हैं।

एक नहर

 

चित्र2 एक नहर: नदी के जल को बांध कर उसे परिवर्तित कर सिंचाई के लिए उपयोग किया जाना। एक मानव निर्मित परिवर्तन है।

जैविक प्रक्रिया के कारण होने वाले परिवर्तन

जैविक प्रक्रियाओं के कारण अनेक प्रकार के परिवर्तन होते हैं। जैसे पेड़ों का बढ़ना, जानवरों का उम्र बढ़ना, फलों का पकना, नाखून का बढ़ना, भोजन का पाचन, खून के द्वारा ऑक्सीजन का परिवहन, आदि जैविक प्रक्रिया द्वारा होने वाले कुछ परिवर्तन हैं।

दो पदार्थों के मिलने के कारण होने वाले परिवर्तन

बहुत सारे परिवर्तन दो पदार्थों के मिलने के कारण या दो पदार्थों के बीच होने वाले प्रतिक्रिया के कारण होते हैं। जैसे जल में चीनी के मिलाने के से जल का मीठा हो जाना, जल में नमक का घुलना, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच प्रतिक्रिया होने से जल का बनना, आदि दो या दो से अधिक पदार्थों के मिलने मिलने के कारण होने वाले परिवर्तन हैं।

दूध पनीर का बनना, दूध में नींबू या अन्य किसी खट्टे पदार्थ के मिलाने से होने वाला परिवर्तन है। जब दूध में नींबू का रस या सिरका मिलाया जाता है तो पनीर बन जाता है। दूध से पनीर का बनना एक अपरिवर्तनीय परिवर्तन है क्योंकि पनीर से वापस दूध नहीं प्राप्त किया जा सकता है।

जलने के कारण परिवर्तन का होना

कई सारे परिवर्तन जलने के कारण होते हैं। जैसे लकड़ी या कोयले को जलाने पर उष्मा, जलवाष्प आदि प्राप्त होता है। जलने के होने वाले परिवर्तन अपरिवर्तनीय परिवर्तन हैं।

सारांश

प्रकृति में अनेक परिवर्तन होते रहते हैं।

परिवर्तन कई प्रकार के होते हैं।

द्रुत और धीमा परिवर्तन: परिवर्तन जो द्रुत गति से अर्थात काफी तेजी से होते हैं, द्रुत परिवर्तन या तेज परिवर्तनकहलाता है, जैसे पटाखे का फूटना, बल्ब का जलना, बल्ब का बुझना, गैस का आग पकड़ना, आदि द्रुत परिवर्तन के उदाहरण हैं। और वैसे परिवर्तन जो काफी धीरे धीरे होते हैं, अर्थात जिनके होने में काफी समय लगता है, धीमा परिवर्तनकहते हैं, जैसे पेड़ पौधों का बढ़ना, उम्र का बढ़ना, आदि धीमा परिवर्तनके कुछ उदाहरण हैं।

उत्क्रमणीय परिवर्तन और अपरिवर्तनीय परिवर्तन: परिवर्तन जिसे पुन: उत्क्रमित अर्थात वापस (उलटा)(रिवर्स) किया जा सके उत्क्रमणीय परिवर्तनकहलाता है। इसका अर्थ है कि परिवर्तन होने के बाद यदि पदार्थ को पुराने स्वरूप में वापस लाया जा सके, तो वैसे परिवर्तन को उत्क्रमणीय परिवर्तनकहा जाता है। जैसे पानी से बर्फ का जमना, पानी से जलवाष्प का बनना, किसी लोहे की छड़ का गर्म होना, आदि उत्क्रमणीय परिवर्तनके कुछ उदाहरण हैं। और वैसे परिवर्तन जिसे उलटा नहीं किया जा सके अर्थात परिवर्तन होने के बाद पदार्थ को पुराने स्वरूप में नहीं लाया जा सके अपरिवर्तनीय परिवर्तन या अनुत्क्रमणीय परिवर्तनकहा जाता है।जैसे मोम का जलना, कोयले का जलना, रासायनिक परिवर्तन के बाद नये पदार्थ का बनना, उम्र का बढ़ना, आदि अपरिवर्तनीय परिवर्तनके कुछ उदाहरण हैं।

प्राकृतिक परिवर्तन और कृत्रिम परिवर्तन: वैसे परिवर्तन जो प्रकृति के द्वारा होते हैंप्राकृतिक परिवर्तनकहलाते हैं, जैसे पृथ्वी का घूमना,अ सूरज का उदय और अस्त होना, चंद्रमा के आकार का बढ़ना और घटना, ज्वार भाटा, बर्षा का होना, ऋतुओं का बदलना, आदि प्राकृतिक परिवर्तनके कुछ उदाहरण हैं। प्राकृतिक परिवर्तनोंपर मानव का नियंत्रण नहीं होता है।

कृत्रिम परिवर्तनवैसे परिवर्तन जो मानव के द्वारा किये जाते हैं, कृत्रिम परिवर्तनकहलाते हैं। जैसे साइकिल को चलाना, पटाखे को फोड़ना, नाखून तथा बाल को काटना, कोयले को जलाना, दूध से पनीर बनाना, दूध से दही बनाना, दूध से घी निकालना, आदि कृत्रिम परिवर्तनके कुछ उदाहरण हैं।

भौतिक परिवर्तन और रासायनिक परिवर्तन: वैसे परिवर्तन जिनमें पदार्थ के केवल भौतिक गुणों में परिवर्तन होता है, उन्हें भौतिक परिवर्तनकहा जाता है। इसका अर्थ है कि यदि किसी भी पदार्थ के केवल आकार, रंग, तापमान, आदि जिन्हें भौतिक गुण कहा जाता है, में परिवर्तन होता है, तो वैसे परिवर्तन को भौतिक परिवर्तनकहा जाता है। जैसे कागज का मोड़ना, लोहे की छड़ का गर्म होकर लाल होना, मोम का पिघलना, पानी का बर्फ के रूप में जमना, बर्फ का पिघलना, पानी का गर्म होकर वाष्प में बदल जाना, आदि भौतिक परिवर्तनके कुछ उदाहरण हैं। भौतिक परिवर्तनप्राय: उत्क्रमणीय परिवर्तनहोते हैं।

रासायनिक परिवर्तन: वैसे परिवर्तन जिनमें पदार्थ के रासायनिक गुणों में बदलाव हो जाता है, को रासायनिक परिवर्तनकहते हैं। जैसे दूध से दही का बनना, दूध से पनीर का बनना, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन गैसों का मिलकर जल बनना, कोयले का जलना, कपड़े या कागज का जलना, आदि। प्राय: सभी रासायनिक परिवर्तनअपरिवर्तनीय होते हैं।

वांछित परिवर्तन और अवांछित परिवर्तन: वैसे परिवर्तन जो मनुष्य की इच्छाओं के अनुरूप होता है, अर्थात परिवर्तन से मनुष्य को लाभ होता है, वांछित परिवर्तनकहलाता है। जैसे दूध से दही का बनना, दूध से पनीर का बनना, डैम से सिंचाई के लिए पानी का छोड़ा जाना, कपड़ों को काटकर पोशाक बनाना, आदि।

वैसे परिवर्तन जिनसे मनुष्य को हानि होती है, अर्थात मनुष्य की इच्छाओं के अनुरूप नहीं होता है, को अवांछित परिवर्तनकहते हैं। जैसे बांध का टूटना, बाढ़ आना, भूकम्प का आना, तूफान का आना, सुनामी का आना, ज्वालामुखी का फटना, आदि अवांछनीय परिवर्तनके कुछ उदाहरण हैं।

परिवर्तन होने के कुछ न कुछ कारण होते हैं। परिवर्तन होने के कुछ निम्नांकित कारण होते हैं:

(a) तापमान का बढ़ना या कम होना

(b) दाब का कम होना या बढ़ना।

(c) जैविक प्रक्रियाएँ

(d) दो पदार्थो का मिलना

(e) किसी वस्तु का जलना

 

(f) बल का लगना

 

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Reference:

संदर्भ चित्र1: By Steven W. Dengler - Own work by the original uploader, CC BY-SA 3.0, Link

संदर्भ चित्र2 By CristianChirita - Own work, CC BY-SA 3.0, Link

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