अवसादन, निस्तारण, तथा निस्यंदन
अवसादन तथा निस्तारण
अवसादन तथा निस्तारण की प्रक्रिया द्वारा किसी द्रव तथा अघुलनशील ठोस के मिश्रण को अलग किया जा सकता है।
यदि द्रव तथा ठोस से मिश्रण में ठोस अधुलनशील तथा भारी हो, तो ऐसे मिश्रण को कुछ देर छोड़ देने पर अघुलनशील ठोस तल में जमा हो जाता है।
द्रव तथा अघुलनशील तथा भारी ठोस के मिश्रण को कुछ देर छोड़ देने पार अघुलनशील ठोस के तल में बैठ जाने की प्रक्रिया को अवसादन कहा जाता है। तथा अघुलनशील ठोस, जो नीचे बैठ जाता है, को अवसाद कहा जाता है।
ठोस के नीचे तल में बैठ जाने पर द्रव को सावधानी पूर्वक दूसरे बर्तन में निकाल लिया जाता है, द्रव को दूसरे बर्तन में निकालने की प्रक्रिया को निथारना कहा जाता है। तथा यह पूरी प्रक्रिया अवसादन तथा निस्तारण कहलाती है।
अवसादन तथा निस्तारण की प्रक्रिया द्वारा दो द्रव जो आपस में घुलनशील नहीं होते हैं के मिश्रण से भी दोनों द्रवों को अलग किया जाता है।
निस्तारण की प्रक्रिया के द्वारा निम्नांकित मिश्रण के घटकों को पृथक किया जा सकता है:
(क) जल तथा मिट्टी के मिश्रण से जल तथा मिट्टी को अवसादन तथा निस्तारण की प्रक्रिया द्वारा अलग अलग किया जा सकता है।
(ख) घरों में चावल या दाल को पकाने से पहले उसमें विद्यमान अशुद्धियों को हटाने के लिए उसे जल से धोया जाता है।
चावल या दाल या अन्य अनाज जैसे गेहूँ आदि को एक बर्तन में रखकर उसमें प्रयाप्त मात्रा में जल मिलाकर उसे हाथों या किसी अन्य वस्तु की सहायता से चलाया जाता है जिससे उसमें उपस्थित मिट्टी के टुकड़े जल में घुल जाते हैं तथा उसमें विद्यमान भूसे आदि के टुकड़े मिट्टी के साथ ऊपर तैरने लगते हैं, अनाज के भारी होने के कारण अनाज नीचे तल में बैठ जाता है। उसके बाद जल को निस्तारित कर लिया जाता है। यह प्रक्रिया दो तीन बार दुहराने पर अनाज से मिट्टी तथा भूसे आदि के टुकड़े अलग हो जाते हैं।
(ग) अवसादन की प्रक्रिया नदी के जल को पीने योग्य बनाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं के क्रम (चरण) में भी अपनाई जाती है।
(घ) दो द्रव जो आपस में घुलनशील नहीं हैं को भी अवसादन तथा निस्तारण की प्रकिया द्वारा पृथक किया जाता है।
जैसे जल तथा तेल का मिश्रण। जल तथा तेल आपस में घुलते नहीं हैं।
जल तथा तेल के मिश्रण को थोड़ी देर छोड़ देने पर जल तथा तेल की अलग अलग परतें बन जाती हैं। तेल का जल से हल्का होने के कारण इस प्रकार के मिश्रण में तेल जल के ऊपर तैरने लगता है। तेल को निस्तारण की प्रक्रिया द्वारा अलग बर्तन या डब्बे में निथार लिया जाता है, तथा अवसाद के रूप में जल नीचे बच जाता है। इस तरह जल तथा तेल के मिश्रण को अवसादन तथा निस्तारण की प्रकिया द्वारा अलग अलग किया जा सकता है।
निस्यंदन
निस्यंदन की प्रक्रिया को साधारण बोल चाल की भाषा में "छानना" भी कहा जाता है। निस्यंदन को अंग्रेजी में "फिल्ट्रेशन" कहा जाता है।
निस्यंदन की प्रक्रिया द्वारा द्रव तथा महीन एवं अघुलनशील ठोस के मिश्रण के घटकों को पृथक किया जाता है। इस विधि में मिश्रण को एक महीन छन्नी के ऊपर गिराया जाता है जिससे ठोस पदार्थ छन्नी के ऊपर रह जाता है तथा द्रव छन्नी के नीचे रखे बर्तन में जमा हो जाता है।
प्रयोगशालाओं में छन्नी के रूप में छन्नापत्र का उपयोग किया जाता है, तथा घरों में छन्नी के रूप में प्राय: महीन कपड़े के टुकड़े या लोहे के तार की महीन जाली का उपयोग किया जाता है।
चाय को बनाने के बाद उसे छन्नी की सहायता से छानना निस्यंदन प्रक्रिया का एक प्रचलित उदाहरण है।
चाय बनाने के पश्चात उसे एक छन्नी पर गिराया जाता है, जिससे चाय की पत्तियाँ छन्नी में जमा हो जाती है, तथा चाय नीचे रखे गए प्याले या किसी बर्तन में गिर जाता है, इस तरह चाय तथा चायपत्ती को अलग किया जाता है।
निस्यंदन का उपयोग पेय जल को शुद्ध करने में भी किया जाता है।