वाष्पीकरण, संघनन तथा रवाकरण
वाष्पीकरण या वाष्पन
किसी द्रव का गर्मी पाकर वाष्प में परिवर्तित होना वाष्पीकरण कहलाता है। द्रव में अतिरिक्त उष्मा प्रवाहित करने पर वाष्पीकरण की प्रक्रिया तीव्र हो जाती है।
वाष्पीकरण की प्रक्रिया द्वारा किसी द्रव तथा उसमें घुलनशील ठोस के मिश्रण से ठोस पदार्थ को अलग किया जाता है। समुद्री जल से नमक प्राप्त किया जाना वाष्पीकरण की प्रक्रिया का एक प्रचलित उदाहरण है।
हम जानते हैं कि समुद्र के जल में नमक तथा अन्य कई अशुद्धियाँ घुली रहती हैं। समुद्र के जल से खाने का नमक प्राप्त किया जाता है।
समुद्र के जल से वाष्पीकरण विधि द्वारा नमक प्राप्त करने की प्रक्रिया
(क) समुद्र के जल को किनारों पर क्यारियों की सहायता से घेरकर छोटे छोटे भागों में जमा कर छोड़ दिया जाता है।
(ख) इन छोटी क्यारियों का समुद्री जल धीरे धीरे सूर्य की गर्मी पाकर वाष्प बन कर उड़ जाता है, तथा नमक क्यारियों में बच जाता है।
(ग) इस बचे नमक में खाने वाले नमक के अलावे भी कई अशुद्धियाँ रहती हैं, अतः इन्हें निकालकर फैक्ट्रियों में शुद्धिकरण के लिए भेज दिया जाता है, जहां से दुकान के माध्यम से यह नमक हमारे घरों में पहुँचता है।
वाष्पीकरण की विधि द्वारा नल के जल से आसुत जल (डिस्टिल्ड वाटर) भी प्राप्त किया जाता है जिसका उपयोग दवा को बनाने में किया जाता है।
वाष्पीकरण का उपयोग
(क) समुद्री जल से नमक बनाने में
(ख) साधारण जल से आसुत जल प्राप्त करने में
(ग) दूध से खोया बनाने में
(घ) गीले कपड़े को सुखाने में। गीले कपड़े को धूप में कुछ देर छोड़ देने पर सूर्य की गर्मी पाकर कपड़े में विद्यमान जल वाष्प बनकर उड़ जाता है, तथा कपड़ा सूख जाता है।
(च) बर्षा का होना प्राकृति द्वारा वाष्पीकरण का उपयोग है।
संघनन
संघनन क्या है?
किसी द्रव को गर्म करने पर वह वाष्प में बदल जाता है तथा वाष्प को पुन: ठंढा करने पर वह द्रव में बदल जाता है। वाष्प को ठंढ़ा कर द्रव में बदलने की प्रक्रिया को संघनन कहा जाता है।
संघनन का उदाहरण
जल को गर्म करने पर वह वाष्प में बदल जाता है, पुन: वाष्प को ठंढ़ा करने पर वह जल में बदल जाता है। यहां जलवाष्प को ठंढ़ा कर जल में बदलने की प्रक्रिया संघनन है।
बर्षा होना वाष्पीकरण तथा संघनन का एक उदाहरण है।
बर्षा कैसे होती है?
समुद्र तथा जलाशयों का जल सूर्य की गर्मी से वाष्प बनकर हवा में ऊपर चला जाता है। बहुत सारे जलवाष्प के साथ मिलकर बादल का निर्माण करते हैं। ऊँचाई पर जाने पर तापमान कम हो जाता है जिससे जलवाष्प ठंढा होकर पुन: जल के बूंदों में परिवर्तित हो जाता है तथा पृथ्वी पर गिरने लगता है। पृथ्वी पार जल का बूंदों के रूप में गिरना बर्षा कहलाती है।
इस तरह बर्षा जल के वाष्पीकरण तथा संघनन का प्रतिफल है।
पृथक्क़रण की एक से अधिक विधियों का उपयोग
कई बार मिश्रण के अवयवों को पृथक करने के लिए एक से अधिक विधि का उपयोग करना पड़ता है, जिसमें वाष्पीकरण के साथ साथ संघनन महत्वपूर्ण कार्य है।
आसुत जल जिसका उपयोग दवा बनाने में किया जाता है, साधारण जल से प्राप्त किया जाता है।
आसुत जल प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम जल को वाष्पीकृत किया जाता है तथा फिर उसे संघनित कर जल प्राप्त किया जाता है, इस तरह से प्राप्त जल में कोई अशुद्धि नहीं रहती है, तथा इस तरह से प्राप्त जल को आसुत जल कहा जाता है।
कुछ दवाएँ पाउडर के रूप में आती है जिसे इंजेक्शन के द्वारा शरीर में दिया जाता है। इस तरह की पाउडर वाली दवाओं, जिसे इंजेक्शन के द्वारा दिया जाना होता है सबसे पहले आसुत जल में घुलाया जाता है, ततपश्चात उसे इंजेक्शन के द्वारा शरीर में दिया जाता है।
साधारण जल में कई प्रकार के लवण तथा अन्य अशुद्धियाँ रहती हैं। जब साधारण जल को गर्म किया जाता है, तो यह जलवाष्प में परिणत हो जाता है तथा साधारण जल की अशुद्धियाँ तथा लवण नीचे उसी बर्तन में बच जाता है जिसमें बर्तन में साधारण जल को गर्म किया जा रहा होता है। उसके बाद जलवाष्प को ठंढ़ा कर पुन: जल प्राप्त कर लिया जाता जिसमें कोइ अशुद्धि नहीं होती है।
इस प्रकार प्राप्त जल को आसुत जल कहा जाता है।
रवाकरण
रवाकरण की विधि का उपयोग कर किसी लवण में व्याप्त अशुद्धियों को हटाकर शुद्ध लवण के रवा प्राप्त किया जाता है। इसका अर्थ है की शुद्ध लवण प्राप्त करने के लिए रवाकरण विधि का उपयोग किया जाता है।
रवाकरण का उदाहरण
समुद्र जल से प्राप्त नमक में कई प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं। रवाकरण विधि द्वारा समुद्री जल से प्राप्त अशुद्ध नमक से खाने वाला शुद्ध नमक प्राप्त किया जाता है।
खाने वाला नमक जो हमारे घरों में उपयोग होता है को साधारण नमक कहा जाता है। साधारण नमक का रासायनिक नाम सोडियम क्लोराइड है।
रवाकरण को अंगरेजी में क्रिस्टलाइजेशन कहा जाता है, तथा इसे प्राय: हिंदी में क्रिस्टलीकरण भी कहा जाता है।