पदार्थों का पृथक्करण: छठवीं विज्ञान


घोल या विलयन

किसी द्रव तथा एक घुलनशीन ठोस या द्रव के मिश्रण को विलयन कहा जाता है।

उदाहरण

चीनी तथा जल का मिश्रण एक प्रकार का विलयन है। उसी प्रकार नमक तथा चीनी का मिश्रण एक विलयन है। सिरका तथा जल के मिश्रण को भी एक प्रकार का विलयन या घोल है।

विलयन को घोल भी कहा जाता है।

शब्दिक अर्थों में यदि किसी द्रव में कोइ ठोस या कोई अन्य द्रव घुला हुआ हो, तो ऐसे मिश्रण को घोल या विलयन कहा जाता है।

विलयन के घटक

विलयन के मुख्यत: दो घटक होते हैं, विलायक तथा विलेय

विलायक

द्रव जिसमें किसी ठोस या द्रव को घोला गया है, को विलायक कहा जाता है। विलायक को घोलक या विलायक द्रव भी कहा जाता है। किसी मिश्रण में वह घटक जिसकी मात्रा अधिक हो, को विलायक या घोलक या विलायक द्रव कहा जाता है।

विलेय

किसी विलयन में जिस द्रव या ठोस को घोला गया है, को विलेय कहा जाता है। विलेय को घुल्य भी कहा जाता है।

घुल्य का शब्दिक अर्थ है वैसा पदार्थ जिसे घोला जाना है या घोला गया हो।

घुल्य की मात्रा घोलक की मात्रा से अधिक होती है।

दूसरे शब्दों में, किसी विलयन में जिस घटक की मात्रा कम हो, उसे घुल्य या विलेय कहा जाता है तथा जिसकी मात्रा अधिक हो उसे विलायक कहा जाता है।

उदाहरण

नमक तथा जल के घोल में, जल विलायक या घोलक है तथा नमक विलेय या घुल्य है।

उसी प्रकार चीनी का शर्बत जिसे जल में चीनी को घोलकर बनाया जाता है, में जल विलायक या घोलक है तथा चीनी विलेय या घुल्य है।

शर्बत में चूँकि जल की मात्रा अधिक होती है तथा चीनी की मात्रा कम होती है, अत: यहां जल विलायक या घोलक है तथा चीनी विलेय या घुल्य है।

क्या जल किसी पदार्थ की कितनी भी मात्रा घोल सकता है?

नहीं। जल में पदार्थ की अधिकतम कितनी मात्रा घोली जा सकती है यह जल के मात्रा अर्थात आयतन पर निर्भर करता है। इसका अर्थ है की जल की अधिक मात्रा में किसी घुलनशील पदार्थ की अधिक मात्रा घोली जा सकती है तथा जल की कम मात्रा में उसी घुलनशील पदार्थ की कम मात्रा घोली जा सकती है।

परन्तु यहाँ प्रश्न यह है की जल की एक निश्चित मात्रा में किसी घुलनशील पदार्थ की कितनी मात्रा घोली जा सकती है?

इसका उत्तर यह है की जल की एक निश्चित मात्रा में किसी घुलनशील पदार्थ की एक निश्चित मात्रा ही घोली जा सकती है।

विलयन के प्रकार

विलयन को मुख्यत: दो भागों में बांटा जा सकता है, पहला संतृप्त विलयन तथा दूसरा असंतृप्त विलयन

संतृप्त विलयन

विलयन जिसमें और अतिरिक्त विलेय नहीं घुल सकता है को संतृप्त विलयन कहा जाता है।

असंतृप्त विलयन

विलयन जिसमें और अतिरिक्त विलेय घोला जा सकता है या घुल सकता है, को असंतृप्त विलयन कहा जाता है।

संतृप्त तथा असंतृप्त विलयन बनाने का क्रियाकलाप

आवश्यक सामग्री

एक स्टील का पतीला, नमक, एक चम्मच, गैस स्टोव, तथा एक सूती कपड़े का टुकड़ा

प्रक्रिया

(क) एक स्टील के पतीला में लगभग आधा लीटर जल लीजिए।

(ख) उसमें एक चम्मच नमक डालिए तथा चम्मच से चलाकर नमक को घुलाईए।

(ग) नमक के घुल जाने के बाद उसी घोल में पुन: एक चम्मच नमक डालकर उसे घुलाइए।

(घ) यह प्रक्रिया तबतक दुहराइए जबतक कि नमक को घोलने का प्रयास करने पर नमक पतीला के तल में बैठने न लगे।

(च) अब पतीला को घोल सहित गैस पर गर्म करें तथा गर्म करते हुए थोड़ा और नमक घोलने का प्रयास करें, जब नमक पतीला के तल में बैठने लगे तो उसे गर्म करना बंद कर दें तथा घोल को ठंढा होने दें।

(छ) ठंढा होने के पश्चात आप देखेंगे की कुछ नमक पतीले की तल में जमा हो गया है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इसमें नमक के और मात्रा नहीं घोली जा सकती है।

(ज) अब इस घोल को एक पतले कपड़े की सहायता से एक दूसरे बर्तन में छान लें ताकि पतीले के तल में बचा हुआ नमक दूसरे बर्तन में नहीं गिरे।

इस तरह से प्राप्त घोल नमक तथा जल का संतृप्त घोल या विलयन है।

इसे संतृप्त विलयन इसलिए कहेंगे की इसमें और अधिक नमक की मात्रा नहीं घुल सकती है।

प्रक्रम (ख) में प्राप्त घोल असंतृप्त विलयन है चूंकि उसमें और अधिक नमक की मात्रा घोली जा सकी या घुल सकती है।

6th-science-home

6th-science-home(hindi)

Reference:

NCERT Solution and CBSE Notes for class twelve, eleventh, tenth, ninth, seventh, sixth, fifth, fourth and General Math for competitive Exams. ©