पदार्थों के पृथक्करण का सारांश भाग 1
पदार्थ क्या है?
वह जो स्थान घेरता है तथा उसका कुछ द्रव्यमान हो, को पदार्थ कहा जाता है। उदाहरण: मेज, कुर्सी, कम्प्यूटर, हवा, पानी, गैस, पेड़, पौधे, जानवर, ईंट, पत्थर, आदि। इसका अर्थ है कि हमारे चारों तरफ अधिकांश वस्तुएँ पदार्थ हैं।
पदार्थों का वर्गीकरण
पदार्थों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है, पहला शुद्ध पदार्थ तथा दूसरा मिश्रण।
शुद्ध पदार्थ
वैसे पदार्थ जिनके सूक्ष्मतम कण भी वही पदार्थ होते हैं, अर्थात जिसके केवल एक ही घटक हो, को शुद्ध पदार्थ कहा जाता है।
उदाहरण सोना, चाँदी, विशुद्ध जल, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, लोहा, ताम्बा, आदि। इस पदार्थों के सूक्ष्मतम कण को भी ले लें तो वह वही पदार्थ रहेगा, अत: ये शुद्ध पदार्थ हैं।
मिश्रण
पदार्थ जो दो या दो से अधिक अन्य पदार्थों से मिलकर बने हों तथा जिनके घटकों को साधारण विधियों द्वारा अलग किया जा सके मिश्रण कहलाते हैं।
उदाहरण:
हवा: हवा में कई गैसें मिली हुयी रहती हैं, जैसे हवा में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन आदि मिले होते हैं, अत: हवा एक मिश्रण है।
साधारण जल साधारण जल, अर्थात नदी, तालाब, समुद्र आदि के जल में कई प्रकार के लवण तथा अन्य अशुद्धियाँ पायी जाती हैं, अत: साधारण जल लवणों तथा अन्य कयी अशुद्धियों का मिश्रण है।
दूध दूध में जल, वसा, तथा प्रोटीन होता है। दूध को देखने पर दूध के घटक अलग अलग नजर नहीं आते हैं परंतु दूध के फट जाने की स्थिति में जल तथा वसा अलग हो जाता है। अत: दूध एक मिश्रण है।
मिश्रण से घटकों का पृथक्क़रण
चूँकि मिश्रण में कई प्रकार की अशुद्धियाँ या अन्य अवांछित पदार्थ पाये जाते हैं अत: उनके उपयोग से पूर्व अवांछित पदार्थों को अलग करना अर्थात पृथक करना अनिवार्य हो जाता है। पृथक करने के कार्य को पृथक्करण कहा जाता है। पदार्थों के पृथक्करण की कयी विधियाँ होती हैं।
पदार्थों के पृथक्करण की विधियाँ
(1) हस्त चयन
हस्त चयन का अर्थ है हाथों से चुनकर अलग अलग करना।
वैसे मिश्रण जिनके घटक अलग अगल रंग तथा आकार के हों, तथा अलग किये जाने वाले पदार्थ की मात्रा कम हों तो ही हस्त चयन विधि के उपयोग से उन्हें अलग किया जा सकता है। पदार्थ की अधिक मात्रा होने की स्थिति में हस्त चयन में काफी समय लगेगा अत: उक्त स्थिति में हस्त चयन की विधि उपयुक्त नहीं होती है।
दैनिक जीवन में चावल, दाल, गेंहूँ, आदि से कंकड़ पत्थर तथा अन्य अशुद्धियाँ जैसे खर पतवार आदि को हस्त चयन विधि से अलग किया जाता है।
(2) चालन
चालन विधि का उपयोग कर पदार्थों के वैसे मिश्रण, जिनके घटक अलग अलग आकार के हों, को अलग किया जाता है। चालन के उपयोग के लिए प्रयोग किये जाने वाली युक्ति को "चलनी या छन्नी" कहा जाता है। चलनी या छन्नी बड़े प्लेट के आकार का होता है जिसके पेंदे में कई छोटे-छोटे छिद्र बने होते हैं।
चालन की प्रक्रिया
मिश्रण को चलनी में रखकर हिलाया जाता है, जिससे पदार्थ के छोटे दाने चलनी के छिद्र से होकर नीचे गिर जाते हैं तथा बड़े वाले दाने चलनी में ही बच जाते हैं। इस तरह चालन विधि का उपयोग कर मिश्रण के घटकों को अलग किया जाता है।
दैनिक जीवन में आटे से चोकर को अलग करने, सूजी से कीड़ों तथा अन्य अशुद्धियो को अलग करने, रेत से ईंट पत्थर के टुकड़ों को अलग करने, आदि में चालन विधि का उपयोग किया जाता है।
(3) थ्रेसिंग
थ्रेसिंग के उपयोग से फसल काटने के बाद उनसे अनाज के दानों को अलग किया जाता है। दूसरे शब्दों में, फसल की कटाई के बाद फसल के पौधों से अनाज के दानों को अलग करने की प्रक्रिया को "थ्रेसिंग" कहा जाता है।
फसल कटने के बाद पौधों को या तो सख्त जमीन, या पत्थर, या किसी लकड़ी के बड़े टुकड़े पर बार बार पटका जाता है जिससे फसल के दाने पौधों से अलग हो जाते हैं। यह प्रक्रिया थ्रेसिंग कहलाती है।
थ्रेसिंग की दूसरी विधि में फसल को एक मैदान में गोलाकार में जमा कर दिया जाता है, उसके बाद उसपर बैलों को एक खूँटे से बाँध कर कुछ घंटों तक लगातार चलाया जाता है। बैलों के फसल के पौधों पर चलने से उनके पैरों से कुचल कर अनाज के दाने पौधों से अलग निकल जाते हैं।
आजकल थ्रेसिंग के लिए मशीन का प्रयोग किया जाता है। थ्रेसिंग के लिए उपयोग किये जाने वाले मशीन को "थ्रेसर या थ्रेसिंग मशीन" कहा जाता है।
(4) निष्पावन
निष्पावन की विधि द्वारा मिश्रण से हल्के तथा भारी पदार्थों को हवा के झोंकों की सहायता से अलग किया जाता है।
निष्पावन की विधि द्वारा थ्रेसिंग के बाद भूसे तथा अनाज के दानों को अलग किया जाता है।
फसल की थ्रेसिंग के बाद अनाज में भूसे मिश्रित रहते हैं। भूसा मिश्रित अनाज को किसी बर्तन या टोकरी में रखकर थोड़ी ऊँचाई से धीरे धीरे नीचे गिराया जाता है। अनाज के दानों के भारी होने के कारण वे नजदीक में नीचे गिर जाते हैं तथा भूसे के हल्के होने के कारण वे हवा के झोंकों से उड़कर दूर जाकर गिरते हैं। यह प्रक्रिया भूसा मिश्रित पूरे अनाज के साथ दुहराई जाती है, और इस प्रकार अनाज से भूसे को अलग कर लिया जाता है।
आज आधुनिक युग में थ्रेसर में पंखे लगे होते हैं जिससे फसल की थ्रेसिंग के साथ साथ निष्पावन की प्रक्रिया भी सम्पन्न हो जाती है।