एनसीईआरटी अभ्यास प्रश्नों का हल
प्रश्न संख्या (1) हमें किसी मिश्रण के विभिन्न अवयवों को पृथक करने की आवश्यकता क्यों होती है? दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर
प्राय: किसी मिश्रण में उपयोगी पदार्थ के साथ साथ अनुपयोगी तथा अशुद्ध पदार्थ भी मिले होते हैं। अत: मिश्रण के पदार्थ को उपयोग में लाने से पूर्व उसमें से अशुद्धियाँ तथा अन्य अनुपयोगी पदार्थ को पृथक करने की आवश्यकता होती है।
उदाहरण (क) चावल में प्राय: खर पतवार तथा कीड़े आदि होते हैं। अत: चावल को पकाने से पूर्व उसमें से खर पतवार तथा अन्य अशुद्धियों को अलग करने की आवश्यकता होती है।
चावल से खर पतवार तथा कीड़े आदि को हटाने के लिए प्राय: हस्त चयन का उपयोग किया जाता है।
उदाहरण (ख) आटे में गेंहू के बाहरी आवरण के महीन टुकड़े जिन्हे चोकर कहा जाता है, मिले होते हैं। अत: रोटी के लिए आटा को गूँथने से पूर्व उसमें से चोकर को पृथक किया जाता है।
आटे से चोकर को पृथक करने के लिए चालन का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न संख्या (2) निष्पावन से क्या अभिप्राय है? यह कहाँ उपयोग किया जाता है?
उत्तर
ठोस में ठोस पदार्थ के मिश्रण से हवा के झोंकों की सहायता से हल्के तथा भारी अवयव को पृथक करना निष्पावन कहलाता है।
फसल की थ्रेसिंग के बाद प्राप्त भूसा मिश्रित अनाज से अनाज के दानों तथा भूसा को निष्पावन की प्रक्रिया द्वारा अलग किया जाता है।
प्रश्न संख्या (3) पकाने से पहले दालों के किसी नमूने से आप भूसे एवं धूल के कण कैसे पृथक करेंगे?
उत्तर
दाल से भूसे एवं धूल के कणों को अवसादन तथा निस्तारण की प्रक्रिया द्वारा पृथक किया जाता है।
पकाने से पहले दाल को किसी बर्तन में डाल कर उसमें दाल की मात्रा से अधिक जल डाला जाता है ताकि दाल पूरी तरह जल में डूब जाये। उसके बाद दाल को हाथ मसल कर चलाया जाता है। थोड़ी देर उसे छोड़ने के पश्चात धूल के कण तथा भूसे आदि के टुकड़े हल्के होने के कारण जल में ऊपर तैरने लगते हैं तथा दाल के दानों के भारी होने के कारण जल में नीचे बैठ जाते हैं। इसके बाद सावधानी पूर्वक जल को निस्तारण की प्रक्रिया द्वारा गिरा किया जाता है। इस प्रकार दालों के नमूने से भूसे एवं धूल के कण पृथक हो जाते हैं।
प्रश्न संख्या (4) छालन से क्या अभिप्राय है? यह कहाँ उपयोग होता है?
उत्तर
एक छलनी की सहायता से किसी मिश्रण से छोटे तथा बड़े आकार वाले ठोस पदार्थों का पृथक्करण छालन या चालन कहलाता है।
छालन या चालन की प्रक्रिया का उपयोग आटा से चोकर, सूजी से कीड़े आदि, रेत से कंकड़ पत्थर के टुकड़े, आदि को पृथक करने में किया जाता है।
प्रश्न संख्या (5) रेत और जल के मिश्रण से आप रेत तथा जल को कैसे पृथक करेंगे?
उत्तर
रेत और जल के मिश्रण से अवसादन तथा निस्तारण या केवल निस्यंदन की प्रक्रिया द्वारा रेत तथा जल को पृथक किया जाता है।
अवसादन तथा निस्तारण की प्रक्रिया द्वारा रेत और जल के मिश्रण से रेत तथा जल को पृथक करना
रेत और जल के मिश्रण को थोड़ी देर छोड़ देने पर रेत के कणों के भारी होने के कारण वे अवसाद के रूप में तल में जमा हो जाते हैं। उसके बाद सावधानी पूर्वक जल को दूसरे बर्तन में निस्तारित कर लिया जाता है। इस प्रकार अवसादन तथा निस्तारण की प्रक्रिया द्वारा रेत और जल के मिश्रण से रेत तथा जल को अलग कर लिया जाता है।
निस्यंदन की प्रक्रिया द्वारा रेत और जल के मिश्रण से रेत तथा जल को पृथक करना
रेत तथा जल के मिश्रण को एक छन्नी या छ्न्ना पत्र पर गिराया जाता है। रेत के कणों के मोटे होने के कारण वे छन्नी या छन्ना पत्र पर रह जाते हैं तथा जल नीचे रखे दूसरे बर्तन में गिर जाता है। इस प्रकार निस्यंदन की प्रक्रिया द्वारा रेत और जल के मिश्रण से रेत तथा जल को अलग कर लिया जाता है।
प्रश्न संख्या (6) आटे और चीनी के मिश्रण से क्या चीनी को पृथक करना संभव है? अगर हाँ, तो आप इसे कैसे करेंगे?
उत्तर
हाँ। आटे और चीनी के मिश्रण से चीनी को पृथक करना संभव है।
आटे और चीनी के मिश्रण से चीनी को पृथक करने की प्रक्रिया
आटे और चीनी के मिश्रण में जल मिलाकर मिश्रण को थोड़ी देर चलाया जाता है। चीनी जल में घुलनशील होता है तथा आटा अघुलनशील। अत: मिश्रण को चलाने के कारण चीनी जल में घुल जाता है। इसके बाद इस घोल को एक छन्नी की सहायता से छान लिया जाता है। चीनी के जल में घुलनशील होने के कारण वह जल के साथ छन्नी के नीचे रखे बर्तन में चला जाता है तथा आटा के जल में अघुलनशील होने के कारण वह छन्नी में बच जाता है।
उसके बाद प्राप्त घोल को गर्म किया जाता है, जिससे जल वाष्प बनकर हवा में उड़ जाता है तथा घोल को गर्म किये जाने वाले बर्तन में चीनी बच जाता है। छन्नी में प्राप्त आटे को भी धूप में रखकर सूखा लिया जाता है।
इस प्रकार निस्यंदन तथा वाष्पीकरण की प्रक्रिया द्वारा आटे और चीनी के मिश्रण से चीनी तथा आटे को पृथक किया जाता है।