समूह बनाने की आवश्यकता
हमारे चारों ओर की वस्तुएँ
हमारे चारों ओर बहुत सारी वस्तुएँ हैं। जैसे कि टेबल, कुर्सी, कम्प्यूटर, बल्ब, किताब, पेंसिल, रबर, पेंसिल कटर, पेड़, पौधे, गाड़ियाँ, कुत्ते, बिल्ली, आदि और बहुत सारी अनगिनत वस्तुएँ।
यदि इन सभी वस्तुओं जो हमारे चारों ओर हैं, की लिस्ट (सूची) बनाने के लिए कहा जाये तो सूची बहुत लम्बी हो जायेगी। लेकिन हो सकता है बहुत सारी वैसी वस्तुएँ उस सूची में छूट जायें जिन्हें हम रोज देखते हैं या प्रतिदिन उनकी हमें जरूरत होती है।
ऐसा इसलिए हो सकता है यदि हम उन्हें सुनियोजित सूची न बनाएँ। एक सुनियोजित सूची बनाने के लिए हमें वस्तुओं को समूह में बाँटना होगा। यदि हम वस्तुओं को समूह में बाँटकर सूची बनाते हैं तो हमें काफी आसानी होगी और अधिकांश वस्तुओं को हम सूची (लिस्ट) में डाल सकते हैं।
ध्यान से देखने पर आप पायेंगे कि आपकी मम्मी ने किचन (रसोईघर) में सामानों को सुनियोजित ढ़ंग से रखा है। जैसे कि मसाले एक जगह रखे होते हैं, अनाज एक जगह रखे होते हैं, सब्जियाँ एक जगह रखे होते हैं, फल एक जगह रखे होते हैं, बर्तन एक जगह रखे होते हैं। यहाँ तक कि अलग अलग प्रकार के बर्तन को भी अलग अलग रखा जाता है, जैसे काँटे–चम्मच एक जगह पर रखा जाता है, प्लेट एक जगह पर तथा पतीले एक जगह पर रखे जाते हैं।
उसी प्रकार यदि आप कपड़े की आलमारी को देखेंगे तो पायेंगे कि शर्ट एक जगह पर, पैंट एक जगह पर, तथा अंडर गारमेंट एक जगह पर रखे जाते हैं, आदि। आप यह भी पायेंगे कि परिवार के अलग अलग व्यक्ति के कपड़े अलग अलग रखे जाते हैं।
आपने यह भी ध्यान दिया होगा कि आप अपने किताब, नोटबुक, पेन, पेंसिल आदि को भी सुनियोजित ढ़ंग से रखते हैं। आप अपनी किताबें अपनी बहन तथा भाई के किताबों से अलग रखते हैं।
ऐसा इसलिए किया जाता है कि सामानों को खोजने में आसानी हो सके।
कल्पना करें कि आपकी किताबें तथा आपकी बहन तथा भाई की किताबें सभी एक ही जगह रखे हुए हों, तो उन्हें ढ़ूढ़ने में कितनी परेशानी होगी।
आपने अपने स्कूल में भी देखा है कि अलग अलग क्लास के बच्चे अलग अलग रूम (कमरे) में बिठाए जाते हैं ताकि उन्हें पढ़ाने में आसानी हो सके। यहाँ तक कि छुट्टी के समय या पी0टी0 के क्लास में भी क्लास के अनुसार बच्चों को लाईन में लगाया जाता है।
अत: सामानों को समूह में बाँटकर रखने में आवश्यकतानुसार उन्हें खोजने में आसानी होती है। यही कारण है कि हमें वस्तुओं को समूह में बाँटने की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो वस्तुओं को सुनियोजित रूप से रखने के लिए समूह में बाँटना आवश्यक है।
विज्ञान की दृष्टिकोण से वस्तुओं को समूह में बाँटकर उनका अध्ययन करने में आसानी होती है।
वस्तुओं को पदार्थ जिनसे वे बनी हैं के अनुसार समूह में बाँटना
कुछ वस्तुएँ लकड़ी से बनी होती हैं, कुछ वस्तुएँ स्टील से बनी होती हैं, कुछ वस्तुएँ, कपड़े से बने होते हैं, आदि।
लकड़ी से बनी वस्तुएँ
कुर्सी, टेबल, आलमीरा, बुक सेल्फ, किबाड़, संदूक (एक प्रकार का बड़ा बक्सा जिसे पुराने समय में उपयोग में लाया जाता था), आदि।
स्टील से बनी वस्तुएँ
कुर्सी, टेबल, आलमीरा, लोहे के गेट, चुल्हा, चम्मच, कटोरी, बाल्टी, जग, मोटरसाइकल, कार, आदि स्टील से बने होते हैं। अत: इन्हें एक समूह में रखा जा सकता है।
कागज से बनी वस्तुएँ
किताब, नोटबुक, समाचार पत्र, समाचार पत्रिका, डायरी, पत्र, आदि कागज से बने होते हैं, अत: इन्हे सामग्री जिनसे ये बने हैं, के आधार पर एक समूह में रखा जा सकता है।
कपड़े से बनी वस्तुएँ को एक समूह में रखा जाना
वैसी सभी वस्तुएँ जो कपड़े से बनी हैं, को एक समूह में रखा जा सकता है। जैसे शर्ट, पैंट, बनियान, साड़ी, पायजामा, कुर्ता, आदि कपड़े से बने हैं अत: इन्हें एक समूह में रखा जा सकता है।
पदार्थों की भौतिक अवस्था
पदार्थ तीन अवस्था में पाये जाते हैं, ठोस, द्रव (तरल) तथा गैस। ये तीनों अवस्था पदार्थ की भौतिक अवस्था कहलाती है।
अत: पदार्थों को उनकी भौतिक अवस्था के अनुसार समूह में बाँटा जा सकता है।
ठोस पदार्थ
पदार्थ जिनका आयतन तथा आकार निश्चित होता है, ठोस पदार्थ कहलाते हैं। जैसे बर्फ, लकड़ी, पत्थर, लकड़ी का टुकड़ा, चॉक, कागज, किताब, पेंसिल, टेबल, कुर्सी, आलमीरा आदि।
तरल (द्रव) पदार्थ
पदार्थ जिनका आयतन निश्चित होता है परन्तु आकार अनिश्चित होता है, तरल पदार्थ या द्रव कहलाते हैं। जैसे, जल, तेल, कोल्ड ड्रिंक, दूध, आदि।
तरल पदार्थ को जिस बर्तन में डाला जाता है, तरल उसी बर्तन का आकार ले लेता है।
गैस
पदार्थ जिनका आयतन तथा आकार दोनों अनिश्चित होता है, गैस कहलाते हैं, तथा इनकी अवस्था गैसीय अवस्था कहलाती है। जैसे, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साईड, आदि। हवा कई गैसों का मिश्रण है। अत: हवा भी एक गैस है।
जल ठोस, द्रव तथा गैस तीनों अवस्था में पाया जाता है। बर्फ ठोस होता है, जल तरल होता है तथा जलवाष्प गैस होता है।
पदार्थों के ग़ुण
सभी पदार्थों के कुछ विशेष गुण होते हैं। इन्हीं विशेष गुण के कारण पदार्थों में भिन्नता होती है। पदार्थों के कुछ सामान्य गुण निम्नांकित हैं:
(क) चमक तथा दिखावट
(ख) कठोरता
(ग) विलेय या अविलेय (विलेयता)
(घ) वस्तुएँ जल में तैर या डूब सकती है (उत्प्लावकता)
(च) पारदर्शिता
पदार्थों को उनके सामान्य गुणों के आधार पर समूह में बाँटा जा सकता है।
(क) दिखावट तथा चमक के आधार पर वस्तुओं को समूह में बाँटना
सभी पदार्थ एक दूसरे से भिन्न दिखाई देते हैं। जैसे लकड़ी तथा लोहा दोनों एक दूसरे से भिन्न दिखाई देते हैं। उसी प्रकार कोयला तथा सोना दोनों एक दूसरे से भिन्न दिखाई देते हैं।
लेकिन लोहा तथा सोना में कुछ समानताएँ हैं उसी प्रकार लकड़ी तथा कोयले में भी कुछ समानताएँ है।
लोहा और सोना में एक विशेष प्रकार की चमक होती है। लेकिन लकड़ी और कोयले में चमक नहीं होती है अर्थात ये डल दीखते हैं।
वैसे पदार्थ जिनमें एक विशेष प्रकार की चमक होती है धातु कहलाते हैं। यह चमक धात्विक चमक कहलाती है। तथा जिनमें चमक नहीं होती हैं वे अधातु कहलाते हैं।
विशेष चमक अर्थात धात्विक चमक वाली वस्तुओं का समूह
लोहा, सोना, एलुमिनियम, ताम्बा, सोना, चाँदी, आदि में एक विशेष चमक होती है। चूँकि इनमें धात्विक चमक होती है, अत: ये धातु कहलाते हैं।
कुछ धातु वातावरण के प्रभाव के कारण अपनी चमक खो देते हैं। परंतु यह प्रभाव केवल उन धातुओं के उपरी परत पर पड़ता है। इन धातुओं को काटने के बाद उनके कटे हुए सिरे पर वह चमक देखा जा सकता है। या इन धातुओं को किसी चीज से खुरचने या रगड़ने के बाद वह चमक वापस आ जाती है।
(ख) कठोरता
कुछ वस्तुएँ कठोर होती हैं जबकि कुछ वस्तुएँ मुलायम। वस्तुओं को उनकी कठोरता के आधार पर भी समूह में बाँटा जा सकता है। धातु कठोर होते हैं, जबकि अधातु कठोर नहीं होते हैं।
कठोर वस्तुओं को आसानी खरोंचा नहीं जा सकता है तथा उन्हें आसानी से दबाया (संपीड़ित) नहीं किया जा सकता है। जबकि मुलायम या कोमल वस्तुओं को आसानी से खरोंचा जा सकता है तथा उन्हें अपेक्षाकृत आसानी से दबाया (संपीड़ित) किया जा सकता है।
दूसरे शब्दों में वस्तुएँ जिन्हें आसानी से खरोंचा नहीं जा सकता तथा संपीड़ित (दबाया) नहीं जा सकता कठोर वस्तुएँ कहलाती हैं। तथा जिन्हें आसानी से खरोंचा जा सकता है तथा अपेक्षाकृत आसानी से दबाया (संपीड़ित) किया जा सकता है, मुलायम या कोमल वस्तुएँ कहलाती हैं।
कठोर वस्तुएँ : लोहा, ताम्बा, एलुमिनियम, पत्थर आदि।
मुलायम या कोमल वस्तुएँ : मोमबत्ती, चॉक, मिट्टी, कागज, लकड़ी आदि कठोर नहीं होते हैं।
(ग) विलेय अथवा अविलेय
वैसी वस्तुएँ जो पानी (जल) में मिलाने पर उसमें विलीन हो जाती है, पानी (जल) में विलेय कहलाती हैं। तथा वैसी वस्तुएँ जो पानी (जल) में मिलाने पर उसमें विलीन नहीं होती हैं पानी (जल) में अविलेय कहलाती हैं।
जैसे जब चीनी को जल में डालकर मिलाया जाता है, तो चीनी पानी में विलीन हो जाता है। उसी तरह जब नमक को जल में डालकर मिलाया जाता है, तो नमक जल में विलीन हो जाता है। अत: कहा जाता है कि चीनी तथा नमक जल में विलेय है।
जब बालू को जल में डालकर मिलाया जाता है तो बालू जल में विलीन नहीं होता है। जब चॉक को जल में डालकर मिलाया जाता है, तो चॉक जल में विलीन नहीं होता है। अत: बालू तथा चॉक जल में अविलेय है।
द्रव की जल में विलेयता
बहुत सारे तरल पदार्थ जल में मिलाने पर विलीन हो जाते हैं, जबकि बहुत सारे तरल पदार्थ जल में मिलाने पर विलीन नहीं होते हैं।
अत: विलेयता के आधार पर वस्तुओं को समूह में बाँटा जा सकता है।
जल में विलेय वस्तुएँ : चीनी, नमक, नींबू का रस, सिरका, ऑक्सीजन, आदि
जल में अविलेय वस्तुएँ : बालू, चॉक पाउडर, लकड़ी का बुरादा, तेल, आदि
ऑक्सीजन जल में विलेय होता है। जल में रहने वाले जीव जंतु, जैसे मछली, जल में घुले हुए ऑक्सीजन को श्वास के रूप में लेते हैं। यदि जल में ऑक्सीजन नहीं घुला होता, तो मछलियाँ जल में जीवित नहीं रह पाती।
(घ) वस्तुएँ जल में तैर या डूब सकती है (उत्प्लावकता)
कुछ पदार्थों को जल में डालने पर वह जल की सतह पर तैरने लगते हैं जबकि कुछ पदार्थ जल में डूब जाते हैं। पदार्थों का जल में डूबना या तैरने का गुण उत्प्लावकता कहलाती है।
अत: वस्तुओं के जल में तैरने या डूबने के गुण के आधार पर उन्हें समूह में बाँटा जा सकता है।
जल में डूब जाने वाली वस्तुएँ
पत्थर, लोहा, चाँदी, ताम्बा, आदि जल में डूब जाती है, अत: इन्हे एक समूह में रखा जा सकता है।
जल में तैरने वाले वस्तुएँ
लकड़ी का टुकड़ा, कागज, प्लास्टिक के बॉल, थर्मोकोल, आदि जल में नहीं डूबती हैं।
(च) पारदर्शिता
पारदर्शिता के आधार पर वस्तुओं को तीन समूह में बाँटा जा सकता है। पारदर्शी, अपारदर्शी, तथा पारभासक या पारभासी।
पारदर्शी या पारदर्शक
वस्तुएँ जिनके आरपार देखा जा सकता है, पारदर्शी या पारदर्शक वस्तुएँ कहलाती हैं। जैसे काँच। काँच के आरपार देखा जा सकता है, इसलिए काँच पारदर्शी है। उसी तरह प्लास्टिक का टुकड़ा भी पारदर्शी होता है।
अपारदर्शी या अपारदर्शक
वस्तुएँ जिनके आरपार नहीं देखा जा सकता है, अपारदर्शक या अपारदर्शी कहलाते हैं। जैसे लकड़ी का टुकड़ा, गत्ते का टुकड़ा, लोहे की शीट, आदि अपारदर्शक हैं।
पारभासी या पारभासक
वस्तुएँ जिनके आरपार स्पष्ट रूप से नहीं देखा जा सकता है, पारभासक या पारभासी कहलाते हैं। जैसे तेल लगा हुआ कागज, बटर पेपर, टिंट काच, आदि।
तेल लगे हुए कागज, बटर पेपर आदि से देखने पर उनके दूसरी तरफ की वस्तुओं का केवल आभास होता है, लेकिन वस्तु स्पष्ट नहीं दिखाई देती है। खिड़कियों में ऐसे काँच लगाये जाते हैं जिनके दूसरी ओर की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देखा जा सके, ऐसे काँच को टिंट ग्लास कहते हैं। खिड़कियों में टिंट काँच इसलिए लगाये जाते हैं कि रोशनी अंदर आ सके लेकिन आरपार नहीं दिखाई दे।