पूर्णांक
संख्याओं के प्रकार (Types of Numbers)
संख्याओं को तीन प्रकार में बाँटा जा सकता है। संख्याओं के ये तीन प्रकार हैं: प्राकृतिक या प्राकृत संख्याएं, पूर्ण संख्याएं तथा पूर्णांक
प्राकृतिक संख्याएं या प्राकृत संख्याएं (Natural Numbers) :
गिनती वाली संख्याओं को प्राकृत या प्राकृतिक संख्या (Natural Number) कहा जाता है। चूँकि गिनती प्रारंभ करने पर ये प्राकृतिक रूप से हमारे सामने आती हैं, अत: इन्हें प्राकृत या प्राकृतिक संख्या (Natural Number) कहा जाता है।
जैसे कि, 1, 2, 3, 4, 5, . . . . . . . . सभी प्राकृत संख्याएं (Natural Numbers) हैं।
पूर्ण संख्याएं (Whole Numbers)
सभी प्राकृत संख्याएं शून्य के साथ मिलकर पूर्ण संख्याओं का संग्रह बनाती हैं।
अत:, 0, 1, 2, 3, 4, 5, . . . . . . . . पूर्ण संख्याएं हैं।
पूर्णांक (Integers)
सभी पूर्ण संख्याएं तथा ऋणात्मक संख्याएं शून्य के साथ मिलकर बने संग्रह को पूर्णांक या पूर्णांक संख्याएं कहते हैं।
अत:, . . . . . –5, –4, –3, –2, –1, 0, 1, 2, 3, 4, 5, . . . . . . . . पूर्णांक हैं।
पूर्णांक के प्रकार (Types of Integers)
पूर्णांकों को तीन प्रकार में विभाजित किया जा सकता है। पूर्णांकों के ये तीन प्रकार हैं: धनात्मक पूर्णांक, ऋणात्मक पूर्णांक तथा शून्य
धनात्मक पूर्णांक (Positive Integers)
वैसी पूर्णांक संख्याएं, जो धनात्मक हैं, धनात्मक पूर्णांक कहलाती हैं।
अत: 1, 2, 3, 4, 5, . . . . . . . . आदि सभी धनात्मक पूर्णांक हैं।
एक पूर्णांक संख्यां जिसके आगे कोई चिन्ह (धनात्मक या ऋणात्मक) [positive (+) or negative (–)] नहीं लगा हो, धनात्मक पूर्णांक हैं।
लिखने की सुविधा की दृष्टिकोण से धनात्मक पूर्णांकों के पूर्व कोई चिन्ह नहीं लगाया जाता है। हालाँकि कभी कभी आवश्यक्ता के अनुसार धनात्मक पूर्णांकों के पहले धनात्मक चिन्ह लगाया जाता है।
ऋणात्मक पूर्णांक (Negative Integers)
वैसे पूर्णांक जिनके पूर्व ऋणात्मक चिन्ह लगा हो, ऋणात्मक पूर्णांक कहलाते हैं।
अत:, –1, –2, –3, –4, –5, . . . . . . . . आदि ऋणात्मक पूर्णांक हैं।
शून्य (Zero)
शून्य एक पूर्णांक है, परंतु शून्य न तो धनात्मक है और न ही ऋणात्मक
पूर्णांको पर क्रिया यथा जोड़, धटाव, गुणा एवं भाग (Operations on Integers)
पूर्णाकों का गुणा (Multiplication or Product of Integers)
दो धनात्मक पूर्णांकों का गुणनफल निकालना (Finding the Multiplication or Product of two Positive Integers)
दो धनात्मक पूर्णांको का गुणनफल निकालने के लिए उन्हें सामान्य रूप से गुणा किया जाता है। दो धनात्मक पूर्णांकों का गुणनफल एक धनात्मक पूर्णांक होता है।
उदाहरण : (1) 15 × 10
हल हल:
15 × 10 = 150
Here, given integers 15 and 10 are positive integers, and their product 150 is also a positive integer.
उदाहरण: (2) 8 × 7
हल:
8 × 7 = 56
यहाँ 8 और 7 दो धनात्मक पूर्णांक दिये गये हैं, तथा उनका गुणनफल 56 भी एक धनात्मक पूर्णांक है।
उदाहरण: (3) 22 × 9
हल:
22 × 9 = 1098
यहाँ 22 और 9 दो धनात्मक पूर्णांक दिये गये हैं, तथा उनका गुणनफल 1098 भी एक धनात्मक पूर्णांक है।
उदाहरण: (4) 16 और 12 को गुणा करें।
हल:
16 × 12 = 192 उत्तर
उदाहरण: (5) 8 और 9 का गुणनफल निकालें
हल:
8 × 7 = 56 उत्तर
उदाहरण: (6) 9 और 11 का गुणनफल क्या है?
हल:
9 × 11 = 99 उत्तर
अत: दो धनात्मक पूर्णांकों का गुणनफल एक धनात्मक पूर्णांक होता है।
दो अलग अलग चिन्ह (धनात्मक तथा ऋणात्मक) पूर्णांकों का गुणनफल ज्ञात करना (Multiplication of two integers with unlike signs)
दो अलग अलग चिन्ह वाले पूर्णांकों, एक धनात्मक (+) और दूसरा ऋणात्मक (–) पूर्णांकों, का गुणनफल निम्नांकित प्रक्रिया कर निकाली जाती है:
(a) दिये गये दोनों पूर्णांकों के चिन्ह को बिना ध्यान में रखे उन्हें साधारण विधि द्वारा गुणा करें।
(b) तथा गुणनफल के आगे एक ऋणात्मक चिन्ह लगायें।
अर्थात (–) × (+) = (–)
तथा, (+) × (–) = (–)
अर्थात एक धनात्मक तथा दूसरे ऋणात्मक (–) पूर्णांकों का गुणनफल हमेशा ऋणात्मक (–) होता है।
उदाहरण: (1) 10 × –2
हल:
दिये गये पूर्णांकों के चिन्हों को बिना ध्यान में रखे साधारण तरीके से उन्हें गुणा करें।
10 × 2 = 20
तथा गुणनफल के आगे एक ऋणात्मक चिन्ह (–) लगायें।
अत: दिये गये पूर्णांकों का गुणनफल 20 हो जाता है –20.
अत:, 10 × –2 = –20
उदाहरण: (2) 12 × –8
हल:
दिये गये पूर्णांकों के चिन्हों को बिना ध्यान में रखे साधारण तरीके से उन्हें गुणा करें।
12 × 8 = 96
तथा गुणनफल के आगे एक ऋणात्मक चिन्ह (–) लगायें।
अत: दिये गये पूर्णांकों का गुणनफल 96 हो जाता है –96.
अत:, 12 × –8 = –96
उदाहरण: (3) –6 × 9
हल:
दिये गये पूर्णांकों के चिन्हों को बिना ध्यान में रखे साधारण तरीके से उन्हें गुणा करें।
6 × 9 = 54
तथा गुणनफल के आगे एक ऋणात्मक चिन्ह (–) लगायें।
अत: दिये गये पूर्णांकों का गुणनफल 54 हो जाता है –54.
अत:, –6 × 9 = –54
उदाहरण: (4) –16 × 4
हल:
दिये गये पूर्णांकों के चिन्हों को बिना ध्यान में रखे साधारण तरीके से उन्हें गुणा करें।
16 × 4 = 64
तथा गुणनफल के आगे एक ऋणात्मक चिन्ह (–) लगायें।
अत: दिये गये पूर्णांकों का गुणनफल 64 हो जाता है –64.
अत:, –16 × 4 = –64
दो ऋणात्मक पूर्णांकों का गुणनफल निकालना (Multiplication of two Negative Integers)
दो ऋणात्मक पूर्णांकों का गुणनफल हमेशा एक धनात्मक पूर्णांक होता है।
दो ऋणात्मक पूर्णांको को गुणा करने के लिए उनके चिन्हों को बिना ध्यान में रखे साधारण तरीके से गुणा करें, तथा गुणनफल में धनात्मक चिन्ह लगायें। चूँकि धनात्मक पूर्णांकों के पहले लिखने की सुविधा के लिए कोई चिन्ह नहीं लगाया जाता है, अत: गुणनफल को बिना चिन्ह का रहने दें।
उदाहरण: (1) – 10 × –5
हल:
दिये गये पूर्णांकों के चिन्हों को बिना ध्यान में रखे साधारण तरीके से उन्हें गुणा करें।
i.e. 10 × 5 = 50
तथा गुणनफल के पहले एक धनात्मक चिन्ह लगायें।
अत: गुणनफल 50 धनात्मक ही रहता है अर्थात +50 हो जाता है।
अत:, – 10 × –5 = +50
चूँकि धनात्मक पूर्णांकों के आगे (पहले) कोई चिन्ह नहीं लगाया जाता है,
अत:, – 10 × –5 = 50
उदाहरण: (2) –8 × –7
हल:
दिये गये पूर्णांकों के चिन्हों को बिना ध्यान में रखे साधारण तरीके से उन्हें गुणा करें।
i.e. 8 × 7 = 56
तथा गुणनफल के पहले एक धनात्मक चिन्ह लगायें।
अत: गुणनफल 56 धनात्मक ही रहता है अर्थात +56 हो जाता है।
अत:, –8 × –7 = 56
उदाहरण: (3) –16 × –10
हल:
–16 × –10 = 160 उत्तर
उदाहरण: (4) –12 × –12
हल:
–12 × –12 = 144 उत्तर
उदाहरण: (5) –2 × –12
हल:
–2 × –12 = 24 उत्तर
उदाहरण: (6) –22 × –11
हल:
–22 × –11 = 242 उत्तर
पूर्णांको के गुणनफल निकालने का सारांश (Summary of Multiplication of Integers):
(1) दो असमान चिन्ह वाले पूर्णांकों का गुणनफल निकालने के लिये, सर्वप्रथम बिना उनके चिन्हों को ध्यान में रखे साधारण तरीके से गुणनफल निकालें, फिर गुणनफल में ऋणात्मक चिन्ह लगायें ।
अर्थात दो असमान चिन्ह वाले पूर्णांकों का गुणनफल हमेशा ऋणात्मक होता है।
(2) दो समान चिन्ह वाले पूर्णांको का गुणनफल निकालने के लिए बिना उनके चिन्हों ध्यान में रखे साधारण तरीके से गुणनफल निकालें, फिर गुणनफल में धनात्मक चिन्ह लगायें।
अर्थात दो समान चिन्ह वाले पूर्णांकों का गुणनफल हमेशा धनात्मक होता है।
संक्षेप में दो पूर्णांकों के गुणनफल का नियम
(a) (+) × (–) = (–)
(b) (–) × (+) = (–)
(c) (+) × ( +) = ( +)
(d) (–) × (–) = (+)
पूर्णांकों के गुणन के गुण (Properties of Multiplication of Integers)
गुणन का संवृत गुण (Closure Property of Multiplication)
दो पूर्णांकों का गुणनफल हमेशा एक पूर्णांक होता है।The product of two integers is always an integer.
उदाहरण: (1) 5 × 4 = 20
यहाँ, 5 तथा 4 दो पूर्णांक है, तथा इनका गुणनफल 20 भी एक पूर्णांक है। अत: यह कह सकते हैं कि पूर्णांक गुणन के अंतर्गत संवृत होता है।
उदाहरण: (2) 6 × 10 = 60
यहाँ, 6 तथा 10 दो पूर्णांक है, तथा इनका गुणनफल 60 भी एक पूर्णांक है।
उदाहरण: (3) 12 × 7 = 84
यहाँ, 12 तथा 7 दो पूर्णांक है, तथा इनका गुणनफल 84 भी एक पूर्णांक है।
ग़ुणन की क्रमविनिमेयता का नियम (Commutative Law for Multiplication)
पूर्णांकों के लिए गुणन क्रमविनिमेय है।
गुणन (multiplication) की क्रमविनिमेयता (Commutative) के नियम के अनुसार
यदि, a और b कोई दो पूर्णांक हैं,
तो, a × b = b × a
अर्थात पूर्णांकों को किसी भी क्रम में गुणा करने पर गुणनफल समान आता है।
उदाहरण: (1) 11 × 8 = 88 और, 8 × 11 = 88
अर्थात, 11 × 8 = 8 × 11
या, 11 × 8 = 8 × 11 = 88
उदाहरण: (2) 4 × 12 = 48 और, 12 × 4 = 48
अत:, 4 × 12 = 12 × 4
या, 4 × 12 = 12 × 4 = 48
उदाहरण: (3) –5 × 6 = 30 और 6 × (–5) = 30
अत:, –5 × 6 = 6 × (–5)
या, –5 × 6 = 6 × (–5) = 30
उदाहरण: (4) –10 × (–11) = 110
और –11 × (–10) = 110
अत:, –10 × (–11) = –11 × (–10)
या, –10 × (–11) = –11 × (–10) = 110
गुणन का साहचर्य गुण (Associative Law for Multiplication)
पूर्णांकों का गुणन साहचर्य नियम को follow (अनुसरण) करता है। अर्थात तीन पूर्णांकों का गुणनफल उससे समूह बनाने पर निर्भर नहीं करता है, और यह पूर्णांकों के लिए गुणन का साहचर्य नियम कहलाता है।
गुणन के साहचर्य नियम के अनुसार (According to Associative Law of Multiplication)
यदि, a, b तथा c कोई तीन पूर्णांक हैं,
तो, (a × b) × c = a × (b × c)
उदाहरण: (1) (2 × 3) × 4 = 24 और 2 × (3 × 4) = 24
अत:, (2 × 3) × 4 = 2 × (3 × 4)
या, (2 × 3) × 4 = 2 × (3 × 4) = 24
उदाहरण: (2) {3 × ( – 2 )} × ( – 2 ) = 12
और 3 × {( – 2 ) × ( – 2 )} = 12
और, { 3 × ( – 2 )} × ( – 2 ) = 3 × {( – 2 ) × ( – 2 )}
या, { 3 ×( – 2 )} × ( – 2 ) = 3×{( – 2 )×( – 2 )} = 12
उदाहरण: (3) { – 4 × ( – 2 )} × ( – 3 ) = – 24 और – 4 × { –2 × ( – 3 )} = 24
अत:, { – 4 × ( – 2 )} × ( – 3 ) = –4 × { –2 × ( – 3 )}
या, { – 4 × ( – 2 )} × ( – 3 ) = – 4 × { – 2 × ( – 3 )} = 24
गुणन के वितरण का गुण (Distributive Law of Multiplication over Addition)
गुणन योग के लिए वितरण के नियम का अनुसरण करता है।
गुणन का योग के लिए वितरण के नियम के अनुसार (According to Distributive Law of Multiplication over Addition),
यदि`a, b` और `c` कोई तीन पूर्णांक हैं,
तो, `axx(b+c) = (axxb)+(axxc)`
उदाहरण: (1) मान लिया कि 2, 3 और 5 कोई तीन पूर्णांक हैं
तो, 2 × (3+5) = 16 और (2 × 3) + (2 × 5) = 16
अत:, 2 × (3+5) = (2 × 3) + (2 × 5)
Or, 2 × (3+5) = (2 × 3) + (2 × 5) = 16
उदाहरण : (2) मान लिया कि, –3, –6 और –7
अत:, –3 × {–6 + (–7)} = –39
और, {(–3) × ( –6)} + {(–3) × (–7)} =39
और, –3 × {–6 + (–7)}
= {(–3) × ( –6)} + {(–3) × (–7)}
तथा, –3 × {–6 + (–7)}
= {(–3) × ( –6)} + {(–3) × (–7)} = 39
गुणात्मक तत्समक (Multiplicative Identity)
व्यापक रूप से किसी पूर्णांक `a` के लिए `(axx1) = (1xxa) =a`
अत:, 1 पूर्णांकों के लिए गुणात्मक तत्समक (multiplicative identity) है।
उदाहरण: (1) 8 × 1 = 8 और, 1 × 8 = 8
या, 8 × 1 = 1 × 8 = 8
अत:, 1, 8 का गुणात्मक तत्समक (multiplicative identity) है।
उदाहरण: (2) –3 × 1 = –3 और 1 × (–) 3 = –3
अत:, –3 × 1 = 1 × (–) 3 = –3
अत:, 1, –3 का गुणात्मक तत्समक (multiplicative identity) है।
अत:, 1 पूर्णांकों के लिए गुणात्मक तत्समक (multiplicative identity) है।
गुणन का व्युत्क्रम (Multiplicative Inverse)
किसी भी पूर्णांक के लिये गुणन का व्युत्क्रम वह संख्या है, जिससे गुणा करने पर गुणनफल 1 (एक) हो जाता है। किसी भी पूर्णांक का ब्युत्क्रम उस पूर्णांक के लिये गुणन का ब्युत्क्रम है।
मान लिया कि `a` पूर्णांक है, जहाँ `a!=0`
यहाँ `a` का ब्युत्क्रम `1/a`
अत:, `axx1/a = 1/a xx a = 1`
उदाहरण: (1) 2 के गुणन का ब्युत्क्रम `1/2` है।
चूँकि जब 2 को `1/2` से गुणा किया जाता है, तो गुणनफल 1 प्राप्त होता है।
i.e. `2 xx 1/2 = 1`
अत: `2` के गुणन का ब्युत्क्रम `1/2` है।
उदाहरण: (2) –5 के गुणन का ब्युत्क्रम `1/(-5)` है।
अत:, `-5 xx 1/(-5) = 1`
अत: –5 का उलटा अर्थात ब्युत्क्रम `1/(-5)` है, इसलिये –5, के गुणन का ब्युत्क्रम `1/(-5)` है।
शून्य से गुणन
एक पूर्णांक को शून्य से गुणा करने पर हमेशा गुणनफल शून्य प्राप्त होता है।
व्यापक रूप से किसी भी पूर्णांक `a` के लिए
`(axx0) = (0xxa) = 0`
उदाहरण: (1) 5 × 0 = 0 और 0 × 5 = 0
अत:, 5 × 0 = 0 × 5 = 0
उदाहरण: (2) –8 × 0 = 0 और 0 × (–8)=0
अत:, –8 × 0 = 0 × (–8)=0
संदर्भ (Reference):