अम्ल, क्षारक और लवण


एनसीईआरटी अभ्यास प्रश्नों के हल

प्रश्न संख्या (1) अम्लों और क्षारकों के बीच अंतर बताइए

उत्तर

अम्ल का स्वाद खट्टा होता है जबकि क्षारक का स्वाद कड़वा होता है।

अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल रंग में बदल देता है जबकि नीले लिटमस पत्र पर क्षारक का कोई प्रभाव नहीं होता है।

अम्ल का लाल लिटमस पत्र पर कोई प्रभाव नहीं होता है, जबकि क्षारक लाल लिटमस पत्र को नीले रंग में बदल देता है।

अम्ल को ऊँगलियों के बीच रगड़ने पर साबुन की तरह नहीं महसूस होता है, जबकि क्षारक को ऊँगलियों के बीच रगड़ने पर साबुन की तरह महसूस होता है।

प्रश्न संख्या (2) अनेक घरेलू उत्पादों, जैसे खिड़की साफ करने के मार्जकों आदि में अमोनिया पाया जाता है। ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। इनकी प्रकृति क्या है?

उत्तर

क्षारक लाल लिटमस पत्र को नीला बना देता है। चूँकि अमोनिया लाल लिटमस पत्र को नीला बना देता है, अत: यह क्षारीय प्रकृति का है।

प्रश्न संख्या (3) उस स्त्रोत का नाम बताइए, जिससे लिटमस विलयन को प्राप्त किया जाता है। इस विलयन का क्या उपयोग है?

उत्तर

लिटमस विलयन प्राप्त करने का स्त्रोत लाइकन नामक पौधा है। अर्थात लाइकन नामक पौधे से लिटमस विलयन प्राप्त किया जाता है।

लिटमस विलयन का उपयोग सूचक के रूप में होता है। इसका अर्थ है कि लिटमस का उपयोग किसी पदार्थ के अम्लीय या क्षारकीय प्रकृति का पता लगाने में होता है।

प्रश्न संख्या (4) क्या आसुत जल अम्लीय/क्षारकीय/उदासीन होता है? आप इसकी पुष्टि कैसे करेंगे।

उत्तर

आसुत जल उदासीन होता है।

आसुत जल के उदासीन होने की पुष्टि लिटमस पत्र के उपयोग से किया जा सकता है।

लिटमस पत्र को उदासीन विलयन में डालने पर उसके रंगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न संख्या (5) उदासीनीकरण के प्रक्रम को एक उदाहरण देते हुए समझाइए।

उत्तर

जब अम्लीय तथा क्षारीय विलयन को उपयुक्त अनुपात में मिलाया जाता है, दोनों एक दूसरे को उदासीन कर देते हैं। इस प्रक्रिया में लवण तथा जल बनता है इसके साथ ही उष्मा भी निकलती है। यह प्रक्रम उदासीनीकरण कहलाता है।

उदाहरण:

जब हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ मिलाया जाता है, तो सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक) तथा जल बनता है। इस प्रतिक्रिया में उष्मा भी निकलती है। यह प्रक्रिया उदासीनीकरण कहलाती है।

हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) + सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) ⇒ सोडियम क्लोराइड (NaCl) + जल (H2O) + उष्मा

प्रश्न संख्या (6) निम्नलिखित कथन यदि सही है, तो "(T)" अथवा गलत है, तो "(F)" लिखिए:

(i) नाइट्रिक अम्ल लाल लिटमस को नीला कर देता है। (T/F)

उत्तर F (गलत)

ब्याख्या :

अम्ल का लाल लिटमस पत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। एक अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है। चूँकि नाइट्रिक अम्ल एक अम्ल है, अत: यह लाल लिटमस पत्र को नीला नहीं करेगा बल्कि नीला लिटमस पत्र को लाल करेगा।

अत: दिया गया कथन गलत है।

(ii) सोडियम हाइड्रोक्साइड नीले लिटमस को लाल कर देता है। (T/F)

उत्तर F (गलत)

ब्याख्या :

क्षारक का नीले लिटमस पत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। एक क्षारल लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है। चूँकि सोडियम हाइड्रोक्साइड एक क्षारक है, अत: यह नीला लिटमस पत्र को लाल नहीं करेगा बल्कि लाल लिटमस पत्र को नीला करेगा।

अत: दिया गया कथन गलत है।

(iii) सोडियम हाइड्रोक्साइड और हाड्रोक्लोरिक अम्ल एक दूसरे को उदासीन करने लवण और जल बनाते हैं। (T/F)

उत्तर T (सही)

(iv) सूचक वह पदार्थ है, जो अम्लीय और क्षारकीय विलयनों में भिन्न रंग दिखाता है। (T/F)

उत्तर T (सही)

(v) दंत क्षय, क्षार की उपस्थिति के कारण होता है। (T/F)

उत्तर F (गलत)

ब्याख्या: दंत क्षय अम्ल की उपस्थिति के कारन होता है। यही कारण है कि टूथ पेस्ट में क्षारक होता है जो मुँह में बन रहे या बने हुए अम्ल को उदासीन बना कर दाँतों की रक्षा करता है।

अत: दिया गया कथन कि दंत क्षय, क्षार की उपस्थिति के कारण होता है, गलत है।

प्रश्न संख्या (7) दोरजी के रेस्टोरेंट में शीतल (मृदु) पेय की कुछ बोतलें हैं। लेकिन दुर्भाग्य से वे चिन्हित नहीं हैं। उसे ग्राहकों की माँग के अनुसार पेय परोसने हैं। एक ग्राहक अम्लीय पेय चाहता है, दूसरा क्षारकीय और तीसरा उदासीन पेय चाहता है। दोरजी यह कैसे तय करेगा, कि कौन सी बोतल किस ग्राहक को देनी है।

उत्तर:

दोरजी बोतलों में उपलब्ध शीतय पेय के अम्लीयता, क्षारकता, और उदासीनता की जाँच लिटमस पत्र के माध्यम से कर उसे माँग के अनुसार उचित ग्राहक को उपलब्ध करायेगा।

दोरजी तीनों पेय में से थोड़ा थोड़ा नमून तीन अलग अलग ग्लास में लेगा। तथा उसमें बारी बारी से लिटमस पत्र को डालकर उसकी जाँच करेगा।

पेय का वह नमूना जो नीले लिटसम पत्र को लाल कर देगा, अम्लीय प्रकृति का है। पेय का वह नमून जो लाल लिटमस पत्र को नीला कर देगा वह क्षारीय प्रकृति का है। तथा वह जिसका दोनों रंगों के लिटमस पत्र पर कोई प्रभाव नहीं होगा, वह उदासीन पेय है।

इस तरह तीनों पेय की जाँच करने के बाद माँग के अनुसार ग्राहकों को देगा।

प्रश्न संख्या (8) समझाइए, ऐसा क्यों होता है:

(a) जब आप अतिअम्लता से पीड़ित होते हैं, तो प्रतिअम्ल की गोली लेते हैं।

उत्तर

प्रतिअम्ल का अर्थ है वैसा पदार्थ जो अम्ल के विरूद्ध कार्य करता हो। प्रति अम्ल की गोली मुख्य रूप से क्षारक का बना होता है। अतिअम्लता से पीड़ित होने की स्थिति में प्रतिअम्ल की गोली अमाशय द्वारा स्त्रावित किये गये अतिरिक्त अम्ल को उदासीन बना देता है। इस तरह प्रतिअम्ल की गोली लेने से अतिअम्लता से पीड़ित व्यक्ति ठीक हो जाता है।

(b) जब चींटी काटती है, तो त्वचा पर कैलेमाइन का विलयन लगाया जाता है।

उत्तर

काटने के क्रम में चींटी त्वचा के अंदर फॉर्मिक अम्ल छोड़ देती है। त्वचा के अंदर फॉर्मिक अम्ल चले जाने के कारण चींटी काटने का पीड़ित व्यक्ति जलन एवं दर्द अनुभव करता है।

कैलेमाइन विलयन में जिंक कार्बोनेट होता है, जो एक क्षारक है। चींटी के काटे हुए स्थान पर कैलेमाइन विलयन के लगाने से यह फॉर्मिक अम्ल को उदासीन बना देता है, तथा पीड़ित व्यक्ति को दर्द से छुटकारा महसूस करता है।

यही कारण है चींटी के काटने पर त्वचा पर कैलेमाइन का विलयन लगाया जाता है।

(c) कारखाने के अपशिष्ट को जलाशयों में बहाने से पहले उसे उदासीन किया जाता है।

उत्तर

कारखाने के अपशिष्ट में अम्लीय पदार्थ होते हैं। यदि इसे बिना उपचारित किये जलाशय में बहा दिया जाय, तो जलाशय का जल भी अम्लीय हो जायेगा जिससे जलीय जीवन तथा पर्यावरन को क्षति होगी।

अत: जलीय जीवन और पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए कारखाने के अपशिष्ट को जलाशय में बहाने से पहले क्षारक से उपचारित कर उदासीन किया जाता है

प्रश्न संख्या (9) आपको तीन द्रव दिये गये हैं, जिनमें एक हाइड्रोक्लोरिक अम्ल है, दूसरा सोडियम हाइड्रोक्साइड और तीसरा शक्कर का विलयन है। आप हल्दी को सूचक के रूप में उपयोग करके उनकी पहचान कैसे करेंगे?

उत्तर

एक क्षारकीय विलयन हल्दी को लाल भूरे रंग में बदल देता है जबकि अम्लीय विलयन का इसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

तीनों विलयन का नमूना लेकर बारी बारी से हल्दी के विलयन में डालने पर क्षारकीय विलयन (सोडियम हाइड्रोक्साइड की पहचान कर उसे अलग किया जा सकता है।

क्षारकीय विलयन (सोडियम हाइड्रोक्साइड) को अलग करने के बाद उसे बाकी बचे दोनों विलयन के नमूने में अलग अलग मिलायेंगे।

सोडियम हाइड्रोक्साइड अम्ल के साथ मिलाने पर उदासीनीकरण की प्रक्रिया होती है जिसमें उष्मा भी निकलती है। अत: जिस नमूने का विलयन थोड़ा गर्म महसूस हो, वह अम्ल अर्थात हाइड्रोक्लोरिक अम्ल है, तथा दूसरा शक्कर का विलयन है।

इस तरह हल्दी जो कि सूचक के रूप में दिया गया है की मदद से तीनों दिये गये विलयन की पहचान की जा सकती है।

प्रश्न संख्या (10) नीले लिटमस पत्र को एक विलयन में डुबोया गया। वह नीला ही रहता है। विलयन की प्रकृति क्या है? समझाइए।

उत्तर

क्षारकीय विलयन नीले लिटमस पत्र के रंग में कोई परिवर्तन नहीं करता है। तथा उदासीन विलयन का भी लिटमस पत्र के रंगों प्र कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

चूँकि दिये गये विलयन में नीले लिटमस पत्र को डुबाने पर उसके रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता है, अत: यह विलयन या तो क्षारकीय है या उदासीन।

प्रश्न संख्या (11) निम्नलिखित वक्तव्यों को ध्यान से पढ़ें:

(क) अम्ल और क्षारक दोनों सभी सूचकों के रंगों को परिवर्तित कर देते हैं।

(ख) यदि कोई सूचक अम्ल के साथ रंग परिवर्तन कर देता है, तो वह क्षारक के साथ रंग परिवर्तन नहीं करता।

(ग) यदि कोई सूचक क्षारक के साथ रंग परिवर्तित करता है, तो वह अम्ल के साथ रंग परिवर्तन नहीं करता।

(घ) अम्ल और क्षारक में रंग परिवर्तन सूचक के प्रकार पर निर्भर करता है।

ऊपर लिखे वक्तव्यों में कौन से वक्तव्य सही हैं?

(i) सभी चार

(ii) (क) और (घ)

(iii) (ख) और (ग)

(iv) केवल (घ)

उत्तर (iv) केवल (घ)

ब्याख्या

कथन (क) अम्ल और क्षारक दोनों सभी सूचकों के रंगों को परिवर्तित कर देते हैं।

अम्ल और क्षारक दोनों सभी सूचकों के रंगों को परिवर्तित नहीं करता है। जैसे हल्दी, जो एक सूचक के रूप में उपयोग होता है, के रंग पर क्षारक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

अत: कथन (क) सही नहीं है।

कथन (ख) यदि कोई सूचक अम्ल के साथ रंग परिवर्तन कर देता है, तो वह क्षारक के साथ रंग परिवर्तन नहीं करता।

चाइना रोज का विलयन, जिसे सूचक के रूप में उपयोग किया जाता है, का रंग अम्ल तथा क्षारक दोनों विलयनों के साथ अलग अलग होता है।

अत: यह कथन (ख) भी गलत है।

कथन (ग) यदि कोई सूचक क्षारक के साथ रंग परिवर्तित करता है, तो वह अम्ल के साथ रंग परिवर्तन नहीं करता।

यह कथन भी गलत है, क्योंकि चाइना रोज या लिटमस का विलयन अम्ल तथा क्षारक के साथ अलग अलग रंगों को दर्शाता है।

अत: केवल कथन (घ) सही है, जो कहता है कि " अम्ल और क्षारक में रंग परिवर्तन सूचक के प्रकार पर निर्भर करता है। "

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