भौतिक तथा रासायनिक परिवर्तन


परिवर्तन क्या है?

हम अपने आस-पास बहुत से परिवर्तन देखते हैं, जैसे पौधों का बढ़ना, पेड़ों से पत्तों का टूटना, ईंधन का जलना, कागजों को काटना, सब्जियों को काटना, सूर्य का उगना, सूर्य का अस्त होना, चन्द्रमा की कलाओं में परिवर्तन, आदि। स्पष्टत: हमारे चारों ओर लगातार परिवर्तन होते रहते हैं, बदलाव होते रहते हैं। यह हमें बतलाता है कि हमारे जीवन में परिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण हैं हमारा जीवन परिवर्तनों से भरा परा है। दरअसल परिवर्तन ही जीवन का नाम है।

पदार्थों के गुण

परिवर्तन को ठीक से समझने के लिए सर्वप्रथम पदार्थ के गुणों के बारे में जानना आवश्यक है। परिवर्तन का अर्थ है किसी वस्तु के गुणों में परिवर्तन।

पदार्थों के गुण दो प्रकार के होते हैं, भौतिक गुण और रासायनिक गुण।

भौतिक गुण

आकार, रंग, पदार्थों की भौतिक अवस्था, आदि को पदार्थों का भौतिक गुण कहते हैं।

रासायनिक गुण

पदार्थों की आंतरिक संरचना, पदार्थों की अन्य पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया करने की क्षमता आदि को पदार्थों का रासायनिक गुण कहा जाता है।

परिवर्तन के प्रकार

अध्ययन में आसानी के लिए, परिवर्तनों को उनके गुणों के आधार पर दो भागों में विभाजित किया जा सकता है, भौतिक परिवर्तन और रासायनिक परिवर्तन।

भौतिक परिवर्तन

किसी पदार्थ के भौतिक गुणों में परिवर्तन को भौतिक परिवर्तन कहा जाता है।

किसी पदार्थ के आकार, रूप, रंग, तापमान, भौतिक अवस्था आदि में परिवर्तन को भौतिक परिवर्तन कहा जाता है।

भौतिक परिवर्तन के बाद, किसी पदार्थ का केवल भौतिक गुण में परिवर्तन होता है, तथा किसी नये पदार्थ का निर्माण नहीं होता है।

भौतिक परिवर्तन उत्क्रमणीय होते हैं। इसका अर्थ यह है कि साधारण तरीकों का उपयोग करके भौतिक परिवर्तन के बाद भी प्रारंभिक पदार्थ वापस प्राप्त किये जा सकते हैं।

उदाहरण :

कागज को मोड़ना, किसी लोहे की छड़ को मोड़ना, कागज के टुकड़े को फाड़ना, ईंट को टुकड़ों में तोड़ना, कार की पेंटिंग, कार या किसी भी चीज की एक जगह से दूसरी जगह जाना, पानी का बर्फ में पिघलना, पानी का वाष्प में बदलना, वाष्प का जल में परिवर्तन, जल का बर्फ में परिवर्तन, लोहे की छड़ का गर्म होना, मोम का पिघलना, आदि भौतिक परिवर्तन के कुछ उदाहरण हैं।

कागज को मोड़ने के बाद केवल कागज का आकार बदलता है, मोड़ने के बाद भी वह कागज का टुकड़ा ही रहता है। हम कागज को फिर से खोल कर उसके पिछले आकार को वापस प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए यह एक भौतिक परिवर्तन है।

बर्फ का जल में परिवर्तन एक भौतिक परिवर्तन है। बर्फ का जल में पिघलने से बर्फ के केवल भौतिक अवस्था में परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन उत्क्रमणीय है, अर्थात जल को जमा कर पुन: बर्फ वापस प्राप्त किया जा सकता है। बर्फ के पानी में पिघलने से कोई नया पदार्थ नहीं बनता है, बल्कि बर्फ पानी का ही दूसरा रूप है।

जल का जलवाष्प में परिवर्तन, या वाष्प का जल में परिवर्तन भौतिक परिवर्तन हैं। वाष्प को ठंढ़ा कर हम पुन: जल प्राप्त कर सकते हैं। अन्य भौतिक परिवर्तनों की तरह ही जल का जलवाष्प में परिवर्तन या वाष्प का जल में परिवर्तन उत्क्रमणीय परिवर्तन हैं। वाष्प के जल में परिवर्तन होने या जल के वाष्प में परिवर्तन होने से कोई नया पदार्थ नहीं बनता है।

मोम का पिघलना। पिघले हुए मोम को ठंडा करके हम मोम को वापस प्राप्त कर सकते हैं। इसमें कोई नया पदार्थ नहीं बनता, केवल मोम की भौतिक अवस्था बदल जाती है। इस प्रकार मोम का पिघलना या तरल मोम का ठोस मोम में ठंडा होना भौतिक परिवर्तन के उदाहरण है।

रसायनिक परिवर्तन

किसी पदार्थ के रासायनिक गुणों में परिवर्तन को रासायनिक परिवर्तन कहा जाता है।

किसी पदार्थ की आंतरिक संरचना में परिवर्तन और परिवर्तन के बाद एक या एक से अधिक नये पदार्थों के बनने को रासायनिक परिवर्तन कहा जाता है।

एक रासायनिक परिवर्तन आम तौर पर अनुत्क्रमणीय होता है। इसका अर्थ है कि रासायनिक परिवर्तन के बाद, हम साधारण भौतिक विधियों का उपयोग कर प्रारंभिक पदार्थ को वापस नहीं पा सकते हैं।

चूँकि रासायनिक परिवर्तन में एक या एक से अधिक नए पदार्थ बनते हैं, इसलिए रासायनिक परिवर्तन को रासायनिक प्रतिक्रिया भी कहा जाता है। सभी रासायनिक प्रतिक्रियाओं में होने वाले परिवर्तन रासायनिक परिवर्तन हैं।

उदाहरण

वृक्षों का बढ़ना, मनुष्य का बढ़ना, कागज का जलना, ईंधन का जलना, मोम का जलना, आदि। किसी भी वस्तु का जलना रासायनिक परिवर्तन है।

कागज का जलना एक रासायनिक परिवर्तन है।

कागज को जलाने से हमें कागज से ऊष्मा, प्रकाश, धुआँ और राख प्राप्त होती है। कागज के जलने पर एक से अधिक पदार्थ बनते हैं। कागज को जलाने के बाद हम किसी भी विधि द्वारा उसे वापस नहीं पा सकते। जलने से कागज के रासायनिक गुण बदल जाते हैं और नए पदार्थ बनते हैं। इस प्रकार कागज का जलना एक रासायनिक परिवर्तन है।

पटाखे का फटना।

पटाखों के फटने से ऊष्मा, प्रकाश, ध्वनि, धुआँ, राख आदि बनते हैं। हम पटाखों को उनके जलने या फटने के बाद वापस नहीं पा सकते। पटाखों के फटने या जलने से उनका रासायनिक स्वरूप बदल जाता है। इस प्रकार पटाखों का जलना या फटना एक रासायनिक परिवर्तन है।

कोयला, लकड़ी, कागज, कपड़ा, कपास, मैग्नीशियम रिबन, आदि जैसी किसी भी वस्तु का जलना एक रासायनिक परिवर्तन है। क्योंकि किसी भी चीज के जलने से एक या एक से अधिक पदार्थ बनते हैं और जले हुए पदार्थ की रासायनिक प्रकृति बदल जाती है। जलने के बाद हम पदार्थ को वापस नहीं पा सकते हैं।

सजीवों में बृद्धि भी रासायनिक परिवर्तन हैं। उदाहरण के लिए एक पौधे की वृद्धि के बाद इसकी आंतरिक संरचना बदल जाती है और हम उगाए गए पौधे से किसी भी विधि का उपयोग करके पिछले पौधे को वापस नहीं पा सकते हैं।

रासायनिक परिवर्तन में नये पदार्थ बनने के अलावे निम्नलिखित घटनाएँ भी हो सकती हैं

(क) उष्मा का निकलना

(ख) प्रकाश का निकलना

(ग) किसी अन्य प्रकार के विकीरण का होना

(घ) ध्वनी का उत्पन्न होना (जैसे पटाखों के जलने पर होता है)

(च) गंघ में परिवर्तन होना

(छ) रंग में परिवर्तन होना

(ज) किसी गैस का बनना, आदि

कॉपर सल्फेट के घोल के साथ आयरन की प्रतिक्रिया

जब लोहे से बने ब्लेड या एक लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के घोल में कुछ समय के लिए डुबो कर रखा जाता है, तो कॉपर सल्फेट का नीला घोल हरे रंग में बदल जाता है, तथा ब्लेड या लोहे की कील पर भूरे रंग का कॉपर जमा हो जाता है।

कॉपर सल्फेट के नीले घोल के हरे रंग में बदल जाने का कारण यह है कि इस अभिक्रिया में कॉपर सल्फेट का घोल लोहे से प्रतिक्रिया कर आयरन सल्फेट में बदल जाता है, और आयरन सल्फेट के जलीय घोल का रंग हरा होता है।

इस अभिक्रिया में कॉपर सल्फेट का नीला विलयन, आयरन सल्फेट के हरे विलयन में बदल जाता है और कॉपर लोहे की कील या लोहे से बने ब्लेड के ऊपर जमा हो जाता है।

कॉपर सल्फेट तथा आयरन के बीच होने वाली प्रतिक्रिया को निम्न रासायनिक समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है:

कॉपर सल्फेट घोल (हरा) + आयरन ⇒ आयरन सल्फेट (नीला) + कॉपर (भूरा)

कॉपर सल्फेट विलयन (CuSO4) + आयरन (Fe) ⇒ आयरन सल्फेट (FeSO4) + कॉपर (Cu)

चूँकि इस अभिक्रिया में दो नए पदार्थ, आयरन सल्फेट तथा कॉपर (ताम्बा) बनते हैं, अत: लोहे की कील पर कॉपर का जमा होना और कॉपर सल्फेट के घोल का आयरन सल्फेट के घोल में बदलना रासायनिक परिवर्तन हैं।

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Reference: