चूंकि किसी भी चीज का जलना एक रासायनिक परिवर्तन है, इसलिए मैग्नीशियम रिबन (या मैग्नीशियम के टुकड़े) का जलना भी एक रासायनिक परिवर्तन है।
मैग्नीशियम रिबन को जलाने से यह एक चमकदार रोशनी के साथ जलता है, तथा उष्मा, धुँआ, और राख आदि भी उत्पन्न होता है।
मैग्नीशियम रिबन के जलने से बने राख को मैग्नीशियम ऑक्साइड कहा जाता है। मैग्नीशियम ऑक्साइड का रासायनिक सूत्र MgO है।
मैग्नीशियम रिबन के जलने में होने वाली रासायनिक प्रतिक्रिया को निम्न रासायनिक समीकरण द्वारा लिखा जा सकता है:
मैग्नीशियम (Mg) + ऑक्सीजन (O2) ⇒ मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO) + उष्मा + प्रकाश
चूँकि, ऑक्सीजन की उपस्थिति के बिना जलना संभव नहीं है, इसलिए किसी भी चीज के जलने में होने वाली प्रतिक्रिया ऑक्सीजन के अतिरिक्त संकेत द्वारा दिखाई जाती है, जैसा कि मैग्नीशियम के जलने की उपरोक्त प्रतिक्रिया में दिखाया गया है।
यहाँ हम देख सकते हैं कि मैग्नीशियम रिबन के जलने पर तीन नए पदार्थ बनते हैं। ये पदार्थ मैग्नीशियम ऑक्साइड, गर्मी, और प्रकाश हैं।
चूँकि मैग्नीशियम के जलने से नए पदार्थ बनते हैं, इसलिए मैग्नीशियम का जलना एक रासायनिक प्रतिक्रिया है।
मैग्नीशियम ऑक्साइड को पानी में घोलने पर यह मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड में बदल जाता है। मैग्नीशियम ऑक्साइड का रासायनिक सूत्र MgO है, और मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड का Mg(OH)2 है।
मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO) की जल के साथ प्रतिक्रिया को निम्न रासायनिक समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है:
मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO) + पानी (H2O) ⇒ मैग्नीशियम हाइड्रोक्साइड [Mg(OH)2]
जब एक लाल लिटमस पेपर को मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड के घोल में डुबोया जाता है, तो यह नीला हो जाता है। इससे पता चलता है कि मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड [Mg(OH)2] एक क्षार है।
[एक लाल लिटमस पत्र को किसी क्षार के घोल में डुबोने पर वह नीले रंग में बदल जाता है। या इसे दूसरे शब्दों में इस तरह कह सकते हैं कि यदि लाल लिटमस पत्र को किसी घोल में डुबाया जाता है, और लाल लिटमस पत्र का रंग नीला हो जाता है, तो वह घोल क्षार है। दूसरी तरफ एक नीले लिटमस पत्र को अम्ल के जलीय घोल में डुबोने पर वह लाल रंग में परिणत हो जाता है, अर्थात यदि नीला लिटमस पत्र को किसी घोल में डुबोने पर वह लाल रंग में परिणत हो जाता है, तो वह घोल अम्ल है। प्रयोगशालाओं अम्ल तथा क्षारक की जाँच लिटमस पत्र के द्वारा की जाती है।]
चूंकि, मैग्नीशियम ऑक्साइड और पानी के बीच होने वाली प्रतिक्रिया में, एक नया पदार्थ मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड [Mg(OH)2] बनता है, इसलिए, यह एक रासायनिक परिवर्तन है।
बेकिंग सोडा जब सिरका के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो पानी और सोडियम एसीटेट के साथ कार्बन डाइऑक्साइड बनता है। सिरका का रासायनिक नाम एसिटिक एसिड है, और बेकिंग सोडा का रासायनिक नाम सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट है। बेकिंग सोडा का दूसरा रासायनिक नाम सोडियम बाइकार्बोनेट है।
सिरका (एसिटिक एसिड) का रासायनिक सूत्र CH3COOH है। बेकिंग सोडा (सोडियम बाइकार्बोनेट) का रासायनिक सूत्र Na2HCO3 है। कार्बन डाइऑक्साइड का रासायनिक सूत्र CO2 है। सोडियम एसीटेट का रासायनिक सूत्र NaC2H3O2 या CH3COONa है। और पानी का रासायनिक सूत्र H2O होता है।
सिरका और बेकिंग सोडा के बीच होने वाली प्रतिक्रिया को निम्नांकित समीकरण द्वारा दिखाया जा सकता है:
सिरका (एसिटिक एसिड) + बेकिंग सोडा (सोडियम बाइकार्बोनेट) ⇒ कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) + सोडियम एसीटेट (CH3COONa) + पानी (H2O)
सिरका और बेकिंग सोडा के बीच होने वाली प्रतिक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड के मुक्त होने की पुष्टि, इस प्रतिक्रिया से निकलने वाली गैस को चूने के पानी में पारित करके (पास कराकर) की जा सकती है।
चूने के पानी में कार्बन डाईऑक्साइड को पास कराने (मिलाने) पर इसका रंग हो जाता है।
चूने का पानी में कार्बन डाइऑक्साइड गैस पास कराने पर (मिश्रित करने पर) कैल्शियम कार्बोनेट तथा जल बनता है, कैल्शियम कार्बोनेट बनने के कारण चूने के पानी का रंग दूधिया हो जाता है।
चूने के पानी का रासायनिक नाम कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड है और इसका रासायनिक सूत्र Ca(OH)2 है। कैल्शियम कार्बोनेट का रासायनिक सूत्र CaCO3 है और इसका सामान्य नाम चूना पत्थर है। सामान्य बोलचाल की भाषा में कैल्शियम कार्बोनेट को चूने का पत्थर या चूना पत्थर कहा जाता है।
कार्बन डाइऑक्साइड और चूने के पानी के बीच होने वाली प्रतिक्रिया को निम्नांकित रासायनिक समीकरण द्वारा लिखा जा सकता है। कार्बन डाइऑक्साइड और चूने के पानी के बीच होने वाली प्रतिक्रिया में कैल्शियम कार्बोनेट और जल बनता है।
चूना जल (Ca(OH)2) + कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) ⇒ कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) + जल (H2O)
कार्बन डाइऑक्साइड को चूना जल में पारित (पास) करने पर चूने जल का दूधिया होना, कार्बन डाइऑक्साइड गैस को प्रमाणित करने वाला एक परीक्षण है।
चूंकि कार्बन डाइऑक्साइड और चूना जल के बीच होने वाली प्रतिक्रिया में दो नए पदार्थ, जल और कैल्शियम कार्बोनेट बनते हैं, अत: अन्य प्रतिक्रिया की तरह ही यह एक रासायनिक परिवर्तन है।
वस्तुतः सभी रासायनिक अभिक्रियाएँ रासायनिक परिवर्तनों के उदाहरण हैं।
जब लोहे से बनी वस्तुओं को लंबे समय तक खुले में छोड़ दिया जाता है, तो लोहा; हवा में मौजूद ऑक्सीजन और नमी के साथ प्रतिक्रिया करता है; और एक भूरे रंग का पदार्थ लोहे के ऊपर जमा हो जाता है। भूरे रंग के इस पदार्थ को जंग कहते हैं। और यह परिघटना, अर्थात लोहे की बनी वस्तुओं के ऊपर भूरे रंग का पदार्थ जमा होना लोहे में जंग लगना कहलाती है।
जंग का रासायनिक नाम आयरन ऑक्साइड है। आयरन ऑक्साइड का दूसरा नाम फेरिक ऑक्साइड, आयरन (III) ऑक्साइड हैं।
लोहे में जंग लगना एक रासायनिक परिवर्तन है। जंग लगने पर लोहे की बनी वस्तुओं के ऊपर यह भूरे रंग के पदार्थ के रूप में जमा होने लगता है। जंग एक नया पदार्थ है जिसका रासायनिक नाम आयरन ऑक्साइड है। हम सामान्य भौतिक विधियों का उपयोग करके जंग से लोहा वापस नहीं पा सकते हैं।
लोहे में जंग लगने की अभिक्रिया को निम्नांकित रासायनिक समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है:
आयरन (Fe) + पानी (H2O) + ऑक्सीजन (O2) ⇒ आयरन ऑक्साइड (Fe2O3)
लोहे की बनी वस्तुओं पर जंग लगने के बाद धीरे-धीरे पूरी वस्तु जंग में बदल जाती है। यदि समय रहते इसे रोका नहीं गया तो जंग धीरे-धीरे लोहे से बनी पूरी वस्तु को नष्ट कर देती है। हर साल लोहे से बनी कई चीजों में जंग लग जाती है और सार्वजनिक और निजी संपत्ति को भारी नुकसान होता है। उदाहरण के लिए लोहे के गेट, लोहे की ग्रिल, लोहे से बने पुल, साइकिल रिम, जहाज आदि। जहाज और पुल हमेशा पानी के संपर्क में रहते हैं, इसलिए इनमें जंग लगने का खतरा हमेशा बना रहता है।
जंग लगने के लिए लोहे का पानी और ऑक्सीजन की के सम्पर्क में बने रहने की आवश्यकता होती है। ऑक्सीजन तथा जल में से किसी एक को या दोनों को लोहे की बनी वस्तुओं के संपर्क में आने से रोक दिया जाए तो लोहे से वस्तुओं को जंग लगने से बचाया जा सकता है।
लोहे से बनी वस्तुओं पर पेंट की एक परत लगाकर या उन पर ग्रीस की एक परत लगाकर जंग को रोका जा सकता है। लोहे की बनी वस्तुओं पर गैल्वनाइजेशन, जिसमें उसपर जिंक की एक परत चढ़ा दी जाती है, के द्वारा भी लोहे की वस्तुओं को जंग से बचाया जा सकता है।
लोहे की बनी वस्तुओं पर पेंटिंग, ग्रीस, गैल्वनाइजेशन आदि की परत चढ़ाने से, वातावरण में मौजूद नमी और ऑक्सीजन लोहे के संपर्क में नहीं आते हैं। इस प्रकार लोहे से बनी वस्तुओं को जंग लगने से रोका जाता है। यही कारण है कि लोहे के ग्रिल, गेट, आदि को हमेशा पेंट किया जाता है, तथा साइकल के चेन पर ग्रीस सी परत चढ़ाई जाती है। साइकल के चेन पर ग्रीस की परत जहाँ उसकी पैडल पर बने दाँतों के ऊपर गति को आसान बनाता है वहीं ग्रीस चेन को जंग से भी बचाये रखता है।
लोहे की बनी वस्तुओं के ऊपर जस्ता की परत चढ़ाने की प्रतिक्रिया को गैल्वेनाइजेशन कहा जाता है।
घरों तथा अन्य जगहों पर उपयोग में लाये जाने वाले जल आपूर्ति वाले लोहे के पाइप पर जस्ते की एक परत चढ़ी होती है, ताकि इन पाइपों को जंग से बचाया जा सके।
ठोस लवणों का उनके विलयन के वाष्पन द्वारा बनना क्रिस्टलीकरण कहलाता है। बर्फ का बनना भी क्रिस्टलीकरण की है।
समुद्री जल में कई लवण घुले होते हैं। हम अपने किचन में जो आम नमक इस्तेमाल करते हैं, वह प्राय: समुद्री जल के वाष्पीकरण से प्राप्त किया जाता है। हालाँकि घरों में रॉक साल्ट (पहाड़ों से काटे गये नमक) का उपयोग भी किया जाता है, परंतु वैसे पहाड़ जिनसे नमक प्राप्त किया जाता है, कभी समुद्र हुआ करते थे, जो समय के साथ जलवायु में होने वाले परिवर्तन की वजह से सूखने के कारण, समुद्र के लवण जमा होकर पहाड़ के रूप में बन गये हैं।
क्रिस्टल का एक निश्चित आकार होता है, यह गोल, शंक्वाकार, चौकोर या किसी भी अन्य आकार का हो सकता है।
चीनी और नमक के क्रिस्टल आसानी से देखे जा सकते हैं।
चूँकि क्रिस्टलीकरण से केवल लवण के भौतिक अवस्था या गुणों में परिवर्तन होता है, और कोई नया उत्पाद नहीं बनता है, इसलिये क्रिस्टलीकरण एक भौतिक परिवर्तन है।
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