प्रश्न संख्या (1) कोई धावक दौड़ समाप्त होने पर सामान्य से अधिक तेजी से गहरी साँसें क्यों लेता है?
उत्तर:
दौड़ने या अधिक शारीरिक श्रम करने पर हमारे शरीर को अधिक उर्जा की आवश्यकता होती है जिसके लिए आवश्यक अतिरिक्त ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए हम तेजी से गहरी साँस लेने लगते हैं। यही कारण है कि कोई धावक दौड़ समाप्त होने पर सामान्य से अधिक तेजी से गहरी साँस लेने लगता है।
प्रश्न संख्या (2) वायवीय और अवायवीय श्वसन के बीच समानताएँ और अंतर बताइए।
उत्तर
वायवीय और अवायवीय श्वसन के बीच समानताएँ
वायवीय और अवायवीय दोनों श्वसन में ग्लूकोज के बिखंडन से उर्जा मुक्त होती है।
वायवीय और अवायवीय दोनों श्वसन कोशिकाओं में होता है।
वायवीय और अवायवीय श्वसन के बीच अंतर
वायवीय श्वसन ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है, जबकि आवायवीय श्वसन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है।
वायवीय श्वसन में उपोत्पाद के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल प्राप्त होता है, जबकि मानव में अवायवीय श्वसन में उपोत्पाद के रूप में लैक्टिक अम्ल बनता है तथा सूक्ष्मजीवों में एल्कोहॉल बनता है।
वायवीय श्वसन में अधिक मात्रा में उर्जा मुक्त होती है जबकि अवायवीय श्वसन में अपेक्षाकृत कम मात्रा में उर्जा निर्मुक्त होती है।
प्रश्न संख्या (3) जब हम अत्यधिक धूल भरी वायु में साँस लेते हैं, तो हमें छींक क्यों आती है?
उत्तर
अत्यधिक धूल भरी वायु में साँस लेने से कुछ धूल कण नाक के अंदर चली जाती है तो मष्तिस्क को एक संदेश चला जाता है कि कुछ अवांछित पदार्थ नाक के अंदर चला गया है, जिसे बाहर निकालने के लिए छींके आने लगती है। यह एक प्रकार का आत्मरक्षा तंत्र है।
प्रश्न संख्या (4) तीन परखनलियाँ लीजिए। प्रत्येक को 3/4 भाग तक जल से भर लीजिए। इन्हें A, B तथा C द्वारा चिन्हित कीजिए। परखनली A में एक घोंघा रखिए। परखनली B में कोई जलीय पादप रखिए और परखनली C में एक घोंघा और पादप दोनों रखिए। किस परखनली में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता सबसे अधिक होगी ?
उत्तर
परखनली (A) में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता सबसे अधिक होगी। क्योंकि इसमें रखा हुआ घोंघा श्वसन के क्रम में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ेगा।
परखनली (B) में चूँकि एक जलीय पादप रखा हुआ है, जो प्रकाश संश्लेषण के क्रम में कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करेगा जिससे इस परखनली में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता सबसे कम होगी।
परखनली (C) में चूँकि एक घोंघा और जलीय पादप दोनों रखे गये हैं, इसलिए इसमें भी कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता कम होगी, क्योंकि घोंघा द्वारा श्वसन के क्रम में छोड़ा जाने वाला कार्बन डाइऑक्साइड जलीय पादप द्वारा प्रकाश संश्लेषण के क्रम में उपयोग कर लिया जायेगा।
(5) सही उत्तर पर (✔) का निशान लगाइए :
(क) तिलचट्टे के शरीर में वायु प्रवेश करती है, उनके
(i) फेफड़ों द्वारा
(ii) क्लोमों द्वारा
(iii) श्वास रन्ध्रों द्वारा
(iv) त्वचा द्वारा
उत्तर (iii) श्वास रंध्रों द्वारा
ब्याख्या
तिलचट्टे के सिर के पार्श्व भाग में सूक्ष्म छिद्र होते हैं जिसे श्वास रंध्र कहा जाता है। तिलचट्टे इन्हीं श्वास रंध्रों द्वारा साँस लेते हैं।
(ख) अत्यधिक व्याव्याम करते समय हमारी टाँगों में जिस पदार्थ के संचयन के कारण ऐंठन होती है, वह है
(i) कार्बन डाइऑक्साइड
(ii) लैक्टिक अम्ल
(iii) एक्लोहॉल
(iv) जल
उत्तर (ii) लैक्टिक अम्ल
ब्याख्या
अधिक शारीरिक श्रम करने के क्रम में हमारे शरीर को आवश्यक सामान्य से अधिक उर्जा की आपूर्ति के लिए अतिरिक्त ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जिसे पूरा करने के लिए हमारा शरीर तेजी से गहरी साँसे लेने लगता है, परंतु शरीर के ऑक्सीजन आपूर्ति की क्षमता सीमित होती है, फलस्वरूप अतिरिक्त उर्जा की पूर्ति के लिए माँसपेशियों, विशेषकर टाँगों की माँसपेशियों की कोशिकाओं में अवायवीय श्वसन होने लगता है। अवायवीय श्वसन, जो कि ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है, में ग्लूकोस का पूर्ण विखंडन नहीं हो पाता है तथा उर्जा मुक्ति के साथ साथ लैक्टिक अम्ल बनता है।
इस लैक्टिक अम्ल के टाँगों की कोशिकाओं में जमा हो जाने के कारण टाँगों में ऐंठन होने लगती है। यह ऐंठन गर्म पानी से स्नान करने, मालिश करवाने तथा आराम करने से दूर हो जाती है। गर्म पानी से स्नान करने या मालिश करवाने से माँसपेशियों की कोशिकाओं में रक्त का संचार बढ़ जाता है जिससे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति होने लगती है, फलस्वरूप लैक्टिक अम्ल का विखंडन कार्बन डाइऑक्साइड और जल में हो जाता है, और ऐंठन समाप्त हो जाती है।
(ग) किसी सामान्य वयस्क व्यक्ति की विश्राम अवस्था में औसत श्वसन दर होती है
(i) 9 -12
(ii) 15-20
(iii) 21-24
(iv) 30-33
Answer (ii) 15-20
ब्याख्या
एक स्वस्थ युवक की विश्राम अवस्था में औसत श्वसन दर 15 से 20 प्रति मिनट होता है। इसका अर्थ है, एक स्वस्थ युवक विश्राम अवस्था में एक मिनट में 15 से 20 बार साँस लेता तथा छोड़ता है। अधिक शारीरिक करने पर अधिक उर्जा की आपूर्ति के लिए अतिरिक्त ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जिसे पूरा करने के लिए हमारा शरीर तेजी से गहरी साँस लेने लगता है।
(घ) उच्छ्वसन के समय, पसलियाँ
(i) बाहर की ओर गति करती हैं
(ii) नीचे की ओर गति करती हैं।
(iii) ऊपर की ओर गति करती हैं।
(iv) बिल्कुल गति नहीं करती हैं।
उत्तर(ii) नीचे की ओर गति करती हैं।
Explanation
हमारा फेफड़ा चारों ओर से पसलियों से घिरी रहती है तकि वह सुरक्षित रह सके। श्वसन के क्रम में पसलियाँ उपर तथा नीचे की ओर गति करती हैं। अंत:श्वसन के क्रम में पसलियाँ ऊपर की ओर गति करती है तथा फैलकर फेफड़ों को अधिक जगह प्रदान करती है जिससे वायु फेफड़े के अंदर आसानी से भर सके। उच्छ्वसन के क्रम में पसलियाँ जीचे की ओर गति करती है जिससे फेफड़े में दबाब बढ़ जाता है तथा फेफड़े से श्वास आसानी से बाहर निकल जाती है।
प्रश्न संख्या (6) कॉलम A में दिये गये शब्दों को कॉलम B के साथ मिलान कीजिए:
प्रश्न का टेबल | |
---|---|
कॉलम A | कॉलम B |
(क) यीस्ट | (i) केंचुआ |
(ख) डायफ्राम (मध्यपट) |
(ii) क्लोम |
(ग) त्वचा | (iii) एल्कोहॉल |
(घ) पत्तियाँ | (iv) वक्ष गुहा |
(च) मछली | (v) रंध्र |
(छ) मेंढ़क | (vi) फेफड-और त्वचा |
(vii) श्वास प्रणाल (वातक) |
उत्तर
उत्तर टेबल | |
---|---|
कॉलम A | कॉलम B |
(क) यीस्ट | (iii) एल्कोहॉल |
(ख) डायफ्राम (मध्यपट) |
(iv) वक्ष गुहा |
(ग) त्वचा | (i) केंचुआ |
(घ) पत्तियाँ | (v) रंध्र |
(च) मछली | (ii) क्लोम |
(छ) मेंढ़क | (vi) फेफड-ए और त्वचा |
(vii) श्वासप्रणाल (वातक) |
प्रश्न संख्या (7) बताइए कि निम्नलिखित वक्तव्य "सत्य" हैं अथवा "असत्य" :
(क) अत्यधिक व्याव्याम करते समय व्यक्ति की श्वसन दर धीमी हो जाती है। (सत्य/असत्य)
उत्तर: असत्य
ब्याख्या
अत्यधिक व्याव्याम या शारीरिक श्रम करते समय हमारे शरीर को अधिक उर्जा की आवश्यकता होती है। इस अधिक उर्जा के लिए कोशिकाओं में तेजी से श्वसन होने लगता है जिसके लिए अतिरिक्त ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति के लिए हमारा शरीर तेजी से श्वसन करने लगता है।
अत: अत्यधिक व्यायाम करते समय व्यक्ति की श्वसन दर धीमी नहीं बल्कि तेज हो जाती है।
(ख) पादपों में प्रकाश संश्लेषम केवल दिन में, जबकि श्वसन केवल रात्रि में होता है।
Answer: असत्य
ब्याख्या
प्रत्येक जीव को जीविति रहने के लिए हर समय उर्जा की आवश्यकता होती है जिसके लिए वह लगातार हर समय श्वसन करता रहता है। बिना श्वसन के जीव जीवित नहीं रह सकता।
चूँकि पादप भी सजीव हैं अत: पादप हर समय श्वसन करता रहता है चाहे वह दिन हो या रात। लेकिन पादप में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया केवल दिन में ही होती है, क्योंकि प्रकाश संश्लेषण के लिए सूरज के रोशनी की आवश्यकता होती है, बिना सूरज की रोशनी के प्रकाश संश्लेषण नहीं होगा।
अत: यह कथन "पादपों में प्रकाश संश्लेषम केवल दिन में, जबकि श्वसन केवल रात्रि में होता है " गलत है। सही कथन है, "पादपों में प्रकाश संश्लेषम केवल दिन में होता है, जबकि श्वसन दिन तथा रात्रि दोनों में हर समय होता रहता है "।
(ग) मेढ़क अपनी त्वचा के अतिरिक्त अपने फेफड़ों से भी श्वसन करते हैं।
Answer: सत्य
ब्याख्या
मेढ़क एक उभयचर है। अर्थात मेढ़क स्थल तथा जल दोनों में जीवित रहता है।
श्वसन के लिए मेढ़क की त्वचा श्लेष्मी तथा आर्द्र होती है जिससे वह जल में रहकर श्वसन करता है। इसके साथ ही मेढ़क को फेफड़े भी होते हैं, जिससे वह स्थल पर रहकर श्वसन करता है।
(घ) मछलियों में श्वसन के लिए फेफड़े होते हैं।
उत्तर: असत्य
ब्याख्या
मछलियों के सिर के दोनों भागों में गिल (क्लोम) होता है, जिससे वह जल में रहकर श्वसन करती हैं।
(च) अंत:श्वसन के समय वक्ष गुहा का आयतन बढ़ जाता है।
उत्तर: सही
प्रश्न संख्या (8) दी गयी पहेली के प्रत्येक वर्ग में जीवों के श्वसन से संबंधित हिंदी वर्णाक्षर अथवा संयुक्ताक्षर दिए गये हैं। इनको मिलाकर जीवों तथा उनके श्वसन अंगों से संबंधित श्ब्द बनाए जा सकते हैं। शब्द वर्गों के जाल में किसी भी दिशा में, ऊपर, नीचे अथवा विकर्ण में पाए जा सकते हैं। श्वसन तंत्र तथा जीवों के नाम खोजिए।
इन शब्दों के लिए संकेत नीचे दिये गये हैं।
उत्तर
(1) कीटों की वायु नलियाँ
उत्तर : श्वास प्रणाल
(2) वक्ष गुहा को घेरे हुए हड्डियों की संरचना
उत्तर : पसलियाँ
(3) वक्ष गुहा का पेशीय तल
उत्तर : डायफ्राम
(4) पत्ती की सतह पर सूक्ष्म छिद्र
उत्तर : रंध्र
(5) कीट के शरीर के पार्श्व भागों के छोटे छिद्र
उत्तर : श्वास रंध्र
(6) मनुष्यों के श्वसन अंग
उत्तर : फेफड़े
(7) वे छिद्र जिनसे हम साँस भीतर लेते (अंत:श्वसन) करते हैं।
उत्तर : नासा द्वार
(8) एक अवायवीय जीव।
उत्तर : यीस्ट
(9) श्वसप्रणाल तंत्र वाला एक जीव
उत्तर : तिलचट्टा
प्रश्न संख्या (9) पर्वतारोही अपने साथ ऑक्सीजन सिलिंडर ले जाते हैं, क्योंकि
(क) 5 km से अधिक ऊँचाई पर वायु नहीं होती है।
(ख) वहाँ उपलब्ध वायु की मात्रा भू-तल पर उपलब्ध मात्रा से कम होती है।
(ग) वहाँ वायु का ताप भू-तल के ताप से अधिक होता है।
(घ) पर्वत पर वायुदाब भू-तल की अपेक्षा अधिक होता है।
उत्तर (ख) वहाँ उपलब्ध वायु की मात्रा भू-तल पर उपलब्ध मात्रा से कम होती है।
Reference: