पादपों में पोषण


पोषण क्या है

सजीवों द्वारा भोजन ग्रहण करने एवं इसके उपयोग की विधि को पोषण कहते हैं।

पोषक

भोजन के घटक पोषक कहलाते हैं। विटामिन, खनिज, प्रोटीन, वसा तथा कार्बोहाइड्रेट भोजन के घटक हैं तथा पोषक कहलाते हैं।

सभी सजीवों को भोजन की आवश्यकता होती है। भोजन सजीवों को पोषण देता है।

पोषक पदार्थ सजीवों की शारीरिक संरचना, बृद्धि तथा क्षतिग्रस्त भागों के रखरखाव के लिए समर्थ बनाते हैं तथा विभिन्न जैव प्रक्रमों के लिए आवश्यक उर्जा भी प्रदान करते हैं। पोषक पदार्थ ही सजीवों जीवित रखते हैं। पोषक पदार्थ शरीर के विभिन्न क्रियाओं के लिए उर्जा प्रदान करते हैं। बिना पोषक पदार्थ के कोई भी जीव जीवित नहीं रह सकता है।

केवल पौधे अपना भोजन खुद बनाते हैं

पौधे अपना भोजन खुद बनाते हैं लेकिन जानवर अपना भोजन खुद नहीं बना सकते हैं। जानवर भोजन पौधे से प्राप्त करते हैं। जानवर या तो पौधों दारा बनाये गये भोजन को ग्रहण करते हैं या वैसे जानवरों को खाते हैं जो पौधों को खाकर जीवित रहते हैं।

उदाहरण:

हिरण, हाथी, गाय, भैंस, आदि पौधों से भोजन प्राप्त करते हैं। जबकि बाघ, शेर, आदि हिरण, खरगोश आदि तथा अन्य जानवरों को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं जो पौधों से प्राप्त भोजन खाते हैं।

अत: सभी जानवर मनुष्य सहित प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पौधों पर निर्भर हैं।

पादपों में पोषण विधि (मोड ऑफ न्यूट्रिशन इन प्लांट्स)

पोषण की विधि के आधार पर जीवों को दो भागों में बाँटा जा सकता है ये दो प्रकार हैं स्वपोषण और विषमपोषण

(1) स्वपोषण

पोषण की विधि जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं, स्वपोषण कहलाती है। स्वपोषण में जीव वातावरण में वर्तमान सामान्य घटको का उपयोग कर भोजन को संश्लेषित अर्थात बनाते हैं, जैसे कि कार्बन डायऑक्साइड, जल तथा अन्य खनिज पदार्थ।

जीव जो अपना भोजन स्वयं संश्लेषित (बनाते) हैं, स्वपोषी कहलाते हैं। स्वपोषण को अंग्रेजी में ऑटोट्रॉपिक मोड ऑफ न्यूट्रिशन कहते हैं तथा स्वपोषी को अंग्रेजी में ऑटोट्रॉप्स कहते हैं।

(2) विषमपोषण

पोषण की विधि जिसमें जीव अन्य जीव द्वारा संश्लेषित भोजन ग्रहण करते हैं विषमपोषण कहलाती है। विषमपोषण को अंग्रेजी में हेट्रेरोट्रॉपिक मोड ऑफ न्यूट्रिशन कहते हैं।

उदाहरण : सभी जानवर, मनुष्य सहित में पोषण की विधि विषमपोषण है। चूँकि ये पौधों द्वारा संश्लेषित भोजन ग्रहण करते हैं इसलिये इनका पोषण विषमपोषण है।

जीव जो दूसरे जीवों द्वारा संश्लेषित भोजन ग्रहण करते हैं विषमपोषी कहलाते हैं। विषमपोषी को अंग्रेजी में हेट्र्रोट्रॉप्स कहते हैं।

पोषण के आधार पर जीवों का प्रकार

पोषण के आधार पर जीवों को दो भागों में बाँटा जा सकता है, ये प्रकार हैं स्वपोषी और विषमपोषी

स्वपोषी

जीव जो अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं स्वपोषी कहलाते हैं।

दूसरे शब्दों में, स्वपोषी वैसे जीव होते हैं जो अपना भोजन खुद से बनाते हैं।

चूँकि पादप अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं, अत: पादप ऑटोट्रॉप्स कहलाते हैं।

सभी पादप नहीं बल्कि केवल हरे पादप अपना भोजन स्वयं बनाते (संश्लेषित करते) हैं। चूँकि हरे पादप अपना भोजन स्वयं बनाते हैं अत: इन्हें उत्पादक कहा जाता है। हरे पादप सूर्य की प्रकाश से उर्जा ग्रहण कर उन्हें रासायनिक उर्जा, कार्बन में बदल देते हैं। हरे पादपों द्वारा भोजन संश्लेषित करने की प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। प्रकाश संश्लेषण को अंग्रेजी में फोटोसिंथेसिस (PHOTOSYNTHESIS) कहते हैं।

विषमपोषी

जीव जो अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं करते हैं तथा स्वपोषी द्वारा संश्लेषित भोजन पर निर्भर रहते हैं, विषमपोषी कहलाते हैं। विषमपोषी में पोषण की विधि को विषमपोषण कहा जाता है। इसलिए जानवर तथा अधिकांश अन्य जीव जो अपने भोजन का संश्लेषण खुद नहीं करते हैं विषमपोषी कहलाते हैं।

प्रकाश संश्लेषण: पादपों द्वारा भोजन बनाने की प्रक्रिया

पादपों द्वारा वातावरण से जल, कार्बन डायऑक्साइड तथा अन्य खनिज लेकर सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में भोजन के संश्लेषण करने की प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण (PHOTOSYNTHESIS) कहते हैं।

फोटोसिंथेसिस (Photosynthesis) एक ग्रीक शब्द है, जिसमें 'फोटो (Photo)' का अर्थ है 'प्रकाश' और 'सिंथेसिस (synthesis)' का अर्थ है 'सबको साथ जोड़ना' या 'बनाना'। अत: फोटोसिंथेसिस का अर्थ प्रकाश की उपस्थिति में बनाना अर्थात भोजन बनाना होता है।

class 7th science Nutrition in plants प्रकाशसंश्लेषण

प्रकाशसंश्लेषण की प्रक्रिया में प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डायऑक्साइड को कार्बनिक पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया में उर्जा सूर्य की प्रकाश से अवशोषित किया जाता है।

प्रकाशसंश्लेषण (Photosynthesis) पृथ्वी पर एक अनूठी प्रक्रिया है।

प्रकाशसंश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया पादपों में काई में तथा बैक्टीरिया की कई प्रजातियों में होती है। जीव जो प्रकाशसंश्लेषण की विधि द्वारा भोजन का संश्लेषण करते हैं 'प्रकाशस्वपोषी (फोटोऑटोट्रॉप्स)' कहलाते हैं, चूँकि ये अपने भोजन को सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में संश्लेषित करते हैं।

प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक घटक

क्लोरोफिल, सूर्य का प्रकाश, कार्बन डायऑक्साइड तथा जल प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक घटक हैं। इन घटकों में एक के भी उपलब्ध नहीं होने पर प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया संपन्न नहीं होगी।

पादप की पत्तियों में क्लोरोफिल होता है, जिसके कारण वे हरे रंग की दिखाई देती हैं। क्लोरोफिल एक हरा रंग का पदार्थ होता है जिसकी उपस्थिति के कारण पत्तियाँ हरे रंग की होती हैं।

प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पादपों की पत्तियों में सम्पन्न होता है। अत: पत्तियों को पादप का रसोईघर कहा जाता है

जाइलम (Xylem)

पादपों में जल तथा अन्य खनिज पदार्थ जड़ के द्वारा अवशोषित किये जाते हैं। पादपों के तनों में बाल के जैसे पतले पाईप बने होते हैं जिसके द्वारा पादपों में मिट्टी से तने तथा अन्य भागों तक जल तथा अन्य खनिज पदार्थों का परिवहन होता है। पादपों के तने में उपस्थित ये बाल जैसे पतले पाईप को जाइलम (xylem) कहा जाता है। जाइलम (xylem) पादपों में मिट्टी से जड़ होकर अन्य भागों में जल तथा अन्य खनिज पदार्थों के परिवहन के लिए उत्तरदायी होते हैं।

रन्ध्र द्वार [स्टोमाटा (Stomata)]

पत्तियों के निचले भाग में बहुत छोटे छोटे रन्ध्र होते हैं, इन रन्ध्रों को रन्ध्र द्वार [स्टोमाटा (STOMATA)] कहा जाता है। पत्तियों के रन्ध्र द्वार [स्टोमाटा (STOMATA)] के द्वारा पादप हवा से कार्बन डायऑक्साइड अवशोषित करते हैं।

class 7th science Nutrition in plants रन्ध्र द्वार अर्थात स्टोमाटा

पत्तियों में हरे रंग का क्लोरोप्लास्ट पाया जाता है जो उनमें उपस्थित क्लोरोफिल के कारण होता है। क्लोरोफिल एक हरे रंग का रसायन होता है। पत्तियाँ क्लोरोफिल की उपस्थिति के कारण सूर्य के प्रकाश से उर्जा अवशोषित करते हैं। क्लोरोप्लास्ट (क्लोरोफिल) पत्तियों के उपरी भाग में पाया जाता है ताकि पत्तियाँ अधिक से अधिक सूर्य के प्रकाश को ग्रहण कर सकें।

सूर्य के प्रकाश तथा क्लोरोफिल की उपस्थिति में जल तथा कार्बन डायऑक्साइड ग्रहण कर पत्तियाँ भोजन को संश्लेषित करती हैं, प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में ये घटक ग्लूकोज में संश्लेषित होते हैं तथा ऑक्सीजन निकलता है।

प्रकाश संश्लेषण की प्रतिक्रिया

कार्बन डायऑक्साइड + जल + सूर्य का प्रकाश + क्लोरोफिल ⇒ ग्लूकोज + ऑक्सीजन

प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में बना हुआ ग्लूकोज अंतत: अघुलनशील स्टार्च में परिवर्तित हो जाता है। भोजन के रूप में बना हुआ स्टार्च पौधों के विभिन्न भागों यथा पत्तियों, तनों, जडों तथा फलों में भविष्य के लिए संरक्षित हो जाता है। यह स्टार्च पौधों के अन्य भागों में तने के द्वारा परिवहन किया जाता है।

पादपों के तनों में बाल के जैसी नलियाँ होती हैं जो संश्लेषित भोजन को पौधों के अन्य भागों में भेजती है। ये नलियाँ जिनके द्वारा संश्लेषित भोजन पौधों के अन्य भागों में भेजा जाता है, फ्लोएम (Phloem) कहलाती हैं।

ऑक्सीजन जो प्रकाश संश्लेषण के क्रम में बनता है पत्तियों में उपस्थित रन्ध्र द्वार [स्टोमाटा (STOMATA)] द्वारा हवा में निकाल दिया जाता है।

यदि पृथ्वी पर प्रकाश संश्लेषण नहीं होता तो क्या होता?

यह प्रकाश संश्लेषण ही है जिसके द्वारा पादप भोजन बनाते हैं। मनुष्य सहित सभी जानवर पादपों द्वारा तैयार किये गये भोजन पर आश्रित हैं। मनुष्य सहित सभी जानवर या पौधों से प्राप्त भोजन को करते हैं या तो पौधे से प्राप्त भोजन करने वाले जानवरों से भोजन प्राप्त करते हैं अत: मनुष्य सहित सभी जीव प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पौधों पर निर्भर हैं अर्थात प्रकाश संश्लेषण पर निर्भर हैं। अर्थात यदि पृथ्वी पर प्रकाश संश्लेषण नहीं होता तो पृथ्वी पर कोई भोजन नहीं होता और पृथ्वी पर जीवन नहीं होता।

अत: पृथ्वी पर यदि प्रकाश संश्लेषण नहीं होता तो जीवन भी नहीं होता। भोजन के आभाव में हम प्रकाश संश्लेषण पढ़ने के लिए जीवित ही नहीं होते। प्रकाश संश्लेषण की अनुपस्थिति में पृथ्वी अन्य ग्रहों की तरह जीवन विहीन एक बंजर भूमि होती।

प्रकाश संश्लेषण होने का साक्ष्य

प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में पादप कार्बोहाइड्रेट बनाते हैं। कार्बोहाइड्रेट अंतत: स्टार्च के रूप में परिणत हो जाता है। प्रकाश संश्लेषण के प्रक्रम में परिवर्तित स्टार्च (मंड) पत्तियों के साथ साथ पादपों के विभिन्न भागों में भोजन के रूप में संरक्षित रहता है।

अत: पत्तियों में स्टार्च (मंड) की उपस्थिति प्रकाश संश्लेषण होने का साक्ष्य है।

7-science-home(Hindi)

7-science-English


Reference: