(a) प्रकाश संश्लेषण [फोटोसिंथेसिस (Photosynthesis)] सभी जीवों के लिए भोजन का मुख्य श्रोत है। सभी जीव प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पौधों द्वारा संश्लेषित भोजन पर निर्भर करते हैं।
(b) हम तथा अन्य जीव श्वास के क्रम में कार्बन डायऑक्साइड छोड़ते हैं जो कि एक हानिकारक गैस है। प्रकाश संश्लेषण के क्रम इस हानिकारक गैस कार्बन डायऑक्साइड का अवशोषण होता है तथा प्राण वायु ऑक्सीजन निकलती है।
(c) प्रकाश संश्लेषण के क्रम में ऑक्सीजन का उत्सर्जन होता है जो सभी जीवों के जीवित रहने के लिए आवश्यक है।
(d) प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में कार्बन डायऑक्साइड का अवशोषण तथा ऑक्सीजन का उत्सर्जन वातावरण में दोनों गैस के आवश्यक स्तर को बनाये रखता है।
पादपों की पत्तियाँ कई रंग की होती हैं। कई अन्य रंगों की पत्तियों में भी क्लोरोफिल होता है। परंतु इन पत्तियों में उपस्थित लाल, भूरे अथवा अन्य रंग क्लोरोफिल के हरे रंग का प्रच्छादन कर देते हैं अर्थात ढ़क लेते हैं। इन पत्तियों में भी प्रकाश संश्लेषण होता है।
शैवाल (काई) हरे रंग का पादप होता है। शैवाल प्राय: तालाब तथा अन्य रूके हुए जल में पाया जाता है। घर के वैसे जगहों जहाँ हर समय पानी गिरता रहता है यथा नाले के मुहाने, छत या बालकनी में नाले आदि के पास भी शैवाल जन्म ले लेता है। शैवाल को घरों तथा तालाबों में आसानी से देखा जाता है। शैवाल फिसलन भरा होता है, असावधानी की स्थिति में शैवाल पर लोग फिसल कर गिर सकते हैं। शैवाल को काई भी कहा जाता है। शैवाल को अंग्रेजी में अल्गा (Algae) कहा जाता है।
शैवाल या काई (Algae)
Reference: By Vespertunes - Own work, CC BY-SA 4.0, Link
चूँकि शैवाल में क्लोरोफिल पाया जाता है अत: शैवाल में भी प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया होती है।
प्रकाश संश्लेषण के प्रक्रम में पादप कार्बोहाइड्रेट बनाते हैं। कार्बोहाइड्रेट एक कार्बनिक पदार्थ है जो हाइड्रोजन, कार्बन तथा ऑक्सीजन से बना होता है। इनका उपयोग भोजन के अन्य घटक यथा प्रोटीन तथा वसा बनाने में किया जाता है।
लेकिन प्रोटीन के संश्लेषण में नाइट्रोजन की भी आवश्यकता होती है। नाइट्रोजन हवा में पर्याप्त मात्रा में वर्तमान होता है लेकिन पादप नाइट्रोजन को हवा से अवशोषित नहीं करते हैं।
पादप नाइट्रोजन मिट्टी से अवशोषित करते हैं। मिट्टी में कुछ विशेष तरह के बैक्टीरिया पाये जाते हैं जो मिट्टी में उपस्थित नाइट्रोजन को घुलनशील रूप प्रदान कर मिट्टी में उत्सर्जित कर देते हैं।
कई बार किसान भी यूरिया जो कि नाइट्रोजन देता है को खाद के रूप में मिट्टी में मिलाते हैं। यूरिया पौधों के लिए आवश्यक नाइट्रोजन की मात्रा को मिट्टी में बनाये रखता है।
पादप मिट्टी से जल के साथ नाइट्रोजन को भी अवशोषित करते हैं। पादप नाइट्रोजन के साथ साथ मिट्टी से अन्य खनिज पदार्थ भी अवशोषित करते हैं।
कई पादप ऐसे हैं जिनमें क्लोरोफिल नहीं पाया जाता है। ये पादप क्लोरोफिल के आभाव में हरे रंग के नहीं होते हैं। क्लोरोफिल नहीं होने के कारण ये पादप अपना स्वय़ं संश्लेषित नहीं करते हैं तथा भोजन के लिए दूसरे हरे रंग के पादपों पर निर्भर होते हैं। ऐसे पादप विषमपोषी प्रणाली द्वारा भोजन प्राप्त करते हैं। ये पादप चूँकि दूसरे जीवों पर निर्भर रहते हैं अत: ये परपोषी कहलाते हैं।
हरे रंग विहीन पौधे जैसे कि अमरबेल, में क्लोरोफिल नहीं पाया जाता है। अमरबेल को कसकुटा या डॉडर भी कहा जाता है।
चूँकि बिना क्लोरोफिल वाले पौधे अपना भोजन स्वयं नहीं बना पाते हैं अत: वे दूसरे पौधों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं।
अमरबेल : एक परजीवि पौधा
संदर्भ: By Khalid Mahmood - Own work, CC BY-SA 4.0, Link
अमरबेल तथा वैसे अन्य पौधे हरे पादपों पर चढ़ जाते हैं तथा उनसे अपना भोजन प्राप्त करते हैं। ऐसे बिना क्लोरोफिल वाले पादपों को परजीवी कहते हैं चूँकि ये दूसरे पौधों से अपना पोषण प्राप्त करते हैं तथा दूसरे पौधों पर जीवित रहते हैं।
पौधे जिनसे ये बिना क्लोरोफिल वाले पौधे पोषण प्राप्त करते हैं को परपोषी कहा जाता है।
अमरबेल के पौधों को बड़े बृक्षों जैसे बरगद आदि के पेड़ पर रस्सी जैसी लिपटी हुई देखा जा सकता है। इन तरह के पौधों में विशेष तरह के जड़ होते हैं जो दूसरे पौधों पर उन्हें चढ़ने में तथा उससे चिपके रहने में काम आता है। इस विशेष जड़ों को हौस्टोरिया कहा जाता है। ये विशेष प्रकार की जड़ें के माध्यम से ही अमरबेल जैसे परजीवी पौधे उन पेड़ से जिसपर ये रहते हैं से पोषक तत्व अवशोषित करते हैं। चूँकि अमरबेल दूसरे पौधों जिसपर वे रहते हैं पोषण के लिए पूरी तरह निर्भर करते हैं अत ऐसे पौधों को पूर्ण परजीवी (टोटल पैरासाइट) कहते हैं।
मिस्टलटो, एक प्रकार का परजीवी पौधा है जो यूरोप तथा अमरीका में पाया जाता है। मिस्टलटो के पौधों की पत्तियाँ हरी होती है। इन पौधों में क्लोरोफिल पाया जाता है अत: ये अपना भोजन बनाने में सक्षम होते हैं परंतु ये जल तथा खनिज पदार्थ दूसरे पौधों से प्राप्त करते हैं जिसपर ये रहते हैं। चूँकि ये मिस्टलटो के पौधे खनिज तथा जल के लिए दूसरे पौधों पर निर्भर रहते हैं अत: ये अर्धपरजीवी (Partial Parasite) कहलाते हैं।
मिस्टलटो एक जहरीला पौधा होता है परंतु इसका उपयोग क्रिसमस के मौके पर सजावट के लिए किया जाता है।
कुछ पौधे कीटों का भोजन करते हैं, ऐसे पौधों के पास कीटों के शिकार करने तथा उसे पचाने के लिए विशेष प्रक्रिया तथा रचना होती है।
पौधे जो छोटे छोटे कीटों का भोजन करते हैं कीटभक्षी पादप कहलाते हैं।
कीटभक्षी पौधे आंशिक रूप से स्वपोषी तथा आंशिक रूप से विषमपोषी होते हैं।
ये कीटभक्षी पौधे प्राय: वैसी मिट्टी में पाये जाते हैं जिसमें सभी पोषक तत्व उपलब्ध नहीं होते हैं। अत: ये कुछ पोषक तत्व प्रकाश संश्लेषण तथा मिट्टी से तथा शेष आवश्यक पोषक तत्व कीटों से प्राप्त करते हैं।
उदाहरण: घटपर्णी [पिचर प्लांट (Pictcher plant)], वीनस फ्लाई ट्रैप, सनड्यू, ड्रोसेरा, तथा रैफलेसिया, आदि कीटभक्षी पौधों के कुछ उदाहरण हैं।
घटपर्णी [पिचर प्लांट (Pitcher plant)] एक कीटभक्षी पौधा होता है। घटपर्णी [पिचर प्लांट (Pitcher plant)] के पास कीटों के शिकार के लिए विशेष प्रकार की संरचना तथा व्यवस्था होती है। घटपर्णी [पिचर प्लांट (Pitcher plant)] के पत्ते रूपांतरित होकर घड़े के जैसे हो जाते हैं तथा पती का शीर्ष भाग घड़े के ढ़क्कन का कार्य करता है। इसी घड़े के आकार के कारण इस पौधे का नाम घटपर्णी [पिचर प्लांट (Pitcher plant)] है। घड़े के अंदर अनेक रोम होते हैं जो नीचे की ओर ढ़लके रहते हैं अर्थात अधोमुखी होते हैं। कीटों को आकर्षित करने के लिए कीटभक्षी पौधे के रंग चमकीले तथा लुभावने होते हैं।
जब कोई कीट घड़े में प्रवेश करता है तो घड़े का ढ़क्कन बंद हो जाता है तथा कीट उसके अधोमुखी रोम में फँस जाता है तथा ऊपर नहीं निकल पाता है। घड़े के अंदर पौधे द्वारा पाचन रस छोड़े जाने के कारण कीट इसमें पच जाता है।
राफलेसिया आरनॉल्डी एक कीटभक्षी पौधा है तथा इसमें होने वाले सबसे बड़े रासक्षी फूल के कारण विश्व प्रसिद्ध है। इसके फूल का व्यास लगभग एक मीटर होता है तथा वजन 11 किलोग्राम तक होता है। सर स्टैनफोर्ड राफल्स ने सुमात्रा भ्रमण के दौरान इस कीटभक्षी पौधे की खोज की थी, इसलिए इस पौधे का नाम राफलेसिया आरनॉल्डी रखा गया।
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