पादपों में पोषण


एनसीईआरटी बूझो तथा पहेली के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न संख्या (1) बूझो जानना चाहता है कि पादप अपना भोजन किस प्रकार बनाते हैं?

उत्तर:

पादप अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा बनाते हैं।

प्रकाश संश्लेषण हरे पादप के पत्तियों में सम्पन्न होता है।

प्रकाश संश्लेषण में पौधे पत्तियों में उपस्थित क्लोरोफिल के द्वारा सूर्य के प्रकाश से उर्जा, हवा से कार्बन डायऑक्साइड तथा मिट्टी से जल तथा अन्य खनिज प्राप्त कर भोजन का संश्लेषण करते हैं।

प्रश्न संख्या (2) पहेली जानना चाहती है कि पादपों की तरह हमारा शरीर भी कार्बन डायऑक्साइड, जल तथा खनिज से भोजन स्वयं क्यों नहीं बना सकता?

उत्तर

प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए क्लोरोफिल, सूर्य के प्रकाश, कार्बन डायऑक्साइड तथा जल का होना अति आवश्यक है। किसी एक की भी अनुपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया संभव नहीं है।

चूँकि मनुष्यों में क्लोरोफिल नहीं होता है अत: पादपों की तरह हमारा शरीर भोजन स्वयं नहीं बना सकता है।

प्रश्न संख्या (3) बूझो जानना चाहता है कि जड़ द्वारा अवशोषित जल एवं खनिज पत्ती तक किस प्रकार पहुँचते हैं?

उत्तर:

पादपों के तनों में केश जैसी पतली नालियों की एक प्रणाली होती है। इस प्रणाली को जाइलम (xylem) कहा जाता है।

पादपों में जड़ द्वारा अवशोषित जल एवं खनिज पदार्थ इन्हीं जाइलम (xylem) के द्वारा पत्तियों तक पहुँचते हैं अर्थात परिवहन किये जाते हैं।

प्रश्न संख्या (4) पहेली जानना चाहती है कि पत्तियों में ऐसी क्या विशेषता है कि वे खाद्य पदार्थों का संश्लेषण कर सकती हैं परंतु पादप के दूसरे भाग नहीं?

उत्तर

पादप की पत्तियों में क्लोरोफिल नाम का रसायन पाया जाता है। क्लोरोफिल की उपस्थिति के कारण की पत्तियों का रंग हरा होता है। पत्तियों में छोटे छोटे रन्ध्र होते हैं जिन्हें रन्ध्र द्वार (स्टोमाटा [Stomata]) कहते हैं।

क्लोरोफिल पत्तियों के ऊपर वाले भाग में होता है तथा रन्ध्र द्वार (स्टोमाटा [Stomata]) पत्तियों के निचले हिस्से में होता है।

पत्तियाँ क्लोरोफिल के द्वारा सूर्य के प्रकाश से उर्जा का अवशोषण करती हैं तथा रन्ध्र द्वार (स्टोमाटा [Stomata]) के द्वारा हवा से कार्बन डायऑक्साइड प्राप्त करती हैं।

इस तरह पत्तियाँ क्लोरोफिल तथा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डायऑक्साइड तथा जल अवशोषित कर प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा भोजन का संश्लेषण करती हैं।

चूँकि पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण के द्वारा खाद्य पदार्थों का संश्लेषण किया जाता है, अत: पत्तियों को पादपों का रसोईघर भी कहा जाता है।

चूँकि पादपों के अन्य भागों में पत्तियों की तरह सूर्य के प्रकाश से उर्जा अवशोषित करने के लिए क्लोरोफिल तथा हवा से कार्बन डायऑक्साइड प्राप्त करने के लिए रन्ध्र द्वार (स्टोमाटा [Stomata]) नहीं होता अत: खाद्य पदार्थों का संश्लेषण पादपों के दूसरे भागों में नहीं होता है।

प्रश्न संख्या (5) बूझो ने देखा कि कुछ पादपों की पत्तियाँ गहरी लाल, बंगनी अथवा भूरे रंग की होती हैं। वह जानना चाहता है कि क्या इन पत्तियों में भी प्रकाश संश्लेषण होता है?

उत्तर : पत्तियाँ जिनका रंग गहरी लाल, बैगनी अथवा भूरे रंग की होती हैं में भी क्लोरोफिल पाया जाता है। परंतु इन पत्तियों के अन्य रंग क्लोरोफिल के हरे रंग का प्रच्छादन कर देते हैं अर्थात ढ़क लेते हैं जिसके कारण ये हरे रंग की नहीं दिखती हैं।

चूँकि इन अन्य वर्ण की पत्तियों में भी क्लोरोफिल होता, अत: इन पत्तियों में भी प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया होती है।

प्रश्न संख्या (6) पहेली जानना चाहती है कि क्या हमारा रक्त चूसने वाले मच्छर, खटमल, जूँ एवं जोंक जैसे जीव भी परजीवी हैं?

उत्तर

वैसे जीव जो दूसरे जीवों पर रहकर या उनसे सटकर उनसे पोषण प्राप्त करते हैं, परजीवी कहलाते हैं।

चूँक़ि मच्छर, खटमल, जूँ एवं जोंक जैसे जीव हमारे रक्त को चूसकर उससे पोषण प्राप्त करते हैं, अत: ये जीव भी परजीवी हैं। परजीवी शब्द का अर्थ ही होता है दूसरे जीवों से पोषण प्राप्त कर जीवित रहने वाले।

प्रश्न संख्या (7) बूझो भ्रमित है। यदि घटपर्णी हरा होता है और प्रकाश संश्लेषण संपादित करता है, तो यह कीटों का भक्षण क्यों करता है?

उत्तर

घटपर्णी जैसी कीटभक्षी पौधे ऐसी मिट्टी में उगते हैं जिसमें कुछ पोषक तत्वों का आभाव होता है फलस्वरूप ऐसे पौधों को सभी पोषक तत्व नहीं मिल पाते है।

अत: वैसे पोषक तत्व जो घटपर्णी जैसे पौधों को मिट्टी से प्राप्त नहीं होते है, को प्राप्त करने के लिए ये पौधे कीटों का भक्षण करते हैं।

प्रश्न संख्या (8) बूझो जानना चाहता है कि ये जीव अपना भोजन किस प्रकार प्राप्त करते हैं। इनमें प्राणियों के समान मुख नहीं होता है। ये हरे पादपों के समान भी नहीं होते। इनमें क्लोरोफिल अनुपस्थित होता है। अत: ये प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का संश्लेषण नहीं कर सकते।

उत्तर

बूझो का प्रश्न मृतजीवी के बारे में है।

मृतजीवों की पोषण प्रणाली अथवा पोषण की विधि भिन्न प्रकार की होती है।

मृतजीवी में न ही प्राणियों के समान मुख होता है न ही पादपों की तरह क्लोरोफिल होता है।

मृतजीवी मरे हुए तथा सड़ रहे जैव पदार्थों से अपना पोषण प्राप्त करते हैं।

ये जीव मृत एवं विघटनकारी (सड़नेवाले) जैव पदार्थों की सतह पर कुछ पाचक रस का स्त्राव करते हैं, जिससे वे विलयन के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। तत्पश्चात वे इस विलयन का भोजन के रूप में अवशोषण करते हैं।

फंजाई तथा कवक मृतजीवी के उदाहरण हैं।

प्रश्न संख्या (9) पहेली को याद है कि उसके सुंदर जूते, जिन्हे वह विशेष अवसरों पर पहनती थी, वर्षा ऋतु में कवक के कारण खराब हो गए। वह जानना चाहती है कि वर्षा ऋतु में कवक अचानक कैसे प्रकट हो जाते हैं?

उत्तर

सामान्यत: कवकों के बीजाणु वायु में उपस्थित होते हैं। जब वे किसी ऐसे जैव पदार्थ अथवा उत्पाद पर बैठते हैं, जो नम एवं उष्ण हो, तो वे अंकुरित होकर नए कवक को जन्म देते हैं।

चूँकि वर्षा ऋतु में नमी तथा उष्णता दोनों होती हैं जो कवकों के अंकुरण के लिए उपयुक्त होते हैं अत: हवा में उपस्थित इन कवकों के बीजाणु वर्षा ऋतु में अंकुरित हो जाते हैं।

प्रश्न संख्या (10) बूझो को याद है कि उसके दादा जी ने बताया था कि एक बार उनकी गेहूँ की फसल कवक द्वारा नष्ट हो गई थी। वह जानना चाहता है कि क्या कवक रोग कारक भी होते हैं?

उत्तर

कवक (फंजाई) जीवित रहने के लिए पोषक तत्व दूसरे जीवों से प्राप्त करते हैं। पोषक तत्व प्राप्त करने के लिए वे दूसरे जैव पदार्थों पाचक रस का स्त्राव कर उन्हें विघटित कर देते हैं। कवक के इस स्वभाव के कारण वे फसलों पर अंकुरित होकर उसे नष्ट कर देते हैं।

फसलों का कवकों के अंकुरण के कारण नष्ट हो जाना फंगस की बीमारी कहा जाता है।

अत: फसलों के लिए कवक रोग के कारण भी होते हैं|

प्रश्न संख्या (11) पहेली ने बताया कि यीस्ट एवं छत्रक जैसे अनेक कवक उपयोगी भी हैं; परंतु कुछ कवक पादपों, जंतुओं एवं मनुष्यों में रोग उत्पन्न करते हैं। कुछ कवकों का उपयोग औषधि के रूप में भी होता है।

उत्तर

उपयोगी कवक

यीस्ट तथा छत्रक जैसे कुछ कवक मनुष्यों के लिए उपयोगी हैं।

यीस्ट का उपयोग केक तथा ब्रेड बनाने में उपयोग के लिए आटे का फर्मंटेशन, शराब बनाने में फलों के रस का फर्मंटेशन तथा सोया सॉस के फर्मंटेशन के लिए किया जाता है।

छत्रक, जो एक प्रकार का कवक है, का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है। छत्रक को मशरूम भी कहा जाता है।

रोग पैदा करने वाले कवक

कुछ कवक फसलों पर अंकुरित होकर फसलों को विघटित करने लगते हैं तथा नष्ट कर देते हैं। कुछ कवक मनुष्य तथा जानवरों की त्वचा पर अंकुरित होकर उन्हें बीमार कर देते हैं। दाद तथा दिनाय एक प्रकार का त्वचा रोग है, जो कवक के कारण होता है। रूसी भी एक प्रकार का कवक है जो बालों में अंकुरित होता है तथा बालों को नष्ट कर देता है।

औषधि के रूप में उपयोग होने वाले कवक

कुछ कवकों का उपयोग बैक्टीरिया रोधी (एंटीबायोटिक) दवा बनाने के काम में आता है। चूँकि कवक जैव पदार्थों को विघटित कर नष्ट कर देते हैं अत: कुछ कवकों का उपयोग खेतों में उगने वाले अवांछित खरपतवारों को नष्ट करने के लिए होता है।

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