प्राणियों में पोषण


प्रमुख शब्द

(1) अवशोषण

अवशोषण की परिभाषा

: पाचन के बाद भोजन के पोषक़ तत्वों का क्षुद्रांत्र में उपस्थित दीर्घरोमों [रसांकुरों (villi)] द्वारा रक्त में भेजे जाने की प्रक्रिया को अवशोषण कहते हैं। अवशोषण को अंग्रेजी में Absorption कहते हैं।

(2) एमीनो अम्ल

एमीनो अम्ल (Amino Acid) की परिभाषा

: कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन से बना एक प्रकार का अम्ल जो क्षुद्रांत्र में भोजन में उपस्थित प्रोटीन के विघटन से बनता है एमीनो अम्ल (Amino Acid) कहलाता है।

(3) स्वांगीकरण

स्वांगीकरण की परिभाषा

: भोजन में उपस्थित पोषक तत्वों का पाचन के बाद क्षुद्रांत्र में अवशोषण के पश्चात रूधिर वाहिकाओं द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में स्थानांतरण तथा उसका उपयोग शरीर के लिए आवश्यक जटिल पदार्थों में किया जाना स्वांगीकरण कहलाता है। स्वांगीकरण को अंग्रेजी में Assimilation कहते हैं।

(4) पित्त रस

पित्त रस की परिभाषा

: भोजन के पाचन के क्रम में यकृत से होने वाला एक प्रकार का स्त्राव जो वसा के पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है पित्त रस कहलाता है।

पित्त रस को अंग्रेजी में Bile Juice कहा जाता है।

(5) मुख गुहिका

मुख गुहिका की परिभाषा

: मनुष्यों तथा अन्य कई जंतुओं में जहाँ से भोजन का अंतर्ग्रहण होता है, मुख गुहिका कहलाता है। मुख गुहिका में दाँत तथा जीभ होते हैं जिसके द्वारा भोजन को चबाया तथा निगला जाता है।

मुख गुहिका को अंग्रेजी में Buccal Cavity कहते हैं।

(6) रदनक

रदनक की परिभाषा

: रदनक मनुष्यों में पाया जाने वाले दाँतों का एक प्रकार है। रदनक का मुख्य कार्य भोजन को चीड़ने–फाड़ने का है। दो उपर तथा दो नीचे मिलाकर रदनक की कुल संख्या 4 होती है। रदनक को भेदक भी कहा जाता है। रदनक को अंग्रेजी में Canine कहते हैं।

मनुष्य चूँकि पका हुआ खाना खाते हैं इसलिए इनमें रदनक का आकार अपेक्षाकृत छोटा होता है। जबकि माँस खाने वाले जानवरों में रदनक का आकार बड़ा होता है।

(7) सेलुलोस

सेलुलोस की परिभाषा

: घास तथा हरे सब्जियों में पाया जाने वाला एक प्रकार के कार्बोहाइड्रेट को सेलुलोस कहा जाता है।

सेलुलोस (Cellulose) का पाचन मानव में नहीं होता है लेकिन भोजन में सेलुलोज होना आवश्यक है जो कि बिना पचे हुए भोजन के ठीक तरह से उत्सर्जन में आवश्यक है।

(8) पाचन तंत्र

पाचन तंत्र की परिभाषा

: मनुष्य सहित अन्य जीव जंतुओं में पाया जाने वाला एक प्रकार का तंत्र जो कि भोजन के पाचन को सम्पन्न करता है, पाचन तंत्र कहलाता है।

मनुष्यों तथा अन्य जीव जंतुओं को जीवित रहने के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। मनुष्य सहित सभी जीव जंतु इन आवश्यक पोषक तत्वों को भोजन से प्राप्त करते हैं। भोजन से पोषक तत्वों को प्राप्त करने के लिए उसके पाचन की आवश्यकता होती है।

मनुष्यों में पाचन की पूरी प्रक्रिया आहार नाल में सम्पन्न होती है। यह आहार नाल पाचन तंत्र कहलाता है।

(9) निष्कासन

निष्कासन की परिभाषा

: किसी भी वस्तु का बाहर निकलने को निष्कासन कहा जा सकता है। मनुष्यों तथा अन्य सभी चौपाया जानवरों में भोजन के पाचन के बाद बिना पचे हुए भोजन के शरीर से बाहर निकलने की प्रक्रिया निष्कासन कहलाती है। निष्कासन की पूरी प्रक्रिया को उत्सर्जन कहा जाता है। उत्सर्जन को अंग्रेजी में Egestion कहा जाता है।

(10) वसा अम्ल

वसा अम्ल की परिभाषा

: भोजन में उपस्थित वसा के विघटन से बना हुआ अम्ल वसा अम्ल कहा जाता है। वसा अम्ल जीवों में नहीं पाया जाता है बल्कि यह प्राप्त भोजन में उपस्थित वसा से पाचन के क्रम में तैया होता है। वसा अम्ल जीवों की कोशिकाओं का एक महत्वपूर्ण भाग है। वसा अम्ल से जीवों को मुख्य रूप से उर्जा प्राप्त होती है।

(11) खाद्य धानी

खाद्य धानी

: अमीबा में पाचन के लिए पाया जाने वाली धानियाँ जो कोशिका में पायी जाती है खाद्य धानी कहलाती है।

अमीबा जो एक कोशिकीय जीव है भोजन को घेरकर खाद्य धानी रखती हैं जहाँ उसका पाचन होता है। खाद्यधानी को अंग्रेजी में Food Vacuoles कहते हैं।

(12) पित्ताशय

पित्ताशय की परिभाषा

: मनुष्यों में यकृत से स्त्रावित पित्त रस जहाँ जमा होती है उसे पित्ताशय कहते हैं। यह पित्त रस भोजन के पाचन में उपयोग होता है।

पित्ताशय को अंग्रेजी में Gall Bladder कहते हैं।

(13) कृंतक

कृंतक की परिभाषा

: कृंतक दाँतों का एक प्रकार है। मनुष्यों तथा अन्य चौपाये जीवों में एक प्रकार के दाँत अर्थात कृंतक, मुँह में सामने की तरफ पाया जाता है तथा जिसका उपयोग भोजन को काटकर छोटे टुकड़ों में विभक्त करने के लिए किया जाता है।

कृंतक को अंग्रेजी में Incisor कहा जाता है।

(14) अंतर्ग्रहण

अंतर्ग्रहण की परिभाषा

: मनुष्य भोजन को सबसे पहले मुँह में रखता है। मुँह में भोजन को रखने की प्रक्रिया को अंतर्ग्रहण कहते हैं। अंतर्ग्रहण को अंग्रेजी में Ingestion कहा जाता है।

(15) यकृत

यकृत की परिभाषा

: यकृत (Liver) एक भूरे–लाल रंग की ग्रंथी होती है। यकृत (Liver) शरीर में पायी जाने वाली ग्रंथियों में सबसे बड़ी ग्रंथी है। यकृत (Liver) आमाशय के उपर दाहिने भाग में स्थित होता है। यह पित्त का निमार्ण करता है, जो एक प्रकार का रस होता है। पित्त भोजन के पाचन के लिए आवश्यक है।

(16) चर्वणक

चर्वणक की परिभाषा

: चर्वणक दाँतों का एक प्रकार होता है जो मुँह में दाँतों की पंक्ति में अंतिम में अवस्थित होता है। चर्वणक का उपयोग भोजन को चबाने तथा पीसने में होता है।

चर्वणक को अंग्रेजी में Molar कहा जाता है।

(17) ग्रसिका

ग्रसिका की परिभाषा

: एक प्रकार की माँसल, लचीली तथा पतली नली जो मुँह को आमाशय से जोड़ती है ग्रसिका कहलाती है। मुँह से भोजन आमाशय में ग्रसिका के द्वारा ही पहुँचती है। ग्रसिका को ग्रासनली या फुड पाइप भी कहा जाता है। ग्रसिका को अंग्रेजी में Esophagus कहते हैं।

(18) अग्नाशय

अग्नाशय की परिभाषा

: पाचन तंत्र का एक अंग जो कि आग्नाशयिक रस का निर्माण करता है, अग्नाशय कहलाता है। अग्नाशय द्वारा स्त्रावित अग्नाशयिक रस का भोजन के पाचन में महत्वपूर्ण योगदान होता है।

अग्नाशय को अंग्रेजी मं Pancreas कहा जाता है तथा इसके द्वारा स्त्रावित रस को Pancreatic Juice कहा जाता है।

(19) अग्रचर्वणक

अग्रचर्वणक की परिभाषा

: मुँह में पाये जानेवाले दाँतों का एक प्रकार जिसका उपयोग भोजन को चबाने में होता है, अग्रचर्वणक कहा जाता है। अग्रचर्वणक मुँह में रदनक के बाद अवस्थित होता है।

अग्रचर्वणक को अंग्रेजी में Premolar कहा जाता है।

(20) पादाभ

पादाभ की परिभाषा

: अमीबा जो एक कोशिकीय जीव होता है में पाया जाने वाला अँगुली के समान प्रदर्भ पादाभ कहलाता है। पादाभ को नकली पैर या कृत्रिम पाँव भी कहते हैं। अमीबा इसी पदाभ की सहायता से गति करता है तथा भोजन को पकड़ता है।

पादाभ को अंग्रेजी में Pseudopodia कहा जाता है।

(21) रूमेन

रूमेन की परिभाषा

: घास खाने वाले पशुओं के पाचन तंत्र में पाया जाने वाला एक अतिरिक्त थैली (चैम्बर) जिसका उपयोग घास आदि को बिना चबाये या थोड़ा बहुत चबा कर भंडारित करने के लिए होता है, रूमेन कहा जाता है। रूमेन को प्रथम आमाशय भी कहा जाता है।

घास खाने वाले जानवर भोजन को रूमेन में से वापस मुँह में लाकर उसे दुबारा चबाते हैं तथा आगे के पाचन के लिए निगलते हैं। रूमेन में भोजन का आंशिक पाचन होता है।

रूमेन की उपस्थिति के कारण ही घास खाने वाले जानवरों को रूमिनैंट या रोमंथी कहा जाता है।

रूमेन मनुष्यों में अनुपस्थित होता है।

(22) रूमिनैंट (रोमंथी)

रूमिनैंट (रोमंथी) की परिभाषा

: घास खाने वाले जानवरों को रूमिनैंट (रोमंथी) कहा जाता है।

घास खाने वाले जानवरों भोजन के पाचन की प्रक्रिया अन्य जानवरों की अपेक्षा कुछ अलग तरह से सम्पन्न होती है।

घास खाने वाले पशुओं के पाचन तंत्र में एक अतिरिक्त थैली (चैम्बर) जिसका उपयोग घास आदि को बिना चबाये या थोड़ा बहुत चबा कर भंडारित करने के लिए होता है, पायी जाती है। पाचन तंत्र के इस अतिरिक्त थैली को रूमेन कहा जाता है। रूमेन को प्रथम आमाशय भी कहा जाता है।

रूमेन में भोजन का आंशिक पाचन होता है। घास खाने वाले जानवर भोजन को सर्वप्रथम रूमेन में भंडारित करते हैं तथा वहाँ से वापस मुँह में लाकर उसे दुबारा चबाते हैं तथा फिर से निगलते हैं जहाँ भोजन का पूर्ण पाचन होता है।

चूँकि घास खाने वाले जानवरों में रूमेन उपस्थिति होता है अत: उन्हें अर्थात घास खाने वाले जानवरों को रूमिनैंट या रोमंथी कहा जाता है।

(23) लाला–ग्रंथी

लाला–ग्रंथी की परिभाषा

: मुँह में पाया जाने वाली एक ग्रंथी जो भोजन के पाचन के लिए एक आवश्यक रस (Juice) स्त्रावित करता है, लाला–ग्रंथी कहलाती है।

भोजन को चबाते समय लाला–ग्रंथी लाला रस स्त्रावित करता है जो भोजन को लसलसा बना कर गीला कर देते हैं जिससे भोजन को निगलने में आसानी होती है। लाला–ग्रंथी से निकलने वाला लाला रस के भोजन में मिलने से ही भोजन का पाचन शुरू हो जाता है।

लाला–ग्रंथी को अंग्रेजी में Salivary Gland कहते हैं, तथा इससे स्त्रावित होने वाले रस को Saliva कहा जाता है।

(24) दीर्घ रोम

दीर्घ रोम की परिभाषा

: पाचन तंत्र में क्षुद्रांत्र की आंतरिक भित्ति पर पायी जाने वाली अँगुली के समान उभरी हुई संरचनाएँ दीर्घ रोम कहलाती हैं। दीर्घरोम के द्वारा भोजन के पाचन के बाद उसमें उपस्थित पोषक तत्वों के अवशोषण होता है। दीर्घरोम को रसांकुर भी कहा जाता है।

दीर्घरोम या रसांकुर को अंग्रेजी में Villi कहते हैं।

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Reference: