उष्मा


उष्मा पाठ का सारांश और प्रमुख शब्द

(1) उष्मा एक प्रकार की उर्जा है।

(2) उष्मा को तापमान के आधार पर मापा जा सकता है।

(3) तापमापी या थर्मामीटर एक यंत्र है जिससे किसी भी वस्तु के तापमान को मापा जा सकता है।

(4) तापमान को मापने की इकाई सेल्सियस या सेंटीग्रेड, फारेनहाइट, तथा केल्विन है।

(5) थर्मामीटर (तापमापी) कई प्रकार के होते हैं। जैसे डॉक्टरी थर्मामीटर, प्रयोगशाला तापमापी या प्रयोगशाला थर्मामीटर, अंकीय तापमापी, इंफ्रारेड तापमापी, आदि।

(6) विभिन्न स्थितियों के लिए विभिन्न प्रकार के थर्मामीटर का उपयोग किया जाता है।

(7) डॉक्टरी थर्मामीटर में पारे का उपयोग किया जाता है। हालाँकि अब बिना पारे के उपयोग वाला थर्मामीटर भी उपलब्ध है।

(8) डॉक्टरी थर्मामीटर का उपयोग मानव शरीर के ताप को मापने के लिए किया जाता है।

(9) डॉक्टरी थर्मामीटर प्राय: 35oC से 108oC तक अंशाकित रहता है।

(10) प्रयोगशाला तापमापी प्राय: –10oC से 110oC तक अंशाकित रहता है।

(11) उष्मा एक जगह से दूसरे जगह पर स्थानांतरण के कारण पहुँचती है। अर्थात उष्मा का स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक होता है।

(12) उष्मा का स्थानांतरण तीन प्रक्रियाओं द्वारा होता है। ये प्रक्रियायें हैं चालन, संवहन, तथा विकिरण

(13) ठोस पदार्थों में उष्मा के स्थानांतरण की प्रक्रिया को चालन कहा जाता है।

(14) तरल पदार्थों में उष्मा के स्थानांतरण की प्रक्रिया को संवहन कहा जाता है।

(15) सूरज से पृथ्वी तक उष्मा के स्थानांतरण की प्रक्रिया को विकिरण कहा जाता है।

(16) उष्मा के विकिरण की प्रक्रिया द्वारा स्थानांतरण में किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।

(17) एक गर्म वस्तु उष्मा उत्सर्जित करती है, यह विकिरण की प्रक्रिया के द्वारा होता है।

(18) समुद्री समीर: गर्मियों के दिनों में तटीय इलाके में समुद्री सतह से स्थल की ओर ठंढ़ी हवा का प्रवाह समुद्री समीर कहलाता है।

(19) थल समीर : गर्मियों की रात्रि में तटीय इलाकों में थलीय सतह से समुद्री सतह की ओर चलने वाले हवा का प्रवाह थल समीर कहलाता है।

समुद्री समीर या थल समीर थलीय भाग तथा जलीय भाग द्वारा असमान उष्मा ग्रहण करने के कारण चलती है।

(20) वस्तुएँ जिन्की सतह का रंग गहरा होता है, हल्के रंग वाली वस्तुओं की तुलना में अधिक उष्मा अवशोषित करती हैं।

(21) गर्मियों के दिनों में हल्के रंग का वस्त्र पहनना ज्यादा उपयुक्त होता है। क्योंकि हलके रंग के वस्त्र उष्मा के अधिकांश भाग को परावर्तित कर देते हैं।

(22) जाड़े के मौसम में गहरे रंग का वस्त्र पहनना अधिक उपयुक्त होता है। क्योंकि गहरे रंग के वस्त्र उष्मा का अधिकांश भाग अवशोषित कर लेते हैं जिससे उसे पहनने वाला व्यक्ति जाड़े के मौसम में कम ठंढ़ महसूस करता है।

(23) जाड़े के मौसम में ऊनी कपड़ा पहना जाता है। क्योंकि ऊनी कपड़ों के रेशे में व्याप्त खाली स्थानों में हवा के बुलबुले फंस जाते हैं जो कुचालक का काम करते हैं। यह बाहर के ठंढ़क को अंदर आने तथा शरीर की गर्मी को बाहर जाने से रोकते हैं।

पाठ से संबंधित प्रमुख शब्द

(1) उष्मा : उष्मा एक प्रकार की उर्जा है।

(2) तापमापी या थर्मामीटर : तापमापी या थर्मामीटर एक प्रकार का यंत्र है जिससे ताप को मापा जा सकता है।

(3) डिग्री सेल्सियस : सेल्सियस एक इकाई है जिसका उपयोग तापमान को ज्ञात करने में किया जाता है।

एंडर्स सेल्सियस, स्वीडेन के एक वैज्ञानिक थे, जिन्होंने वर्ष 1742 में सेंटीग्रेड को तापमान की इकाई के रूप में प्रस्तावित किया था। बाद में उनके नाम पर तापमान की इकाई को सेल्सियस कहा जाने लगा।

(4) फारेनहाइट : फारेनहाइट, उष्मा के ताप को मापने की एक इकाई है।

डैनियल गैबरियल फारेहाइट एक अंग्रेज वैज्ञानिक थे, जिन्होंने वर्ष 1714 में थ्र्मामीटर में पारे का उपयोग करना शुरू किया। उनके सम्मान में तापमान की एक इकाई को फारेनहाइट कहा जाता है।

(5) केल्विन : केल्विन, तापमान को मापने की एक इकाई है। विलियम थॉमसन, जो कि एक अंग्रेज गणितज्ञ थे के सम्मान में उष्मा की इस इकाई को केल्विन कहा जाता है।

(6) चालक : पदार्थ, जिस होकर उष्मा तथा विद्युत का संचरण अर्थात स्थानांतर्ण हो सकता है, को चालक या सुचालक कहा जाता है। जैसे कि लोहा, ताम्बा, सोना, चाँदी, एल्युमिनियम, आदि। सभी धातु सुचालक होते हैं।

(7) कुचालक : पदार्थ, जिस होकर उषमा तथा विद्युत का संचरण अर्थात स्थानांतरण नहीं हो सकता है, को कुचालक कहा जाता है। जैसे रबर, प्लास्टिक, लकड़ी आदि।

ग्रेफाइट को छोड़कर सभी अधातु उष्मा तथा विधुत के कुचालक होते हैं। यही कारण है कि खाना बनाने के बर्तनों के हंडल लकड़ी या प्लास्टिक के बने होते हैं ताकि उसे आसानी से आग पर चढ़ाया या उतारा जा सके। विद्युत के तारों पर प्लास्टिक के कवर चढ़े होते हैं तथा विद्युत स्वीच प्लास्टिक या रबर के बने होते हैं ताकि उन्हें छूने से करंट नहीं मार सके।

(8) चालन : ठोस में उष्मा के स्थानांतरण की प्रक्रिया को चालन कहा जाता है।

(9) संवहन : तरल पदार्थों में उष्मा के स्थानांतरण की प्रक्रिया को चालन कहा जाता है।

(10) विकिरण : निर्वात में उष्मा के स्थानांतरण की प्रक्रिया को चालन कहा जाता है। सूरज से गर्मी पृथ्वी तक विकिरण की प्रक्रिया द्वारा पहुँचती है।

(11) समुद्र समीर : गर्मियों के दिनों में समुद्री सतह से स्थलीय सतह की ओर चलने वाले हवा के प्रवाह को समुद्र समीर कहा जाता है।

(12) थल समीर : गर्मियों की रातों में तटीय इलाके में स्थलीय भाग से समुद्री सतह की ओर चलने वाली हवा के प्रवाह को थल समीर कहते हैं।

ताप के मान का केलिविन से सेल्सियस में तथा सेल्सियस से केल्विन में परिवर्तन

केल्विन से डिग्री सेल्सियस में परिवर्तन का सूत्र

केल्विन को अंग्रेजी के अक्षर "K" से तथा सेल्सियस को अंग्रेजी के अक्षर "C" से सूचित किया जाता है।

सेल्सियस (C) = केल्विन (K) – 273

Or, C = K – 273

प्रश्न (1) 100 K को सेल्सियस में बदलें।

हम जानते हैं कि,

सेल्सियस (C) = केल्विन (K) – 273

अत: C = 100 K – 273

⇒ C = –173o

अत:, 100 K = –173oC उत्तर

प्रश्न (2) 500 K को सेल्सियस में बदलें।

हम जानते हैं कि,

सेल्सियस (C) = केल्विन (K) – 273

अत:, C = 500 K – 273

⇒ C = –227o

अत:, 500 K = –227oC उत्तर

सेल्सियस से केल्विन में बदलने का सूत्र

केल्विन (K) = सेल्सियस (C) + 273

या, K = C + 273

प्रश्न (1) 100oC को केल्विन (K) में बदलें।

हम जानते हैं कि, केल्विन (K) = सेल्सियस (C) + 273

अत:, K = 100oC + 273

⇒ K = 373

अत:, 100oC = 373 K उत्तर

Question (2) 50o को केल्विन में बदलें।

हम जानते हैं कि, केल्विन (K) = सेल्सियस (C) + 273

अत:, K = 50oC + 273

⇒ K = 323

अत:, 50oC = 323 K उत्तर

सेल्सियस तथा फारेनहाइट की तुलना

सेल्सियस को अंग्रेजी के अक्षर "C" से सूचित किया जाता है तथा फारेनहाइट को अंग्रेजी के अक्षर "F" से सूचित किया जाता है।

100oC = 212oF

डिग्री सेल्सियस से फारेनहाइट में बदलना थोड़ा कठिन है। इसके बारे में आप आगे उच्च कक्षा में सीखेंगे।

7-science-home(Hindi)

7-science-English


Reference: