दहन और ज्वाला
आठवीं विज्ञान
क्रियाकलाप के हल
क्रियाकलाप 6.1
स्ट्रॉ, माचिस की तीलियाँ, मिट्टी का तेल, कागज, लोहे की कीलें, पत्थर के टुकड़े, शीशा, आदि कुछ पदार्थ इकट्ठे करिये। अपने शिक्षक की देखरेख में, इन पदार्थों को एक-एक कर जलाइए। यदि पदार्थ जलता है तो इसे दाह्य दिखाइए, अन्यथा उसे अदाह्य दिखाइए (सारणी 6.1)
क्रियाकलाप 6.1 के बाद का प्रश्न
क्या आप कुछ और पदार्थों के नाम बता सकते हैं जो दाह्य हैं? आप इन्हें सारणी 6.1 में जोड़ सकते हैं।
सारणी 6.1: दाह्य और अदाह्य पदार्थ
पदार्थ | दाह्य | अदाह्य |
---|---|---|
लकड़ी | ||
कागज | ||
लोहे की कीलें | ||
मिट्टी का तेल | ||
पत्थर का टुकड़ा | ||
स्ट्रॉ | ||
काष्ट कोयला | ||
माचिस की तीलियाँ | ||
काँच |
उत्तर
पदार्थ | दाह्य | अदाह्य |
---|---|---|
लकड़ी | दाह्य | |
कागज | दाह्य | |
लोहे की कीलें | अदाह्य | |
मिट्टी का तेल | दाह्य | |
पत्थर का टुकड़ा | अदाह्य | |
स्ट्रॉ | दाह्य | |
काष्ट कोयला | दाह्य | |
माचिस की तीलियाँ | दाह्य | |
काँच | अदाह्य | |
कुछ और दाह्य पदार्थ | ||
पेट्रोल | दाह्य | |
डीजल | दाह्य | |
एलपीजी | दाह्य | |
सीएनजी | दाह्य | |
गोबर के उपले | दाह्य | |
एथेनॉल | दाह्य |
क्रियाकलाप 6.2
(सावधानी: जलती मोमबत्ती को पकड़ते समय सावधानी रखिए।).
एक जलती मोमबत्ती को मेज के ऊपर रखिए। काँच की चिमनी को मोमबत्ती के ऊपर लकड़ी के दो गुटकों की सहायता से इस प्रकार रखिए कि वायु का चिमनी में प्रवेश होता रहे। अब लकड़ी के गुटके हटा कर चिमनी को मेज पर टिका दीजिए [चित्र. 6.2 (a)].
Fig. 6.2: दहन के लिए वायु आवश्यक है: प्रदर्शित करने हेतु प्रयोग
अब लकड़ी के गुटके हटा कर चिमनी को मेज पर टिका दीजिए [Fig. 6.2(b)]। पुन: ज्वाला को देखिए। अंत में एक काँच की प्लेट चिमनी के ऊपर रख दीजिए [Fig. 6.2 (c)]। ज्वाला को पुन: देखिए
तीनों स्थितियों में क्या होता है? क्या ज्वाला कम्पन करती हुई बुझ जाती है? क्या ज्वाला कम्पन करती है और धुँआ देती हैं? क्या यह अप्रभावित रहती है?
क्या आप दहन प्रक्रम में वायु की भूमिका के बारे में कुछ निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर
(a)पहली स्थिति में , मोमबत्ती बिना किसी समस्या के निर्बाध रूप से जलती रहती है।
(i) मोमबत्ती की ज्वाला कम्पन नहीं करती है तथा सामान्य रूप से जलती है।
(ii) नहीं। ज्वला निर्बाध रूप से जलती रहती है।
(iii) हाँ मोमबत्ती की ज्वाला अप्रभावित रूप से जलती रहती है।
मोमबत्ती निर्बाध रूप से जलती है क्योंकि चिमनी के नीचे लगे गुटके से हवा का प्रवाह लगातार बना रहता है।
(b) दूसरी स्थिति में, कुछ सेकेंड के बाद मोमबत्ती बुझ जाती है।
(i) मोमबत्ती की ज्वाला कम्पन करते हुए कुछ सेकेंड बाद बुझ जाती है।
(ii) मोमबत्ती की ज्वाला कम्पन करते हुए बुझ जाती है।
(iii) ज्वाला निर्बाध रूप से नहीं जलती है तथा कुछ सेकेंड बाद बुझ जाती है और धुँआ देती है।
मोमबत्ती की ज्वाला कम्पन करते बुझ जाती है तथा धुँआ देती है क्योंकि चिमनी के नीचे गुटका हटा देने के कारण हवा के प्रवाह के लिए कोई स्थान नहीं होता है।
(c) तीसरी स्थिति में,
(i) मोमबत्ती की ज्वाला कम्पन के साथ तुरत ही बुझ जाती है।
(ii) मोमबत्ती की ज्वाला कम्पन करती है और बुझ जाती है तथा धुँआ देती है।
(iii) मोमबत्ती की ज्वाला बुझ जाती है।
चिमनी के नीचे तथा ऊपर कहीं से भी हवा का प्रवाह नहीं होने के कारण मोमबत्ती की ज्वाला तुरत ही कम्पन के साथ बुझ जाती है तथा पूरा चिमनी धुँए से भर जाता है। क्योंकि हवा दहन के लिए आवश्यक है।
दहन के प्रक्रम में हवा की भूमिका
हवा में ऑक्सीजन होता है जो कि दहन का पोषक है। अत: बिना हवा के दहन नहीं हो सकता है।
क्रियाकलाप 6.3
एक लकड-ई या लकड़ी के कोयले का जलता हुआ टुकड़ा लोहे की प्लेट या तवे पर रखिए। इसे एक काँच के जार अथवा पारदर्शक प्लास्टिक के जार से ढ़क दीजिए। देखिए, क्या होता है? क्या कुछ समय बाद लकड़ी का कोयला जलना बंद हो जाता है? क्या आप सोच सकते हैं कि यह जलना बंद क्यों हो जाता है?
उत्तर
कुछ देर बाद लकड़ी के कोयला बुझ जाता है तथा धुँआ होने लगता है। चूँकि जलते हुए लकड़ी के कोयले को एक जार द्वारा ढ़क दिये जाने के कारण हवा (ऑक्सीजन) का प्रवाह रूक जाता है जो कि दहन के लिए आवश्यक है। इसलिए लकड़ी का कोयला कुछ देर जलने के बाद बुझ जाता है।
क्रियाकलाप 6.4
(सावधानी: जलती हुई मोमबत्ती से सावधानी से काम लीजिए)।
कागज के दो कप तैयार करिए। इनमें से एक कप में 50 mL जल डालिए। दोनों कपों को अलग अलग मोमबत्ती द्वारा गर्म करिए। आप क्या देखते हैं?
कागज के खाली कप का क्या होता है? जल युक्त कागय के कप का क्या होता है? क्या एस कप का जल गर्म हो जाता है?
यदि हम कप को गर्म करना जारी रखें, तो हम कागज के कप में भी जल उबाल सकते हैं।
क्या आप इस परिघटना का कोई स्पष्टीकरण सोच सकते हैं?
उत्तर
कागज का कप जिसमें जल नहीं है अर्थात खाली है तुरत जलने लगता है।
जल युक्त कागज का कप नहीं जलता है। बल्कि इस कागज वाले कप में रखा जल गर्म होने लगता है।
कागज के कप में रखा जल गर्म होने लगता है क्योंकि इस कप में दी गयी उष्मा जल को स्थानांतरित होने लगता है। साथ ही इस कागज के कप में रखा हुआ जल कागज के कप को ठंढ़ा रखते हुए इसके ज्वलन ताप को न्यूनतम से कम रखता है जिससे कागज का कप जल के वाष्प बनकर उड़ने तक कागज के कप को जलने नहीं देता है।
क्रियाकलाप 6.5
एक मोमबत्ती जलाइए (सावधानी बरतिए)। एक काँच की नली को संडासी द्वारा पकड़िए और उसका एक सिरा मोमबत्ती की अकम्पित ज्वाला के अदीप्त क्षेत्र (जोन) में प्रवेश करा दीजिए (चित्र 6.10)। काँच की नली के दूसरे सिरे के निकट एक जलती हुई माचिस की तीली लाइए। क्या वहाँ ज्वाला उत्पन्न होती है? यदि ऐसा है, तो वह क्या है जो ज्वाला उत्पन्न करता है? ध्यान दीजिए कि गर्म बत्ती के पास का मोम जल्द पिघल जाता है।
उत्तर
हाँ काँच की नली के दूसरे सिरे पर ज्वाला उत्पन्न होती है। और यह ज्वाला जलती रहती है।
काँच नली के एक सिरा जो मोमबत्ती के अदीप्त जोन में है से दूसरे छोड़ तक मोम का वाष्प आना शुरू होता है तथा जब एक जलती हुई माचिस की तीली को लाया जाता है तो वह वाष्प ज्वाला के साथ जलने लगती है।
मोमबत्ती के बाती के पास गर्मी से मोम पिघल करने बाती से होकर ऊपर आता है तथा ज्वाला के साथ जलता है। मोम का यही वाष्प काँच नली के सहारे दूसरे छोड़ तक आता है तथा माचिस की जलती हुई तीली उसके पास लाने पर ज्वाला के साथ जलने लगता है।
दहन और ज्वाला पाठ से संबंधित प्रमुख शब्द तथा उनका विवरण
(1) अम्ल वर्षा (एसिड रेन)
कोयला, पेट्रोल और डीजल जैसे जीवश्म ईंधन जलने पर सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन जैसे गैस उत्पन्न करते हैं। सल्फर डाइऑक्साइड जल में घुलकर सल्फोनिक अम्ल तथा नाइट्रोजन गैस जल में घुल कर नाइट्रिक अम्ल बनाते हैं। जब ये गैसें वर्षा के जल के साथ मिल जाती हैं तो अम्ल बनाती हैं। इन अम्लों का वर्षा के जल के साथ पृथ्वी पर गिरना अम्ल वर्षा कहलाती है। अम्ल वर्षा फसलों, भवनों, मिट्टी तथा जल के लिए हानिकारक होती है।
(2) उष्मीय मान
ईंधन की दक्षता को उष्मीय मान में मापा जाता है। उष्मीय मान का मात्रक किलोजूल प्रति किलोग्राम (kJ/kg) होता है।
(3) दहन
रासायनिक प्रक्रिया जिसमें कोई पदार्थ ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया कर उष्मा प्रदान करता है, दहन (कम्बसन) कहलाता है। जैसे कि कोयले का जलना, प्राकृतिक गैस का जलना, कागज का जलना, लकड़ी का जलना, आदि।
(4) विस्फोट
पटाखों के जलने के क्रम में आकस्मिक अभिक्रिया होती है जिससे उष्मा, प्रकाश के साथ ध्वनि उत्पन्न होती है। इस प्रकार की अभिक्रिया में काफी मात्रा में गैस निकलती है, तथा पटाखे तेज आवाज के साथ जल उठते हैं। ऐसे दहन को विस्फोट कहा जाता है।
(5) वनोन्मूलन
वनो का वृहद स्तर पर खत्म होना वनोन्मूलन कहलाता है। वनोन्मूलन का कारण मानवीय क्रिया कलाप या प्राकृतिक दोनों हो सकता है।
(6) Flame
दहन के प्रक्रम में दाह्य का दिखने वाला गैसीय भाग ज्वाला कहलाता है।
(7) अग्निशामक
पदार्थ जो आग को बुझाने का कार्य करे अग्निशामक कहलाता है। CO2 सबसे अच्छा अग्निशामक है। जल सबसे सस्ता तथा सबसे सुलभ अग्निशामक है।
(8) ईंधन (फ्यूल)
वैसे दाह्य पदार्थ जिसका उपयोग उष्मा प्राप्त करने के लिए किये जाते हैं ईंधन कहलाते हैं। ईंधन का उपयोग घरों में खाना बनाने, फैक्ट्रियों में उष्मा प्राप्त करने, और गाड़्यों को चलाने में किया जाता है। उदाहरण के लिए पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस, एलपीजी, कोयला, लकड़ी आदि।
(9) ईंधन दक्षता
ईंधन जो कम मात्रा में दहन के उपरांत अधिक उष्मा प्रदान करे अधिक दक्ष ईंधन कहलाता है। ईंधन की दक्षता को उसके उष्मीय मान द्वारा मापा जाता है। जिस ईंधन का उष्मीय मान जितना अधिक होता है वह उतना ही अधिक दक्षता वाला ईंधन कहलाता है।
(10) विश्व उष्णन
पृथ्वी के वातावरण का बढ़ता हुआ तापक्रम विश्व उष्णन कहलाता है। ईंधन के जलने के कारण उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड विश्व उष्णन के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है।
(11) आदर्श ईंधन
वैसा ईंधन जो आसानी से उपलब्ध हो, सस्ता हो, सामान्य रूप से वायु में दहन कर सके, अधिक मात्रा में उष्मा प्रदान करे, दहन के उपरांत कोई अवांछित अवशिष्ट नहीं छोड़े तथा आसानी से परिवहन किया जा सके एक आदर्श ईंधन कहा जाता है।
वास्तव में कोई भी ईंधन आदर्श ईंधन नहीं होता है। लेकिन वैसा ईंधन जो आदर्श ईंधन के अधिकांश शर्तों को पूरा करता है, आदर्श ईंधन कहलाता है।
(12) ज्वलन ताप
वह न्यूनतम ताप जिसपर एक दाह्य पदार्थ आग पकड़ लेता है, को ज्वलन ताप कहते है।
(13) ज्वलनशील पदार्थ
वैसे पदार्थ जिसका ज्वलन ताप बहुत कम होता है, ज्वलनशील पदार्थ कहलाता है।
Reference: