पदार्थ: धातु और अधातु
आठवीं विज्ञान
पदार्थ तथा उसके गुण
हमारे चारों ओर की सभी वस्तुएँ पदार्थ हैं। जैसे पेड़, पौधे, जल, गैस, टेबल, कुर्सी, लोहा, कम्प्यूटर, बोतल, जूते, चप्प्ल, आदि।
वस्तु, जो हवा में कुछ स्थान घेरती है तथा जिसमें भार हो, पदार्थ कहलाती है।
साधारण तौर पर पदार्थ के दो गुण होते हैं, भौतिक गुण तथा रासायनिक गुण
भौतिक गुण
पदार्थ के वैसे गुण जिसे पदार्थों के घटकों में बिना परिवर्तन किये ही अवलोकन किया जा सकता है, भौतिक गुण कहलाते हैं। रूप-रंग, चमकीलापन, अघातवर्ध, तन्य, क्वथनांक, गलनांक, आदि पदार्थ के कुछ भौतिक गुण हैं।
रासायनिक गुण
पदार्थ के वैसे गुण जो रासायनिक प्रतिक्रिया के क्रम में या रासायनिक प्रतिक्रिया के बाद अवलोकन किये जाते है, रासायनिक गुण कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में कोई पदार्थ रासायनिक प्रतिक्रिया के क्रम में किस प्रकार व्यवहार करते हैं, रासायनिक गुण कहलाते हैं।
किसी भी पदार्थ का रासायनिक गुण उसके रासायनिक प्रतिक्रिया में देखे जा सकते हैं। जैसे पदार्थ का ऑक्सीजन, जल, आदि के साथ संयोग करने का गुण आदि रासायनिक गुण के कुछ उदाहरण हैं।
पदार्थ का वर्गीकरण: धातु एवं अधातु
भौतिक तथा रासायनिक गुणों के आधार पर पदार्थ को दो भागों में बाँटा जा सकता है। पदार्थों के ये दो वर्ग हैं धातु तथा अधातु।
(a) धातु
धातुओं के भौतिक गुण
अघातवर्धनीयता, तन्यता, कठोरता, चमकीलापन, ध्वानिक, विद्युत तथा उष्मा की चालकता आदि धातुओं के भौतिक गुण हैं।
(1) अघातवर्धनीयता
धातु अघातवर्धनीय होते हैं। धातु का वह गुण जिसके कारण किसी धातु को पीटकर पतले चादर (शीट) में बदला जा सकता है, अघातवर्धनीयता कहलाता है।
अघातवर्धनीयता धातु का एक विशिष्ट अभिलक्षण है जिसके कारण किसी धातु को पीट कर पतले शीट (चादर) में परिवर्तित किया जा सकता है।
(2) तन्यता (डक्टिलिटी)
धातु का एक विशिष्ट अभिलाक्षणिक गुण जिसके कारण किसी धातु को खींचकर तार बनाया जा सकता है तन्यता (डक्टिलिटी) कहलाता है।
अत: धातुएँ तन्य (डक्टाइल) होते हैं। यही कारण है कि तार धातु के बने होते हैं। जैसे लोहे के तार, ताम्बे के तार, एल्युमिनियम के तार, आदि
तन्यता (डक्टिलिटी) धातु का एक अभिलाक्षणिक गुण (कैरेस्टिक प्रोपर्टी) होता है।
(3) कठोरता (हार्डनेश)
प्राय: सभी धातु कठोर होते हैं। जैसे कि लोहा, कॉपर, एल्युमिनियम, इत्यादि।
धातु के इसी कठोरता वाले गुण के कारण पानी के जहाज, वायुयान, पुलों में लगने वाले गार्टर, मशीन के कल पुर्जे, आदि लोहे के बने होते हैं।
परंतु कुछ धातु काफी मुलायम होते हैं। जैसे सोडियम, लिथियम, आदि। सोडियम, जो कि एक धातु है को किसी चाकू से भी आसानी से काटा जा सकता है।
(4) भौतिक अवस्था (फिजिकल स्टेट)
सभी धातु ठोस होते हैं। जैसे लोहा, ताम्बा, एल्युमिनियम, सोना, चाँदी, आदि।
परंतु पारा (मरकरी), जो कि एक धातु है, तरल होता है। मरकरी ही एक ऐसा धातु है, जो कमरे के तापमान पर भी तरल होता है।
(5) चमकीलापन
सभी धातु चमकीले होते हैं। जैसे लोहा, ताम्बा, सोना, चाँदी, अल्युमिनियम, आदि। धातु के इसी चमकीलेपन के गुण के कारण सोना, चाँदी आदि का उपयोग गहने (जेवर) बनाने में होता है।
(6) ध्वानिक [अनुनादी (Sonorous)]
धातु को पीटने पर खनखनाहट की या झंकार जैसी आवाज निकलती है। दूसरे शब्दों में धातु को पीटने पर गूँजने वाली आवाज आती है। धातु से उप्तन्न होने वाली इस विशेष प्रकार की ध्वनि को अनुनादी ध्वनि कहा जाता है। धातु के द्वारा अनुनादी ध्वनि का उत्पन्न किया जाना धातु का एक अभिलाक्षणिक गुण होता है। यही कारण है कि मंदिर या स्कूल के घंटे, वाद्य यंत्र के तारा आदि धातु के बने होते हैं। धातु के इस विशेष अभिलाक्षणिक गुण को अंगरेजी में सोनोरिटी (Sonority) कहा जाता है।
(7) विद्युत तथा उष्मा की सुचालकता
धातुएँ विद्युत तथा ध्वनि के सुचालक होते हैं। यही कारण है कि बिजली के तार तथा खाना बनाने के बर्तन धातु की बनी होती हैं। जैसे कि बिजली के तार ताम्बे या एल्युमिनियम के बने होते हैं। खाना बनाने के बर्तन लोहे, ताम्बे, या एल्युमिनियम से बनाये जाते हैं।
(8) गलनांक तथा क्वथनांक (मेल्टिंग तथा ब्यायलिंग प्वाइंट)
धातु के मेल्टिंग तथा ब्यायलिंग प्वाइंट (गलनांक तथा क्वथनांक) काफी उच्च होते हैं। जैसे कि लोहा 1538oC पर पिघलता है तथा 2862oC पर उबलता है। ताम्बा का गलनांक 1085oC तथा क्वथनांक 2562oC होता है।
अधातु के भौतिक गुण
(1) अघातवर्घनीयता
अधातुओं में अघातवर्घनीय नहीं होता है।
जब किसी अधातु को हथौड़े से पीटा जाता है, तो वह टुकड़ों में टूट जाता है।
(2) तन्यता (डक्टिलिटी)
अधातु तन्य नहीं होते हैं।
जब किसी अधातु को खींचा जाता है, तो वह टुकड़ों में टूट जाता है।
(3) कठोरता
अधातु कठोर नहीं होते हैं, बल्कि धातुओं की तुलना में काफी कम कठोर होते हैं। जैसे सल्फर, फॉस्फोरस, आदि।
हालाँकि हीरा, जो कि कार्बन (एक अधातु) का ही के रूप है, प्राकृतिक में मिलने वाला सबसे कठोर पदार्थ है। हीरा एक अपवाद वाला अधातु है जो अत्यधिक कठोर होता है।
(4) भौतिक अवस्था
अधातु सभी भौतिक अवस्थाओं में पाया जाता है, अर्थात कुछ अधातु ठोस, कुछ द्रव तथा कुछ अधातु गैसीय अवस्था में होते हैं। जैसे सल्फर, फॉस्फोरस आदि ठोस होते हैं, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, आदि गैस होते हैं तथा ब्रोमीन, आयोडीन आदि तरल अवस्था में होते हैं।
(5) चमकीलापन
अधातु चमकीले नहीं बल्कि डल दिखने वाले होते हैं। जैसे फॉस्फोरस, सल्फर आदि चमकीले नहीं होते हैं।
परंतु ग्रेफाइट एक अधातु है लेकिन यह काफी चमकीला होता है। ग्रेफाइट कार्बन का एक अपरूप है।
(6) ध्वानिक [अनुनादी (Sonorous)]
अधातु को पीटने पर खनखनाहट की आवाज नहीं आती है। अर्थात अधातुएँ अनुनादी नहीं होते हैं।
(7) विद्युत तथा उष्मा की चालकता
अधातुएँ विद्युत तथा उषमा के कुचालक होते हैं।
परंतु ग्रेफाइड जो एक एक अधातु कार्बन का ही एक रूप है, विद्युत का सुचालक होता है। ग्रेफाइट अधातुओं में एक अपवाद है, जो कि विद्युत का सुचालक है।
(8) गलनांक एवं क्वथनांक
अधातुओं के गलनांक तथा क्वथनांक धातुओं की तुलना में काफी कम होते हैं। जैसे कि सल्फर का गलनांक 115.20C है।
धातु तथा अधातु के रासायनिक गुण
धातुओं की ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया
धातु + ऑक्सीजन ⟶ धातु ऑक्साइड
धातु जैसे लोहा, ताम्बा, एल्युमिनियम, मैग्निशियम आदि ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया कर संबंधित ऑक्साइड बनाते हैं।
लोहा (आयरन) का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया
जब लोहा (आयरन) जल की उपस्थिति में ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो आयरन ऑक्साइड बनाता है। आयरन ऑक्साइड को जंग (रस्ट) के नाम से जाना जाता है।
आयरन (Fe) + ऑक्सीजन (O2) + जल (H2) ⟶ आयरन ऑक्साइड (Fe2O3)
आयरन का जल की उपस्थिति में ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया की घटना को लोहे में जंग लगना कहते हैं।
मैग्निशियम का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया
जब मैग्निशियम के फीते को हवा की उपस्थिति में जलाया जाता है, तो मैग्निशियम ऑक्साइड बनता है।
मैग्निशियम (Mg) + ऑक्सीजन (O2) ⟶ मैग्निशियम ऑक्साइड (MgO)
कॉपर (ताम्बे) का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया
जब कॉपर धातु को ऑक्सीजन की उपस्थिति में गर्म किया जाता है, तो कॉपर ऑक्साइड बनता है।
कॉपर (Cu) + ऑक्सीजन (O2) ⟶ कॉपर ऑक्साइड (CuO)
कॉपर ऑक्साइड काले रंग का होता है।
धातु के ऑक्साइड का गुण
धातु के ऑक्साइड क्षारीय होते हैं।
(a) जब मैग्निशियम ऑक्साइड को जल में घोलकर उसमें लाल लिटमस पत्र को डाला जाता है, तो लिटमस पत्र का रंग नीला हो जाता है।
लाल लिटमस पेपर का नीले रंग में बदलना बतलाता है कि, मैग्निशियम ऑक्साइड क्षारीय गुण वाला होता है।
(b) जब जंग़ (आयरन ऑक्साइड) को जल में मिलाकर उसमें लाल लिटमस पेपर डुबाया जाता है, तो लिटमस पेपर का रंग नीला हो जाता है।
अत: जंग, जो कि आयरन (लोहा) का ऑक्साइड है, क्षारीय गुण वाला होता है।
धातु का जल के साथ प्रतिक्रिया
कुछ धातु जल के साथ प्रतिक्रिया का हाइड्रोक्साइड बनाते हैं।
धातु + जल ⟶ धातु का हाइड्रोक्साइड
सोडियम धातु का जल के साथ प्रतिक्रिया
जब सोडियम धातु जल के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो सोडियम हाइड्रोक्साइड बनाता है।
सोडियम (Na) + जल ⟶ सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH)
पोटैशियम धातु का जल के साथ प्रतिक्रिया
जब पोटैशियम धातु जल के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो पोटैशियम हाइड्रोक्साइड बनता है।
पोटैशियम (K) + जल (H2) ⟶ पोटैशियम हाइड्रोक्साइड (KOH)
मैग्निशियम धातु का जल के साथ प्रतिक्रिया
मैग्निशियम धातु जल के साथ प्रतिक्रिया कर मैग्निशियम ऑक्साइड बनाता है।
मैग्निशियम (Mg) + जल (H2) ⟶ मैग्निशियम ऑक्साइड (MgO)
एल्युमिनियम का जल के साथ प्रतिक्रिया
एल्युमिनियम साधारण परिस्थितिओं में ठंढ़े जल के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है। लेकिन एल्युमिनियम जलवाष्प के साथ प्रतिक्रिया कर एल्युमिनियम ऑक्साइड बनाता है।
एल्युमिनियम (Al) + जलवाष्प (H2) ⟶ एल्युमिनियम ऑक्साइड (Al2O3)
लोहे का जल के साथ प्रतिक्रिया
लोहा ठंढ़े जल के साथ बहुत धीरे प्रतिक्रिया करता है। लेकिन जब लोहे पर जलवाष्प प्रवाहित किया जाता है, तो आयरन ऑक्साइड बनता है।
आयरन + जलवाष्प ⟶ आयरन ऑक्साइड
लेड, कॉपर, चाँदी तथा सोना का जल के साथ प्रतिक्रिया
लेड, कॉपर, चाँदी तथा सोना जैसे धातु जल के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते हैं।
लेकिन जब कॉपर को अधिक समय तक नमी वाले स्थान में खुला छोड़ दिया जाता है, तो कॉपर पर एक हरे रंग की परत जम जाती है। यह हरे रंग की परत कॉपर हाइड्रोक्साइड तथा कॉपर कार्बोनेट का मिश्रण होता है।
कॉपर + नमीयुक्त हवा (जल + कार्बन डायऑक्साइड + ऑक्सीजन) ⟶ कॉपर हाइड्रोक्साइड + कॉपर कार्बोनेट
धातु का अम्ल (एसिड) के साथ प्रतिक्रिया
धातु का अम्ल (एसिड) के साथ प्रतिक्रिया करने से हाइड्रोजन गैस बनाता है।
धातु + अम्ल ⟶ हाइड्रोजन गैस
उदाहरण
जिंक धातु का अम्ल के साथ प्रतिक्रिया
जिंक जब सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो हाइड्रोजन गैस तथा जिंक सल्फेट बनता है।
जिंक (Zn) + सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) ⟶ हाइड्रोजन गैस (H2) + जिंक सल्फेट (ZnSO4)
जब एक जलती हुई माचिस की तीली को टेस्ट ट्यूब जिसमें प्रतिक्रिया हुयी है, के मुँह के पास लाया जाता है, तो तीली एक "पॉप" की आवाज के साथ जलने लगती है। यह "पॉप" की विशेष आवाज हाइड्रोजन गैस के निकलने की अभिलाक्षणिक जाँच है।
कैल्शियम मेटल का हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया
जब कैल्शियम धातु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो हाइड्रोजन गैस बनती है।
कैल्शियम (Ca) + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) ⟶ हाइड्रोजन (H2) + कैल्शियम क्लोराइड
उसी प्रकार, अधिकांश धातु अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
कॉपर का अम्ल के साथ प्रतिक्रिया
कॉपर मेटल तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है। लेकिन कॉपर सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करता है।
धातुओं का क्षार के साथ प्रतिक्रिया
धातु के क्षार के साथ अभिक्रिया करने से हाइड्रोजन गैस बनाता है।
धातु + क्षार ⟶ हाइड्रोजन गैस
उदाहरण
जिंक मेटल का सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ प्रतिक्रिया
जब जिंक धातु सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो हाइड्रोजन गैस बनाता है।
जिंक (Zn) + सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) ⟶ हाइड्रोजन (H2) + सोडियम जिंकेट
अल्युमिनियम का सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ प्रतिक्रिया
एल्युमिनियम मेटल सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस बनाता है।
एल्युमिनियम (Al) + सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) ⟶ हाइड्रोजन (H2) + सोडियम एल्युमिनेट
Reference: