रेखाएँ और कोण: क्लास नौवीं गणित
प्रमेय रेखाओं, कोण और त्रिभुज के कोणों के योग से संबंधित
प्रमेय 6.7 (रेखाएँ और कोण क्लास नौवीं गणित)
यदि एक तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को प्रतिच्छेद करे, तो तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंत: कोणों का प्रत्येक युग्म संपूरक होता है।
दिया गया है,
मान लिया कि एक तिर्यक रेखा RS दो समांतर रेखाओं AB और CD को प्रतिच्छेद करती है।
अत: सिद्ध करना है कि
∠APQ + ∠CQP = 180o
तथा, ∠QPB + ∠PQD = 180o
प्रमाण
रैखिक युग्म के अभिगृहीत जो कहता है कि यदि एक किरण एक रेखा पर खड़ी हो, तो इस प्रकार बने दोनों आसन्न कोणों का योग 180o होता है।
यहाँ किरण PB रेखा RS पर खड़ी है।
अत: ∠RPB + ∠QPB = 180o - - - - (i)
[चूँकि ∠RPB और ∠QPB कोणों का एक रैखिक युग्म बनाते हैं, अत: संपूरक हैं।]
संगत कोणों के एक अभिगृहीत जो कहता है कि यदि कोई तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को काटती है, तो संगत कोणों का प्रत्येक युग्म आपस में बराबर होते हैं।
अत: ∠PQD = ∠RPB - - - - (ii)
[चूँकि ∠PQD और ∠RPB संगत कोण हैं अत: आपस में बराबर हैं।]
अब समीकरण (ii) से ∠RPB = ∠PQD को समीकरण (i) में रखने पर हम पाते हैं कि
∠PQD + ∠QPB = 180o
उसी प्रकार, किरण AP रेखा RS पर खड़ी है।
अत:, ∠APR + ∠APQ = 180o - - - - - (iii)
[चूँकि ∠APR और ∠APQ कोणों का रैखिक युग्म हैं अत: संपूरक हैं।]
तथा, ∠APR = ∠CQP - - - - - (iv)
[चूँकि ∠APR और ∠CQP संगत कोण हैं अत: आपस में बराबर हैं।]
अब समीकरण (iv) से ∠APR = ∠CQP को समीकरण (iii) में रखने पर हम पाते हैं कि
∠CQP + ∠APQ = 180o
अत: यदि एक तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को प्रतिच्छेद करे, तो तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंत: कोणों का प्रत्येक युग्म संपूरक होता है। प्रमाणित
प्रमेय 6.8 (प्रमेय 6.7 का विलोम) रेखाएँ और कोण क्लास नौवीं गणित
यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार प्रतिच्छेद करे कि तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंत: कोणों का एक युग्म संपूरक है, तो दोनों रेखाएँ परस्पर समांतर होती है।
मान लिया कि, AB और CD दी गयी दो रेखाएँ हैं।
तथा एक तिर्यक रेखा RS इस दी गयी दोनों रेखाओं को क्रमश: बिन्दु P और Q पर काटती हैं।
पुन: दिया गया है, ∠APQ + ∠CQP = 180o
अत: सिद्ध करना है कि AB||CD
प्रमाण
कोणों के युग्म का एक अभिगृहीत जो कहता है कि यदि एक किरण किसी रेखा पर खड़ी हो, तो दोनों आसन्न कोणों का योग 180o होता है।.
यहाँ किरण AP किरण RS पर खड़ी है।
अत: ∠APR + ∠APQ = 180o - - - - - (i)
[चूँकि ∠APR और ∠APQ कोणों का एक रैखिक युग्म है अत: संपूरक हैं।]
तथा, ∠APQ + ∠CQP = 180o - - - - - (ii)
[जैसा कि प्रमेय में दिया गया है]
अब समीकरण (i) समीकरण (ii) से हम जानते हैं कि
∠APR + ∠APQ = ∠APQ + ∠CQP
⇒ ∠APR + ∠APQ – ∠APQ = ∠CQP
⇒ ∠APR = ∠CQP
अत: यहाँ एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं AB और CD को इस प्रकार काटती है कि संगत कोणों का युग्म ∠APR और ∠CQP आपस में बराबर हैं।
अत: संगत कोणों पर आधारित अभिगृहीत के अनुसार जो कहता है कि यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार काटती है कि संगत कोणों का प्रत्येक युग्म आपस में बराबर हों, तो दोनों रेखाएँ समांतर होती है।
अत: AB||CD प्रमाणित
प्रमेय 6.9 (रेखाएँ और कोण क्लास नौवीं गणित)
वे रेखाएँ जो एक ही सरल रेखा के समांतर हों, परस्पर समांतर होती हैं।
दिया गया है, AB, CD तथा EF तीन सरल रेखाएँ हैं।
तथा मान लिया कि PQ एक तिर्यक रेखा है जो तीनों रेखाओं को काटती हैं।
तथा यह भी दिया गया है कि AB||CD
तथा EF||CD
अत: सिद्ध करना है कि EF||AB
प्रमाण
संगत कोणों के अभिगृहीत जो कहता है कि यदि कोई तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को काटती है, तो इस तरह बने हुए संगत कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होता है।
रेखा AB और CD में,
AB और CD समांतर रेखाएँ हैं और एक तिर्यक रेखा PQ इन्हें काटती है।
अत: ∠PRB = ∠RSD - - - - - - (i)
[क्योंकि ∠PRB और ∠RSD संगत कोण हैं तथा आपस में बराबर हैं।]
रेखा EF और CD में,
EF और CD समांतर रेखाएँ हैं और एक तिर्यक रेखा PQ दोनों को काटती है।
अत: ∠RSD = ∠STF
⇒ ∠STF = ∠RSD - - - - - (ii)
[क्योंकि ∠RSD और ∠STF संगत कोण हैं तथा आपस में बराबर हैं।]
अब समीकरण (i) और समीकरण (ii) से हम पाते हैं कि
∠PRB = ∠STF
चूँकि यहाँ संगत कोण PRB और संगत कोण STF बराबर हैं।
अत: संगत कोणों के अभिगृहीत के विलोम के अनुसार जो कहता है कि यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस रकार काटती हो कि संगत कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर हों, तो दोनों रेखाएँ समांतर होती हैं।
EF||AB प्रमाणित
अत: वे रेखाएँ जो एक ही सरल रेखा के समांतर हों, परस्पर समांतर होती हैं। प्रमाणित
प्रमेय 6.10 (रेखाएँ और कोण क्लास नौवीं गणित)
यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार प्रतिच्छेद करे कि संगत कोणों के एक युग्म के समद्विभाजक परस्पर समांतर हों, तो दोनों रेखाएँ भी परस्पर समांतर होती हैं।
दिया गया है,
मान लिया कि AB और CD दी गयी दो रेखाएँ हैं।
और एक दी गयी तिर्यक रेखा EF दोनों रेखाओं को क्रमश: बिन्दु G और H पर काटती हैं।
और किरण GM कोण EGB को समद्विभाजित करती है।
तथा किरण HN कोण GHD को समद्विभाजित करती है।
तथा GM || HN है।
अत: सिद्ध करना है कि AB||CD
प्रमाण
चूँकि प्रश्न के अनुसार किरण GM कोण EGB को समद्विभाजित करती है
अत: ∠EGM = 1/2 ∠EGB - - - - - (i)
उसी प्रकार चूँकि किरण HN कोण GHD को समद्विभाजित करती है
अत: ∠EGH = 1/2 ∠GHD - - - - - (ii)
अब चूँकि GM||HN है और तिर्यक रेखा EF इन दोनों रेखाओं को क्रमश: बिन्दु G और H पर काटती है।
अत: संगत कोण EGM = संगत कोण GHN - - - - - (iii)
[क्योंकि संगत कोणों के एक अभिगृहीत के अनुसार जो कहता है कि जब कोई तिर्यक रेखा किसी दो समांतर रेखाओं को काटती है तो संगत कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होते हैं। ]
अब समीकरण (i) और समीकरण (ii) के मान को समीकरण (iii) में रखने पर हम पाते हैं कि
1/2 ∠EGB = 1/2 ∠GHD
⇒ ∠EGB = ∠GHD - - - - - (iv)
यहाँ एक तिर्यक रेखा EF दो रेखाओं AB और CD को काटती हैं। जिसमें ∠EGB और ∠GHD संगत कोणों का एक युग्म है तथा आपस में बराबर हैं।
अत: संगत कोणों के अभिगृहीत के विलोम के अनुसार, जो कहता है कि यदि कोई तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार काटती हो कि संगत कोणों का प्रत्येक युग्म आपस में बराबर हों, तो दोनों रेखाएँ आपस में समांतर होती हैं।
AB||CD प्रमाणित.
अत: यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार प्रतिच्छेद करे कि संगत कोणों के एक युग्म के समद्विभाजक परस्पर समांतर हों, तो दोनों रेखाएँ भी परस्पर समांतर होती हैं। प्रमाणित
त्रिभुज के कोण का योग गुण [एंगल सम प्रोपर्टी ऑफ एक ट्राइएंगल (Angle Sum Property of a Triangle)]
प्रमेय 6.11 (रेखाएँ और कोण क्लास नौवीं गणित)
किसी त्रिभुज के कोणों का योग 180o होता है।
मान लिया कि ABC दिया गया त्रिभुज है।
अत: सिद्ध करना है कि
∠A + ∠B + ∠C = 180o
बनाबट
एक रेखा DE|| AB खींची गयी।
प्रमाण
यहाँ AB||DE है तथा एक तिर्यक रेखा CB दोनों को काटती है।
अत: ∠ECB और ∠CBA एकांतर अंत: कोणों का युग्म है अत: आपस में बराबर हैं।
[चूँकि समांतर रेखाओं पर आधारित एक प्रमेय के अनुसार जो कहता है कि यदि कोई तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को काटती है तो एकांतर अंत: कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होता है। ]
अर्थात ∠ECB = ∠CBA - - - - - (i)
उसी प्रकार AB||DE तथा तिर्यक रेखा AC उन्हें काटती है।
अत: ∠DCA = ∠CAB - - - - - - (ii)
[चूँकि ∠DCA और ∠CAB एकांतर अंत: कोणों का युग्म है अत: आपस में बराबर हैं।]
अब चूँकि DCE एक सरल रेखा है तथा एक रैखिक कोण बनाते हैं।
अत: ∠DCA + ∠BCA + ∠ECB = 180o - - - - (iii)
[चूँकि रेखीय कोण = 180o होता है।]
अब समीकरण (i) से ∠ECB = ∠CBA के मान को तथा समीकरण (ii) से मान ∠DCA = ∠CAB को समीकरण (iii) में रखने पर हम पाते हैं कि
∠CAB + ∠BCA + ∠CBA = 180o प्रमाणित
अत: किसी त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180o होता है। प्रमाणित
प्रमेय 6.12 (रेखाएँ और कोण क्लास नौवीं गणित)
यदि एक त्रिभुज की एक भुजा बढ़ाई जाय, तो इस प्रकार बना बहिष्कोण दोनों अंत: अभिमुख (विपरीत) कोणों (Interior opposite angles) के योग के बराबर होता है।
मान लिया कि ABC दिया गया त्रिभुज है।
तथा दिये गये त्रिभुज की भुजा AB को बिन्दु D तक बढ़ायी जाती है।
अत: सिद्ध करना है कि
∠4 = ∠1 + ∠2
प्रमाण
हम जानते हैं कि त्रिभुज के तीनों कोणों का योग = 180o होता है।
अत: ∠1 + ∠2 + ∠3 = 180o - - - - - (i)
पुन: चूँकि ABD एक रेखा है तथा ∠3 और ∠4 कोणों का रैखिक युग्म है अत: उनका योग 180o के बराबर होता है।
अत: ∠3 + ∠4 = 180o - - - - - (ii)
अब समीकरण (i) और समीकरण (ii) से हम पाते हैं कि
∠1 + ∠2 + ∠3 = ∠3 + ∠4
⇒ ∠1 + ∠2 + ∠3 – ∠3 = ∠4
⇒ ∠1 + ∠2 = ∠4
⇒ ∠4 = ∠1 + ∠2 प्रमाणित
अत: यदि एक त्रिभुज की एक भुजा बढ़ाई जाय, तो इस प्रकार बना बहिष्कोण दोनों अंत: अभिमुख (विपरीत) कोणों (Interior opposite angles) के योग के बराबर होता है। प्रमाणित
Reference: