संख्या पद्धति (नवम गणित): क्लास नौवीं गणित
दशमलव प्रसार-एनसीईआरटी प्रश्नावली 1.3
वास्तविक संख्याएँ और उनके दशमलव प्रसार
वास्तविक संख्याओं के द्शमलव्अ प्रसार पर विचार कर परिमेय संख्याओं और अपरिमेय संख्याओं में विभेद किया जा सकता है।
परिमेय संख्याओं का दशमलव प्रसार
एक परिमेय संख्या का दशमलव प्रसार या सांत (टर्मिनेटिंग) होता है या अनवसानी आवर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग) होता है। साथ ही वह संख्या जिसका दशमलव प्रसार सांत (टर्मिनेटिंग) या अनवसानी आवर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग) है, एक परिमेय संख्या (रेशनल नम्बर) होती है।
अत: परिमेय संख्याओं को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है।
(a) परिमेय संख्या (रेशनल नम्बर) जिनका दशमलव प्रसार सांत (टर्मिनेटिंग) होता है
परिमेय संख्याएँ, जो कि `p/q` के रूप में होते हैं, में p में q से भाग देने पर शेष शून्य हो जाता है, तो उन्हें दशमलव प्रसार सांत वाले परिमेय संख्या(रेशनल नम्बर) कहते हैं।
उदाहरण
`7/2, 1/2, 8/10, 5/8`, आदि दशमलव प्रसार सांत वाले परिमेय संख्या (रेशनल नम्बर) हैं।
`7/2 = 3.5` (सांत दशमलव प्रसार)
`1/2=0.5` (सांत दशमलव प्रसार)
`8/10 = 0.8` (सांत दशमलव प्रसार)
`5/8 =0.625` (सांत दशमलव प्रसार)
(b) परिमेय संख्या (रेशनल नम्बर) जिनका दशमलव प्रसार अनवसानी आवर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग) होता है
परिमेय संख्या (रेशनल नम्बर), जिनमें p में q से भाग देने पर कुछ चरणों के बाद शेष की पुनरावृत्ति होने लगती है, जिससे दशमलव प्रसार निरंतर जारी रहता है, को अनवसानी आवर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग) दशमलव प्रसार वाले परिमेय संख्या कहते हैं।
उदाहरण :
`1/3` = 0.33333. . . . . . (अनवसानी आवर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग) दशमलव प्रसार)
`1/7` = 0.14285714285714 . . . . (अनवसानी आवर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग) दशमलव प्रसार)
`1/3` के भागफल में 3 की पुनरावृत्ति होती है, को दिखाने के लिए भागफल को `0.bar(3)` या `0.dot(3)` के रूप में लिखते हैं।
उसी तरह `1/7` के भागफल में अंकों के खंड 142857 की पुनरावृत्ति होती है, उसे दिखाने के लिए भागफल को `0.bar(142857)` के रूप में लिखते हैं।
यहाँ अंकों के ऊपर लगाया गया दंड, अंकों के उस खंड को प्रकट करता है जिसकी पुनरावृत्ति होती है।
इस तरह हम देखते हैं कि परिमेय संख्याओं (रेशनल नम्बर) के दशमलव प्रसार के केवल दो तरह के होते हैं या तो वे सांत (टर्मिनेटिंग) होते हैं या अनवसानी (असांत) आवर्ती [नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग (रिपिटिंग)] होते हैं। कुल मिलाकर `p/q` वाले संख्या जिनके दशमलव प्रसार या तो सांत (टर्मिनेटिंग) या अनवसानी (असांत) आवर्ती [नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग (रिपिटिंग)] होते हैं, परिमेय संख्या (रेशनल नम्बर) कहलाते हैं।
अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) के दशमलव प्रसार
संख्या जिनके दशमलव प्रसार अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) होते हैं अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में वह अपरिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) होते हैं।
उदाहरण
(a) `sqrt2` का दशमलव प्रसार = 1.414213562373 . . . . .
चूँकि `sqrt2` का दशमलव प्रसार अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) हैं अत: `sart2` एक अपरिमेय संख्यां है।
(b) `pi` एक अपरिमेय संख्या है क्योंकि इसका दशमलव प्रसार = 3.141592653589 . . . . है, जो कि अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) है।
(c) उसी तरह, `22/7`, `sqrt5, sqrt3, sqrt7`, आदि अपरिमेय संख्याओं के उदाहरण हैं, क्योंकि इनके दशमलव प्रसार अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) हैं।
अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) की परिभाषा
अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) को निम्नांकित तीन तरीकों से परिभाषित किया जा सकता है:
(a) संख्या जिन्हें `p/q` में व्यक्त नहीं किया जा सकता, जहाँ p और q पूर्णांक संख्याएँ हैं तथा `q!=0` हो, को अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) कहा जाता है।
(b) संख्या जिसका दशमलव प्रसार अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) होते हैं, अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) कहलाते हैं।
(c) एक अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) दशमलव प्रसार वाले संख्या अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) कहलाते हैं।
एनसीईआरटी प्रश्नावली 1.3 (नवम गणित) का हल
प्रश्न संख्या (1) निम्नलिखित भिन्नों को दशमलव रूप में लिखिए और बताइए कि प्रत्येक का दशमलव किस प्रकार का है:
(i) `36/100`
हल:
दिया गया है, `36/100`
=0.36
अत: दी गई संख्या का दशमलव प्रसार = सांत उत्तर
(ii) `1/11`
हल
यहाँ चूँकि, 09 दशमलव के बाद रीपीट हो रहा है।
अत: दी गई संख्या का दशमलव प्रसार = अनवसानी आवर्ती है उत्तर
(iii) `4\ 1/8`
हल
दिया गया है, `4\1/8 =33/8`
अत: दी गई संख्या का दशमलव प्रसार = सांत उत्तर
(iv) `3/13`
उत्तर
दिया गया है, `3/13`
अत: दी गई संख्या का दशमलव प्रसार = अनवसानी आवर्ती उत्तर
(v) `2/11`
हल
दिया गया है, `2/11`
अत: दी गई संख्या का दशमलव प्रसार = अनवसानी आवर्ती उत्तर
(vi) `329/400`
हल
अत: दी गई संख्या का दशमलव प्रसार = सांत उत्तर
प्रश्न संख्या (2) आप जानते हैं कि `1/7=0.bar(142857)` है। वास्तव में, लम्बा भाग दिए बिना क्या आप यह बता सकते हैं कि `2/7, 3/7, 4/7, 5/7, 6/7` के दशमलव प्रसार क्या हैं? यदि हाँ, तो कैसे ?
[संकेत : `1/7` का मान ज्ञात करते समय शेषफलों का अध्ययन सावधानी से कीजिए]
हल
दिया गया है, `1/7=0.bar(142857)`
अत:, `2/7=1/7xx2`
`=0.bar(142857)xx2`
`=0.bar(285714)`
उसी तरह,
`3/7=1/7xx3`
`=0.bar(142857)xx3`
`=0.bar(428571)`
ठीक उसी प्रकार,
`4/7=1/7xx4`
`=0.bar(142857)xx4`
`=0.bar(571428)`
उसी तरह,
`5/7=1/7xx5`
`=0.bar(142857)xx5`
`=0.bar(714285)`
उसी तरह,
`6/7=1/7xx6`
`=0.bar(142857)xx6`
`=0.bar(857142)`
प्रश्न संख्या (3) निम्नलिखित को `p/q` के रूप में व्यक्त कीजिए, जहाँ p और q पूर्णांक हैं तथा `q!=0`
(i) `0.bar(6)`
हल:
दिया गया है, `0.bar(6)`
इसका अर्थ है, दशमलव के बादा रीपीट होने वाला अंक 6 है।
अर्थात, `0.bar(6)`= 0.6666 . . . .
अब, मान लिया कि, m = 0.6666 . . . . ----------(i)
चूँकि यहाँ एक ही ऐसा अंक है, जिसकी पुनरावृत्ति (रीपीट) हो रही है, अत: दोनों तरफ 10 से गुणा करने पर हम पाते हैं कि
⇒ 10 m = 10 × (0.666 . . . )
⇒ 10 m = 6.666 . . . .
⇒ 10 m = 6 + 0.666. . . .
⇒ 10 m = 6 + m
[∵ m = 0.666. . .]
⇒ 10 m – m = 6
⇒ 9 m = 6
`=> m = 6/9 = 2/3`
अत:, `0.bar(6) = 2/3` उत्तर
रेकरिंग (आवृत्ति) वाले अंक को भिन्न में बदलने की वैकल्पिक विधि
दिया गया है, `0.bar(6)`
यहाँ एक ही अंक की पुनरावृत्ति हो रही है,
अत: 9 को हर के रूप में रखा जाता है। 9 को हर के रूप में रखने के बाद रेकरिंग का चिन्ह तथा दशमलव हटा दिया जाता है।
`:. 0.bar(6) = 6/9`
`=(3xx2)/(3xx3) = 2/3`
`:. 0.bar(6) = 2/3` उत्तर
(ii) `0.4bar(7)`
हल
दिया गया है, `0.4bar(7)`
= 0.4777 . . . .
मान लिया कि, m = 0.4777 . . . .
यहाँ चूँकि एक ही अंक की पुनरावृत्ति हो रही है, अत: दोनों तरफ 10 से गुणा करने पर हम पाते हैं
⇒ 10 × m = 10 × 0.4777 . . .
⇒ 10 × m = 4.777 . . .
⇒ 10 × m = 4.3 + 0.4777 . . .
[∵ 4.3 + 0.4777 . . . = 4.777. . . ]
⇒ 10 × m = 4.3 + m
[m = 0.4777. . . जैसा कि पहले माना गया है]
⇒ 10 m – m = 4.3
⇒ 9 m = 4.3
`=>m = 4.3/9 = 43/90`
अत:, `0.4bar(7) = 43/90` Answer
रेकरिंग (आवृत्ति) वाले अंक को भिन्न में बदलने की वैकल्पिक विधि
दिया गया है, `0.4bar(7)`
यहाँ दशमलव के बाद एक अंक को छोड़कर केवल एक ही अंक की पुनरावृत्ति हो रही है। अत: पुनरावृति होने वाले एक अंक के लिए 9 तथा बिना पुनरावृति होने वाले एक अंक के लिए 10, कुल 9×10=90 को हर के रूप में रखने पर।
तथा (47–4) को अंश के रूप में रखने पर
अत: `0.4bar(7) = (47-7)/90`
`= 43/90`
अत: `0.4bar(7) = 43/90` उत्तर
(iii) `0.bar(001)`
हल
दिया गया है, `0.bar(001)`
= 0.001001001. . . .
मान लिया कि, m = 0.001001001. . . .
यहाँ चूँकि दशमलव के बाद तीन अंकों की पुनरावृत्ति होती है, अत: दोनों तरफ 1000 से गुणा करने पर।
⇒ 1000 m = 1000 × 0.001001001. . . .
⇒ 1000 m = 1.001001 . . .
⇒ 1000 m = 1 + 0.001001 . . . .
⇒ 1000 m = 1 + m
[∵ m = 0.001001001. . . . जैसा कि माना गया है।]
⇒ 1000 m – m = 1
⇒ 999 m = 1
`=> m = 1/999`
अत:, `0.bar(001)=1/999` उत्तर
रेकरिंग (आवृत्ति) वाले अंक को भिन्न में बदलने की वैकल्पिक विधि
दिया गया है, `0.bar(001)`
यहाँ चूँकि दशमलव के बाद तीन अंक रेकरिंग के रूप में हैं अर्थात तीन अंकों की पुनरावृत्ति हो रही है। अत: 999 को हर के रूप में रखने पर है।
अत: `0.bar(001)=1/999` उत्तर
प्रश्न संख्या (4) 0.99999 . . . . को `p/q` के रूप में व्यक्त कीजिए। क्या आप अपने उत्तर से आश्चर्यचकित हैं ? अपने अध्यापक और कक्षा के सहयोगियों के साथ उत्तर की सार्थकता पर चर्चा कीजिए।
हल
दिया गया है, 0.99999 . . . .
मान लिया कि, m = 0.9999 . . .
यहाँ चूँकि दशमलव के बाद मात्र एक अंक की पुनरावृत्ति हो रही है< अत: दोनों पक्षों को 10 से गुणा करने पर
⇒ 10 m = 10 × 0.9999 . . .
⇒ 10 m = 9.999 . . .
⇒ 10 m = 9 + m
[∵ m = 0.9999. . . .]
⇒ 10 m – m = 9
⇒ 9 m = 9
`:. m = 9/9 = 1`
अत:, 0.9999 . . . . = 1 उत्तर
रेकरिंग (आवृत्ति) वाले अंक को भिन्न में बदलने की वैकल्पिक विधि
दिया गया है, 0.9999 . . . .
`=0.bar(9)`
यहाँ चूँकि दशमलव के बाद केवल एक अंक की पुनरावृत्ति हो रही है, अत: 9 को हर के रूप में रखने पर
अत:, `=0.bar(9) = 9/9=1`
अत:, 0.9999 . . . . = 1 उत्तर
प्रश्न संख्या (5) `1/17` के दशमल्व प्रसार में अंकों के पुनरावृत्ति खंड में अंकों की अधिकतम संख़्या क्या हो सकती है? अपने उत्तर की जाँच करने के लिए विभाजर क्रिया कीजिए।
हल
`=0.bar(0588235294117647)`
अत: दिये गये संख्या के दशमलव प्रसार में पुनरावृत्ति खंड में अंकों की अधिकतम संख्या = 17 उत्तर
Reference: