ध्वनि

नवमी विज्ञान

ध्वनि क्या होता है

ध्वनि उर्जा का एक रूप है अर्थात ध्वनि एक प्रकार की उर्जा है। ध्वनि हमारे कानों में एक प्रकार की संवेदना उत्पन्न करती है, जिससे हम ध्वनि को सुन पाते हैं।

उर्जा संरक्षण नियम के अनुसार उर्जा को न ही बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, केवल उर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण किया जा सकता है।

अत: ध्वनि उर्जा को भी दूसरे उर्जा के रूप को रूपांतरण कर प्राप्त किया जाता है।

उदाहरण

जब हम ताली बजाते हैं, तो ध्वनि उत्पन्न होती है। ताली बजाने में पेशिये उर्जा के रूप को रूपांतरित किया जाता है।

class nine 9 science sound clapping to produce sound

चित्र : ताली से ध्वनि उर्जा उत्पन्न किया जाना1

class nine 9 science sound - beating drum to produce sound

चित्र : ड्रम को पीटकर ध्वनि उत्पन्न करना2

जब किसी ड्रम को पीटा जाता है, तो ध्वनि उत्पन्न होती है।

जब किसी लकड़ी के गट्ठे को किसी हथौड़ी या पत्थर से पीटा जाता है, तो ध्वनि उत्पन्न होती है। किसी वस्तु को पीटने के क्रम में लगने वाली उर्जा का कुछ भाग ध्वनि उर्जा में बदल जाता है, तथा कुछ भाग अन्य उर्जा अर्थात उष्मा उर्जा आदि में बदल जाता है।

कार, मोटरसाइकल, बस आदि में विद्युत उर्जा का उपयोग कर ध्वनि उत्पन्न की जाती है। अर्थात विद्युत उर्जा को ध्वनि उर्जा में रूपांतारित किया जाता है।

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उसी प्रकार एक लाउडस्पीकर में भी विद्युत उर्जा का उपयोग कर ध्वनि उर्जा उत्पन्न की जाती है। या किसी ध्वनि उर्जा को तेज किया जाता है।

अत: उर्जा का उपयोग कर ध्वनि उत्पन्न किया जाता है। अर्थात ध्वनि उत्पन्न करने के लिए उर्जा की आवश्यकता होती है। बिना उर्जा के ध्वनि को उत्पन्न नहीं किया जा सकता है।

ध्वनि का उत्पादन

किसी वस्तु के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है। अर्थात जब भी किसी वस्तु को कंपित किया जाता है, तो ध्वनि उत्पन्न होती है।

उदाहरण:

(a) जब पेड़ के पत्तों से हवा गुजरती है, तो पत्ते तेजी से हिलने लगते हैं, अर्थात कंपित होने लगते हैं। पत्तों के कंपन से सरसराहट की ध्वनि उत्पन्न होती है।

class nine 9 science sound production of sound due air passes through leaves

चित्र: पत्तों से हवा के गुजरने के कारण ध्वनि का उत्पादन3

(b) जब किसी तार वाले वाद्य यंत्र, जैसे कि गिटार, वीणा, सितार, बैंजो, आदि के तार को छेड़ा जाता है, अर्थात कंपित किया जाता है, तो ध्वनि उत्पन्न होती है।

class nine 9 science sound guitar

चित्र : गिटार4

(c) किसी ढ़ोलक या ड्रम को पीटने पर, उसका पर्दा कंपित होने लगता है, और ध्वनि उत्पन्न होती है।

(d) हम गले में अवस्थित वोकल कॉर्ड के कंपन के कारण ही आवाज निकाल सकते हैं, अर्थात बात कर सकते हैं, चिल्ला सकते हैं या गाना आदि गा सकते हैं।

(e) एक मधुमक्खी के उड़ते समय उसके पंखों के कंपन के कारण भनभनाने की आवाज निकलती है।

class nine 9 science sound production of sound by flapping of feather by a bird

चिड़िया के पंखों के फड़फड़ाहट से आवाज का निकलना5

संदर्भ: By Dan Pancamo - originally posted to Flickr as Hummingbird aerodynamics, CC BY-SA 2.0, Link

(f) जब कोई चिड़िया पंखों को फड़फड़ाती है, तो ध्वनि निकलती है।

(g) जब एक तने हुए रबर बैंड को खींचकर छोड़ा जाता है, तो उसमें कंपन होने लगता है, तथा ध्वनि उत्पन्न होती है।

अत: किसी भी वस्तु को कंपित या कंपायमान कर ध्वनि को उत्पन्न किया जा सकता है।

ध्वनि का संचरण

श्रोत से ध्वनि का हमारी कानों तक पहुँचना ध्वनि का संचरण कहलाता है। अर्थात ध्वनि के एक जगह से दूसरी जगह पहुँचने को ध्वनि का संचरण कहा जाता है।

निर्वात में ध्वनि का संचरण नहीं होता है। अर्थात निर्वात (वैकम) में ध्वनि एक जगह से दूसरी जगह नहीं जा सकती है। ध्वनि के एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए एक माध्यम का होना आवश्यक है।

वह पदार्थ जिस होकर ध्वनि का संचरण होता है, उसे माध्यम कहा जाता है। यह माध्यम गैस, तरल या ठोस कुछ भी हो सकता है।

ध्वनि का संचरण कैसे होता है?

ध्वनि एक माध्यम के द्वारा श्रोत से सुनने वाले के कानों तक पहुँचता है।

हम जानते हैं कि माध्यम छोटे छोटे कणों से बने होते हैं, ध्वनि माध्यम के कणों के द्वारा ही श्रोत से दूसरी जगह पहुँचते हैं। अर्थात ध्वनि का संचरण माध्यम के कणों के द्वारा ही होता है।

जब कोई वस्तु कंपन करती है तो यह अपने चारों ओर विद्यमान माध्यम के कणों को कंपित कर देती है। ये कण स्वयं गति कर सुनने वाले के कानों तक नहीं पहुँचते हैं, बल्कि सबसे पहले कंपमान वस्तु के संपर्क में रहने वाले माध्यम के कण अपनी संतुलित अवस्था से विस्थापित होते हैं। उसके बाद ये कण अपनी पास वाले कणों को संतुलित अवस्था से विस्थापित कर देते हैं तथा अपनी पूर्व की संतुलित अवस्था में आ जाते हैं। फिर संतुलित अवस्था से विस्थापित दूसरे कण अपने पास वाले कणों को संतुलित अवस्था से विस्थापित कर अपनी पूर्व की संतुलित अवस्था में आ जाते हैं।

इस तरह माध्यम में एक प्रकार का डिस्टरबेंस (विक्षोभ) उत्पन्न हो जाता है। माध्यम के कणों में डिस्टरबेंस (विक्षोभ) की यह प्रक्रिया तबतक चलती रहती है जबतक कि ध्वनि सुनने वाले के कानों तक नहीं पहुँच जाती है।

श्रोत से सुनने वाले के कानों तक ध्वनि के पहुँचने (संचरण) के चरण

(a) जब एक वस्तु कंपायमान होती है, तो यह माध्यम के अपने चारों चरफ के कणों को कंपित कर देती है।

(b) सबसे पहले ध्वनि उत्पन्न करने वाले कंपायमान वस्तु के ठीक पास के संपर्क में आने वाले कण अपनी संतुलित अवस्था से विस्थापित होते हैं।

नवम विज्ञान ध्वनि ध्वनि तरंगों का संचरण

चित्र : ध्वनि का संचरण6

(c) माध्यम के ये कण अपने ठीक पास वाले कणों पर बल लगाते हैं।

(d) इस बल के कारण पास वाले कण अपनी संतुलित अवस्था से विस्थापित होते हैं।

(e) पास वाले कणों को विस्थापित करने के बाद पहले वाले कण अपनी पूर्वावस्था में चले आते हैं।

(f) यह प्रक्रिया तबतक लगातार चलती है जबतक आवाज के तरंग उत्पन्न होने वाले स्थान से सुनने वाले के कानों तक नहीं पहुँच जाते हैं।

(g) ध्वनि के श्रोत से होने वाला डिस्टरबेंस (विक्षोभ) माध्यम के कणों के द्वारा आगे बढ़ता है।

(h) अत: माध्यम के कण ध्वनि श्रोत से आगे की ओर नहीं बढ़ते हैं, बल्कि ध्वनि माध्यम में होने वाले विक्षोभ के द्वारा आगे बढ़ता है।

तरंग क्या है?

तरंग एक प्रकार का विक्षोभ (डिस्टरबेंस) है जो किसी माध्यम से होकर गति करता है और माध्यम से होकर गति करता है और माध्यम के कण निकटवर्ती कणों में गति उत्पन्न कर देते हैं। ये कण इसी प्रकार की गति अन्य कणों में उत्पन्न कर देते हैं। माध्यम के कण स्वयं आगे नहीं बढ़ता है बल्कि माध्यम के कणों के द्वारा केवल विक्षोभ आगे बढ़ जाता है।

उदाहरण

नवम विज्ञान ध्वनि जल में ध्वनि तरंगों का बनना एवं आगे बढ़ना

चित्र: जल में तरंगों का बनना 7

संदर्भ : By Dan Copsey (DanCopsey1 at English Wikipedia) [Public domain], from Wikimedia Commons

जब किसी पत्थर के टुकड़े को तालाब में फेंका जाता है, तो यह जल में एक डिस्टर्बेंस (बिक्षोभ) पैदा करता है। जल में इस डिस्टर्बेंस (बिक्षोभ) को तरंग के रूप में देखा जा सकता है। ये तरंगे गोलाकार बनाते हुए किनारों की ओर बढ़ते हुए कुछ दूर जाकर लुप्त हो जाते हैं।

तरंगों के प्रकार

तरंगो को दो भागों में बाँटा जा सकता है पहला अनुदैर्ध्य तरंग [Longitudinal wave (लॉंगिट्युडिनल वेव)] तथा दूसरा अनुप्रस्थ तरंग [Transverse wave (ट्रांसवर्स वेव)].

अनुदैर्ध्य तरंग [Longitudinal wave (लॉंगिट्युडिनल वेव)]

तरंग जिसमें माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ (disturbence) के संचरण [movement(propagation)] की दिशा के समांतर होता है, अनुदैर्ध्य तरंग(Longitudinal Wave) कहलाती हैं।

क्लास 9 ध्वनि अनुदैर्ध्य तरंग

Figure: अनुदैर्ध्य तरंग8

संदर्भ: By Christophe Dang Ngoc Chan (cdang) - Own work, CC BY-SA 3.0, Link

अनुप्रस्थ तरंग [Transverse Wave (ट्रांसवर्स वेव) ]

तरंगें जिनमें माध्यम के कण अपनी माध्य स्थितियों पर तरंग के संचरण की दिशा के लम्बबत गति करते हैं, अनुप्रस्थ तरंग [ट्रांसवर्स वेव (Transverse Wave)] कहलाते हैं।

class nine 9 science sound Transverse wave

चित्र: अनुप्रस्थ तरंग9

संदर्भ: By Christophe Dang Ngoc Chan (cdang) - Own work, CC BY-SA 3.0, Link

ध्वनि एक तरंग है

किसी माध्यम से ध्वनि के संचरण के क्रम में ठीक उसी तरह की लहरें उठती हैं, जिस तरह की लहरें तालाब के जल में पत्थर फेंकने से उठती हैं। और इसी कारण से ध्वनि को तरंग की तरह देखा जा सकता है। .

ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की गति के द्वारा अभिलक्षित की जाती हैं और ये यांत्रिक तरंगे कहलाती हैं।

ध्वनि कैसी का तरंगे हैं

ध्वनि अनुदैर्ध्य तरंग है।

हम अधिकांश प्रकार की आवाजें (ध्वनि) हवा के माध्यम से सुनते हैं। उदाहरण के रूप में किसी के बोलने की आवाज, टेलीविजन से आती हुई आवाज, कार के हॉर्न से आती हुई आवाज, म्युजिक सिस्टम से आती हुई आवाज आदि।

यहाँ ध्वनि का संचरण हवा के माध्यम से होता है। चूँकि ध्वनि यांत्रिक तरंगे हैं अत: बिना माध्यम के ध्वनि तरंगों का संचरण नहीं होता है, अर्थात बिना माध्यम के ध्वनि तरंगें एक जगह से दूसरी जगह नहीं जा सकती हैं।

ध्वनि तरंग किस प्रकार चलती हैं

ध्वनि किसी कंपायमान वस्तु द्वारा उत्पन्न होती है। जब कोई वस्तु कंपन के क्रम में आगे की ओर आती है, तो अपने सामने की वायु को धक्का देकर संपीड़ित करती है और इस प्रकार एक उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है।

इस उच्च दाब क्षेत्र को संपीडन [कम्प्रेशन (C)] कहते हैं। कम्प्रेशन (संपीडन) को अंग्रेजी के अक्षर "C" द्वारा निरूपित करते हैं।

यह संपीड़न [कम्प्रेशन (Compression)] कंपायमान वस्तु से दूर आगे की ओर गति करता है।

जब कंपायमान वस्तु पीछे की ओर गति करती है, तो यह माध्यम के कणों में एक निम्न दाब का क्षेत्र बनाती है। यह निम्न दाब का क्षेत्र विरलन [रेयरफैक्शन (Rarefaction) (R)] कहलाता है। विरलन [रेयरफैक्शन (Rarefaction)] को अंग्रेजी के अक्षर "R" द्वारा सूचित किया जाता है।

वस्तु के तेजी से आगे पीछे कंपन करने में वायु में संपीड़न और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है यही संपीड़न और विरलन ध्वनि तरंग बनाते हैं जो माध्यम से होकर संचरित होती है। अर्थात ध्वनि को श्रोत से सुनने वाले के कानों तक ले जाती है।

संपीड़न [कम्प्रेशन (Compression)]: माध्यम के कणों में उच्च दाब का क्षेत्र संपीड़न (कम्प्रेशन) कहलाता है।

विरलन [रेयरफैक्शन (Rarefaction)]: माध्यम के कणों मे निम्न दाब का क्षेत्र विरलन (रेयरफैक्शन) कहलाता है।

माध्यम का घनत्व तथा ध्वनि का वेग

दाब किसी माध्यम के दिए हुए आयतन में कणों की संख्या से संबंधित होता है। किसी माध्यम में कणो का अधिक घनत्व अधिक दाब को और कम घनत्व कम दाब को दर्शाता है। इस तरह ध्वनि का संचरण [प्रोपागेशन (propagation)] घनत्व परिवर्तन के संचरण के रूप में भे देखा जा सकता है।

अत: ध्वनि का वेग ठोस में सबसे अधिक तथा हवा में सबसे कम होता है। ध्वनि का वेग तरल में ठोस से कम तथा हवा से अधिक होता है।

अर्थात ध्वनि के वेग का क्रम विभिन्न पदार्थों में निम्नांकित है

ठोस > तरल > हवा

ध्वनि निर्वात अर्थात वैकम (vacuum) में संचरण नहीं करती है, अर्थात जहाँ माध्यम नहीं हो वहाँ ध्वनि नहीं संचरित (चलती) होती है।

ध्वनि को चलने (संचरण) के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है

ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है और उसे संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है। माध्यम जैसे हवा, जल, या ठोस । ध्वनि निर्वात (वैकम) में गति नहीं करती है।

दूसरी तरफ इलेक्ट्रॉनिक तरंगे बिना माध्यम के गति करती है, अर्थात एक जगह से दूसरी जगह पहुँचती है।

ध्वनि के संचरण में माध्यम की आवश्यकता को दर्शाने के लिए प्रयोग

ध्वनि के संचरण के लिए बेलजार का प्रयोग

आवश्यक सामग्री

एक विद्युत घंटी, तार, स्विच, विद्युत सेल, काँच का एक वायुरूद्ध बेलजार, एक वैकम पम्प।

class nine 9 science ध्वनि के संचरण से संबंधित बेलजार का प्रयोग

चित्र: बेलजार का प्रयोग10

विधि

(a) विद्युत घंटी को वायुरूद्ध बेलजार में चित्र के अनुसार लगाया जाता है।

(b) उसके बाद विद्युत घंटी को विद्युत सेल से जोड़ा जाता है।

(c) वैकम पम्प (निर्वात पम्प) को बेलजार से जोड़ दिया जाता है।

(d) अब स्विच को ऑन कर दिया जाता है, ताकि घंटी बजने लगे।

(e) घंटी की आवाज को ध्यान से सुनिए।

(f) अब निर्वात पम्प की सहायता से धीरे धीरे बेलजार से हवा को बाहर निकाला जाता है।

(g) बेलजार से हवा निकालने के क्रम में घंटी की आवाज को ध्यान से सुना जाता है।

(h) बेलजार से हवा पूरी तरह निकल जाने पर घंटी की आवाज का निरीक्षण कीजिए।

निरीक्षण

(a) जब बेलजार पूरी तरह से हवा भरी हुई थी, तो घंटी की आवाज स्पष्ट सुनाई दे रही थी।

(b) हवा के निकलने के साथ घंटी की आवाज धीमी पड़ने लगती है।

(c) जब बेलजार से हवा पूरी तरह निकाल दिया जाता है, तो घंटी के काम करते रहने के बाबजूद घंटी की आवाज सुनाई नहीं पड़ती है।

निष्कर्ष

यह दर्शाता है कि, ध्वनि निर्वात में नहीं चलती है। तथा हवा के घनत्व बढ़ने के साथ साथ ध्वनि की गति बढ़ती जाती है।.

ध्वनि तरंगों का ग्राफीय निरूपण

दाब तथा घनत्व में अंतर के द्वारा ध्वनि तरंगों को ग्राफीय निरूपण किया जा सकता है।

class nine 9 science sound depiction of sound wave density variation

चित्र: ध्वनि तरंगों का संपीड़न तथा विरलन 11

चित्र (a) बिन्दु रेखाओं के द्वारा माध्यम के कणों को दिखलाया गया है। तथा ध्वनि तरंगों को बिन्दुओं के द्वारा दिखलाया गया है। बिन्दुओं के अधिक घनत्व द्वारा ध्वनि तरंगों के उच्च दाब के क्षेत्र अर्थात संपीड़न को दिखलाया गया है। तथा बिन्दुओं के कम घनत्व के द्वारा ध्वनि तरंगों के निम्न दाब के क्षेत्र को दिखलाया गया है।

चित्र (b) में ध्वनि तरंगों को उदग्र रेखाओं (वर्टिकल लाइन) के द्वारा दिखलाया गया है। उदग्र रेखाएँ (वर्टिकल लाइन) माध्यम के कणों दर्शाती हैं। रेखाओं के अधिक घनत्व वाले क्षेत्र के दवारा उच्च दाब के क्षेत्र को तथा कम घनत्व वाले क्षेत्र के द्वारा ध्वनि के निम्न दाब के क्षेत्र को दिखलाय गया है।

class nine 9 science sound ध्वनि तरंगों का संपीड़न तथा विरलन

चित्र: ध्वनि तरंगों का संपीड़न तथा विरलन12

ध्वनि तरंगों का उच्च घनत्व तथा उच्च दाब संपीड़न [Compression (कम्प्रेशन)] कहलाता है, तथा इसे अंग्रेजी के अक्षर "C" द्वारा निरूपित किया जाता है। ध्वनि तरंगों के निम्न घनत्व तथा निम्न दाब के क्षेत्र को विरलन [Rarefaction (रेयरफैक्शन)] कहते हैं तथा उसे अंग्रेजी के अक्षर "R" से निरूपित किया जाता है।

class nine 9 science ध्वनि तरंगों द्वारा बनाया गया श्रृंग तथा गर्त

चित्र: ध्वनि तरंगों द्वारा बनाया गया श्रृंग तथा गर्त13

चित्र (c) में ध्वनि तरंगों को लहरों जैसी रेखाओं के द्वारा दिखलाया गया है। रेखाओं में शिखर अधिकतम संपीड़न का क्षेत्र तथा घाटी विरलन के क्षेत्र को दर्शाता है।

ध्वनित तरंगों में शिखर को श्रृंग और घाटी को गर्त कहा जाता है।

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Reference: