ध्वनि
नवमी विज्ञान
एनसीईआरटी पाठनिहित प्रश्न तथा उत्तर
प्रश्न संख्या (1) किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है?
उत्तर
किसी वस्तु के कंपायमान होने पर ध्वनि उत्पन्न होती है। यदि कोई वस्तु आगे और पीछे काफी तेजी से गति करती है, तो उसे कंपन कहते हैं।
जब एक कंपायमान वस्तु, जो ध्वनि उत्पन्न करती है, माध्यम में आगे की ओर गति करती है तो एक उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह उच्च दाब का क्षेत्र संपीड़न कहलाता है।
तथा जब कंपायमान वस्तु पीछे जाती है, तब माध्यम में एक निम्न दाब का क्षेत्र बनता है। माध्यम में इस निम्न दाब के क्षेत्र को विरलन कहते हैं।
जब कंपायमान वस्तु तेजी से आगे और पीछे गति करती है, तो माध्यम में संपीड़न तथा विरलन का एक श्रेणी बनता है।
चित्र: ध्वनि का संचरण1
संपीड़न और विरलन की श्रेणी माध्यम में आगे बढ़ते हुए ध्वनि को हमारे कानों तक संचरित करती है।
प्रश्न संख्या (2) आपके विद्यालय की घंटी, ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?
उत्तर
जब स्कूल की घंटी को हथौड़ी या किसी रॉड से मारा जाता है तो यह बजती है। स्कूल की घंटी को हथौड़ी से चोट करने पर यह कंपायमान होने लगता है।
कंपायमान वस्तु का अर्थ है वस्तु तेजी से आगे और पीछे गति करने लगती है। स्कूल के घंटी का कंपन हवा में संपीड़न तथा विरलन का एक श्रेणी बना देता है। माध्यम (हवा) में संपीड़न तथा विरलन की श्रेणी आगे बढ़ती है तथा घंटी की आवाज को चारो तरफ संचरित करने लगती है।
अत: कंपन के कारण घंटी आवाज उत्पन्न करती है तथा उस कंपन से माध्यम में उत्पन्न संपीड़न और विरलन की श्रेणी के द्वारा घंटी की आवाज चारों ओर संचरित होने लगती है।
प्रश्न संख्या (3) ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं?
उत्तर
ध्वनि तरंग एक विक्षोभ है जो कि माध्यम से होकर गति करता है और माध्यम के कण निकटवर्ती कणों में गति उत्पन्न कर देते हैं। ये कण इसी प्रकार की गति अन्य कणों में उत्पन्न करते हैं। ध्वनि तरंग के संचरण में माध्यम के कण स्वयं आगे नहीं बढ़ते बल्कि विक्षोभ आगे बढ़ता है।
चूँकि ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित की जाती हैं इसलिए यांत्रिक तरंगंउ कहलाती हैं।
प्रश्न संख्या (4) मान लिजिए आप अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे?
उत्तर
ध्वनि तरंग यांत्रिक तरंगें होती हैं और उसे संचरित होने के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। ध्वनि तरंगें निर्वात में संचरित नहीं हो सकती है। चूँकि चन्द्रमा पर हवा नहीं है अर्थात माध्यम नहीं है, अत: चन्द्रमा पर उत्पन्न ध्वनि सुनाई न हीं देगी।
अत: चन्द्रमा पर मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को नहीं सुन पायेगा।
प्रश्न संख्या (5) तरंग का कौन सा गुण निम्नलिखिअ को निर्धारित करता है? (a) प्रबलता, (b) तारत्व?
उत्तर
(a) ध्वनि की प्रबलता या मृदुलता ध्वनि तरंग के आयाम पर निर्भर करती है।
किसी माध्यम के मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं।
चित्र: प्रबल ध्वनि तरंगें2
चित्र: मृदुल ध्वनि तरंग3
ध्वनि की प्रबलता आयाम बढ़ने के साथ बढ़ती है तथा घटने के साथ कम होती है।
(b) ध्वनि का तारत्व ध्वनि की आवृत्ति पर निर्भर करता है।
किसी ध्वनि श्रोत का कंपन जितनी शीघ्रता से होता है, आवृत्ति उतनी ही अधिक होती है और उसका तारत्व भी अधिक होता है। इसी प्रकार जिस ध्वनि का तारत्व कम होता है उसकी आवृत्ति भी कम होती है।
प्रश्न संख्या (6) अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है? (a) गिटार (b) कार का हॉर्न
उत्तर
किसी ध्वनि का तारत्व उसकी आवृत्ति पर निर्भर करता है। यदि आवृत्ति अधिक होगी तो ध्वनि का तारत्व अधिक होगा तथा यदि आवृत्ति कम होगी तो ध्वनि का तारत्व कम होगा।
चूँकि एक गिटार के आवाज की आवृत्ति कार के हॉर्न से अधिक होती है अत: गिटार के ध्वनि का तारत्व कार के हॉर्न से अधिक होगा।
प्रश्न संख्या (7) किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य, आवृत्ति, आवर्त काल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर
तरंगदैर्ध्य
दो क्रमागत संपीड़नों अथवा को क्रमागत विरलनों के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है। तरंगदैर्ध्य को ग्रीक के अक्षर "λ (लैम्डा)" से निरूपित करते हैं।
तरंगदैर्ध्य का एस आई मात्रक मीटर (m) है। .
आवृत्ति
एकांक समय में होने वाली घटना की संख्या उस घटना की आवृति (फ्रीक्वेंसी) कहलाती है।
जब ध्वनि तरंग किसी माध्यम से संचरित होती है तो माध्यम का घनत्व किसी अधिकतम तथा न्यूनतम मान के बीच बदलता है। घनत्व के अधिकतम मान से न्यूनतम मान तक परिवर्तन और पुन: अधिकतम मान तक आने पर एक दोलन पूरा होता है।
एकांक समय में इन दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृति कहलाती है।
आवृत्ति को प्राय: ग्रीक अक्षर "ν (न्यू)" से प्रदर्शित किया जाता है। कभी कभी आवृत्ति को अंग्रेजी के अक्षर "f" से भी निरूपित किया जाता है।
आवृत्ति का एस आई मात्रक हर्ट्ज है। हर्ट्ज को "Hz" से निरूपित किया जाता है।
आवर्त काल
दो क्रमागत संपीड़नों [कम्प्रेशन (Compression)] या दो विरलनों [रेयरफैक्शन (Rarefaction)] को किसी निश्चित बिन्दु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्त काल कहते हैं।
दूसरे शब्दों में, माध्यम के घनत्व के एक सम्पूर्ण दोलन में लिया गया समय ध्वनि तरंग का आवर्त काल कहा जाता है।
आवर्त काल को अंग्रेजी के अक्षर "T" से निरूपित किया जाता है।
आवर्त काल का एस. आई. यूनिट सेकेंड (s) है।.
आवृत्ति तथा आवर्त काल में संबंध
आवृति = 1 / आवर्त काल
`=>nu = 1/T`
आयाम
किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ (डिस्टरबेंस) को तरंग का आयाम कहते हैं।
आयाम को प्राय: अंग्रेजी के अक्षर "A" से निरूपित किया जाता है।
प्रश्न संख्या (8) किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार संबंधित है?
उत्तर
ध्वनि का वेग उसके तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति का गुणनफल के बराबर होता है।
या, ध्वनि का वेग = तरंगदैर्ध्य × आवृत्ति
प्रश्न संख्या (9) किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंगदैर्ध्य की गणना कीजिए।
हल
दिया गया है, ध्वनि का वेग (v) = 440 m/s
आवृत्ति (ν) = 220 Hz
अत:, तरंगदैर्ध्य (λ) =?
हम जानते हैं कि ध्वनि का वेग (v) = तरंगदैर्ध्य (λ) × आवृत्ति (ν)
⇒ 440 m/s = λ × 220 Hz
⇒ λ = 440/220 = 2 m
अत: दिये गये ध्वनि तरंग का तरंगदैर्ध्य = 2 m उत्तर
प्रश्न संख्या (10) किसी ध्वनिश्रोत से 450 m की दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500 Hz की ध्वनि सुनता है। श्रोत से मनुष्य के पास पहुँचने वाले को क्रमागत संपीड़नों में कितना समय अंतराल होगा?
हल
दिया गया है, आवृत्ति (ν) = 500 Hz
दूरी (d) = 450 m
अत: समय अंतराल या आवर्त काल (T) = ?
हम जानते हैं कि, आवृत्ति (ν) = 1/आवर्त काल (T)
⇒ 500 Hz = 1/T
⇒ T = 1/500 Hz = 0.002 s
अत: दिये गये दो क्रमागत संपीड़नों का समय अंतराल = 0.002 s उत्तर
प्रश्न संख्या (11) ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अंतर बताइए।
उत्तर
किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि उर्जा को ध्वनि की तीव्रता (इंटेंसिटि ऑफ साउंड) कहते हैं। जबकि प्रबलता (लाउडनेस) ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है।
ध्वनि की तीव्रता आवृत्ति पर निर्भर करती जबकि ध्वनि की प्रबलता आयाम पर निर्भर करती है।
दो ध्वनियों के समान तीव्रता के होते हुए भी भी एक को दूसरे की अपेक्षा हम अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं, क्योंकि हमारे कान इसके लिए अधिक संवेदनशील हैं।
प्रश्न संख्या (12) वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है?
उत्तर
ध्वनि का वेग ठोस में सबसे तेज तथा गैस में सबसे कम होता है।
अत: लोहे में ध्वनि का वेग सबसे तेज तथा वायु में सबसे धीरे होता है, तथा जल में ध्वनि का वेग लोहे से कम तथा वायु से तेज होता है।
प्रश्न संख्या (13) कोई प्रतिध्वनि 3s पश्चात सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms–1 हो तो श्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी?
हल
दिया गया है, समय (t) = 3s
ध्वनि का वेग (v) = 342 m s–1
अत: श्रोत से परावर्तक सतह के बीच की दूरी = ?
हम जानते हैं कि दूरी = वेग × समय
⇒ दूरी = 342 m s–1 × 3 s
⇒ दूरी = 1026 m
अत: दिये गये समय 3 s में ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी = 1026
अब चूँकि प्रतिध्वनि सुनने के लिए ध्वनि को श्रोत से परावर्तक सतह तथा परावर्तक सतह से श्रोत तक दूरी तय करना होता है, अर्थात श्रोत से परावर्तक सतह के बीच की दोगुनी दूरी तय करना होता है।
अत: श्रोत से परावर्तक सतह के बीच की दूरी = ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी / 2
= 1026/2 = 513 m
अत:, श्रोत से परावर्तक सतह के बीच की दूरी = 513 m उत्तर
प्रश्न संख्या (14) कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?
उत्तर
परावर्तन का नियम ध्वनि के साथ भी लागू होता है। अर्थात ध्वनि भी किसी सतह से टकराकर परावर्तित होती है।
ध्वनि के परावर्तित होने के गुण को उपयोग करने के लिए कंसर्ट हॉल का छत वक्राकार बनाया जाता है।
ध्वनि कंसर्ट हॉल के वक्राकार छत से परावर्तित होकर हॉल में सभी ओर जाती है। ध्वनि के सभी ओर संचरित होने से हॉल में बैठे सभी दर्शकों तक आवाज आसानी से तथा स्पष्ट सुनी जाती है।
अत: सभी दर्शकों तका आवजा को स्पष्ट रूप से पहुँचाने के लिए कंसर्ट हॉल की छत वक्राकार बनाई जाती है।
प्रश्न संख्या (15) सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है?
उत्तर
ध्वनि आवृत्ति का वह परिसर जिसे साधारण मनुष्य सुन सकता है, श्रव्यता का परिसर या श्रव्यता का परास कहलाता है।
सामान्य मनुष्य के लिए ध्वनि की श्रव्यता का परास या परिसर 20 Hz से 20000 Hz तक की आवृत्ति की होती है।
प्रश्न संख्या (16) निम्न से संबंधित आवृत्तियों का परास क्या है? (a) अवश्रव्य ध्वनि? (b) पराध्वनि?
उत्तर
(a) अवश्रव्य ध्वनि
20 Hz की आवृत्ति से नीचे की ध्वनि को अवश्रव्य ध्वनि कहते हैं।
मनुष्य अवश्रव्य ध्वनि को नहीं सुन सकता है।
(b) पराध्वनि
20000 Hz से उच्च आवृत्ति वाली ध्वनि को पराध्वनि या पराश्रव्य ध्वनि कहते हैं।
मनुष्य पराध्वनि को नहीं सुन सकता है। पराध्वनि तथा अवश्रव्य ध्वनि मनुष्य के श्रव्यता परिसर से बाहर होता है।
प्रश्न संख्या (17) एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s है, तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल
दिया गया है, पानी के अंदर चट्टान से टकराकर ध्वनि के लौटने का समय = 1.02 s
खारे पानी में ध्वनि का वेग = 1531 m/s
चट्टान की दूरी = ?
हम जानते हैं कि,
वेग = दूरी × समय
⇒ दूरी = 1531 m/s × 1.02 s
= 1561.62 m
अब चूँकि सोनार स्पंद को चट्टान से टकराकर वापस लौटने में दोगुनी दूरी तय करनी होती है।
अत: चट्टान की दूरी = सोनार स्पंद द्वारा तय की गई दूरी / 2
⇒ चट्टान की दूरी = 1561.62/2 = 780.81 m
अत: चट्टान की दूरी = 780.81 m उत्तर
Reference: