बल तथा गति के नियम

नवमी विज्ञान

सारांश एवं पाठ निहित प्रश्नों के उत्तर

सारांश

बल क्या है?

एक धक्का या खिंचाव बल कहलाता है। या, किसी वस्तु पर लगने वाले धक्के या खिंचाव को बल कहते हैं। या, आकर्षण या अभिकर्षण (खींचना) या अपकर्षण (धक्का देना) बल कहलाता है।

बल के लिये आवश्यक घटक

(अ) दो वस्तुएँ – एक जिसपर बल लगाया जाता है, तथा दूसरी जिसके द्वारा बल लगाया जाता है। तथा

(ब) दोनों वस्तुओं में अन्योन्यक्रिया [इंट्रैक्शन (Interaction) ]।

अत: बल के लिये तीन घटक आवश्यक हैं दो वस्तुएं तथा उनमें सम्पर्क। किसी एक की अनुपस्थिति में बल नहीं लगेगा।

संतुलित बल

वैसा बल जो किसी पिंड पर विपरीत दिशाओं में समान रूप से लग रहा हो, संतुलित बल कहलाता है। संतुलित बल किसी पिंड, जो विराम अवस्था में है, को गतिमान नहीं करता अर्थात वस्तु की अवस्था में परिवर्तन नहीं करता है।

असंतुलित बल

बल जो किसी वस्तु पर विपरीत दिशाओं में असमान रूप से लग रहा हो, वह असंतुलित बल कहलाता है। असंतुलित बल की स्थिति में वस्तु अधिक बल वाली दिशा में गतिमान होने लगता है।

न्यूटन का गति का प्रथम नियम

प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा में एकससमान गति की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल कार्यरत न हो। इसे गति का प्रथम नियम या न्यूटन के गति का प्रथम नियम कहा जाता है।

अर्थात सभी वस्तुएँ अपनी अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है।

इसका अर्थ है, यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है, तो वह विराम अवस्था में ही रहना चाहती है, तथा अपनी विराम अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है। उसी तरह यदि कोई वस्तु गति की अवस्था में है, तो वह गति अवस्था में ही रहना चाहती है।

जड़त्व तथा द्रव्यमान

गुणात्मक रूप में किसी वस्तु के विरामावस्था मे रहने या समान वेग से गतिशील रहने की प्रवृति को जड़त्व कहते हैं। इसी कारण से गति के पहले नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं।

किसी भी वस्तु का एक प्राकृतिक गुण, जो उसकी (वस्तु की) विराम या गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करता जड़त्व कहलाता है।

एक भारी वस्तु का जड़त्व अधिक होता है, अर्थात वस्तु का जड़त्व उसके भार का समानुपाती होता है। अर्थात भार बढ़ने के साथ जड़त्व बढ़ता है तथा भार घटने के साथ किसी वस्तु का जड़त्व कम होता है।

किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप है।

संवेग (Momentum)

किसी वस्तु के वेग तथा द्रव्यमान के गुणनफल को संवेग (Momentum) कहते हैं। संवेग नामक इस राशि को न्यूटन ने प्रस्तुत किया था। संवेग को प्राय: p से दर्शाया जाता है।

अर्थात, `p = mv`

जहाँ, p = संवेग, m = द्रव्यमान तथा v = वेग

संवेग में परिमाण और दिशा दोनों होते हैं। संवेग की दिशा वही होती है जो वेग की दिशा होती है।

संवेग का एस आई मात्रक

द्रव्यमान का एस आई मात्रक kg (किलोग्राम) होता है तथा वेग का एस आई मात्रक m/s (मीटर / सेकेंड) होता है।

अब चूँकि, `p = mv`

अत: p = kg . m s–1

अत: p (द्रव्यमान) का एस आई मात्रक = kg . m s–1 (किलोग्राम मीटर/सेकेंड) है।

गति का द्वितीय नियम

किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगने वाले असंतुलित बल की दिशा में बल के समानुपाती होती है। इसे गति का द्वितीय नियम कहा जाता है। चूँकि न्यूटन ने इस गति नियम को दिया था अत: इसे न्यूटन के गति का द्वितीय नियम भी कहा जाता है।

`F prop m\ a`

`=>F = k*m*a` ------------ (i)

जहाँ `a=(v-u)/t` वेग में परिवर्तन की दर अर्थात त्वरण है। तथा `k` एक अनुपातिक स्थिरांक है।

यह न्यूटन के गति के द्वितीय नियम का गणितीय सूत्र है।

बल (F) क़ा एस आई (SI) मात्रक

बल = द्रव्यमान × त्वरण

चूँकि द्रव्यमान (m) का एसआई (SI) मात्रक kg होता है। तथा त्वरण (a) का एसआई (SI) मात्रक m s–2 होता है।

अत: बल `(F) = kg * m\ s^(-2)`

अर्थात बल का एस आई मात्रक (SI Unit) `kg \ m\ s^(-2)` है। इसे न्यूटन भी कहते हैं तथा `N` द्वारा निरूपित किया जाता है।

न्यूटन की गति के द्वितीय नियम से हमें किसी वस्तु पर लगने वाले बल को मापने की विधि मिलती है। बल को उस वस्तु में उत्पन्न त्वरण तथा वस्तु के द्रव्यमान के गुणनफल से प्राप्त किया जाता है।

गति का तृतीय नियम

न्यूटन का गति का तृतीय नियम कहता है कि प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।

गति के तृतीय नियम की ब्याख्या

गति के तीसरे नियम के अनुसार, जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तब दूसरी वस्तु द्वारा भी पहली वस्तु पर तात्क्षणिक बल लगाया जाता है। ये दोनों बल परिणाम में सदैव समान लेकिन दिशा में विपरीत होते हैं।

इसका अर्थ यह है कि बल सदैव युगल रूप में होते हैं। ये बल कभी एक वस्तु पर कार्य नहीं करते बल्कि दो अलग अलग वस्तुओं पर कार्य करते हैं।

दूसरे शब्दों में किसी एकल बल का अस्तित्व नहीं होता है बल्कि ये सदैव युगल रूप में होते हैं।

इन दोनों विरोधी बलों को क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल कहा जाता है।

क्रिया और प्रतिक्रिया बल द्वारा उत्पन्न त्वरण

क्रिया और प्रतिक्रिया बल मान में हमेशा समान होते हैं फिर भी ये बल एक समान परिमाण के त्वरण उत्पन्न नहीं कर सकते। ऐसा प्रत्येक बल द्वारा अलग अलग द्रव्यमान की वस्तुओं पर कार्य करने के कारण होता है।

संवेग संरक्षण का नियम

संवेग संरक्षण के नियम के अनुसार दो वस्तुओं का कुल संवेग टकराने की प्रक्रिया में अपरिवर्तनीय या संरक्षित रहता है।

दूसरे शब्दों में दो वस्तुओं के संवेग का योग टकराने के पहले और टकराने के बाद बराबर रहता है, जबकि उनपर कोई असंतुलित बल कार्य न कर रहा हो। इसे संवेग संरक्षण का नियम कहते हैं।

यदि दो वस्तु A तथा B का द्रव्यमान क्रमश: `m_A` तथा `m_B` है। कुछ देर के बाद ये दोनों वस्तुएँ टकरा जाती हैं। माना कि दोनों वस्तुओं का वेग टक्कर के पहले क्रमश: `u_A` तथा `u_B` तथा टक्कर के बाद क्रमश: `v_A` एवं `v_B` हो जाता है, तो

`m_A\ u_A+m_B\ u_B=m_A\ v_A+m_B\ v_B`

यहाँ, टकराने से पहले वस्तु A तथा B का कुल संवेग (`m_A\ u_A+m_B\ u_B `) तथा टकराने के बाद कुल संवेग (`m_A\ v_A+m_B\ v_B`) हैं।

उपरोक्त प्राप्त समीकरण से हम पाते हैं कि जब वस्तुओं पर कोई बाहरी बल कार्य नहीं कर रहा हो तो दोनों वस्तुओं का कुल संवेग बदलता नहीं है अर्थात कुल संवेग संरक्षित रहता है।

पाठ निहित प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न संख्या (1) निम्न में किसका जड़त्व अधिक है:

(a) एक रबर की गेंद एवं उसी आकार का पत्थर

उत्तर: पत्थर का

ब्याख्या: चूँकि जड़त्व वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। अधिक द्रव्यमान वाले वस्तु का जड़त्व अधिक होता है। इसलिये एक रबर की गेंद की तुलना में उसी आकार के पत्थर का जड़त्व अधिक होगा।

(b) एक साइकिल एवं एक रेलगाड़ी

उत्तर: रेलगाड़ी का।

(c) पाँच रूपये का एक सिक्का एवं एक रूपये का सिक्का

उत्तर: पाँच रूपये का एक सिक्का।

ब्याख्या: चूँकि पाँच रूपये के सिक्का का द्रव्यमान एक रूपये के सिक्के के द्रव्यमान से अधिक होता है, अत: पाँच रूपये के एक सिक्का का जड़त्व एक रूपये के सिक्के से अधिक होगा।

प्रश्न संख्यां (2) नीचे दिये गये उदाहरण में गेंद का वेग कितनी बार बदलता है, जानने का प्रयास करें:

"फुटबॉल का एक खिलाड़ी गेंद पर किक लगाकर गेंद को अपनी टीम के दूसरे खिलाड़ी के पास पहुँचाता है। दूसरा खिलाड़ी उस गेंद को किक लगाकर गोल की ओर पहुँचाने का प्रयास करता है। विपक्षी टीम का गोलकीपर गेंद को पकड़ता है और अपनी टीम के खिलाड़ी की ओर किक लगाता है।"

इसके साथ उस कारक की भी पहचान करें जो प्रत्येक अवस्था में बल प्रदान करता है।

हल:

दिए गये उदाहरण में गेंद का वेग कुल चार बार बदलता है।

पहली बार: जब फुटबॉल का खिलाड़ी गेंद पर किक लगाकर दूसरे खिलाड़ी के पास पहुँचाता है।

दूसरी बार: दूसरा खिलाड़ी उस गेंद को किक लगाकर गोल की ओर पहुँचाने का प्रयास करता है।

तीसरी बार: विपक्षी टीम का गोलकीपर उस गेंद को पकड़ता है।

चौथी बार: गोलकीपर उस गेंद को अपनी टीम के खिलाड़ी की ओर किक लगाता है।

कारक जो प्रत्येक अवस्था में गेंद को बल प्रदान करता है:

पहली अवस्था में: फुटबॉल का पहला खिलाड़ी

दूसरी अवस्था में: फुटबॉल का दूसरा खिलाड़ी जो फुटबॉल को गोल के पास पहुँचाने का प्रयास करता है।

तीसरी अवस्था में: गोलकीपर जो फुटबॉल को रोकता है।

चौथी अवस्था में: गोलकीपर जो फुटबॉल को उसकी ही टीम के खिलाड़ी की ओर किक करता है।

प्रश्न संख्या (3) किसी पेड़ की शाखा को तीव्रता से हिलाने पर कुछ पत्तियाँ झड़ जाती हैं। क्यों?

उत्तर: न्यूटन के द्वितीय नियम के अनुसार कोई भी वस्तु अपनी पूर्वावस्था बनाये रखना चाहता है चाहे वह गति की अवस्था में हो अथवा विराम अवस्था में, जबतक कि उसपर कोई बाह्य बल नहीं लगाया जाय।

पेड़ की पत्तियाँ, पेड़ के साथ विराम अवस्था में रहती हैं तथा उसी अवस्था को बनाये रखना चाहती है। जब पेड़ की किसी शाखा को तीव्रता से हिलाया जाता है, तो शाखा के साथ जुड़े पत्तियों के जड़ अचानक हिलने लगते हैं जबकि पत्तियाँ विरामावस्था में रहना चाहती हैं। उसी विरामावस्था को बनाये रखने के प्रयास में अर्थात जड़त्व के कारण कुछ पत्तियाँ झड़ जाती हैं।

प्रश्न संख्या (4) जब कोई गतिशील बस अचानक रूकती है तो आप आगे की ओर झुक जाते हैं और जब विरामावस्था से गतिशील होती है तो पीछे की ओर हो जाते हैं, क्यों?

उत्तर: न्यूटन के द्वितीय नियम के अनुसार कोई भी वस्तु अपनी पूर्वावस्था बनाये रखना चाहता है चाहे वह गति की अवस्था में हो अथवा विराम अवस्था में, जबतक कि उसपर कोई बाह्य बल नहीं लगाया जाय।

गतिशील बस में बस के साथ यात्री भी गतिशील होते हैं। अचानक बस के रूकने पर पैर जो कि बस की सतह से सटी हुई होती है विराम अवस्था में आ जाती है जबकि शेष शरीर गति की अवस्था में ही रहता है तथा उसी अवस्था को बनाये रखना चाहता है।

उसी तरह जब कोई बस विरामावस्था से अचानक गतिशील होती है तो पैर जो कि बस की फर्श से सटा होता है फर्श के साथ गतिशील हो जाता है जबकि शेष शरीर विराम अवस्था में रहता है उसी अवस्था में ही रहना चाहता है।

इसी कारण से जब कोई गतिशील बस अचानक रूकती है तो आप आगे की ओर झुक जाते हैं और जब विरामावस्था से गतिशील होती है तो पीछे की ओर हो जाते है।

प्रश्न संख्या (5) यदि क्रिया सदैव प्रतिक्रिया के बराबर है तो स्पष्ट कीजिए कि घोड़ा गाड़ी को कैसे खींच पाता है?

उत्तर: घोड़ा जब गाड़ी को खींचने के लिये जमीन को पीछे की ओर धकेलता है तो इसके प्रतिक्रिया में जमीन घोड़ा को आगे की ओर धक्का देता है और घोड़ा आगे बढ़ता है। गाड़ी घोड़ा के साथ बंधी होती है। घोड़ा गाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए गाड़ी को आगे की ओर खींचता है, प्रतिक्रिया के रूप में गाड़ी घोड़ा को पीछे खींचती है। परंतु घोड़ा द्वारा लगाया गया असंतुलित बल गाड़ी के जड़त्व से अधिक होने के कारण घोड़ा गाड़ी को आगे खींच पाता है।

प्रश्न संख्या (6) एक अग्निशमन कर्मचारी को तीव्र गति से बहुतायत मात्रा में पानी फेंकने वाली रबड़ की नली को पकड़ने में कठिनाई क्यों होती है? स्पष्ट करें|

उत्तर: पानी फेंकने वाली रबर की नली से बहुतायत मात्रा में तीव्र गति में पानी निकलता है। पानी के तीव्र गति से निकलने के कारण न्यूटन की गति के तीसरे नियम के अनुसार पानी पाइप को उसी गति से विपरीत दिशा में अर्थात पीछे की ओर धक्का देता है।

अत: एक अग्निशमन कर्मचारी को तीव्र गति से बहुतायत मात्रा में पानी फेंकने वाली रबर की नली से पानी फेंकने की विपरीत दिशा में बल लगने के कारण पाईप को हाथ से पकड़ने में कठिनाई होती है।

प्रश्न संख्या (7) एक 50 g द्रव्यमान की गोली 4 kg द्रव्यमान की रायफल से 35 m s–1 के प्रारंभिक वेग से छोड़ी जाती है। रायफल के प्रारंभिक प्रतिक्षेपित वेग की गणना कीजिए।

उत्तर:

दिया गया है,

रायफल का द्रव्यमान (`m_1`)= 4 g

रायफल का प्रारंभिक गति (`u_1`) = 0

गोली का द्रव्यमान (`m_2`)= 50 g `=50/1000 kg = 0.05\ kg`

गोली की प्रारंभिक गति (`u_2`) =0

गोली की अंतिम गति (`v_2`) = 35 m s–1

रायफल की प्रारंभिक प्रतिक्षेपित वेग अंतिम गति (`v_1`)=?

संवेग के संरक्षण के सिद्धांत से हम जानते हैं कि

`m_1u_1+m_2u_2=m_1v_1+m_2v_2`

`=>4\ kg xx 0+0.05\ kgxx0` `=4\ kgxxv_1+0.05\ kgxx35ms^(-1)`

`=>0=4\ kgxxv_1+1.75\ kg m\ s^(-1)`

`=>-4\ kgxxv_1=1.75\ kg m\ s^(-1)`

`=>v_1=(1.75\ kg\ m\ s^(-1))/(-4\ kg)`

`=>v_1=-0.4375\ m\ s^(-1)` `~~-0.44m\ s^(-1)`

यहाँ गति के साथ ऋणात्मक चिन्ह प्रतिक्षेपित गति को सूचित करता है।

अत: रायफल का प्रारंभिक प्रतिक्षेपित गति `~~-0.44m\ s^(-1)` होगी।

प्रश्न संख्या (8) 100 g और 200 g द्रव्यमान की दो वस्तुएँ एक ही रेखा के अनुदिश एक ही दिशा में क्रमश: 2 m s–1 और 1 m s–1 के वेग से गति कर रही हैं। दोनों वस्तुएँ टकरा जाती हैं। टक्कर के पश्चात प्रथम वस्तु का वेग 1.67 m s–1 हो जाता है, तो दूसरी वस्तु का वेग ज्ञात करें।

हल:

दिया गया है,

प्रथम वस्तु का द्रव्यमान (`m_1`) = 100 g `=100/1000\ kg = 0.1\ kg`

दूसरे वस्तु का द्रव्यमान (`m_2`) = 200 g `=200/1000\ kg = 0.2\ kg`

प्रथम वस्तु का (टकराने से पहले वेग) प्रारंभिक वेग (`u_1`) = 2 m s–1

दूसरे वस्तु का (टकराने से पहले वेग) प्रारंभिक वेग (`u_2`) = 1 m s–1

प्रथम वस्तु का (टकराने के बाद वेग) अंतिम वेग (`v_1`) = 1.67 m s–1

दूसरे वस्तु का (टकराने के बाद वेग) अंतिम वेग (`v_2`) = ?

`m_1u_1+m_2u_2=m_1v_1+m_2v_2`

`=>0.1\ kgxx2m//s+0.2\ kgxx1m//s` `=0.1\ kg xx1.67m//s+0.2\ kg xxv_2`

`=>0.2\ kg\ m//s + 0.2\ kg\ m//s` `=0.167\ kg\ m//s +0.2\ kg xx v_2`

`=>0.4\ kg\ m//s - 0.167\ kg\ m//s` `=0.2\ kgxxv_2`

`=>v_2=(0.233\ kg\ m//s)/(0.2\ kg)`

`=>v_2=1.165m//s`

अत: दूसरे वस्तु का टकराने के बाद वेग `=1.165 ms^(-1)` उत्तर

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