बल तथा गति के नियम

नवमी विज्ञान

अभ्यास प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न संख्या (1) कोई वस्तु शून्य बाह्य असंतुलित बल अनुभव करती है। क्या किसी भी वस्तु के लिए अशून्य वेग से गति करना संभव है? यदि हाँ, तो वस्तु के वेग के परिमाण एवं दिशा पर लगने वाली शर्तों का उल्लेख करें। यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें।

हल:

हाँ, संभव है।

असंतुलित बल केवल वस्तु की पूर्वावस्था में परिवर्तन के लिये आवश्यक है। गति के प्रथम नियम के अनुसार यदि कोई वस्तु गति की अवस्था में है, तो वह किसी असंतुलित बल की अनुपस्थिति में उसी गति से चलती रहेगी।

प्रश्न संख्या (2) जब किसी छड़ी से एक दरी (कार्पेट) को पीटा जाता है, तो धूल के कण बाहर आ जाते हैं। स्पष्ट करें।

उत्तर:

न्यूटन की गति के प्रथम नियम के अनुसार प्रत्येक वस्तु अपनी पूर्वावस्था में रहना चाहता है। या जड़त्व वस्तु का एक गुण है जो पूर्वावस्था में परिवर्तन का विरोध करता है।

जब किसी छड़ी से एक दरी को पीटा जाता है तो दरी अचानक से गतिमान होने लगता है लेकिन दरी पर जमे धूल के कण अपनी पूर्वावस्था बनाये रखना चाहता है अर्थात विराम अवस्था में रहना चाहता है जिस कारण धूल कण बाहर आ जाते हैं।

प्रश्न संख्या (3) बस की छत पर रखे सामान को रस्सी से क्यों बाँधा जाता है?

उत्तर:

बस के गतिमान होने पर बस की छत पर रखा सामान जड़त्व तथा न्यूटन की गति के नियम के अनुसार विराम अवस्था में ही रहना चाहता है, जिसके कारण बस के अचानक आगे बढ़ने पर सामान के पीछे ही रह जाने से गिर सकता है।

उसी तरह तेजी से चल रहे बस के अचानक से रूक जाने पर उसकी छत पर रखे सामान जड़त्व के कारण तथा न्यूटन की गति के पहले नियम के अनुसार गति की अवस्था में ही रहना चाहता है, जिससे वह आगे की ओर गिर सकता है।

अत: बस के अचानक गतिशील होने या अचानक रूकने की स्थिति में गिरने से बचाने के लिये सामान को उसकी छत पर बाँध कर रखा जाता है।

प्रश्न संख्या (4) किसी बल्लेबाज द्वारा क्रिकेट की गेंद को मारने पर गेंद जमीन पर लुढ़कती है। कुछ दूरी चलने के पश्चात गेंद रूक जाती है। गेंद रूकने के लिए धीमी होती है, क्योंकि

(a) बल्लेबाज ने गेंद को पर्याप्त प्रयास से हिट नहीं किया है।

(b) वेग गेंद पर लगाए गए बल के समानुपाती है।

(c) गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।

(d) गेंद पर कोई असंतुलित बल कार्यरत नहीं है, अत: गेंद विरामावस्था में आने के लिए प्रयासरत है।

(सही विकल्प का चयन करें)

उत्तर: (c) गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।

ब्याख्या: गेंद के जमीन पर लुढ़कने के क्रम में गेंद की गति के विपरीत दिशा में गेंद तथा जमीन के बीच घर्षण का बल कार्यरत होता है, जिसके कारण धीरे धीरे गेंद के लुढ़कने की गति कम हो जाती है तथा गेंद रूक जाती है।

प्रश्न संख्या (5) एक ट्रक विरामावस्था से किसी पहाड़ी से नीचे की ओर नियत त्वरण से लुढ़कना शुरू करता है। यह 20 s में 400 m की दूरी तय करता है। इसका त्वरण ज्ञात करें। अगर इसका द्रव्यमान 7 मीट्रिक टन है तो इस पर लगने वाले बल की गणना करें। (1 मीट्रिक टन = 1000 kg)

हल:

दिया गया है, प्रारंभिक वेग (u) = 0 [चूँकि ट्रक विरामावस्था से लुढ़कना शुरू करता है, अत: लुढ़कना शुरू करने से पहले वेग शून्य है।]

समय (t) = 20 s

ट्रक द्वारा दिये गये समय में तय की गई दूरी (s) = 400 m

ट्रक का द्रव्यमान = 7 मीट्रिक टन = 7 × 1000 kg = 7000 kg

अत: ट्रक द्वारा प्राप्त किया गया त्वरण (a) = ?

तथा ट्रक पर लगने वाला बल (P) =?

हम जानते हैं कि `s=ut+1/2\ at^2`

`=>400m` `= 0 xx20s +1/2xxaxx(20s)^2`

`=>400m = 0+1/2xx a xx 400 s^2`

`=>400 m = a xx 200 s^2`

`=>a = (400m)/(200s^2)`

`=>a= 2ms^(-2)`

अब ट्रक पर लगने वाला बल

गति के द्वितीय नियम के अनुसार हम जानते हैं कि,

बल (P) = द्रव्यमान (m) × त्वरण (a)

`=>P = 7000\ kg xx 2ms^(-2)`

`=>P = 14000 \ kg\ ms^(-2)`

या, P = 14000 N (न्यूटन)

अत: ट्रक का त्वरण `(a)= 2ms^(-2)` तथा ट्रक पर लगने वाला बल (P) = 14000 N (न्यूटन) उत्तर

प्रश्न संख्या (6) 1 kg द्रव्यमान के एक पत्थर को 20 m s–1 के वेग से झील की जमी हुई सतह पर फेंका जाता है। पत्थर 50 m की दूरी तय करने के बाद रूक जाता है। पत्थर और बर्फ के बीच लगने वाले घर्षण बल की गणना करें।

हल:

दिया गया है, द्रव्यमान (m) = 1 kg

प्रारंभिक वेग (u) = 20 m s–1

अंतिम वेग (v) = 0 [चूँकि पत्थर रूक जाता है, अर्थात वेग शून्य हो जाता है।]

तय की गई दूरी (s) = 50 m

तो, पत्थर और बर्फ के बीच लगने वाले घर्षण बल (P) = ?

[चूँकि बल (P) = द्रव्यमान (m) × त्वरण (a) होता है। यहाँ प्रश्न में द्रव्यमान दिया गया है परंतु त्वरण नहीं दिया गया है। अत: बल निकालने से पहले दिये गये वस्तु अर्थात पत्थर का त्वरण ज्ञात करना आवश्यक है। ]

हम जानते हैं, `v^2 = u^2 + 2\ a\ s`

`=>0^2=(20\ m\ s^(-1))^2 + 2xxaxx50\ m`

`=>0 = 400\ m^2\ s^(-2) + a*100\ m`

`=>a*100\ m =-400\ m^2\ s^(-2)`

`=>a =(-400\ m^2\ s^(-2))/(100\ m)`

`=>a=-4\ m\ s^(-2)`

अर्थात, त्वरण `(a)=-4\ m\ s^(-2)`

यहाँ त्वरण का ऋणात्मक चिन्ह बतलाता है कि, पत्थर धीरे धीरे विराम अवस्था में अर्थात रूक जाता है।

अब, हम जानते हैं कि

बल (P) = द्रव्यमान (m) × त्वरण (a)

`=>P = 1\ kg xx -4\ m\ s^(-2)`

`=>P=-4\ kg\ m\ s^(-2)` या – 4 N (न्यूटन)

यहाँ बल का ऋणात्मक चिन्ह बतलाता है कि बल गति के विपरीत दिशा में लग रहा है।

अत: पत्थर और बर्फ के बीच लगने वाले घर्षण बल = – 4 N (न्यूटन) है। उत्तर

प्रश्न संख्या (7) एक 8000 kg द्रव्यमान का रेल ईंजन प्रति 2000 kg द्रव्यमान वाले पाँच डिब्बों को सीधी पटरी पर खींचता है। यदि ईंजन 40000 N का बल आरोपित करता है तथा यदि पटरी 5000 N का घर्षण बल लगाती है, तो ज्ञात करें:

(a) नेट त्वरण बल

(b) रेल का त्वरण तथा

(c) डिब्बे 1 डिब्बे 2 पर लगाया गया बल।

हल: दिया गया है,

ईंजन का द्रव्यमान = 8000 kg

एक डब्बे का द्रव्यमान = 2000 kg

अत: पाँच डब्बों का कुल द्रव्यमान = 5 × 2000 kg = 10000 kg

ईंजन द्वारा आरोपित बल (P) = 40000 N

पटरी का घर्षण बल = – 5000 N

[चूँकि घर्षण बल गति के विपरीत दिशा में लगता है, अत: घर्षण बल को ऋणात्मक रखा गया है।]

(a) नेट त्वरण बल

कुल त्वरण बल = ईंजन द्वारा आरोपित बल + पटरी का घर्षण बल

= 40000 N + (– 5000 N)

= 40000 N – 5000 N

= 35000 N

अत: कुल त्वरण बल (P) = 35000 N उत्तर

(b) रेल का त्वरण

हम जानते हैं कि,

बल (P) = द्रव्यमान (m) × त्वरण (a)

⇒ 35000 N = (ईंजन का द्रव्यमान + सभी पाँचों डब्बों का द्रव्यमान) × a

⇒ 35000 N = (8000 kg + 10000 kg) × a

⇒ 35000 N = 18000 kg × a

`=> a = (35000\ N)/(18000\ kg)`

⇒ a = 1.944 m s–2

अत: रेल का त्वरण (b) = 1.944 m s–2 उत्तर

(c) डिब्बे 1 द्वारा डिब्बे 2 पर लगाया गया बल।

यहाँ रेल का त्वरण (a) = 1.944 m s–2 [(b) में गणना की गई है।]

[चूँकि पूरी रेल एक ही गति से चल रही है, अत: पूरे ट्रेन का त्वरण एक ही होगा।]

एक डब्बे का द्रव्यमान = 2000 kg

अत: सभी पाँच डब्बों का द्रव्यमान = 2000 × 5 = 10000 kg

कुल त्वरण बल = (P) = 35000 N [(a) में गणना की गई है।]

हम जानते हैं कि, बल (P) = द्रव्यमान (m) × त्वरण(a)

अत: डिब्बे 1 द्वारा डिब्बे 2 पर लगाया गया बल (P) = 10000 kg × 1.944 m s–2

`=>P = 19440\ kg \ m\ s^(-2)`

अत: डिब्बे 1 द्वारा डिब्बे 2 पर लगाया गया बल (P) = 19440 N उत्तर

अत: (a) कुल त्वरण बल (P) = 35000 N

(b) रेल का त्वरण = 1.944 m s–2

(c) डिब्बे 1 द्वारा डिब्बे 2 पर लगाया गया बल = 10000 kg × 1.944 m s–2

प्रश्न संख्या (8) एक गाड़ी का द्रव्यमान 1500 kg है। यदि गाड़ी को 1.7 m s –2 के ऋणात्मक त्वरण (अवमंदन) के साथ विरामावस्था में लाना है, तो गाड़ी तथा सड़क के बीच लगने वाला बल कितना होगा?

हल:

दिया गया है, गाड़ी का द्रव्यमान = 1500 kg

त्वरण (अवमंदन) = – 1.7 m s –2

तो गाड़ी तथा सड़क के बीच लगने वाला बल (P) = ?

हम जानते हैं कि, बल (P) = द्रव्यमान (m) × त्वरण(a)

`=>P = 1500 kg xx(-1.7\ m\ s^(-2))`

⇒ P = – 2550 kg m s –2

या, P = – 2550 N

अत: गाड़ी तथा सड़क के बीच लगने वाला बल (P) = – 2550 N उत्तर

प्रश्न संख्या (9) किसी m द्रव्यमान की वस्तु जिसका वेग v है का संवेग क्या होगा?

(a) (mv)2

(b) mv2

(c) (1/2) mv2

(d) mv

उत्तर: (d) mv

ब्याख्या:

दिया गया है, द्र्वयमान = m

तथा, वेग = v

हम जानते हैं कि संवेग (P) = mv

अत: विकल्प (d) mv सही उत्तर है।

प्रश्न संख्या (10) हम एक लकड़ी के बक्से को 200 N बल लगाकर उसे नियत वेग से फर्श पर धकेलते हैं। बक्से पर लगने वाला घर्षण बल क्या होगा?

हल: बक्से पर लगने वाला घर्षण बल – 200 N होगा।

गति के तृतीय नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया के बराबर एवं विपरीत प्रतिक्रिया होती है। चूँकि लकड़ी के बक्से को फर्श पर धकेलने में 200 N का बल लगाया जाता है, अत: इस बल के ठीक विपरीत तथा बराबर घर्षण बल लगेगा।

प्रश्न संख्या (11) दो वस्तुएँ, प्रत्येक का द्रव्यमान 1.5 kg है, एक ही सीधी रेखा में एक दूसरे के विपरीत दिशा में गति कर रही हैं। टकराने के पहले प्रत्येक का वेग 2.5 m s–1 है। टकराने के बाद यदि दोनों एक दूसरे से जुड़ जाती हैं, तब उनका सम्मिलित वेग क्या होगा?

हल:

दिया गया है, पहले वस्तु का द्रव्यमान, m1 = 1.5 kg

तथा दूसरे वस्तु का द्रव्यमान, m2 = 1.5 kg

टकराने से पहले पहले वस्तु का वेग, u1 = 2.5 m s–1

टकराने से पहले दूसरे वस्तु का वेग, u2 = 2.5 m s–1

टकराने के बाद दोनों वस्तु का सम्मिलित वेग =?

चूँकि टकराने के बाद दोनों वस्तु जुड़ जाती है, अत: मान लिया कि दोनों वस्तु का सम्मिलित वेग = v

हम जानते हैं कि,

`m_1u_1+m_2u_2=m_1v_1+m_2v_2`

`=>1.5\ kg xx 2.5ms^(-1)` `+1.5\ kg xx(-2.5ms^(-1))` `=1.5\ kg xx v + 1.5\ kg xx v`

`=>3.75\ kg ms^(-1)-3.75\ kg\ ms^(-1)` `=v(1.5\ kg+1.5\ kg)`

`=>0=vxx3.00\ kg`

`=>v=0/(3.00\ kg)=0`

टकराने के बाद दोनों वस्तुओं का सम्मिलित वेग शून्य होगा, अर्थात दोनों वस्तुएँ रूक जायेंगी।

अत: टकराने के बाद दोनों वस्तुओं का सम्मिलित वेग = 0 उत्तर

प्रश्न संख्या (12) गति के तृतीय नियम के अनुसार जब हम किसी वस्तु को धक्का देते हैं, तो वस्तु उतने ही बल के साथ हमें विपरीत दिशा में धक्का देती है। यदि वह वस्तु एक ट्रक है जो सड़क के किनारे खड़ा है; संभवत: हमारे द्वारा बल आरोपित करने पर भी गतिशील नहीं हो पायेगा। एक विद्यार्थी से सही साबित करते हुए कहता है कि दोनों बल विपरीत एवं बराबर हैं जो एक दूसरे को निरस्त कर देते हैं। इस तर्क पर अपने विचार दें और बताएं कि ट्रक गतिशील क्यों नहीं हो पाता?

उत्तर:

ट्रक का द्रव्यमान काफी अधिक होने के कारण उसका जड़त्व भी काफी अधिक है, जो उसकी विराम अवस्था से गतिशील अवस्था में आने का विरोध करती है।

जब हम ट्रक को धक्का देते हैं तो हमारे द्वारा लगाया गया बल इतना अधिक नहीं होता है कि वह ट्रक के जड़त्व के बल को निरस्त कर सके तथा ट्रक विराम अवस्था में ही बना रहता है।

दूसरी ओर गति के तृतीय नियम के अनुसार जब हम ट्रक को धक्का देते हैं, तो ट्रक उस बल के बराबर तथा विपरीत दिशा में बल लगाता है; इस तरह दोनों बल एक दूसरे को निरस्त कर देते हैं तथा ट्रक गतिशील नहीं हो पाता है।

प्रश्न संख्या (13) 200 g द्रव्यमान की एक हॉकी की गेंद 10 m s–1 की वेग से सीधी रेखा में चलती हुई 5 kg द्रव्यमान के लकड़ी के गुटके से संघट्ट करती है तथा उससे जुड़ जाती है। उसके बाद दोनों एक साथ उसी सीधी रेखा में गति करते हैं। संघट्ट से पहले और संघट्ट के बाद के कुल संवेगों की गणना करें। दोनों वस्तुओं की जुड़ी हुई अवस्था में वेग की गणना करें।

हल:

दिया गया है,

हॉकी की गेंद का द्रव्यमान, m1 = 200 g `=200/1000=0.2\ kg`

हॉकी की गेंद की प्रारंभिक गति, u1 = 10 m s–1

लकड़ी के गुटके का द्रव्यमान, m2 = 5 kg

लकड़ी के गुटके का प्रारंभिक वेग, u2 = 0

चूँकि टक्कर के बाद हॉकी की गेंद तथा लकड़ी का गुटका संघट्ट जुड़ जाती है तथा सीधी रेखा में चल्ती है, अर्थात दोनों का वेग संघट्ट के बाद समान हो जायेगी।

अत: मान लिया कि टक्कर के बाद हॉकी के गेंद की गति = लकड़ी के गुटके की गति = v

हम जानते हैं कि संवेग (p) = द्रव्यमान (m) – वेग (u)

अत: टक्कर के पहले कुल संवेग (p)

= हॉकी के गेंद का संवेग + लकड़ी के गुटके का संवेग

= 0.2 kg × 10 m s–1 + 5 kg × 0

= 2 kg m s–1 + 0

= 2 kg m s–1

टक्कर के बाद कुल संवेग (p1)

= हॉकी के गेंद का संवेग + लकड़ी के गुटके का संवेग

= 0.2 kg × v + 5 kg × v

= 5.2 kg × v

अब संवेग संरक्षण के सिद्धांत के अनुसार हम जानते हैं कि

टक्कर से पहले का कुल संवेग = टक्कर के बाद का कुल संवेग

अर्थात, p = p1

⇒ 2 kg m s–1 = 5.2 kg × v

`=>v = 2/(5.2)\ m\ s^(-1) = 0.38\ m\ s^(-1)`

संघट्ट के बाद कुल संवेग = 5.2 kg × v

`=5.2\ kg xx 0.38\ m\ s^(-1)`

`=1.976 kg\ m\ s^(-1)~~2\ kg\ m\ s^(-1)`

अत: संघट्ट से पहले कुल संवेग = 2 kg m s–1

तथा संघट्ट से बाद कुल संवेग = 2 kg m s–1

दोनों वस्तुओं की जुड़ी हुई अवस्था में वेग = 0.38 m s–1

प्रश्न संख्या (14) 10 g द्रव्यमान की एक गोली सीधी रेखा में 150 m s–1 के वेग से चलकर एक लकड़ी के गुटके से टकराती है और 0.03 s के बाद रूक जाती है। गोली लकड़ी को कितनी दूरी तक भेदेगी? लकड़ी के गुटके द्वारा गोली पर लगाए गये बल के परिमाण की गणना करें।

हल:

गोली का द्रव्यमान (m) = 10 g `= 10/1000 = 0.01\ kg`

गोली का प्रारंभिक वेग, u = 150 m s–1

गोली का अंतिम वेग, v = 0 [चूँकि गोली रूक जाती है।]

लगा हुआ समय, t = 0.03 s

गोली लकड़ी को कितनी दूरी तक भेदेगी, अर्थात गोली लकड़ी के अंदर कितनी दूर तक जायेगी। अर्थात तय की गई दूरी (s) = ?

तथा लकड़ी के गुटके द्वारा गोली पर लगाये गये बल का परिमाण (P) = ?

गोली द्वारा तय की गई दूरी निकालने के लिये सर्वप्रथम गोली का त्वरण ज्ञात करना होगा।

हम जानते हैं कि, v = u + at

`=>0 = 150\ m\ s^(-1) + a xx 0.03\ s`

`=>axx0.03\ s =-150\ m\ s^(-1)`

`=>a =(-150\ m\ s^(-1))/(0.03\ s)`

`=> a =-5000\ m\ s^(-2)`

यहाँ त्वरण का ऋणात्मक चिन्ह बतलाता है कि गोली का वेग लकड़ी में घुसने के बाद कम हो रहा है, जो धीरे धीरे शून्य हो जाता है, अर्थात गोली रूक जाती है।

हम जानते हैं, `s=ut+1/2at^2`

`=>s=150m\ s^(-1)xx0.03s` `+1/2(-5000ms^(-2))xx(0.03s)^2`

`=>s=4.5\ m-2500\ m\ s^(-2)xx0.0009\ s^2`

`=>s=4.5\ m-2.25\ m`

`=>s=2.25\ m`

अत: गोली द्वारा तय की गई दूरी = 2.25 m

लकड़ी के गुटके द्वारा गोली पर लगाये गये बल का परिमाण अर्थात गोली द्वारा लकड़ी के गुटके पर लगाये गये बल का परिमाण

हम जानते हैं, बल का परिमाण (F) = द्रव्यमान (m) × त्वरण (a)

`=>F = 0.01\ kg xx-5000\ m\ s^(-2)`

`=>F =-50\ kg\ m\ s^(-2)`

⇒ F = – 50 N

अत: गोली लकड़ी को 2.25 मीटर तक दूरी तक भेदेगी तथा लकड़ी के गुटके द्वारा गोली पर लगाये गये बल का परिमाण = – 50 न्यूटन, यहाँ बल का ऋणात्मक परिमाण बतलाता है कि बल गोली की गति के विपरीत दिशा में लग रहा है।उत्तर

प्रश्न संख्या (15) एक वस्तु जिसका द्रव्यमान 1 kg है, 10 m s–1 के वेग से एक सीधी रेखा में चलते हुए विरामावस्था में रखे 5 kg द्रव्यमान के एक लकड़ी के गुटके से टकराती है। उसके बाद दोनों साथ साथ उसी सीधी रेखा में गति करते हैं। संघट्ट के पहले तथा बाद के कुल संवेगों की गणना करें। आपस में जुड़े हुए संयोजन के वेग की भी गणना करें।

हल:

दिया गया है,

वस्तु का द्रव्यमान, m1 = 1 kg

वस्तु की प्रारंभिक गति, u1 = 10 m s–1

लकड़ी के गुटके का द्रव्यमान, m2 = 5 kg

लकड़ी के गुटके का प्रारंभिक वेग, u2 = 0

चूँकि टक्कर के वस्तु तथा लकड़ी का गुटका संघट्ट जुड़ जाती है तथा सीधी रेखा में चलती है, अर्थात दोनों का वेग संघट्ट के बाद समान हो जायेगी।

अत: मान लिया कि टक्कर के बाद वस्तु की गति = लकड़ी के गुटके की गति = v

हम जानते हैं कि संवेग (p) = द्रव्यमान (m) – वेग (u)

अत: टक्कर के पहले कुल संवेग (p)

= वस्तु का संवेग + लकड़ी के गुटके का संवेग

= 1 kg × 10 m s–1 + 5 kg × 0

= 10 kg m s–1 + 0

= 10 kg m s–1

टक्कर के बाद कुल संवेग (p1)

= वस्तु का संवेग + लकड़ी के गुटके का संवेग

= 1 kg × v + 5 kg × v

= 6 kg × v

अब संवेग संरक्षण के सिद्धांत के अनुसार हम जानते हैं कि

टक्कर से पहले का कुल संवेग = टक्कर के बाद का कुल संवेग

अर्थात, p = p1

⇒ 10 kg m s–1 = 6 kg × v

`=>v = (10\ kg) /(6\ kg\ m\ s^(-1)) = 1.66\ m\ s^(-1)`

चूँकि संघट्ट के बाद कुल संवेग = 6 kg × v

`= 6\ kg xx (10\ kg) /(6\ kg\ m\ s^(-1))`

= 10 kg m s–1

अत: संघट्ट से पहले कुल संवेग = 10 kg m s–1 तथा संघट्ट से पहले कुल संवेग = 10 kg m s–1

दोनों वस्तुओं की जुड़ी हुई अवस्था में वेग = 1.66 m s–1

प्रश्न संख्या (16) 100 kg द्रव्यमान की एक वस्तु का वेग समान त्वरण से चलते हुए 6 s में 5 m s–1 से 8 m s–1 हो जाता है। वस्तु के पहले और बाद के संवेगों की गणना करें। उस बल के परिमाण की गणना करें जो उस वस्तु पर आरोपित है।

हल:

दिया गया है, द्रव्यमान, m = 100 kg

प्रारंभिक गति, u = 5 m s–1

अंतिम वेग, v = 8 m s–1

समय, t = 6 s

तो, वस्तु के पहले तथा बाद का संवेग = ?

तथा, वस्तु पर आरोपित बल का परिमाण = ?

वस्तु का प्रारंभिक गति में अर्थात पहले के संवेग की गणना

हम जानते हैं कि संवेग (p) = द्रव्यमान (m) × वेग (v)

⇒ p = 100 kg × 5 m s–1

= 500 kg m s–1

वस्तु का अंतिम वेग में अर्थात बाद के संवेग की गणना

यहाँ, वेग = 8 m s–1

तथा द्रव्यमान, m = 100 kg

अत: संवेग (p) = 100 kg × 8 m s–1

⇒ p = 800 kg m s–1

हम जानते हैं कि, `v = u + at`

`=>8\ m\ s^(-1) = 5\ m\ s^(-1) + axx6\ s`

`=>a*6\ s= 8\ m\ s^(-1)- 5\ m\ s^(-1)`

`=>a*6\ s= 3\ m\ s^(-1)`

`:. a =3/6\ m\ s^(-2)`

`=>a = 0.5\ m\ s^(-2)`

वस्तु पर आरोपित बल की गणना

हम जानते हैं कि,

आरोपित बल (F) = द्रव्यमान (m) × त्वरण (a)

⇒ F = 100 kg × 0.5 m s–2

⇒ F = 50 kg m s–2

⇒ F = 50 N

अत: वस्तु का पहले का संवेग = 500 kg m s–1

वस्तु का बाद का संवेग = 800 kg m s–1

तथा वस्तु पर आरोपित बल का परिमाण = 50 N

प्रश्न संख्या (17) अख्तर, किरण और राहुल किसी राजमार्ग पर बहुत ही तीव्र गति से चलती हुई कार में सवार हैं, अचानक उड़ता हुआ कोई कीड़ा, गाड़ी के सामने के शीशे से आ टकराया और वह शीशे से चिपक गया। अख्तर और किरण इस स्थिति पर विवाद करते हैं। किरण का मानना है कि कीड़े के संवेग परिवर्तन का परिमाण कार के संवेग परिवर्तन के परिमाण की अपेक्षा बहुत अधिक है। (क्योंकि कीड़े के वेग में परिवर्तन का मान कार के वेग में परिवर्तन के मान से बहुत अधिक है।) अख्तर ने कहा कि चूँकि कार का वेग बहुत अधिक था अत: कार ने कीड़े पर बहुत अधिक बल लगाया जिसके कारण कीड़े की मौत हो गई। राहुल ने एक नया तर्क देते हुए कहा कि कार तथा कीड़ा दोनों पर समान बल लगा और दोनों के संवेग में बराबर परिवर्तन हुआ। इन विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया दें।

हल:

किरण का मानना कि कीड़े के संवेग परिवर्तन का परिमाण कार के संवेग परिवर्तन की परिमाण की अपेक्षा बहुत अधिक है, सही है। क्योंकि कार से टकराने के बाद कीड़े का वेग अचानक से शून्य होकर कार की दिशा अर्थात विपरीत दिशा में हो जाता है, जबकि कार अपनी गति से चलती रहती है, अर्थात कार के संवेग परिवर्तन का परिमाण कीड़े के संवेग परिवर्तन के परिमाण से बहुत ही कम है।

अख्तर का विचार कार का वेग बहुत अधिक था अत: कार ने कीड़े पर बहुत अधिक बल लगाया जिसके कारण कीड़े की मौत हो गई, भी सही है।

राहुल का तर्क कि कार तथा कीड़ा दोनों पर समान बल लगा और दोनों के संवेग में बराबर परिवर्तन हुआ। भी संवेग संरक्षण के सिद्धांत के अनुसार सही है।

प्रश्न संख्या (18) एक 10 kg द्रव्यमान की घंटी 80 cm की ऊँचाई से फर्श पर गिरी। इस अवस्था में घंटी द्वारा फर्श पर स्थानांतरित संवेग के मान की गणना करें। परिकलन में सरलता हेतु नीचे की ओर दिष्ट त्वरण का मान 10 m s –2 लें।

हल:

दिया गया है, घंटी का द्रव्यमान (m) = 10 kg

घंटी की ऊँचाई (h) या घंटी की दूरी (s) = 80 cm `=80/100=0.8\ m`

घंटी का प्रारंभिक वेग, u = 0

घंटी द्वारा फर्श पर स्थानांतरित संवेग (p) = ?

हम जानते हैं कि,

`v^2=u^2+2as`

`=>v^2=0+2xx10ms^(-2)xx0.8m`

`=>v^2=16m^2s^(-2)`

`=>v=sqrt(16m^2s^(-2))=4m//s`

हम जानते हैं कि, संवेग (p) = द्रव्यमान (m) × वेग (v)

= 10 kg x 4 m/s = 40 kg m/s

घंटी द्वारा फर्श पर स्थानांतरित संवेग (p) = 40 kg m/s उत्तर

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