गुरूत्वाकर्षण

नवमी विज्ञान

द्रव्यमान तथा भार

द्रव्यमान

द्रव्यमान किसी भी वस्तु के जड़त्व की माप होता है। किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व के बढ़ने के साथ बढ़ता है तथा जड़त्व के घटने के साथ घटता है।

किसी भी वस्तु का द्रव्यमान हमेशा स्थिर रहता है, चाहे वह वस्तु पृथ्वी पर हो या अंतरिक्ष में या किसी अन्य ग्रह पर। इसका अर्थ यह है कि वस्तु का द्रव्यमान स्थिर रहता है तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं बदलता।

अर्थात स्थान परिवर्तन के साथ वस्तु का द्रव्यमान नहीं बदलता है। द्रव्यमान हमेशा स्थिर रहता है।

भार

किसी वस्तु का भार वह बल है जिससे पृथ्वी उसे अपनी ओर आकर्षित होती है।

पृथ्वी प्रत्येक वस्तु गुरूत्व बल के कारण अपनी ओर आकर्षित करती है। यह आकर्षण बल वस्तु के द्रव्यमान तथा गुरूत्वीय त्वरण पर निर्भर करता है।

गति के द्वितीय नियम के अनुसार, हम जानते हैं कि `F=mxxa`

इसमें त्वरण (a) के बदले गुरूत्वीय त्वरण (g) रखने पर हम पाते हैं कि

`F=mxxg`

वस्तु पर पृथ्वी का यह आकर्षण बल (F) वस्तु का भार कहलाता है। वस्तु के इस भार को अंग्रेजी के अक्षर `W` से दर्शाया जाता है।

अत:, `W=mxxg` -----------(vii)

भार `W` का एस आई मात्रक

चूँकि वस्तु का भार एक बल है जिससे यह पृथ्वी की ओर आकर्षित होता है, अत: भार, `W` का एस आई मात्रक वही है जो बल (F) का है।

अर्थात भार (W) का एस आई मात्रक = N (न्यूटन) है।

भार एक बल है जो उर्ध्वाकार दिशा में नीचे की ओर लगता है, अत: भार में परिणाम तथा दिशा दोनों होता है। अर्थात भार एक सदिश (Vector) राशि है।

द्रव्यमान के साथ किसी वस्तु के भार में परिवर्तन

किसी दिये हुए स्थान पर `g` का मान स्थिर रहता है। इसलिये किसी दिये हुए स्थान पर, वस्तु का भार उसके द्रव्यमान के समानुपाती होता है।

अर्थात, `W prop m`.

यही कारण है कि किसी दिये हुए स्थान पर वस्तु के भार को उसके द्रव्यमान की माप के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

किसी वस्तु का द्रव्यमान प्रत्येक स्थान पर एक समान रहता है, जबकि वस्तु का भार उसके स्थान पर निर्भर करता है। अर्थात किसी वस्तु का द्रव्यमान चन्द्रमा पर, पृथ्वी पर या किसी अन्य ग्रह या स्थान पर भी एकसमान रहता है, जबकि वस्तु का भार स्थान परिवर्तन के साथ बदल जाता है।

ऐसा किसी विशेष स्थान पर गुरूत्वीय त्वरण, `g` के बदलाव के कारण होता है। जैसे कि चन्द्रमा पर गुरूत्वीय त्वरण, `g` का मान पृथ्वी से कम होता है, अत: एक वस्तु का भार चन्द्रमा पर पृथ्वी की अपेक्षा कम होगा।

अर्थात किसी वस्तु का भार गुरूत्वीय त्वरण, `g` के समानुपाती होता है।

किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार

वस्तु का भार गुरूत्वीय त्वरण के समानुपाती होता है। अर्थात किसी वस्तु का भार किसी भी स्थान पर गुरूत्वीय त्वरण पर निर्भर करता है। तथा किसी भी पिंड का गुरूत्वीय त्वरण पिंड के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। द्रव्यमान बढ़ने पर गुरूत्वीय त्वरण बढ़ता है तथा द्रव्यमान के कम होने पर गुरूत्वीय त्वरण का मान घटता है।

चूँकि चन्द्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान से काफी कम है, जिसके कारण चन्द्रमा का गुरूत्वीय त्वरण पृथ्वी से कम है। फलस्वरूप चन्द्रमा किसी भी वस्तु को पृथ्वी की अपेक्षा कम आकर्षण बल से आकर्षित करता है।

मान लिया कि

किसी वस्तु का द्रव्यमान = m

उस वस्तु का पृथ्वी पर भार = We

पृथ्वी का द्रव्यमान = Me

पृथ्वी की त्रिज्या = Re

पुन: मान लिया कि

उस वस्तु का चन्द्रमा पर भार = Wm

चन्द्रमा का द्रव्यमान = Mm

चन्द्रमा की त्रिज्या = Rm

विभिन्न प्रयोगों के आधार पर हम जानते हैं कि

पृथ्वी का द्रव्यमान, Me = 5.98 × 1024 kg

चन्द्रमा का द्रव्यमान, Mm = 7.36 × 1022 kg

पृथ्वी की त्रिज्या, Re = 6.37 × 106 m

चन्द्रमा की त्रिज्या, Rm = 1.74 × 106 m

अब गुरूत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार हम जानते हैं कि

`F=G(Mxxm)/d^2`

यहाँ चूँकि दूरी, d त्रिज्या के बराबर होती है, अत: `d` के स्थान पर त्रिज्या `R` को रखा जाता है।

पुन: हम जानते हैं कि किसी वस्तु का पृथ्वी पर भार वह बल होता है जिस बल से पृथ्वी उस वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करता है।

अत: दिये गये वस्तु, जिसका द्रव्यमान `m` है, का पृथ्वी पर भार

`W_e=G(M_exxm)/R_e^2`

`W_e=(5.98xx10^24kgxxm)/(6.37xx10^6m)^2`

`=>W_e = 1.474xx10^11Gxxm` -----------(viii)

तथा दिये गये वस्तु, जिसका द्रव्यमान `m` है, का चन्द्रमा पर भार

`W_m=G(7.36xx10^22kgxxm)/(1.74xx10^6m)^2`

`=>W_m= 1.474xx10^11\ Gxxm` ---------- (ix)

अब दिए गए वस्तु का चन्द्रमा पर भार तथा पृथ्वी पर भार का अनुपात

क्लास नौवीं विज्ञान गुरूत्वाकर्षण किसी वस्तु का चन्द्रमा तथा पृथ्वी पर भार

`=W_m/W_e=(2.431xx10^10)/(1.474xx10^11)=0.165`

`=>W_m/W_e\ ~~1/6`

अत:,

क्लास नौवीं विज्ञान गुरूत्वाकर्षण किसी वस्तु का चन्द्रमा तथा पृथ्वी पर भार का अनुपात

इसका अर्थ यह है कि

किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार = उस वस्तु के पृथ्वी पर भार का 1/6

उदारण प्रश्न (1) यदि किसी वस्तु का पृथ्वी पर भार 24 N है तो उस वस्तु का चन्द्रमा पर क्या भार होगा ?

हल:

दिया गया है, वस्तु का पृथ्वी पर भार, (We) = 24 N

अत: उस वस्तु का चन्द्रमा पर भार (Wm) = ?

हम जानते हैं कि,

किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार = 1/6 × उस वस्तु का पृथ्वी पर भार

`=1/6xx24\ N`

= 4 N

अत: दिये गये वस्तु का चन्द्रमा पर भार = 4 N उत्तर

उदाहरण प्रश्न (2) यदि किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार 10 N है तो उसका पृथ्वी पर भार कितना होगा ?

हल:

दिया गया है, वस्तु का चन्द्रमा पर भार = 10 N

अत: उस वस्तु का पृथ्वी पर भार = ?

हम जानते हैं कि,

किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार = 1/6 × उस वस्तु का पृथ्वी पर भार

अत:, वस्तु का पृथ्वी पर भार = 6 × वस्तु का चन्द्रमा पर भार

= 6 × 10 N = 60 N

अत: दिये गये वस्तु का पृथ्वी पर भार = 60 N Answer

उदाहरण प्रश्न (3) यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान 50 kg है, तो उस वस्तु का पृथ्वी पर भार क्या होगा ? [पृथ्वी पर g का मान = 9.8 m s–2]

हल:

दिया गया है, द्रव्यमान (m) = 50 kg

तथा पृथ्वी पर g का मान = 9.8 m s–2

अत: वस्तु का पृथ्वी पर भार (W) = ?

हम जानते हैं कि, किसी वस्तु का भार, W = m × g

= 50 kg 7#215; 9.8 m s–2

= 490 kg m s–2

= 490 N

अत: दिये गये वस्तु का पृथ्वी पर भार = 490 N उत्तर

प्रणोद एवं दाब [थ्रस्ट तथा प्रेशर (Thrust and Pressure)]

प्रणोद की परिभाषा (Definition of Thrust)

किसी वस्तु की सतह के लम्बवत लगने वाले बल को प्रणोद [ थ्रस्ट (Thrust)] कहते हैं।

या, एक विशेष दिशा में लगने वाले नेट बल को प्रणोद [ थ्रस्ट (Thrust)] कहते हैं।

प्रणोद [ थ्रस्ट (Thrust)] का एस आई मात्रक

चूँकि प्रणोद [ थ्रस्ट (Thrust)] एक प्रकार का बल है, अत: प्रणोद [ थ्रस्ट (Thrust)] का एस आई मात्रक वही है जो बल का एस आई मात्रक है।

अत: प्रणोद [ थ्रस्ट (Thrust)] का एस आई मात्रक न्यूटन (N) है।

दाब की परिभाषा [प्रेशर का डेफनिशन (Definition of Pressure)]

प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले प्रणोद को दाब कहते हैं।

अत: क्लास नौवीं विज्ञान गुरूत्वाकर्षण दाब की परिभाषा

दाब का एस आई मात्रक [प्रेशर का एस आई यूनिट]

चूँकि प्रति एकक क्षेत्रफल पर लगने वाले प्रणोद को दाब कहते हैं, अत: प्रणोद तथा क्षेत्रफल के एस आई मात्रक को दाब की परिभाषा में रखने पर हमें दाब का एस आई मात्रक प्राप्त हो जाता है।

हम जानते हैं कि प्रणोद का एस आई मात्रक न्यूटन (N) है तथा क्षेत्रफल का एस आई मात्रक = m2 है।

अत: दाब का एस आई मात्रक = N m–2 या N/m2 है।

वैज्ञानिक ब्लैस पास्कल के सम्मान में, दाब के एस आई मात्रक को पास्कल कहा जाता है। तथा पास्कल को `Pa` से व्यक्त किया जाता है।

प्रणोद तथा दाब की ब्याख्या

जब कोई व्यक्ति बालू के ढ़ेर पर खड़ा होता है, तो उसका पैर बालू में धँसने लगता है तथा थोड़ी गहराई तक धँस जाता है। लेकिन जब वही व्यक्ति उस बालू पर लेट जाता है तो उसका शरीर बालू में नहीं धँसता है या यदि धँसता है तो खड़े रहने की अपेक्षा बहुत ही थोड़ा अंदर जाता है। जबकि दोनों ही स्थिति में शरीर का समान भार बालू पर पड़ता है।

खड़े रहने की स्थिति में शरीर का सम्पूर्ण भार केवल पैरों के सहारे ही बालू पर लगता है जबकि लेटने की स्थिति में वह समान भार पूरे शरीर के सहारे बालू पर लगता है।

पैरों का क्षेत्रफल पूरे शरीर के क्षेत्रफल से काफी कम है। खड़े रहने की स्थिति में सम्पूर्ण भार केवल थोड़े से क्षेत्रफल होकर बालू पर लगने के कारण, लगने वाले बल का दबाब या दाब काफी बढ़ जाता है और अधिक दबाव या दाब के कारण पैर बालू में धँस जाता है। जबकि लेटने की स्थिति में वही भार पूरे शरीर के क्षेत्रफल अर्थात बड़े भाग में बँट कर बालू पर लगता है जिससे लगने वाले बल का दबव या दाब ज्यादा क्षेत्रफल में फैल कर कम हो जाता है, और दाब कम होने के कारण लेटने की स्थिति में शरीर बालू में नहीं धँसता।

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