गुरूत्वाकर्षण

नवमी विज्ञान

एनसीईआरटी अभ्यास प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न संख्या (1) यदि दो वस्तुओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया याए तो उनके बीच गुरूत्वाकर्षण बल किस प्रकार बदलेगा?

उत्तर

न्यूटन के व्युत्क्रम वर्ग नियम के अनुसार, दो पिंडों के बीच का गुरूत्वाकर्षण बल उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

मान लिया कि दोनों पिंडों के बीच गुरूत्वाकर्षण बल = F तथा उन दोनों पिंडों के बीच की दूरी = d है, तो व्युत्क्रम वर्ग नियम के अनुसार

`F prop 1/d^2` -------- (i)

अब प्रश्न के अनुसार मान लिया दोनों पिंडों के बीच की दूरी आधी हो जाती है. तब

दोनों पिंडों के बीच दूरी = `d/2`

अब मान लिया कि दूरी आधी कर देने पर गुरूत्वाकर्षण बल = F1

अत: ब्युत्क्रम वर्ग नियम के अनुसार,

`F_1 prop 1/(d//2)^2`

`=>F_1 prop 1/(d^2//4)`

`=>F_1 prop 4/d^2` ------------- (ii)

अब, `F/F_1 = (1//d^2)/(4//d^2)`

`=>F/F_1 = 1/d^2\ xx d^2/4`

`=>F/F_1 = 1/4`

अत: F : F1 = 1:4

अत: यदि दो वस्तुओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया याए तो उनके बीच गुरूत्वाकर्षण बल घटकर एक एक चौथाई अर्थात `1/4` हो जायेगा।

प्रश्न संख्या (2) सभी वस्तुओं पर लगने वाला गुरूत्वीय बल उनके द्रव्यमान के समानुपाती होता है। फिर भी भारी वस्तु हल्की वस्तु के मुकाबले तेजी से क्यों नहीं गिरती?

उत्तर

हम जानते हैं कि

बल = द्रव्यमान × गुरूत्वीय त्वरण

तथा गुरूत्वीय त्वरण, `g=GM/d^2`

जहाँ,

G = गुरूत्वाकर्षण स्थिरांक

M = पृथ्वी का द्रव्यमान

d = किसी वस्तु तथा पृथ्वी के बीच की दूरी

g = गुरूत्वीय त्वरण

यहाँ चूँकि गुरूत्वीय त्वरण किसी वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है, अत: भारी तथा हल्की सभी वस्तुएँ एक ही वेग से पृथ्वी पर गिरती हैं। यही कारण है कि भारी वस्तु हल्की वस्तु के मुकाबले तेजी से नहीं गिरती बल्कि समान गति से गिरती है।

प्रश्न संख्या (3) पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किसी 1 kg की वस्तु के बीच गुरूत्वीय बल का परिणाम क्या होगा ? (पृथ्वी का द्रव्यमान 6 ×1024 kg है तथा पृथ्वी की त्रिज्या 6.4 ×106 m.) है।

उत्तर

दिया गया है,

दिये गये वस्तु का द्रव्यमान, m = 1kg

पृथ्वी का द्रव्यमान, M = 6 × 1024 kg

पृथ्वी की त्रिज्या, R = 6.4 × 106 m

G = 6.67 × 10–11

यहाँ चूँकि दिये गये वस्तु की त्रिज्या पृथ्वी की त्रिज्या की तुलना में काफे छोटी है, अत: वस्तु की त्रिज्या नगण्य मान लिया जाता है। तथा इस स्थिति में पृथ्वी की त्रिज्या ही दिये गये वस्तु तथा पृथ्वी के बीच की दूरी मान ली जाती है।

अत: पृथ्वी के केन्द्र तथा दिये गये वस्तु के केन्द्र के बीच की दूरी, d = 6.4 × 106 m

हम जानते हैं कि, `F=G(Mxxm)/d^2`

`=>F=6.67xx10^(-11)xx(6xx10^(24)xx1)/(6.4xx10^6)^2\ N`

`=>F=6.67xx10^(-11)xx(6xx10^(24)xx1)/(6.4xx6.4xx10^12)\ N`

`=>F=(6.67xx6xx10^24)/(6.4xx6.4xx10^23)\ N`

`=>F=9.8144\ N`

`=>F~~9.8\ N`

अत: दिये गये वस्तु तथा पृथ्वी के बीच लगने वाला गुरूत्वाकर्षण बल 9.8 N उत्तर

प्रश्न संख्या (4) पृथ्वी तथा चन्द्रमा एक दूसरे को गुरूत्वीय बल से आकर्षित करते हैं। क्या पृथ्वी जिस बल से चन्द्रमा को आकर्षित करती है वह बल, उस बल से जिससे चन्द्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है बड़ा है या छोटा है या बराबर है? बताइए क्यों?

उत्तर

पृथ्वी जिस बल से चन्द्रमा को अपनी ओर आकर्षित करती है, चन्द्रमा भी उसी बल से पृथ्वी को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस तरह दोनों के गुरूत्वीय आकर्षण बल का मान बरारबर होता है। क्योंकि न्यूटन के तृतीय नियम के अनुसार, प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है। तथा क्रिया और प्रतिक्रया बल परिमाण बराबर तथा एक दूसरे के विपरीत दिशा में होता है।

प्रश्न संख्या (5) यदि चन्द्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है, तो पृथ्वी चन्द्रमा की ओर गति क्यों नहीं करती ?

उत्तर

हम जानते हैं कि आकर्षण बल, F = Mass, m × Acceleration, a

`=>a=F/m`

इसका अर्थ है कि त्वरण वस्तु के द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

जब चन्द्रमा द्वारा पृथ्वी को आकर्षित किया जाता है चन्द्रमा के आकर्षण द्वारा उत्पन्न त्वरण पृथ्वी के विशाल द्रव्यमान की तुलना में नगण्य होता है।

और इसी नगण्य त्वरण के कारण हम पृथ्वी की चन्द्रमा की ओर गति को अनुभव नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न संख्या (6) दो वस्तुओं के बीच लगने वाले गुरूत्वाकर्षण बल का क्या होगा, यदि

(i) एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाए?

(ii) वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी अथवा तीन गुनी कर दी जाए?

(iii) दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने कर दिए जाएँ?

उत्तर

(i) एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाए?

हम जानते हैं कि, गुरूत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार, दो पिंडों के बीच आकर्षण बल दोनों पिंडों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती होता है।

इसका अर्थ है कि `F prop M xx m`

जहाँ F = दोनों वस्तुओं के बीच आकर्षण बल, तथ M और m क्रमश: दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान हैं।

अत: यदि एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाय,

अर्थात, मान लिया कि, m = 2m

अत: `F prop M xx 2m`

अर्थात किसी एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर देने पर दोनों वस्तुओं के बीच आकर्षण बल भी दोगुना हो जायेगा।

(ii) वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी अथवा तीन गुनी कर दी जाए?

हम जानते हैं कि गुरूत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार, दो वस्तुओं के बीच आकर्षण बल उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है।

अर्थात, `F\ prop\ 1/d^2`

F = दोनों वस्तुओं के बीच आकर्षण बल, तथा d= दोनों वस्तुओं के बीच की दूरी

अत: (a) यदि दोनों वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी कर दी जाय, तो

अर्थात, d = 2d

`F prop 1/(2d)^2`

`F prop 1/(4d^2)`

अर्थात दोनों वस्तुओं के बीच दूरी दुगुनी कर देने पर आकर्षण बल `1/4` (एक चौथाई कम) हो जायेगा।

अत: (b) यदि दोनों वस्तुओं के बीच की दूरी तीन गुनी कर दी जाय, तो

अर्थात, d = 3d

`F prop 1/(3d)^2`

`F prop 1/(9d^2)`

अर्थात दोनों वस्तुओं के बीच दूरी दुगुनी कर देने पर आकर्षण बल `1/9` (नौ गुनी कम) हो जायेगा।

(iii) दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने कर दिए जाएँ?

हम जानते हैं कि, गुरूत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार, दो पिंडों के बीच आकर्षण बल दोनों पिंडों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती होता है।

इसका अर्थ है कि `F prop M xx m`

जहाँ F = दोनों वस्तुओं के बीच आकर्षण बल, तथ M और m क्रमश: दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान हैं।

अत: यदि एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाय,

अर्थात, मान लिया कि, m = 2m तथा M = 2M

अत: `F prop 2M xx 2m`

अत: `F prop 4M xx m`

अर्थात दोनों वस्तुओं का द्रव्यमान दोगुना कर देने पर दोनों वस्तुओं के बीच आकर्षण बल चौगुना हो जायेगा।

प्रश्न संख्या (7) गुरूत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के क्या महत्व हैं?

उत्तर

गुरूत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के क्या महत्व:

गुरूत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम अनेक परिघटनाओं की सफलतापूर्वक ब्याख्या संभव हो गया जो पहले अंबद्ध मानी जाती थीं

(a) हमें पृथ्वी से बाँधे रखने बाला बल

(b) पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति

(c) सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति, तथा

(d) चन्द्रमा तथा सूर्य के कारण ज्वार भाटा

प्रश्न संख्या (8) मुक्त पतन का त्वरण क्या है?

उत्तर

जब एक वस्तु मुक्त पतन की स्थिति में नीचे गिरता है तब वस्तु का वेग एक स्थिर त्वरण की दर से बदलता है। त्वरण के परिवर्तन की दर वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।

प्रयोगों द्वारा यह गणना की गई है कि मुक्त पतन में त्वरण की दर 9.8 m s–2 होता है। अर्थात मुक्त पतन में वस्तु की गति 9.8 m–2 त्वरण की दर से बदलती है। पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण के कारण एक मुक्त पतन के क्रम में वस्तु द्वारा प्राप्त किया गया त्वरण, मुक्त पतन में गुरूत्वीय त्वरण कहलाता है।

अत: मुक्त पतन में किसी वस्तु का गुरूत्वीय त्वरण या त्वरण 9.8 m s–2 होता है।

प्रश्न संख्या (9) पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच गुरूत्वीय बल को हम क्या कहेंगे?

उत्तर

पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच गुरूत्वीय बल को पृथ्वी का गुरूत्वाकर्षण या पृथ्वी का गुरूत्वीय बल, या पृथ्वी का आकर्षण बल कहा जा सकता है।

प्रश्न संख्या (10) एक व्यक्ति A अपने एक मित्र के निर्देश पर ध्रुवों पर कुछ ग्राम सोना खरीदता है। वह इस सोने को विषुवत वृत्त पर अपने मित्र को देता है। क्या उसका मित्र खरीदे हुए सोने के भार से संतुष्ट होगा? यदि नहीं, तो क्यों? [संकेत: ध्रुवों पर `g` का मान विषुवत वृत्त की अपेक्षा अधिक है।]

उत्तर

व्यक्ति A का मित्र खरीदे हुए सोने के भार से संतुष्ट नहीं होगा, क्योंकि

किसी भी वस्तु का द्रव्यमान तो सभी जगहों पर स्थिर रहता है अर्थात एक समान रहता है, परंतु वस्तु का भार गुरूत्वीय त्वरण `g` पर निर्भर करता है।

जैसा कि हम जानते हैं किसी वस्तु का भार (W), वस्तु के द्रव्यमान (m) तथा गुरूत्वीय त्वरण `g` के मान पर निर्भर करता है।

अर्थात `W=mxxg`

तथा गुरूत्वीय त्वरण `g` का मान वस्तु से पृथ्वी की केन्द्र की दूरी, अर्थात त्रिज्या पर निर्भर होता है। वस्तु से दूरी बढ़ने पर गुरूत्वीय त्वरण `g` का मान घटता है तथा वस्तु से दूरी घटने पर गुरूत्वीय त्वरण `g` का मान बढ़ता है। चूँकि पृथ्वी की त्रिज्या विषुवत रेखा पर अधिकतम तथा ध्रुवों पर न्यूनतम होता है, अत: विषुवत रेखा पर किसी वस्तु का भार गुरूत्वीय त्वरण `g` के कम होने से कम हो जायेगा।

अत: एक तुला विषुवत रेखा पर ध्रुवों की अपेक्षा एक वस्तु का भार दिखलायेगा। अत: ध्रुव पर खरीदे गये सोने का भार विषुवत रेखा पर कम हो जायेगा।

प्रश्न संख्या (11) एक कागज की शीट, उसी प्रकार की शीट को मरोड़ कर बनाई गई गेंद से धीमी क्यों गिरती है?

उत्तर

हवा एक तरह का तरल है, जिसके कारण हवा में उत्प्लावन बल होता है। उत्प्लावन बल का मान क्षेत्रफल के समानुपाती होता है, अर्थात क्षेत्रफल बढ़ने पर किसी वस्तु पर लगने वाला उत्प्लावन बल बढ़ेगा तथा क्षेत्रफल के कम होने पर उत्प्लावन बल कम होगा।

चूँकि एक कागज की शीट को मरोड़ कर बनाई गई गेंद का क्षेत्रफल कागज की शीट की अपेक्षा कम होता है, अत: गेंद की अपेक्षा कागज की शीट पर हवा का उत्प्लावन बल अधिक होगा।

अत: उत्प्लावन बल अधिक लगने के कारण एक कागज की शीट, उसी प्रकार की शीट को मरोड़ कर बनाई गई गेंद से धीमी गिरती है।

प्रश्न संख्या (12) चन्द्रमा की सतह पर गुरूत्वीय बल, पृथ्वी की सतह पर गुरूत्वीय बल की अपेक्षा `1/6` गुणा है। एक 10 kg की वस्तु का चन्द्रमा पर तथा पृथ्वी पर न्यूटन में भार क्या होगा?

उत्तर

हम जानते हैं कि पृथ्वी का गुरूत्वीय बल = 9.8 m s–2

प्रश्न के अनुसार चन्द्रमा का गुरूत्वीय बल पृथ्वी के गुरूत्वीय बल का 1/6 गुणा है।

अत: चन्द्रमा पर गुरूत्वीय बल

`=9.8xx1/6\ m//s^2 = 1.63\ m\ s^(-2)`

दिया गया है, वस्तु का द्रव्यमान = 10kg

हम जानते हैं कि किसी वस्तु का भार, W = m × g

अत: दिये गये वस्तु का पृथ्वी पर भार

= 10 kg × 9.8 m s–2

= 98 kg m s–2

अत: दिये गये वस्तु का पृथ्वी पर भार = 98 N

अब दिये गये वस्तु का चन्द्रमा पर भार = m x g

= 10 kg × 1.63 m s–2

= 16.3 kg m s–2

अत: दिये गये वस्तु का चन्द्रमा पर भार = 16.3 N

अत: दिये गये वस्तु का पृथ्वी पर भार = 98 N तथा उसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार = 16.3 N उत्तर

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