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नवमी विज्ञान

निलंबन (Suspension)

निलंबन क्या है? (What is a Suspension?)

एक असमांगी मिश्रण, जिसके कण घुलते नहीं हैं लेकिन माध्यम की समष्टि में निलंबित रहते हैं, निलंबन (SUSPENSION) कहलाता है।

दूसरे शब्दों में वैसा घोल जो ठोस द्रव में परिक्षेपित हो जाता है, निलंबन कहलाता है।

निलंबन के कणों को नंगी आँखों को देखा जा सकता है।

उदाहरण : आटे तथा पानी का मिश्रण, तेल तथा पानी का मिश्रण, चॉक तथा पानी का मिश्रण, हवा में धूल कणों का मिश्रण, इत्यादि।

अधिकांश निलंबन, जिसे हम दिन प्रतिदिन पाते हैं, ठोस कणों का तरल में मिश्रण है। यथा आटे तथा पानी का घोल। दो तरल को मिलाकर, या तरल को गैस में मिलाकर निलंबन नहीं बनता है।

निलंबन के गुण (Properties of Suspensions)

निलंबन एक विषमांगी मिश्रण है।

निलंबन के कणों को नंगी आँखों से देखे जा सकते हैं।

ये निलंबित कण प्रकाश की किरण को फैला देते हैं, जिससे उसका मार्ग दृष्टिगोचर हो जाता है।

जब निलंबन को शांत छोड़ दिया जाता है, तो निलंबन के कण नीचे की ओर बैठ जाते हैं, अर्थात निलंबन अस्थायी होता है।

निलंबन के कणों को छानन विधि द्वारा मिश्रण से पृथक किया जा सकता है।

जब निलंबन के कण नीचे बैठ जाते हैं, तो निलंबन टूट जाता है तथा यह प्रकाश की किरण को नहीं फैलाता है।

कोलाइडल (Colloidal)

कोलाइडल विलयन क्या है? (What is a Colloidal Solution?)

समांगी तथा विषमांगी मिश्रणों के बीच के गुण वाला एक मिश्रण जिसके कण विलयन में समान रूप से फैले होते हैं, कोलाइडल विलयन कहलाता है।

कोलाइड विलयन के कण निलंबन के कणों की अपेक्षा आकार में छोटे होने के कारण यह समांगी मिश्रण प्रतीत होता है, परंतु वास्तव में यह एक विषमांगी मिश्रण होता है।

उदारण : दूध, शेविंग क्रीम, जेल, इत्यादि

कोलाइडल के कण निलंबन के कणों की अपेक्षा छोटे परंतु विलयन के कणों की अपेक्षा बड़े होते हैं, परंतु ये कण नंगी आँखों से दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन कोलाइडल विलयन के कण प्रकाश की किरण को फैला देते हैं, अर्थात जब प्रकाश की किरण एक कोलाइडल विलयन से गुजरता है, तो प्रकाश का पथ दृष्टिगोचर होता है।

कोलाइड के गुण (Properties of a Colloid)

कोलाइड एक विषमांगी मिश्रण है।

कोलाइड के कण इतने छोटे होते हैं कि ये आँखों से दिखाई नहीं देते हैं।

लेकिन कोलाइड के कण इतने बड़े होते हैं कि वे प्रकाश को फैला देते हैं, जिससे प्रकाश का मार्ग दृष्टिगोचर होता है।

कोलाइडल विलयन को शांत छोड़ देने पर इसके कण तल पर नहीं बैठते हैं, अर्थात ये स्थाई होते हैं।

कोलाइड के कणों को छानन विधि द्वारा पृथक नहीं किया जा सकता परंतु एक विशेष विधि अपकेन्द्रीकरण तकनीक द्वारा इन्हें पृथक किया जा सकता है।

कोलाइडल विलयन के घटक (Components of Colloidal Solution)

कोलाइडल विलयन के दो घटक होते हैं, ये घटक हैं परिक्षिप्त प्रवस्था (Dispersed phase) तथा परिक्षेपण माध्यम (dispersion medium). विलेय पदार्थ की तरह घटक पा परिक्षिप्त कण जो कोलाइडल रूप में रहता है उसे परिक्षिप्त प्रावस्था (Dispersed phase) तथा वह घटक जिसमें परिक्षिप्त प्रावस्था निलंबित रहता है उसे परिक्षेपण माध्यम (Dispersing phase) कहा जाता है।

कोलाइड का वर्गीकरण (Classification of Colloids)

कोलाइडल को परिक्षेपण माध्यम (Dispersing medium) की अवस्था तथा परिक्षिप्त प्रावस्था (Dispersed phase) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

कोलाइड्स के सामान्य उदाहरण
परिक्षिप्त प्रावस्था परिक्षेपण माध्यम प्रकार उदाहरण
द्रव गैस एरोसोल कोहरा, बादल, कुहासा
ठोस गैस ऐरोसोल धुँआ, वाहन निथार (Automobile Exhaust)
गैस द्रव फोम शेविंग क्रीम
द्रव द्रव इमल्शन दूध, फेस क्रीम
ठोस द्रव सोल मैग्नेशिया मिल्क, कीचड़
गैस ठोस फोम फोम, रबड़, स्पंज, पूमिस (झामा)
द्रव ठोस जेल जेली, पनीर, मक्खन
ठोस ठोस ठोस सोल रंगीन रत्न पत्थर, दूधिया काँच

टिनडल प्रभाव (Tyndall Effect)

जब प्रकाश की किरण कोलाइडल कणों से टकराती है, तो यह प्रकाश पुंज को फैला देती हैं, तथा प्रकाश का मार्ग हमें दिखाई देने लगता है।

प्रकाश का कोलाइड्स या कोलाइडल के कणों के द्वारा फैलाना टिनडल प्रभाव (Tyndall Effect) कहा जाता है।

इस प्रभाव की खोज ब्रिटिश भौतिकवेत्ता John Tyndall ने की थी अत: इस परिघटना को उस वैज्ञानिक के नाम पर टिनडल प्रभाव (Tyndall Effect) कहा जाता है।

उदाहरण :

एक कमरे में छोटे से छिद्र के द्वारा प्रकाश की किरण में घूलकणों को तैरते हुए आसानी से देखा जा सकता। ये धूल तथा कार्बन के कण हवा में निलंबित कोलाइड की तरह कार्य करते हैं, जो प्रकाश की किरण को फैलाकर देते हैं, जिससे प्रकाश का मार्ग दृष्टिगोचर होने लगता है। प्रकाश का धूलकणों तथा कार्बन के कणों द्वारा फैलाना टिनडल प्रभाव (Tyndall Effect) कहलाता है।

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जब एक घने जंगल के आच्छादन से सूर्य की किरण गुजरती है, तो जंगल के कोहरे में निलंबित छोटे छोटे जल के कण कोलाइड कणों के समान व्यवहार करते हैं, जो कि प्रकाश को फैला देते हैं, जिससे प्रकाश का मार्ग दृष्टिगोचर होने लगता है, यह टिनडल प्रभाव (Tyndall Effect) है।

हमारी आँखों की पुतलियों के रंग टिनडल प्रभाव के कारण ही दिखाई देते हैं। जब पुतली से प्रकाश की किरण गुजरती है तो इनमें निलंबित छोटे छोटे कण टिनडल प्रभाव उत्पन्न करते हैं, तथा हमारी पुतलियाँ रंगीन दिखाई देती है।

मिश्रण के घटकों का पृथक्करण (Separating the Components of a Mixture)

मिश्रण के घटकों को प्रयोग में लाने की सुगमता तथा उनके संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्हें पृथक किया जाता है। मिश्रण के घटकों को पृथक करने की कई विधियाँ हैं।

विषमांगी मिश्रणों के घटकों की साधारण विधियों द्वारा अलग किया जा सकता है, जैसे हाथ से चुनकर, छन्नी से छानकर, आदि, जिनका व्यवहार हमारे प्रतिदिन के जीवन में होता है। परंतु कई मिश्रणों के घटकों को विशेष तकनीक का प्रयोग कर पृथक किया जाता है, जैसे अपकेन्द्रीकरण (Centrifugation) के द्वारा।

हाथ से चुनकर (Handpicking):की प्रकार के मिश्रणों से अवांछनीय कणों या पदार्थों को हाथ से चुनकर अलग किया जाता है। जैसे चावल या दाल से कंकड़, सूखे घास के तिनके, मिट्टी के छोटे टुकड़े आदि। इसका प्रयोग हम अपने घरों में देख सकते हैं। परंतु हाथ चुनकर अलग करने की प्रक्रिया तभी अपनाई जाती है, जब अवांछनीय कण कम मात्रा में हों, तथा आसानी से चुना जा सके।

चालन या छानना (Sieving) :आटे से अवांछनीय कण या पदार्थों को चलनी या छननी से छान कर अलग किया जाता है, जैसे घरों में रोटी बनाने से पहले आटे से चोकर, भूसे की टुकड़ियों, तिनके आदि को चालन विधि द्वारा अलग किया जा सकता है।

निस्पंदन (Filtration):चाय से चाय की पत्तियों को निस्पंदन विधि द्वारा अलग किया जा सकता है, यह चालन विधि का ही एक रूप है, परंतु इस निस्पंदन विधि द्वारा तरल मिश्रण से अवांछनीय पदार्थों को अलग किया जाता है।

वाष्पीकरण या वाष्पण (Evaporation):

वैसे मिश्रण जिसमें एक घटक ठोस तथा दूसरा तरल हो, के घटकों को वाषपीकरण विधि द्वारा पृथक किया जा सकता है। जैसे कि नमक तथा जल के मिश्रण से नमक को वाष्पीकरण विधि द्वारा अलग किया जा सकता है। समुद्र के जल से नमक को इसी वाष्पीकरण की विधि द्वारा अलग किया जाता है।

रंग वाले घटक (Dye) को नीले अथवा काले रंग की स्याही से कैसे पृथक कर सकते हैं?

स्याही जल में रंग का एक मिश्रण है, जिसमें जल विलेयक तथा रंग विलेय होता है।

अत: स्याही से रंग को वाष्पीकरण की विधि द्वारा अलग किया जा सकता है।

विधि:

इस विधि में स्याही को वाच-ग्लास में रखकर उसे जल से भरे बीकर के उपर रखा जाता है।

उसके बाद बीकर के जल को बर्नर की मदद से गर्म किया जाता है।

गर्म होकर स्याही में जल के रूप में वर्तमान विलायक वाष्पीकृत हो जाता है, तथा वाच-ग्लास में स्याही का रंग बच जाता है।

इस तरह वाष्पीकरण विधि के उपयोग से स्याही से रंग को अलग किया जा सकता है।

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नमक को पानी के घोल से अलग करना

नमक के जल में घोल में दो घटक हैं, नमक तथा जल। इन दोनों घटकों को वाष्पीकरण की प्रक्रिया द्वारा पृथक किया जा सकता है।

जब नमक का जल में घोल को गर्म किया जाता है, जल वाष्पीकृत हो जाता है, तथा नमक बच जाता है। इसमें वाष्पीकृत हुए जल को भी ठंढ़ा कर पुन: जल प्राप्त किया जा सकता है।

उसी प्रकार अन्य मिश्रणों में से भी घटकों को अलग किया जा सकता है।

अपकेन्द्रीकरण (Centrifugation)

अपकेन्द्रीकरण (Centrifugation) एक तकनीक है जिसमें मिश्रण के ठोस तथा भारी कण तल में बैठ जाता है तथा हल्के घटक द्रव के उपर तैरने लगते हैं। इस तकनीकि प्रक्रिया में मिश्रण को एक मशीन जिसे अपकेन्द्रीय यंत्र (Centrifugation machine) कहा जाता है, में मिश्रण को डाल कर तेजी से घुमाया जाता है, इससे भारी कण पर अपकेन्द्रीय बल कार्य करता है, तथा वह केन्द्र के पास तल में बैठने लगता है तथा हल्के घटक द्रव में ऊपर तैरने लगता है।

कोलाइडल विलयन (Colloidal solution) के कण इतने छोटे होते हैं कि उन्हें छानन (sieving) या निस्पंदन (filtration) की प्रक्रिया द्वारा अलग नहीं किया जा सकता है। अत: कोलाइडल विलयन के घटकों को अपकेन्द्रीकरण तकनीक द्वारा (method of centrifugation) पृथक किया जाता है।

अपकेन्द्रीकरण का उपयोग (Application of Centrifugation)

अपकेन्द्रीकरण तकनीकि का उपयोग खून तथा मूत्र जाँच के लिये किया जाता है।

अपकेन्द्रीकरण तकनीकि का उपयोग कर दूध से मक्खन तथा क्रीम को अलग किया जाता है।

अपकेन्द्रीकरण तकनीकि का उपयोग कर वाशिंग मशीन में कपड़ों को सुखाया जाता है।

दूध से मक्खन या क्रीम को अलग करना (Separation of Cream from Milk)

दूध एक कोलाइडल विलयन है। दूध में वसा (Fats), जो कि ठोस होते हैं, के कण परिक्षिप्त प्रावस्था (dispersed phase) में रहता है, तथा ये वसा के कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें निस्पंदन (Filtration) की प्रक्रिया द्वारा अलग नहीं किया जा सकता है, अत: दूध से इन वसा के कणों को अपकेन्द्रीकरण की तकनीकि द्वारा पृथक किया जाता है।

इस अपकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया में दूध को एक बर्तन में डालकर तेजी से घुमाया जाता है।

केन्द्राभिसारी बल (Centripetal force) के कारण दूघ में उपस्थित वसा के ठोस तथा भारी कण केन्द्र में जाकर तल में बैठने लगता है, तथा दूध में उपस्थित हल्का द्रव, यथा जल, आदि उपर तैरने लगता है, जहाँ से उन्हें पृथक निकाल लिया जाता है।

इस तरह अपकेन्द्रीकरण का उपयोग कर दूध से मक्खन तथा क्रीम को अलग कर लिया जाता है।

बाजार में फुल क्रीम (वसायुक्त) तथा टोंड (वसारहित) दूध आसानी से उपलब्ध होता है। टोंड दूध में वसा की मात्रा बहुत कम होती है या बिल्कुल नहीं होती है।

दो अघुलनशील द्रवों के मिश्रण को कैसे पृथक कर सकते हैं?

निस्तारण या निथारना (Decantation)

दो अघुलनशील द्रवों को निस्तारण या निथारने (Decantation) की प्रक्रिया द्वारा अलग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में मिश्रण से वैसा घटक जो हल्का होता है, द्रव में ऊपर तैरता रहता है, को सावधानी से निस्तारित कर पृथक कर लिया जाता है तथा बर्तन में भारी घटक बच जाता है। इस तरह अधुलनशील द्रव के मिश्रण से द्रवों को पृथक कर लिया जाता है।

सिद्धांत के अनुसार, आपस में नहीं मिलने वाले द्रव अपने घनत्व के अनुसार विभिन्न परतों में पृथक हो जाते हैं।

निस्तारण की प्रक्रिया में घटकों को अधिक शुद्धता से पृथक करने के लिए एक पृथक्करण कीप का उपयोग किया जाता है।

पृथक्करण कीप सीसे का बना होता है, जिसमें नीचे की तरफ बनी नली में एक स्टॉप कार्क लगा होता है।

विधि:

दो अघुलनशील द्रवों के मिश्रण को पृथक्करण कीप में रखा जाता है।

मिश्रण को कुछ देर शांत छोड़ देने के बाद मिश्रण के घटक घनत्व में भिन्नता के कारण अलग अलग परतों में पृथक हो जाते हैं, जिन्हें मिश्रण में आँखों से आसानी से देखा जा सकता है।

अब सावधानी से स्टॉप कार्क खोलकर नीचले परत वाले द्रव को निकाल लिया जाता है, तथा उपरी परत वाला द्रव कीप में बच जाता है।

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इस तरह दो अघुलनशील द्रवों के मिश्रण को पृथक कर लिया जाता है।

इस विधि से दो से अधिक अघुलनशील द्रवों के मिश्रण से घटकों को भी अलग किया जा सकता है।

निस्तारण का उपयोग (Application of decantation)

निस्तारण की प्रक्रिया का तेल तथा जल के अधुलनशील मिश्रण को पृथक करने में उपयोग किया जाता है।

धातुशोधन के दौरान लोहे को पृथक करने में। इस विधि द्वारा हलके स्लैग (धातुमल) को उपर से हटा लिया जाता है तथा भट्ठी की निचली सतह पर पिघला हुआ लोहा शेष रह जाता है।

उर्ध्वपातन (Sublimation)

कई ठोस पदार्थ गर्म किये जाने पर बिना द्रव में बदले ही गैस में बदल जाते हैं तथा ठंढ़ा किये जाने पर गैस से सीधा ठोस में बदल जाते हैं।

गर्म किये जाने पर ठोस का बिना द्रव में परिवर्तित हुए ही गैस में बदलना तथा ठंढ़ा किये जाने पर बिना द्रव में बदले गैस से सीधा ठोस में बदलने की प्रक्रिया उर्ध्वपातन (Sublimation) कहलाती है। तथा वैसे पदार्थ जिनमें यह गुण होता है, उर्ध्वपात (Sublime) कहलाते हैं। उदारण के लिए: अमोनियम क्लोराइड, नौसादर, एंथ्रासीन, नैफ्थैलीन, कपूर, इत्यादि।

उर्ध्वपातन की प्रक्रिया के द्वारा वैसे मिश्रण जिसमें उर्ध्वपातित हो सकने वाले अवयव हों, को उर्ध्वपातित न होने योग्य अशुद्धियों से पृथक किया जाता है।

नमक तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण को कैसे पृथक कर सकते हैं?

नमक तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण को उर्ध्वपातन की प्रक्रिया द्वारा पृथक किया जा सकता है।

विधि (Process):

नमक तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण को एक वाच ग्लास में लिया जाता है।

इस मिश्रण को सीसे की कीप से ढ़ंक दिया जाता है, जैसा कि चित्र में दिखलाया गया है।

कीप के नली को रूई से बंद कर दिया जाता है।

अब मिश्रण को गर्म किया जाता है।

गर्म होने पर अमोनियम क्लोराइड, जो कि एक उर्ध्वपात है गैस में बदल जाता है, तथा ठंढ़ा होने पर कीप की भीतरी सतह पर ठोस के रूप में जम जाता है। तथा वाच ग्लास में नमक बच जाता है।

अमोनियम क्लोराइड को कीप की भीतरी सतह से खुरच कर अलग कर लिया जाता है।

तथा वाच ग्लास में बचे नमक को निकाल लिया जाता है।

अत: इस उर्ध्वपातन की प्रक्रिया द्वारा नमक तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण को पृथक कर लिया जाता है।

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