जीवन की मौलिक इकाई

नवमी विज्ञान

कोशिका की संरचना तथा कार्य

सजीवों में पाये जाने वाली सभी कोशिकाओं की मूल संरचना समान होती है। सभी कोशिकाओं में कोशिका झिल्ली (प्लाज्मा मेम्बरेन), कोशिका द्रव (साइटोप्लज्म), तथा केंद्रक (न्यूक्लियस) पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त पादप की कोशिकाओं में कोशिका भित्ती (सेल वॉल) पाया जाता है जो जीवों की कोशिकाओं में नहीं पाया जाता है। कोशिका भित्ती का होना तथा कोशिका भित्ती का नहीं होना क्रमश: पादप कोशिका तथा जीव कोशिका के बीच एक प्रमुख अंतर है।

किसी जीव में कितनी कोशिकाएँ होती हैं?

कुछ जीवों में केवल एकमात्र कोशिका होती है, अर्थात कुछ जीव केवल एक कोशिका से बने होते हैं जबकि कुछ जीव अनेक कोशिकाओं से बने होते हैं।

अत: जीवों में कोशिकाओं की संख्या के आधार पर उन्हें दो भागों में बाँटा जा सकता है: एक कोशिकीय जीव तथा बहुकोशिकीय जीव

एक कोशिकीय जीव

जीव जो केवल एक ही कोशिका से बने होते हैं को एक कोशिकीय जीव कहा जाता है। एक कोशिकीय जीव को अंग्रेजी में यूनी सेलुलर ऑर्गेनिज्म कहा जाता है। यहाँ "यूनी" का अर्थ है "एक" तथा "सेलुलर" का अर्थ है "जीव"।

एक कोशिकीय जीव केवल एक ही कोशिका से बने होते हैं, जैसे अमीबा, क्लेमिडोमोनास, पैरामिसियम, तथा बैक्टिरिया, आदि। इन एक कोशिकीय जीवों में सभी मूलभूत जैविक क्रियाएँ एक ही कोशिका द्वारा सम्पन्न की जाती है।

बहुकोशिकीय जीव

जीव जो एक से अधिक कोशिकाओं से बने होते हैं, को बहुकोशिकीय जीव कहा जाता है। जैसे, कवक (फंजाई), पादप (प्लांट्स), तथा अन्य सभी जानवर जिसमें मनुष्य भी शामिल है।

बहु कोशिकीय जीव को अंग्रेजी में मल्टीसेलुलर ऑर्गेनिज्म कहा जाता है। अंग्रेजी के इस शब्द में "मल्टी" का अर्थ है कई तथा तथा "सेलुलर" का अर्थ है "जीव"। हिंदी के शब्द बहुकोशिकीय जीव को भी देखें तो स्पष्ट होगा कि "बहु" का अर्थ है कई, अत: वैसे जीव जो कई कोशिकाओं से बने होते हैं, को बहुकोशिकीय जीव कहा जाता है।

बहुकोशिकीय जीवों में कई कोशिकाएँ एक साथ मिलकर ऊतक बनाती हैं तथा कई ऊतक मिलकर अंग जो विभिन्न कार्यों को करते हैं, का निर्माण करती हैं।

बहुकोशिकीय जीव के बनने में सबसे पहले एक कोशिका बनती है फिर कोशिका विभाजित होकर कई कोशिकाएँ बनाती है और इस तरह एक पूरा बहुकोशिकीय जीव, कई कोशिकाओं के मिलने से बनता है।

कोशिका का आकार तथा आकृति

वैसे तो सभी कोशिकाओं की मूलभूत संरचना तथा आकार लगभग समान होती है, परंतु कुछ जीवों की कोशिकाएँ कई आकार तथा आकृति वाली होती है।

उदाहरण:

मानव शरीर में कुछ कोशिकाएँ विभिन्न आकारों तथा आकृतियों वाली होती हैं।

तंतु कोशिका बेलन की तरह लम्बी होती है। तंतु कोशिका का एक सिरा तारे के आकार का तथा दूसरा सिरा पूँछ की आकृति का होता है। तंतु कोशिकाओं के पूँछ वाले भाग के अंत में बृक्ष की जड़ के समान संरचना होती है।

तंतु कोशिका मानव शरीर में पाई जाने वाली कोशिकाओं में सबसे लम्बी होती है।

रक्त कोशिकाएँ गोलाकार होती हैं तथा इनमें केंद्रक नहीं होता है।

डिम्ब कोशिकाएँ गोलाकार तथा रक्त कोशिकाओं से बड़ी होती हैं।

अस्थि कोशिकाएँ तारे के सदृश आकृति वाली होती है।

माँसपेशियों की कोशिकाएँ बेलनाकार तथा दोनों सिरों पर पतली नोकदार होती हैं।

अमीबा, जो एक कोशिकीय जीव है, अर्थात एक ही कोशिका की बनी होती है, अपना आकार बदल सकती है।

कोशिका के कार्य

बढ़ना या बृद्धि तथा अपने जैसा ही प्रतिरूप पैदा करना आदि कुछ ऐसे अभिलक्षण हैं जो सजीव को निर्जीव से अलग करते हैं। ये अभिलाक्षणिक प्रक्रिया सजीवों में कोशिकीय स्तर पर ही पाये जाते हैं। इसका अर्थ है प्रत्येक कोशिका सजीवों में व्याप्त अभिलाक्षणिक प्रक्रियाओं को सम्पन्न करने में सक्षम होती हैं।

इसका अर्थ है जीवन के लिए आवश्यक सभी मूलभूत प्रक्रिया कोशिका करती है या कोशिकीय स्तर पर ही सम्पन्न होती हैं।।

कोशिका की संरचना

कोशिका के विभिन्न भाग विभिन्न कार्यों को करती हैं। कोशिका के ये भाग कोशिकांग कहलाते हैं। सभी प्रकार की कोशिकाओं में मुख्यत: तीन कोशिकांग होते हैं। ये हैं कोशिका झिल्ली, कोशिकीय द्रव, तथा केंद्रक। कोशिकांग को अंग्रेजी में "ऑर्गेनल्स" कहते हैं।

कोशिका झिल्ली

कोशिका झिल्ली कोशिका का बाहरी आवरण होता है। कोशिका झिल्ली को प्लाज्मा झिल्ली भी कहा जाता है। कोशिका झिल्ली को अंग्रेजी में सेल मेम्बरेन या प्लाज्मा मेम्बरेन कहा जाता है।

कोशिका झिल्ली की संरचना

कोशिका झिल्ली एक पतली झिल्ली होती है जो एक कोशिका का बाहरी आवरण होता है। कोशिका झिल्ली प्रोटीन तथा लिपिड की दोहरी परत की बनी होती है। कोशिका की झिल्ली की इस दोहरी परत को फॉस्फोलिपिड बाइलेयर कहा जाता है।

कोशिका झिल्ली के कार्य

कोशिका झिल्ली कोशिका तथा तथा कोशिका के घटकों को बाहरी वातावरण से अलग रखकर इसे सुरक्षित रखती है। कोशिका झिल्ली कुछ पदार्थों को अंदर से बाहर तथा बाहर से अंदर आने से रोकती है, दूसरे शब्दों में कोशिका झिल्ली कुछ चुने हुए पदार्थों को ही अंदर आने देती है या बाहर जाने देती है इसलिए कोशिका झिल्ली को अर्धपारगाम्य झिल्ली या वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली कहते हैं। वैसी झिल्ली जो कुछ चुने हुए पदार्थों को आरपार जाने देती है उन्हें अर्धपारगम्य झिल्ली कहा जाता है। ऐसे ही एक प्रकार की झिल्ली का उपयोग पानी को साफ करने के लिए वाटर फिल्टर में किया जाता है।

कोशिका झिल्ली द्वारा पदार्थों का कोशिका के अंदर आना तथा कोशिका से बाहर जाना विसरण तथा परासरण की प्रक्रिया द्वारा होता है।

विसरण

उच्च सांद्रण क्षेत्र से निम्न सांद्रण क्षेत्र की ओर गैसीय पदार्थ के अणुओं की गति को विसरण कहा जाता है।

उदाहरण: रसोईघर में बन रहे एक स्वादिष्ट भोजन की सुगंघ दूसरे कमरे में आ जाना, किसी सड़ रहे पौधे जा जानवर की दुर्गंध दूर से महसूस होना, आदि विसरण की प्रक्रिया के उदाहरण हैं।

कोशिकाओं में श्वसन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड एक अपशिष्ट उपोत्पाद बनता है जिसे बाहर निकालना आवश्यक होता है। कार्बन डाइऑक्साइड का निष्कासन कोशिका की झिल्ली द्वारा विसरण की प्रक्रिया के द्वारा होता है।

जब कार्बन डाइऑक्साइड का सांद्रण कोशिका के बाहर की तुलना में अंदर बढ़ जाता है, तब कार्बन डाइऑक्साइड निम्न सांद्रण वाले क्षेत्र की ओर अर्थात कोशिका से बाहर चला जाता है, तथा अंतत: श्वास के द्वारा बाहर निकल जाता है।

उसी प्रकार जब कोशिका के अंदर ऑक्सीजन की मात्रा अर्थात सांद्रण कम हो जाती है, तो ऑक्सीजन कोशिका के बाहर उपस्थिति ऑक्सीजन की उच्च सांद्रण वाले क्षेत्र से कोशिका के अंदर चला आता है।

ऑक्सीजन का कोशिका के भीतर आना तथा कार्बन डाइऑक्साइड का कोशिका के बाहर जाना कोशिका झिल्ली के द्वारा विसरण की प्रक्रिया द्वारा होता है।

परासरण

जल अणुओं का उच्च सांद्रण वाले क्षेत्र से निम्न सांद्रण वाले क्षेत्र की ओर एक अर्धपारगम्य झिल्ली यथा कोशिका झिल्ली से गति परासरण कहलाता है।

परासरण एक प्रक्रिया है जिसमें किसी द्रव के अणु अर्ध पारगम्य झिल्ली से होकर उच्च सांद्रण वाले क्षेत्र से निम्न सांद्रण वाले क्षेत्र की ओर गति करते हैं।

कोशिका झिल्ली आवश्यक द्रव पदार्थों के अणुओं को आर पार जाने देती है। कोशिका झिल्ली द्रव के अणुओं को आवश्यकतानुसार कोशिका के अंदर तथा बाहर परासरण की प्रक्रिया द्वारा आने जाने देती है तथा अन्य पदार्थों को रोकती है इसलिए कोशिका झिल्ली जो एक अर्धपारगम्य झिल्ली है को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली भी कहा जाता है।

चूँकि परासरण उच्च सांद्रता वाले क्षेत्र से निम्न सांद्रता वाले क्षेत्र की ओर होता है अत: परासरण विसरण की ही एक विशिष्ट विधि है जिसमें वर्णात्मक झिल्ली द्वारा गति होती है।

परासरण के कारण ही पौधे जड़ों के द्वारा मिट्टी से जल को अवशोषित करते हैं।

एंडोसाइटोसिस

अमीबा जो एक एक-कोशिकीय जीव है, जो आकार को बदलकर भोजन ग्रहण करता है।

प्लाज्मा झिल्ली का लचीलापन कोशिका को आकार बदलने के उपयुक्त बनाता है। चूँकि अमीबा एक-कोशिकीय जीव है, अर्थात यह मात्र एक कोशिका है, अत: कोशिका का लचीलापन ही इसे भोजन ग्रहण करने के उपयुक्त बनाता है।

प्रक्रिया जिसमें कोशिका के लचीलेपन का उपयोग कर कोशिका का आकार बदल कर बाह्य वातावरण से भोजन ग्रहण करती है, एंडोसाइटोसिस कहलाती है।

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