कार्य तथा उर्जा
नवमी विज्ञान
उर्जा तथा उर्जा के प्रकार
बिना उर्जा के जीवन की परिकल्पना असंभव है। सूर्य उर्जा का सबसे बड़ा श्रोत है। उर्जा शब्द से आम जीवन में प्रत्येक रोज सामना होता रहता है, लेकिन विज्ञान उर्जा शब्द को अलग ही दृष्टिकोण से परिभाषित करता है।
कार्य करने की क्षमता को उर्जा के रूप में परिभाषित किया जाता है।
या, कार्य करने की क्षमता को उर्जा कहते हैं।
एक वस्तु जिसमें उर्जा है, वह कार्य कर सकती है। या दूसरे शब्दों में यदि वस्तु कार्य कर सकती है, तो उसमें उर्जा है।
एक वस्तु जिसके द्वारा कार्य किया जाता है, के उर्जा का ह्रास होता है, तथा वह वस्तु जिसपर कार्य होता है, द्वारा उर्जा ग्रहण की जाती है।
उदाहरण
जब एक तेजी से आती क्रिकेट की बॉल विकेट पर लगती है, तो विकेट को उखाड़ देती है।
उसी तरह एक तेजी से आती हुई क्रिकेट की बॉल दीवार पर लगने पर वहाँ पर छोटा सा गड्ढ़ा बना देती है।
ऐसा इसलिये होता है कि तेजी से आती हुई बॉल में उर्जा होती है। जब यह उर्जा से भरी हुई बॉल विकेट या दीवार से टकराती है, तो बॉल की उर्जा विकेट या दीवार में ट्रांसफर (स्थानांतरित) हो जाती है जिससे विकेट उखड़ जाता है या दीवार डेंट (छोटा गड्ढ़ा) बन जाता है। इसमें तेजी से आती हुई बॉल उर्जा को खोती है तथा जिस वस्तु से यह टकराती है, वह वस्तु (दीवार या विकेट) उर्जा प्राप्त करती है।
यहाँ विकेट इसलिए उखड़ जाता है क्योंकि तेजी से आती हुई बॉल उर्जा के कारण कुछ कार्य करने में सक्षम होती है।
उसी प्रकार जब एक हथौड़ी को उठाकर उससे किसी लकड़ी या दीवार पर कील को रखकर मारा जाता है तो कील लकड़ी या दीवार के अंदर जाती है।
हथौड़ी के चोट से कील इसलिए अंदर चली जाती है कि एक उठा हुआ हथौड़ा कुछ कार्य करने में सक्षम होता है अर्थात उठे हुए हथौड़े में उर्जा होती है। जब हथौड़ा कील पर गिरता है, तो हथौड़े की उर्जा कील में ट्रांसफर हो जाती है अर्थात हथौड़ा उर्जा को खोता है तथा कील उर्जा प्राप्त करता है।
एक उर्जा से भरी हुई वस्तु कैसे कार्य करती है?
एक वस्तु जिसमें उर्जा होती है दूसरे वस्तु पर बल लगा सकती है। तथा जब उर्जा से भरी हुई एक वस्तु किसी दूसरे वस्तु पर बल लगाती है तो दूसरी वस्तु गति में आ जाती है, क्योंकि वह दूसरी वस्तु उर्जा प्राप्त करती है और कुछ काम करती है या काम करने में सक्षम हो जाती है।
अर्थात पहली वस्तु जिसमें पहले उर्जा भरी हुई थी कुछ कार्य करने में सक्षम थी, तथा दूसरी वस्तु जिसमें उर्जा का ट्रांसफर हुआ, उर्जा प्राप करने के कारण कुछ कार्य करने में सक्षम हो गई।
अत: हम कह सकते हैं कि एक वस्तु जिसमें उर्जा होती है, कार्य करने में सक्षम होती है।
उर्जा की इकाई (यूनिट ऑफ एनर्जी)
चूँकि एक वस्तु जिसमें उर्जा होती है, कार्य करने में सक्षम होती है। अत: किसी वस्तु की उर्जा उसके कार्य करने की शक्ति के रूप में मापी जाती है।
अत: उर्जा की इकाई वही है जो कि कार्य की इकाई है, अर्थात उर्जा की इकाई जूल (J) है।
अत: उर्जा की एस आई मात्रक जूल (J) है।
1 जूल उर्जा कितनी होती है?
1 जूल कार्य करने में आवश्यक उर्जा को 1 जूल उर्जा कहते हैं।
1 जूल उर्जा = 1 जूल कार्य करने की क्षमता
उर्जा की बड़ी इकाई
किलो जूल (kJ) उर्जा की बड़ी इकाई है।
1 kJ = 1000 J
उर्जा के प्रकार
उर्जा कितने प्रकार का होता है?
उर्जा कई प्रकार की होती है। जैसे यांत्रिकी उर्जा (मिकेनिकल एनर्जी), रासायनिक उर्जा (केमिकल एनर्जी), स्थितिज उर्जा (पोटेंशियल एनर्जी), गतिज उर्जा (काइनेटिक एनर्जी), उष्मीय उर्जा (हीट एनर्जी), प्रकाश उर्जा (लाइट एनर्जी), ध्वनि उर्जा (साउंड एनर्जी), आदि।
स्थितिज उर्जा तथा गतिज उर्जा साथ मिलकर यांत्रिकी उर्जा बन जाते हैं।
स्थितिज उर्जा (काइनेटिक एनर्जी)
'काइनेटिक' शब्द ग्रीस के 'काइनेसिस (Kinesis)' से आया है, जिसका अर्थ होता है 'गति'। उसके अनुसार शब्द 'काइनेटिक एनर्जी (Kinetic energy)' का अर्थ हो जाता है " गति के कारण उत्पन्न उर्जा या गति से उत्पन्न उर्जा"
किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित उर्जा को गतिज उर्जा कहते हैं।
एक चलती हुई वस्तु कार्य कर सकती है। एक तेजी से चलती हुई वस्तु किसी धीरे चलती हुई वस्तु की अपेक्षा अधिक कार्य कर सकती है।
जैसे बन्दूक से छूटी हुई गोली, एक पंखे की घूमती हुई ब्लेड, एक घूमता हुई पहिया, तेजी से चलती हुई हवा, एक गतिशील पत्थर, आदि सभी कार्य कर सकते हैं।
जैसे बन्दूक से छूटी हुई गोली किसी चीज को छेद सकती है।
तेजी से फेंका गया पत्थर किसी चीज को तोड़ सकती है। जैसे कि बच्चे पत्थर मारकर पेड़ से आम, अमरूद आदि तोड़ते हैं। तेजी से आती हुई पत्थर किसी जानवर या व्यक्ति को घायल कर सकता है।
एक तेजी चलती हुई ब्लेड किसी चीज को काट सकती है, जैसे घरों में उपयोग किये जाने वाले मिक्सर ग्राइंडर का ब्लेड।
आंधी में तेज हवा से उड़ती हुई वस्तु किसी चीज को तोड़ सकती है या किसी जानवर या व्यक्ति को घायल कर सकती है।
आँधी में हवा बहुत तेजी से चलने लगती है। तेज आँधियों में हवा के कारण बहुत सारे पेड़ पौधे आदि उखड़ जाते हैं। आँधी घरों को भी क्षतिग्रस्त कर देती है। तेज हवा घरों को इसलिए क्षतिग्रस्त कर देती है, क्योंकि चलती हुई हवा में उर्जा होती है, अर्थात चलती हुई हवा कार्य कर सकती है।
पवन उर्जा चलती हुई हवा का प्रतिफल है।
अत: एक वस्तु जो गति में होती है, में उर्जा निहित होती है और यह उर्जा गतिज उर्जा कहलाती है।
किसी गतिशील वस्तु में कितनी उर्जा निहित होती है?
किसी निश्चित वेग से गतिशील वस्तु की गतिज उर्जा (काइनेटिक एनर्जी) उस वस्तु पर इस वेग को प्राप्त करने के लिए किए गये कार्य के बराबर होती है।
गतिज उर्जा का गणितीय समीकरण
मान लिया कि एक वस्तु जिसका द्रव्यमान m है एक समान वेग u से गतिशील है।
मान लिया कि जब उस वस्तु पर एक नियत बल, F विस्थापन की दिशा में लगाया जाता है, तो वस्तुs दूरी तक विस्थापित हो जाती है।
अब हम जानते हैं कि किया गया कार्य W = F s
मान लिया कि वस्तु पर किये गये कार्य के कारण उसका वेग u से बदलकर v हो जाता है।
वेग के बदलने में त्वरण = a
हम जानते हैं कि,
हम जानते हैं कि किया गया कार्य (W) = बल (F) × विस्थापन (s)
Or, W = F s
अत: s का मान रखने पर हम पाते हैं कि
अब हम जानते हैं कि, F = ma.
अत: F=m a को ऊपर के समीकरण में रखने पर हम पाते हैं कि
अब मान लिया कि गतिशील होने से पहले वस्तु स्थिर था, तो प्रारंभिक वेग, u = 0
अत:,
--------- (i)
अब यह स्पष्ट है कि किया गया कार्य वस्तु की गतिज उर्जा में परिवर्तन के बराबर है।
And when, u = 0, then work done will be equal to
अत: m द्रव्यमान की तथा एकसमान वेग v से गतिशील वस्तु की गतिज उर्जा (काइनेटिक एनर्जी) का मान
---------- (ii)
उदाहरण प्रश्न (1) यदि एक 10 kg द्रव्यमान की वस्तु 5 m s– 1 के एक समान वेग से गतिशील है, तो वस्तु की गतिज उर्जा कितनी होगी ?
हल
दिया गया है, वस्तु का द्रव्यमान (m) = 10 kg
वस्तु का वेग, v = 5 m s– 1
अत: वस्तु की गतिज उर्जा = ?
हम जानते हैं कि,
= 125 J
अत: वस्तु की गतिज उर्जा = 125 J उत्तर
उदाहरण प्रश्न (2) एक कार जिसका द्रव्यमान 1000 kg है 20 km/h के वेग से दौड़ रही है। तो कार के वेग को 50 km/h तक बढ़ाने में कितना कार्य करना पड़ेगा?
हल
दिया गया है, कार का द्रव्यमान (m) = 1000 kg
कार का प्रारंभिक वेग, u = 20 km/h
कार का अंतिम वेग, v = 50 km/h
अत: किया गया कार्य अर्थात गतिज उर्जा में परिवर्तन = ?
हम जानते हैं कि,
= 81018.51 J
कार को दिये गये वेग तक बढ़ाने के लिए किया गया कार्य = 81018.51 J उत्तर
स्थितिज उर्जा (पोटेंशियल एनर्जी)
किसी वस्तु द्वारा इसकी स्थिति अथवा विन्यास में परिवर्तन के कारण प्राप्त उर्जा को स्थितिज उर्जा (पोटेंशियल एनर्जी) कहते हैं।
उदाहरण (1)
जब एक रबर बैंड को खींचकर छोड़ा जाता है, तो वह पुराने स्थिति में आ जाता है।
खींचने के बाद एक रबर बैंड लम्बा या बड़ा हो जाता है, अर्थात रबर बैंड की स्थिति बदल जाती है। खींचने के क्रम में रबर बैंड पर बल लगाया जाता है, अर्थात रबर बैंड को फैलाने के लिए कुछ कार्य किया जाता है। यह कार्य फैले हुए रबर बैंड में उर्जा के रूप में स्थानांतरित हो जाती है। फैला हुआ रबर बैंड रबर बैंड की नई स्थिति है।
जब फैले हुए रबर बैंड को छोड़ा जाता है, तो यह पुरानी स्थिति में आ जाता है।
अत: बल लगाने के बाद फैला हुआ एक रबर बैंड में उसके नई स्थिति के कारण उर्जा संरक्षित हो जाती है। रबर बैंड की नई स्थिति के कारण उसमें संरक्षित उर्जा स्थितिज उर्जा कहलाती है।
उदाहरण (2)
जब एक खिलौने वाले कार के अंदर के स्प्रिंग पर में चाबी दी जाती है, अर्थात खिलौने के अंदर लगे स्प्रिंग पर कुछ कार्य किया जाता है, तब इस कार्य के क्रम में कार के अंदर लगे स्प्रिंग में उर्जा स्थानांतरित की जाती है। स्प्रिंग के बाइंड होने के कारण उर्जा, स्थितिज उर्जा के रूप में संरक्षित हो जाती है। और जब स्प्रिंग को छोड़ दिया जाता है या खिलौने वाली कार को नीचे फ्री छोड़ दिया जाता है, तब कार चलने लगती है। कार इसलिए चलती है, क्योंकि कार के अंदर में स्थितिज उर्जा अपना कार्य करने लगती है।
उदाहरण (3)
जब छत के ऊपर लगी पानी की टंकी में वाटर पम्प की सहायता से पानी को भरा जाता है, तो पानी पर कुछ कार्य किया जाता है। इस कार्य के क्रम में पानी की स्थिति बदल जाती है। पम्प करने से पहले पानी नीचे जमीन के लेवल पर थी, जो पम्प करने के बाद जमीन से कुछ फीट ऊपर रखे पानी की टंकी में चली गई है, अर्थात पानी की स्थिति जमीन से कुछ ऊँचाई पर हो गई है। इस कार्य में उर्जा पानी में स्थानांतरित हो जाती है, जो पानी की स्थिति बदलने के कारण उसमें स्तिथिज उर्जा के रूप में संरक्षित हो जाती है।
और जब पानी की टंकी से लगे पाइप के नल को खोला जाता है, तब पानी अपने आप नीचे आने लगती है। यह एक बहुत ही प्रचलित तथा साधारण तरीका है, जिसे घरों उपयोग किया जाता है। और जरूरत के अनुसार पानी का उपयोग किया जाता है।
किसी ऊँचाई पर वस्तु की स्थितिज उर्जा
गुरूत्वीय स्थितिज उर्जा (ग्रेविटेशनल पोटेंशियल एनर्जी)
भूमि से उपर किसी बिन्दु पर किसी वस्तु की गुरूत्वीय उर्जा को, वस्तु को भूमि से उस बिन्दु तक उठाने में गुरूत्वीय बल के विरूद्ध किए गए कार्य द्वारा परिभाषित किया जाता है।
जब वस्तु को किसी ऊँचाई तक उठाया जाता है, तो उसकी उर्जा में बृद्धि होती है, क्योंकि वस्तु को ऊपर किसी बिन्दु तक उठाने में गुरूत्व बल के विरूद्ध वस्तु पर कार्य किया जाता है। अत: वस्तु में जमीन से ऊपर किसी पर विद्यमान उर्जा को गुरूत्वीय स्थितिज उर्जा कहते हैं।
किसी ऊँचाई पर एक वस्तु के गुरूत्वीय स्थितिज उर्जा का गणितीय व्यंजक
मान लिया कि एक m द्रव्यमान वाली वस्तु को जमीन से h ऊँचाई तक उठाया जाता है।
इस वस्तु को जमीन से ऊपर उठाने के लिए एक बल की आवश्यकता होती है। वस्तु को उठाने के लिए आवश्यक न्यूनतम बल वस्तु के भार के बराबर है, अर्थात आवश्यक न्यूनतम बल = mg
वस्तु को उपर उठाने के किए गये कार्य के बराबर उर्जा वस्तु में अंतर्निहित हो जायेगी।
मान लिया कि वस्तु को गुरूत्वाकर्षण के विरूद्ध उपर उठाने में किया गया कार्य = W.
अर्थात
किया गया कार्य, W = बल × विस्थापन
⇒ W = mg × h
⇒ W = mgh
अब चूँकि वस्तु को h ऊँचई तक उपर उठाने में उसपर किया गया कार्य mgh है, और वस्तु में द्वारा इस कार्य के कारण निहित उर्जा mgh इकाई है।
वस्तु द्वारा उपार्जित यह उर्जा mgh स्थितिज उर्जा (EP) है, जो कि गुरूत्वीय स्थितिज उर्जा है।
या, EP = mgh
गुरूत्वीय बल द्वारा किया गया यह कार्य वस्तु की प्रारंभिक तथा अंतिम ऊँचाईयों के अंतर पर निर्भर करता है, तथा उस रास्ते पर निर्भर नहीं है, जिसपर वस्तु ने गति की है। इसका अर्थ यह है कि ब्यंजक में लिया जाने वाली ऊँचाई h केवल वस्तु की प्रारंभिक तथा अंतिम ऊँचाईयों का अंतर है।
उदाहरणचित्र में एक वस्तु को दो रास्तों से गुरूत्वीय बल के विरूद्ध ऊपर उठाया गया है। लेकिन चूँकि दोनों ही स्थितियों में वस्तु को एक ही ऊँचाई h तक ऊपर उठाया गया है, और यह मान वस्तु को उपर उठाने के लिए अपनाये गये रास्तों पर निर्भर नहीं है।
दोनों ही स्थितियों में वस्तु पर किया गया कार्य mgh है।
उदाहरण प्रश्न (3) एक 50 kg द्रव्यमान की वस्तु में कितनी उर्जा होगी यदि उसे जमीन से 10 m ऊपर उठाया जाता है। [g = 9.8 m s–2]
हल
दिया गया है, वस्तु का द्रव्यमान, m = 50 kg
वस्तु का विस्थापन (ऊँचाई), h = 10 m
दिया गया है, गुरूत्वीय त्वरण = 9.8 m s– 2
अत: वस्तु की स्थितिज उर्जा, EP = ?
हम जानते हैं कि स्थितिज उर्जा, EP = mgh
= 50 kg × 9.8 m s– 2 × 10 m
= 4900 J
वस्तु में निहित स्थितिज उर्जा = 4800 J उत्तर
Reference: